अक़्ल हर चीज़ को, इक ज़ुर्म बना देती है !
बापू आसाराम के बाद समाज शास्त्री आशीष नंदी भाई सा ’ ब के विचारों के आते ही खलबली मचती देख भाई कल्लू पेलवान को न जाने क्या हुआ बोलने लगा : सरकार भी गज़ब है कई बार बोला कि भई मूं पे टेक्स लगा दो सुनतई नहीं.. हमने पूछा :- कहां बोला तुमने कल्लू भाई कल्लू :- पिछले हफ़्ते मिनिस्टर सा ’ ब का पी.ए. मिला था , मुन्नापान भंडार में ..उनई को बोला रहा. कसम से बड़े भाई हम सही बोलते हैं. हैं न ? कल्लू को मालूम है कि काम किधर से कराना है कई लोग इत्ता भी नहीं जानते. कल्लू की बात सरकार तलक पहुंच गई होती तो पक्क़े में वक़्तव्यों के ज़रिये राजकोष में अकूत बढ़ोत्तरी होती. इस विषय पर हमने कल्लू से बात होने के बाद रिसर्च की तो पता चला पर्यावरण में वायु के साथ " वक्तव्य वायरस " का संक्रमण विस्तार ले रहा है. आजकल बड़े बड़े लोग "वक्तव्य वायरस" की वज़ह से बकनू-बाय नामक बीमारी के शिक़ार हो रहे हैं. इस बीमारी के शिकार मीडिया के अत्यंत करीब रहने वाले सभा समारोह में भीड़ को देख कर आपा खोने वाले, खबरीले चैनल के कैमरों से घिरे व्यक्ति