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शुक्रवार, मार्च 20, 2009

जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं

जे जो आप आदमी देख रए हो न उस शहर से आया है जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं सूरज शोलों सा इनके ही शहर से और तो और ठीक इनके मकान के ऊपर से निकलता है. तभी देखोन्ना............इनका चेहरा झुलसा हुआ आग उगलता नज़र आ रिया है. सारे नकारात्मक विचार इनकी पाज़िटीविटी जला के ख़ाक ख़ाक कर चुकें हैं ! गोया ये ये नहीं सोई हुई आग को अपने में समोए गोबर के उपले से नज़र आ रहे हैं .
कुंठा की खुली दूकान से ये महाशय अल सुबह से कोसन मन्त्र का जाप करतें हैं . तब कहीं कदम ताल या पदचाप करतें हैं .
जी हाँ ...!! ज़मूरे खेल बताएगा
बताउंगा उस्ताद
इस आदमीं की जात सबको बताएगा ?
बताउंगा...!
कुछ छिपाएगा....?
न उस्ताद न
तो बता ........ आज ये कितनों की निंदा करके आया है ..?
उस्ताद............आज तो जे उपासा है...! देखो न चेहरा उदास और रुआंसा है......!!
हाँ ये बात तो है पर ऐसा क्यों है....!
उस्ताद इसकी बीवी का भाई इसके घर आया था बीवी को ले गया आज ये घर में अकेला था मन बहलाने बाजीगरी देखने आ गया...!
नहीं मूर्ख ज़मूरे ये अपनी बाजीगरी कला का पेंच निकालेगा
उस्ताद बड़े पहुंचे हुए हो ......ये सही बात कैसे जानी ...
बताता हूँ पहले पिला दे पानी ..........
किसे......उस्ताद ........ इसे की तुमको ....?
उस्ताद रिसियाने का अभिनय करने लगा इस नकली झगडे को असल का समझ वो नकारात्मक उर्जावान व्यक्ति बाजीगरी के लिए बीच घेरे में आ गया . निंदा के मधुर वचन फूट पड़े उसके मुँह से ... ज़मूरों की जात पे वो तहरीर पढ़ी की सारे सन्न रह गए .......
"बाजीगर भाई, तेरा जे जो ज़मूरा है इसकी वफादारी का इम्तहान लेता हूँ तुझे कोई एतराज़ तो नहीं ?"
"न,भाई ......... बिलकुल नईं मेरा ज़मूरा है "
बोल ज़मूरे तू तरक्की चाहता है.....?
हाँ !
क्या करेगा !
बड़ा बाजीगर बनूँगा.....!
उस्ताद से भी बड़ा ....?
हाँ उस्ताद से भी बड़ा तभी तो उस्ताद का नाम अमर रहेगा ...?
"तू उस्ताद का नाम अमर करेगा ?"
हाँ,करूंगा
कब
जब मैं उस्ताद बन जाऊंगा और कब ?
तू उस्ताद कितने समय में बनेगा
जितना ज़ल्दी भगवान वो समय लाएगा ?
इसका अर्थ समझे उस्ताद ....?
फिर दूर ले जाकर उस्ताद के कानों में ज़मूरे के कथन का अर्थ समझाया .... उस्ताद उसकी बात सुन कर सन्न रह गया
"मित्रो बताइए उस्ताद के कानों में ज़मूरे ने क्या कहा होगा....?"

शुक्रवार, फ़रवरी 20, 2009

गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये

माना कि मयकशी के तरीके बदल गए
साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है..!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ..?
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गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
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यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
!!बवाल इसे पूरा कीजिए -----------
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गुरुवार, फ़रवरी 19, 2009

डूबे जी छा गए दिलो दिमाग पर !



"खज़ाना": डूबे जी की भेंट: लेकर आज श्रद्धा स्कूल गयी है .यानि कि आज फ्रेंड'स खूब हँसेंगे कार्टून पर. और श्रद्धा गर्व से बताएगी "डूबे जी हमारे अंकल हैं॥? ""***************************************************************************************

शनिवार, फ़रवरी 14, 2009

मुझे रोकने का किसी के पास कोई अधि कार नहीं है

जी हाँ .... मुझे प्रीत करनी है ............. मुझे रोकने का किसी के पास कोई अधि कार नहीं है
............... ये सर्वथा वैयक्तिक विषय होना चाहिए .... रही धर्म की बात तो मेरा धर्म यदि प्रीत है तब आप क्या कीजिए गा..?आप से जो किया जाए कीजिए मुझे मोहब्बतों का पैगाम देना है यदि यह ग़लत है तो क्या यह सही है .....
*सियासतें सरहदें सरकार इश्क के पर्व को रेग्यूलेट करनें की अधिकारी क्यों हों ...?
*क्या कृष्ण ने प्रीत संदेसा नहीं दिया था दुनिया को
* कौन सा ऐसा मज़हब है जिसे प्रवर्तक ने सिर्फ़ आराध्य के किए लिए प्रवर्तित किया है सच तो यह है कि "सिर्फ़ और सिर्फ़ मासूम जनता जनार्दन के लिए प्रवर्तित किए गए हैं ..किसी ने प्रीत को प्रतिबंधित नहीं किया !!"
*संत वैलेंटाइन में अगर आपको व्यावसायिकता नज़र आ रही है तो क्या किसी अन्य व्यवस्था में व्यवसाय नहीं होता इस पर ज़्यादा खुलासा होता है तो भावनाएं आहात कराने का आरोप दे दिया जाता है ...?
* मुझे इश्क करने से आप क्यों रोकेगें मैं अपनी देश के प्रेम में पागल हो जाऊं ? या समूची मानवता को प्रेम पाश में बांधना चाहूँ और रहा दिवस चुनने का मामला तो मैं कोई भी दिवस चुन लूँ आप क्यों नाराज़ होंगे क्या प्रेम और शान्ति की अवधारणा को किसी भी धर्म से अलग कर सकते हो,,,,,?
मुझे जिन सवालों के उत्तर चाहिए वो तुम्हारे पास नहीं हैं यही है "वयम-रक्षाम:"का उदघोष मुझे प्यार करने दो तुम भी प्यार करो उसे भी प्यार करने दो हम सब प्यार करें - हर-क्षण करें राम से करें सब करें किसी को कोई हर्ज़ हो तो बताइये .................

रविवार, फ़रवरी 08, 2009

ब्लॉग-पार्लियामेन्ट की जुगत ज़मने लगी है:

ब्लॉग जगत अब प्रजातान्त्रिक-सूत्र में पिरोया जाने वाला है। इसकी कवायद कई दिनों से फुनिया फुनिया के कई दिनों से जारी थी. सूत्रों ने बताया इस के लिए आभासी-संविधान की संरचना के प्रयास युद्ध स्तर पर जारी हैं . बताया जाता है की जिस शहर में सर्वाधिक ब्लॉगर होंगे उसे "ब्लागधानी "बना दिया जाएगा . ब्लॉग'स में प्रान्त/भाषा/जाति/वरन/वर्ग/आयु का कोई भेदभाव नहीं होगा . कुन्नू सिंह की अध्यक्षता में बनने वाली ब्लॉग-संविधान की संरचना की जानी लभग तय है. जिसके प्रावधानों में निहित होगी ब्लॉग-सरकार की व्यवस्थाएं .अंतरिम-सरकार के सम्बन्ध में अनाधिकृत जानकारी के अनुसार एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना है जिसका संघीय स्वरुप होगा . तथा शासनाध्यक्ष /मंत्रालय की निम्नानुसार व्यवस्था प्रस्तावित होगी :-
  1. ब्लागाध्यक्ष: एक पद
  2. प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
  3. अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
  4. कायदा-मंत्री
  5. टिप्पणी-मंत्री
  6. प्रति-टिप्पणी मंत्री
  7. गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती
  8. बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री
  9. नारी-ब्लॉग मंत्री
  10. राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
इस सबके लिए गूगल बाबा से भरपूर मदद के आश्वासनों से बारे जहाज उड़नतश्तरी के पीछे-पीछे जबालिपुरम के तेवर नामक स्थान पर आराम से उतर गए हैं । फुर्सत मिलते ही फ़ुरसतिया जी रवि रतलामी जी के अलावा नीचे लिखी सूची में दर्ज ब्लॉग मालिक आने वाले है .......
40. आवाज़
इस चालीसा के अलावा १०० से अधिक बिलागर जबलपुर के ही होंगे अभी 20-25 हैं मार्च के बाद 100 से अधिक होंगे
"बोलो नर्मदा में की जय हर-हर नर्मदे "

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