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रविवार, अक्टूबर 26, 2008

प्रवासी पंछी का का ब्लॉग !!


संगीत-मयी यात्रा पे निकला ये प्रवासी पाखी जिसे Arvind के नाम से जाना जाता है जो मुड-मुड अपने गुजरात को देखता भारत को देखता है और रोज़ अंतर्जाल पे बातें होतीं हैं भारत की कला साहित्य की आज तो मुझे उनके तरेसठ हज़ार से अधिक मित्रों की लिस्ट है इतने कुल वोट पडतें हैं असेम्बली के चुनाव में कहीं कहीं .....!!

आप इनको मेल कर सकतें है :- arvindvpatel@hotmail.com , arvind.arvind1uk@gmail.com

इनके ब्लॉग का यू आर एल है :http://dreamsatdawn।blogspot.com/

: "Dreams At Dawn-A Musical Journey "

बस एक-चटका हो जाए

"अरविन्द जी सभी ब्लागर'से की ओर से हार्दिक शुभ कामनाएं "
"अंत में चर्चा चर्चा की "=>इधर ताऊ पे चर्चा कर चिठ्ठा पे कमेन्ट कराने वाले भी विवेक भाई को डरा रहे हैं कि ताऊ की बगैर अनुमति के अरे भाई ताऊ और राखी में फरक होगा ही कोई वे मीडिया के सामने ...... चीख- 2 के सचाई थोड़े बता देंगें चिंता करे चिता मन विवेक जी आप तो जारी रहो हर चर्चा में भारी रहो चर्चित भाइयो आप चर्चा मंडली के आभारी रहो । अपन तो उधर ये टिपिकी लगा आए हैं जी "भाई विवेक जी अपन तो टिपियाते नहीं यहाँ पर क्या करें ताऊ का मामला है कई ताऊ(म्र) ताऊ को समझने की कोशिश करेंगे न समझ पाएंगे जब ख़ुद .....ताआआआअ ऊऊऊऊऊऊउ खैर भैंस सम्हालना कोई ब्लागरी नहीं जो आए लिखे इधर उधर ताँके झांके तिपिकियां लगाए और (म)चल पड़े अपने को कम टिप्पणी देख ..... और फ़िर सबके बीन से भैस नाचतीं भी नहीं जो ....."

शुक्रवार, अक्टूबर 24, 2008

महिला मित्र का आभार जिनके कारण ............!!

"दीपावली का उपहार"
भेजने वाली मित्र को सादर नमन करते हुए बता दूँ की जितना नशा इन सभी में एक साथ मिलता है वह
इस विरहनी-लावण्या विरह का हजारवें भाग के तुल्य भी नहीं हैं ?
{अपनी इन मित्र का आभारी हूँ जिनने मुझे शराब , की बोतलों का खजाना भेजा वर्ना यह पोस्ट लिख पाता }
यह विरह ईश्वर के प्रेम में पगी आत्मा को ही महसूस होता है न कि हर आत्मा को ।
ये , इश्क़ में घायल आवाज़ गोया ,- ग़म ,को बयाँ करती सुनाई दे रही होगी आपको सुनाई दे भी क्यों न ........? इश्क हा ही ऐसी चीज़ आज़माना है तो आज़माइए किंतु याद रखिए मेरी इस बात को ------
इश्क कीजे सरेआम खुलकर कीजे....
भला पूजा भी कोई छिप-छिप के किया करता है ?
पाकीज़ा जिंदगियां पाप की पडोसन ,बनाना कभी न चाहतीं हैं और न चाहेंगी। किंतु हम क्या करें जब मन भीगा हो तो साँसें भी कभीसूखी रह सकतीं हैं ...... समीर लाल जी जो देसी मानस लेकर बिदेसिया हो गए है संगी कविताई करने वालों के साथ टी वी स्टूडियो में गए और कने लगे की ये लो भई-टीवी पर भी आ लिए,
मैं ये तो नहीं कहूँगा की जंगल में.............? क्योंकि की अब मोर कहीं भी नांचे कोई न कोई खबरिया चैनल फ़ोटू खींच के ऑन एयर कर देते है...........?विसंगतियों , भरे जीवन में से इनने ...जो भी पोस्ट किया है उसे आगाज़...नहीं उत्कृष्टता की शुभ दीपावली,ही कहिए ।
रही ब्लाग्स के अस्तित्व की बात सो टिपकियों से मत आंकिए । टिप्पणी न मिले तो कोई किरकिरी , थोड़े न हो जाएगी जी....... ओके कोई अपन लोगों को अनुपयोगी कबाड़ से भी
,कुछ न कुछ अच्छा नी मिलेगा । अब देखिए न एक महिला मित्र ने मुझे ऊपर वाला चित्र भेजा हमने भी मन बना लिया चित्र मय केप्शन के भेजें किंतु मन ने कहा नहीं सीमा मत लाँघो सीमा में रहो मजे सेमांझी की सुनिए
नोट:- इस पोस्ट में कुछ नीले शब्दों -को चटका लगा कर गीत सुने जा सकतें हैं । जो http://www.gayaki.com/ पर मिलतें हैं वैसे सभी जानतें हैं मैंने कोई नई बात नहीं लिखी है ।

निर्मल ग्राम बनाने की कोशिश :पुरस्कार के लिए नहीं सोच बदलने की तैयारी


"निर्मल गाँव के आँगन वाड़ी केद्रों के लिए प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला संपन्न "

जबलपुर दिनांक 22/10/2008

जबलपुर विकास खंड के अंतर्गत नवीन प्रस्तावित निर्मल पंचायतों के 65 आँगनवाड़ी केन्द्रों के लिए आज एक दिवसीय प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला का आयोजन स्थानीय माखनलाल चतुर्वेदी सभागार में किया गया . कार्यशाला में प्रशिक्षण के दौरान आँगन वाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं किशोरियों के लिए कार्य निर्देश दिए गए . जिला पंचायत जबलपुर से उपस्थित श्री आशीष व्योहार ने बताया की जिन शासकीय भवनों में आँगन वाड़ी केन्द्र सचालित हैं तथा उनमें शौचालय निर्माण नहीं किए जा सके हैं उनके लिए एक सप्ताह में आवश्यक राशि जारी कर दी जावेगी .

निर्मल ग्राम बनाने के लिए समग्र रूप से समन्वय,जन जागरण,स्वच्छता बनाए रखने के उपाय,केन्द्र की आतंरिक एवं बाह्य स्वच्छता,तथा व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित बिन्दुओं पर बाल विकास परियोजना अधिकारी गिरीश बिल्लोरे ,सुश्री माया मिश्रा,मीना बडकुल,नीलिमा दुबे, संध्या नेमा,जयंती अहिरवार,जीवन श्रीवास्तव,सरला कुशवाहा,उमा-निखरे ने विभिन्न विषयों पर जान कारी दी . बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा बताया गया कि ग्राम पंचायत पहाडीखेडा की आँगनवाड़ी कार्यकर्ता गुलाब यादव जो पोलियो ग्रस्त हैं ने जन सहयोग तथा अपनी ओर कुछ राशि मिला कर शौचालय का प्रयास किया किंतु तब भी राशि अपर्याप्त होने पर सभी सेक्टर पर्यवेक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों ने मिल कर उनको राशिः उपलब्ध कराई गयी . कुमारी गुलाब ने शौचालय निर्माण का कार्य 2 दिनों में पूर्ण किया. उनके इस कार्य के लिए पुरुस्कृत करने हेतु प्रस्ताव भेजा जावेगा . परियोजना क्षेत्र में प्रस्तावित निर्मल ग्रामों में "किशोरी-क्लबों का गठन" किया जा रहा है जो समग्र स्वच्छता के कार्यों में सयोग करेंगी तथा स्वच्छता-संदेशों का प्रसार करेंगी .

नई-दुनियाँ जबलपुर में प्रकाशित समाचार"यहाँ"देखिए

  • गिरीश बिल्लोरे मुकुल

बुधवार, अक्टूबर 22, 2008

समीर यादव एक उत्कृष्ट यात्रा पर......!!


"इस चित्र का इस पोस्ट से अंतर्संबंध कुछ भी नही बस जैसे लगा इसे भी आपको दिखाना है सो छाप दी




समीर यादव की रचना शीलता ,चिंतन,सब साफ़ सुथरा और मोहक भी है । इनके ब्लॉग "मनोरथ '' में प्रकाशित पोष्ट शहीद पुलिस स्तरीय बन पडी है ।समीर भाई सच एक उत्कृष्ट यात्रा पर हैं ।
वहीं मेरी एक अन्य नम्रता अमीन का ब्लॉग गुजराती से हिन्दी की ओर आता नज़र आ रहा है ब्लॉग का शीर्षक है :- "કહો છો તમે કેમ?
उधर कुन्नू भिया यानी अपने कुन्नू भैया की पोष्ट ईसबार Free Submission वाला साईट बनाया हूं। देख लें...
'का वाचन ज़रूर कीजिए । निरन्तर-हमको कुछ न कुछ अच्छा करते रहना चाहिए ताकि "ब्लाग- कालोनी का नज़ारा करते वक्त उनकी नज़र ", कदाचित आप पर पड़ जाए । टुकडे अस्तित्व के -, को भी नकारा न जाए क्योंकि शून्य में से शून्य के निकलते ही शून्य फ़िर शेष रह जाता है। चलिए अब आप अपना पना पता दे दो ताकि अपन भी आपके ब्लॉग को देख आएं । मीडिया नारद पर-"राज क्यों बने राज" बांचना न भूलिए "
तो फ़िर मन को भावुक करे वाला ब्लॉग -
मिस यू पापा......आज ही नहीं सदैव देखने लायक है
शुभ-रात्रि
मुकुल

भारत में महाभारत

"अनूप जी"की एक लाइना देख कर लगता है की एक दूसरे से जुड़ने में कितना आनंद है । 'अनपेक्षित विवाद
को लेकर जो बबाल मचा "उस पर अनूप जी ने बस इतना कहा लिखते रहिए !" वास्तव में लिखने की धारा में कमी हो उनका उद्द्येश्य है इसके पीछे । इसमें बुराई क्या है अगर बुराई है तो "इनके"कार्यो में रचनात्मकता की चेतना के अभाव को देखा जा सकता है । राज ठाकरे जैसे व्यक्तियों को कितना भी को हजूर के कानों में जूँ भी न रेंगेगी तो ये भी जान लीजिए हजूर "जिंदगी "से हिसाब मांगती रहेगी कल की घड़ी तब आप भौंचक रह जाएंगे और तब आपके आंसू निकल आएँगे ये तय है। ये हम नहीं लोगों का कहना है जिन को आप क्षेत्र,भाषा,धर्म,प्रांत,के नाम पर तकसीम कर रहें हैं । "वशीकरण, सम्मोहन व आकर्षण हेतु “' किसी का या "मन्त्र"-का उपयोग करिए । "ताना-बाना"बिनतीं, विघुलता का स्वागत
विघुलता जी एक अच्छी साहित्य कार होने के साथ साथ पत्रकारिता से भी सम्बद्ध हैं -का उनका हार्दिक सम्मान
आपका स्नेह एवं कभी कभार कोप भाजन किए ।
जी हाँ तो मैं कह रहा था कि नारी लिए कुछ तो " आरम्भ"-करना ही होगा जैसा संजीव तिवारी कर रहे हैं ।
इस देश को राज ठाकरे जी "
पराया देश" मान के "भारत " में एक और महाभारत - " को "महाराष्ट्र - '' के रास्ते
से ले जा रहे हैं ।
खैर सभी को शुभ कामनाएं



मंगलवार, अक्टूबर 21, 2008

"आओ मुझे बदनाम करो.....!!"



उस दिन शहर के अखबार समाचार पत्रों में रंगा था समाचार "श्रींमन क के विरुद्ध जन शिकायतों को लेकर हंगामा, श्रीमान ख के नेतृत्व में आला अधिकारीयों को ज्ञापन सौंपा गया ?"
नाम सहित छपे इस समाचार से श्री क हताशा से भर गए वे उन बेईमान मकसद परस्तों को अपने आप में कोसते रहे किंतु कुछ न कर सके राज़ दंड के भय से बेचारगी का जीवन ही उनकी नियति बन गया .
श्री क अपने एक पत्रकार मित्र से मिलने गए उनने कहा-"भाई,संजय इस समाचार में केवल अमुक जी का व्यक्तिगत स्वार्थ आपको समझ नहीं आया ? "
यदि है भी तो भैया जी, मैं क्या करुँ मेरी भी तो ज़िंदगी का सवाल है जो गोल-गोल तभी फूलतीं हैं जब मैं अपने घर तनखा लेकर आता हूँ.....!
तो ऐसा करो भइयाजी,मेरी इन-इन उपलब्धियों को प्रकाशित कर दो अपने लीडिंग अखबार में !
ये कहकर श्रीमान क ने अपनी उपलब्धियों को गिनाया जो वे सार्वजनिक करने से कल तक शर्माते थे . उनकी बात सुन कर संजय ने कहा "भैयाजी,आपको इन सब काम का वेतन मिलता है ,कोई अनोखी बात कहो जो तुमने सरकारी नौकर होकर कभी की हो ?"
श्रीमान क -"अनोखी बात.......?"
संजय ने पूछा -अरे हाँ, जिस बात को लेकर आपको सरकार ने कोई इनाम वजीफा,तमगा वगैरा दिया हो....?
"भाई,मेरी प्लान की हुई योजनाओं को सरकार ने लागू किया "
संजय:-''इस बात का प्रमाण,है कोई !''
क:-.................?
बोलो जी कोई प्रमाण है ?
नहीं न तो फ़िर क्या करुँ , कैसे आपकी तारीफ़ छापून भैया जी
न संजय तारीफ़ मत छापो मुझे सचाई उजागर करने दो आप मेरा वर्जन लेलो जी
ये सम्भव नहीं है,मित्र,आप ऐसा करो कोई ज़बरदस्त काम करो फ़िर मैं आपके काम को प्राथमिकता से छाप दूंगा
जबरदस्त काम .....?
संजय :अरे भाई,कुत्ता आदमीं को काटता है कुत्ते की आदत है,ये कोई ख़बर है क्या,मित्र जब आदमी कुत्ते को काटे तो ख़बर बनातीं है .तुम ऐसा ही कुछ कर डालो
श्रीमान क के जीवन का यही टर्निंग पाइंट था वे निकल पड़े कुत्तों की तलाश में . उनको मिले एक नहीं कई "कुत्ते" जी में आया सालों को काट लिया पर फ़िर मन ने कहा "तुम तो आदमियत से खलास मत हो "
मन की बात की अनुगूंज लेकर "क" घर में उदास अकेले बैठे प्रेमचंद के नमक के दरोगा बनने का खामियाजा भुगत रहे थे कि बाहर से निकलते गुप्ताजी,शर्मा जी बिना उनको आवाज लगाए पान खाने निकल गए , खिड़की से श्री क ने उनका निकलना देख लिया था .
उपेक्षा अपमान भोगते "क" को लगा कि ज़िंदगी अब जीना सम्भव नहीं है सो वे अनमने से महीनो घर में बंद रहे . उनके ख़िलाफ़ चली जांच में वे बेदाग़ हुए तो लोगों ने कहा:-"भाई,आपतो बड़े छुपे रुस्तम निकले,कितने में मामला सुलता..?"
श्रीमान क उनकी बातों पे मुस्कुरा दिए कभी कोई उत्तर न दिया बेअक्लों को .

सोमवार, अक्टूबर 20, 2008

मन का पंछी खजाने उंचाइयां !!

मन का पंछी
मन का पंछी खोजने ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची
उड़ानों में व्यस्त हैं।
चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।
फ़लसफ़ों का ,
दृढ़ किला भी ध्वस्त है।
मन का पंछी. . .
कब झुका कैसे झुका अज्ञात है,
हृदय केवल प्रीत का निष्णात है।
सुफ़ीयाना, इश्क में अल मस्त है-
मन का पंछी. . .
बाँध सकते हो तो बाँधो,
रोकना चाहो तो रोको,
बँधा पंछी रुका पानी,
मृत मिलेगा मीत सोचा,
उसका साहस और जीवन
इस तरह ही व्यक्त है।।
मन का पंछी. . .

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