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बुधवार, जनवरी 09, 2013

फ़ुर्षोत्तम-जीव



किस किस को सोचिए किस किस को रोइए
आराम बड़ी चीज है ,मुंह ढँक के सोइए ....!!
"जीवन के सम्पूर्ण सत्य को अर्थों में संजोए इन पंक्ति के निर्माता को मेरा विनत प्रणाम ...!!''
साभार http://manojiofs.blogspot.in/2011/11/blog-post_26.html
साभार नभाटा 

आपको नहीं लगता कि जो लोग फुर्सत में रहने के आदि हैं वे परम पिता परमेश्वर का सानिध्य सहज ही पाए हुए होते हैं। ईश्वर से साक्षात्कार के लिए चाहिए तपस्या जैसी क्रिया उसके लिए ज़रूरी है वक़्त आज किसके पास है वक़्त पूरा समय प्रात: जागने से सोने तक जीवन भर हमारा दिमाग,शरीर,और दिल जाने किस गुन्ताड़े में बिजी होता है। परमपिता परमेश्वर से साक्षात्कार का समय किसके पास है...?
लेकिन कुछ लोगों के पास समय विपुल मात्रा में उपलब्ध होता है समाधिष्ठ होने का ।
इस के लिए आपको एक पौराणिक कथा सुनाता हूँ ध्यान से सुनिए
एकदा -नहीं वन्स अपान अ टाइम न ऐसे भी नहीं हाँ ऐसे

"कुछ दिनों पहले की ही बात है नए युग के सूत जी वन में अपने सद शिष्यों को जीवन के सार से परिचित करा रहे थे नेट पर विक्की पेडिया से सर्चित पाठ्य सामग्री के सन्दर्भों सहित जानकारी दे रहे थे " सो हुआ यूँ कि शौनकादी मुनियों ने पूछा -"हे ऋषिवर,इस कलयुग में का सारभूत तत्व क्या है.....?

ऋषिवर:-"फुर्सत"
मुनिगण:- "कैसे ?"
ऋषिवर :- फुरसत या फुर्सत जीवन का एक ऐसा तत्व है जिसकी तलाश में महाकवि गुलजार की व्यथा से आप परिचित ही हैं आपने उनके गीत "दिल ढूँढता फ़िर वही " का कईयों बार पाठ किया है .
मुनिगण:- हाँ,ऋषिवर सत्य है, तभी एक मुनि बोल पड़े "अर्थात पप्पू डांस इस वज़ह से नहीं कर सका क्योंकि उसे फुरसत नहीं मिली और लोगों ने उसे गा गाकर अपमानित किया जा रहा है ...?"
ऋषिवर:-"बड़े ही विपुल ज्ञान का भण्डार भरा है आपके मष्तिस्क में सत्य है फुर्सत के अभाव में पप्पू नृत्य न सीख सका और उसके नृत्य न सीखने के कारण यह गीत उपजा है संवेदन शील कवि की कलम से लेकिन ज्यों ही पप्पू को फुरसत मिलेगी डांस सीखेगा तथा हमेशा की तरह पप्पू पास हो जाएगा सब चीख चीख के कहेंगे कि-"पप्पू ....!! पास होगया ......"
मुनिगण:-ये अफसर प्रजाति के लोग फुरसत में मिलतें है .... अक्सर ...........?
ऋषिवर:-" हाँ, ये वे लोग हैं जिनको पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप फुरसत का वर विधाता ने दिया है
मुनिगण:-"लेकिन इन लोगों की व्यस्तता के सम्बन्ध में भी काफी सुनने को मिलता है ?
ऋषिवर:-"इसे भ्रम कहा जा सकता है मुनिवर सच तो यह है कि इस प्रजाति के जीव व्यस्त होने का विज्ञापन कर फुरसत में होतें है, "
मुनिगण:-कैसे...? तनिक विस्तार से कहें ऋषिवर

ऋषिवर:-"भाई किससे मिलना है किससे नहीं कौन उपयोगी है कौन अनुपयोगी इस बात की सुविज्ञता के लिए इनको विधाता नें विशेष गुण दिया है वरदान स्वरुप इनकी घ्राण-शक्ति युधिष्ठिर के अनुचर से भी तीव्र होती है मुनिवर कक्ष के बाहर खडा द्वारपाल इनको जो कागज़ लाकर देता है उसे पड़कर नहीं सूंघ कर अनुमान लगातें हैं कि इस आगंतुक के लिए फुरसत के समय में से समय देना है या नहीं ? "
    मुनिगण बोले तो ऋषिवर, क्लर्क नामक जीव ही है जो सदैव व्यस्त दिखाई देता है. कार्यालयों में बहुधा..?
 ऋषिवर :- ये भी दृष्टि भ्रम है मुनियो, कुटिया की इस भित्ती पर देखो अभी मैं वेबकास्टिंग प्रणाली से एक दफ़्तर का चलचित्र प्रस्तुत करता हूं.. 
   मुनियों ने दीवारावलोकन प्रारम्भ किया, नट्टू मुनि लम्बू मुनि को लगभग डपट कर न हिलने की सलाह दे रहे थे भित्ती पर एक LED SCREEN अवतरित हुआ ऋषिवर ने हाथ में CPU को मंत्र शक्ति से उत्पन्न किया. दृश्य कुछ यूं था -
    "एक दफ़्तर में बाबू साब एक फ़ाईल की तलाशी में व्यस्त थे तभी अधिकारी का दूत आया बोला-"पुसऊ जी ...पुसऊ जी"
पुसऊ :- का है दिमाग न खाओ देखते नहीं ज़रूरी काम में लगा हूं..!
दूत :- "सा’ब, बुलाय रै हैं..."
पुसऊ :-हओ, बोल दो आत हैं, फ़ाईल निकाल के.. 
दूत :- हओ, जल्दी आईयो.. भोपाल से डाक आई है.. साब बोलत थे 
पुसऊ :- बोल दओ न कि आ रहे हैं .. भोपाल वारे जान लै लैं हैं का.. स्टाफ़ के नाम पै हम अकेले काम   
              झौआ भर . कहूं की फ़ाइल कहूं रख देत हो तुम .. हमाओ पूरो दिन फ़ाइल ढूड़त ढूड़त लग जात है.. फ़ुरसत कहां मिलत है इतै.. जो सा’ब भी एक पे एक ग्यारा .. हर कागज़ आतई टेर लगात है पुसऊ पुसऊ... 
ऋषिवर :- मुनिगण, ये   पुसऊ दिन भर में अफ़सर की मार्क की हुई डाक को सही फ़ाईल में नत्थी करता है एक भी कागज़ इधर के उधर न हो पाए उसका मूल कार्य दायित्व है. रोजिन्ना दफ़्तर में जब इसे फ़ुरसत मिलेगी तो पहली फ़ुरसत में हरे कव्हर वाली फ़ाईल निपटाता है. ये फ़ाईलें जानते हो कौन सी हैं..
मुनिगण अवाक थे तभी ऋषि बोले- "मुनियो, ये फ़ाईलें जेब और वातावरण को हरा भरा बनातीं हैं. इन फ़ाईलों पर फ़ुरसत से काम किया जाता है. बहुधा कार्यालय के बंद होने के बाद "
   यानी देश इसी तरह चलता है ऋषिवर ? मुनियों का सवाल था .
हां, देश चल कहां रहा है..? फ़ाईलों में बंद है जैसे परसाई दादा वाले भोला राम का जीव . 
मुनिगण :- तो महाराज ये देश चल कैसे रहा है..?
ऋषिवर :- यही वो सवाल है जिसके उत्तर आपको परमेश्वर के अस्तित्व का एहसास होगा  ?
मुनिगण :- यानी गुरुदेव..?
 ऋषिवर :- यानी भारत को केवल भगवान पर भरोसा है सच भी यही है जो भी चल रहा है सब उसके भरोसे ही तो चल रहा है..    
मुनिगण:-वाह गुरुदेव वाह आपने तो परम ज्ञान दे ही दिया ये बताएं कि क्या कोई फुरसत में रहने के रास्ते खोज लेता है सहजता से ...?
कुछ ही क्षणों उपरांत सारे मुनि कोई न कोई बहाना बना के सटक लिए फुरसत पा गए और बन गए ""फ़ुरुषोत्तम -जीव "
गुरुदेव सूत जी ने एकांत में मुनियों से फुरसत पा कर वृक्षों को जो कहा वो कुछ इस तरह था
फुर्सत और उत्तम शब्द के संयोजन से प्रसूता यह शब्द आत्म कल्याण के लिए बेहद आवश्यक और तात्विक-अर्थ लेकर धरातल पर जन्मां है   इस शब्द का जन्मदिन जो नर नारी पूरी फुर्सत से मनाएंगें वे स्वर्ग में सीधे इन्द्र के बगल वाली कुर्सी पर विराजेंगे । इस पर शिवानन्द स्वामी एक आरती तैयार करने जा रहें हैं आप यदि कवि गुन से लबालब हैं तो आरती लिख लीजिए अंत में लिखना ज़रूरी होगा : कहत "शिवानन्द स्वामी जपत हरा हर स्वामी " पंक्ति का होना ज़रूरी है।


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