ब्लॉग 4 वार्ता पर आपने अनिता कुमार जी से हुई प्रथम पाडकास्ट चिट्ठा चर्चा के प्रयोग को जो स्नेह दिया उसके लिए आभारी हूं यह पाडकास्ट मूल स्वरुप में पेश किया है अत: तकनीकी कमियां हैं जिसे सुधार ने के जुगाड़ में हूं शीघ्र ही सारी कमियां दूर हों इस हेतु आप सुधि जन भी मुझे युक्ति शुझा सकतें हैं.... अत: कल आन लाइन अन्त्याक्षरी वाला प्रयोग करने जा रहा था कुछ समय के लिए स्थगित कर रहा हूं
आप के सुझाव सादर आमंत्रित हैं
चलते चलते दीपक 'मशाल',महाशक्ति ,महफूज़ मियाँ ,मिथलेश दुबे सहित सभी ''बेचारे-कुंवारों को स्नेह सहित समर्पित गीत सुनिए यहां
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रविवार, अप्रैल 25, 2010
बुधवार, अप्रैल 21, 2010
कवयत्रि अर्चना की पहली कविता प्रस्तुत है पाडकास्ट पर
कवयत्रि अर्चना की पहली कविता प्रस्तुत है पाडकास्ट पर . हिन्दी कविता और उसके लिए समर्पित अर्चना जी की एक बेहतरीन कविता ''टुकड़ों में बंटी मैं '' उत्कृष्ट बन पडी है . अच्छी कविता के लिएउनका ब्लॉग ''मेरे मन की '' अवश्य देखिये
साथ ही साथ ये गीत भी सुनिये
खेल-खेल मे....mp3 |
साथ ही साथ ये गीत भी सुनिये
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मंगलवार, अप्रैल 20, 2010
आज पाड्कास्ट नहीं श्रद्धा बेटिया का गीत
फ़िल्म : मधुमति का गीत श्रद्धा की आवाज़ में आपसे आशीर्वाद की प्रतीक्षा में
सोमवार, अप्रैल 19, 2010
माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की पलती आग:भाग तीन [पाड्कास्ट में]
सुधि श्रोतागण एवम पाठक/पाठिका गिरीश का हार्दिक अभिवादन स्वीकारिये आज़ मैने किसी का साक्षात्कार रिकार्ड नहीं किया अपनी ही आवाज़ में अपने सबसे लम्बे गीत के वे अंश प्रस्तुत कर रहा हूं जो बाह्य और अंतस की आग को चित्रिर करतें हैं सफ़ल हूं या असफ़ल फ़ैसला आप सुधिजनों के हाथ है...........
इसे सुनिये =>
अथवा पढिये =>
माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की से पलती आग
यौवन की दहलीज़ को पाके बनती संज्ञा जलती आग .
********
एक शहर एक दावानल ने निगला नाते चूर हुए
मिलने वाले दिल बेबस थे अगुओं से मज़बूर हुए
झुलसा नगर खाक हुए दिल रोयाँ रोयाँ छलकी आग !
********
युगदृष्टा से पूछ बावरे, पल-परिणाम युगों ने भोगा
महारथी भी बाद युद्ध के शोक हीन कहाँ तक होगा
हाँ अशोक भी शोकमग्न था,बुद्धं शरणम हलकी आग !
********
सुनो सियासी हथकंडे सब, जान रहे पहचान रहे
इतना मत करना धरती पे , ज़िंदा न-ईमान रहे !
अपने दिल में बस इस भय की सुनो ‘सियासी-पलती आग ?
********
तुमने मेरे मन में बस के , जीवन को इक मोड़ दिया.
मेरा नाता चुभन तपन से , अनजाने ही जोड़ दिया
तुलना कुंठा वृत्ति धाय से, इर्षा पलती बनती आग !
********
रेत भरी चलनी में उसने,चला सपन का महल बनाने
अंजुरी भर तालाब हाथ ले,कोशिश देखो कँवल उगा लें
इसे सुनिये =>
अथवा पढिये =>
माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की से पलती आग
यौवन की दहलीज़ को पाके बनती संज्ञा जलती आग .
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एक शहर एक दावानल ने निगला नाते चूर हुए
मिलने वाले दिल बेबस थे अगुओं से मज़बूर हुए
झुलसा नगर खाक हुए दिल रोयाँ रोयाँ छलकी आग !
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युगदृष्टा से पूछ बावरे, पल-परिणाम युगों ने भोगा
महारथी भी बाद युद्ध के शोक हीन कहाँ तक होगा
हाँ अशोक भी शोकमग्न था,बुद्धं शरणम हलकी आग !
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सुनो सियासी हथकंडे सब, जान रहे पहचान रहे
इतना मत करना धरती पे , ज़िंदा न-ईमान रहे !
अपने दिल में बस इस भय की सुनो ‘सियासी-पलती आग ?
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तुमने मेरे मन में बस के , जीवन को इक मोड़ दिया.
मेरा नाता चुभन तपन से , अनजाने ही जोड़ दिया
तुलना कुंठा वृत्ति धाय से, इर्षा पलती बनती आग !
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रेत भरी चलनी में उसने,चला सपन का महल बनाने
अंजुरी भर तालाब हाथ ले,कोशिश देखो कँवल उगा लें
दोष ज़हाँ पर डाल रही अंगुली आज उगलती आग !!
उफ़्फ़ शरद कोकास भीषण गर्मी को भी एन्जोय करते है ?
रविवार, अप्रैल 18, 2010
पारे की उछाल :बवाल हुये लाल
जी आज अखबारों ने बताया कि पारा 45 डिग्री को छू रहा है . ब्लॉगर मित्र मियाँ बवाल सवा नौ बजे पधारे कहने लगे गिरीश भाई बाहर तो खूब गरम है "आल इज़ नॉट वैल"..... गरमी से बेहाल हुए "लाल” को लस्सी पिला के पाडकास्ट रिकार्ड किया पेश ए ख़िदमत है :- मज़ेदार बात चीत
इसे इधर भी सुना जाये
इसे इधर भी सुना जाये
शनिवार, अप्रैल 17, 2010
ब्लाग वाणी का शुक्रिया
ब्लागवाणी द्वारा नये शामिल किये चिट्ठों को साइड बार में दिखाना चालू किया है ये ब्लाग लम्बी अवधि के लिए
देखिये शायद कोई रचनाकार आपको मोह ले........ मित्रो इनकी सराहना उत्साहवर्धन ज़रूरी है बगैर यह जाने की ये ब्लाग कहां का है किसका है काले रंग के व्यक्ति ने लिखा या गोरे ने हिन्दू का है कि मोमिन का यानि जब मन इन से उपर उठ के बात हो तो फ़िर क्या कहना ये रहे कुछ लिंक ब्लागवाणी से साभार
बुरांस बात बेबात अजनबी दुनिया राष्ट्र जागरण JOLLY UNCLE's Jokes & Article's उल्लू वाणी अनकही... गणतंत्र दस रुपया एक दिन नास्तिकों का ब्लॉग JANTA KI FIR Rosa Centrifolia :) :) :) शब्द-शब्द अनमोल भारत-भाग्य honestyprojectrealdemocracy छत्तीसगढ़ ख़बर इधर - उधर की एक बात ... anjana Mere Yatra ki kahaniyan मेरी यात्रा की कहानियाँ Guldasta Awadhesh Pandey ( अवधेश पाण्डेय )
साथियो आज से नई-सुबह की शुरुआत हो इस आकांक्षा के साथ
देखिये शायद कोई रचनाकार आपको मोह ले........ मित्रो इनकी सराहना उत्साहवर्धन ज़रूरी है बगैर यह जाने की ये ब्लाग कहां का है किसका है काले रंग के व्यक्ति ने लिखा या गोरे ने हिन्दू का है कि मोमिन का यानि जब मन इन से उपर उठ के बात हो तो फ़िर क्या कहना ये रहे कुछ लिंक ब्लागवाणी से साभार
साथियो आज से नई-सुबह की शुरुआत हो इस आकांक्षा के साथ
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