जी हाँ .... मुझे प्रीत करनी है ............. मुझे रोकने का किसी के पास कोई अधि कार नहीं है
............... ये सर्वथा वैयक्तिक विषय होना चाहिए .... रही धर्म की बात तो मेरा धर्म यदि प्रीत है तब आप क्या कीजिए गा..?आप से जो किया जाए कीजिए मुझे मोहब्बतों का पैगाम देना है यदि यह ग़लत है तो क्या यह सही है .....
*सियासतें सरहदें सरकार इश्क के पर्व को रेग्यूलेट करनें की अधिकारी क्यों हों ...?
*क्या कृष्ण ने प्रीत संदेसा नहीं दिया था दुनिया को
* कौन सा ऐसा मज़हब है जिसे प्रवर्तक ने सिर्फ़ आराध्य के किए लिए प्रवर्तित किया है सच तो यह है कि "सिर्फ़ और सिर्फ़ मासूम जनता जनार्दन के लिए प्रवर्तित किए गए हैं ..किसी ने प्रीत को प्रतिबंधित नहीं किया !!"
*संत वैलेंटाइन में अगर आपको व्यावसायिकता नज़र आ रही है तो क्या किसी अन्य व्यवस्था में व्यवसाय नहीं होता इस पर ज़्यादा खुलासा होता है तो भावनाएं आहात कराने का आरोप दे दिया जाता है ...?
* मुझे इश्क करने से आप क्यों रोकेगें मैं अपनी देश के प्रेम में पागल हो जाऊं ? या समूची मानवता को प्रेम पाश में बांधना चाहूँ और रहा दिवस चुनने का मामला तो मैं कोई भी दिवस चुन लूँ आप क्यों नाराज़ होंगे क्या प्रेम और शान्ति की अवधारणा को किसी भी धर्म से अलग कर सकते हो,,,,,?
मुझे जिन सवालों के उत्तर चाहिए वो तुम्हारे पास नहीं हैं यही है "वयम-रक्षाम:"का उदघोष मुझे प्यार करने दो तुम भी प्यार करो उसे भी प्यार करने दो हम सब प्यार करें - हर-क्षण करें राम से करें सब करें किसी को कोई हर्ज़ हो तो बताइये .................
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Wow.....New
धर्म और संप्रदाय
What is the difference The between Dharm & Religion ? English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...
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9 टिप्पणियां:
बिल्कुल जी..आपको पूरा अधिकार है. बहुत शुभकामनाऐं.
"वयम-रक्षाम:"का उदघोष मुझे प्यार करने दो तुम भी प्यार करो उसे भी प्यार करने दो हम सब प्यार करें - हर-क्षण करें राम से करें सब करें किसी को कोई हर्ज़ हो तो बताइये .................
" very well said......i too agree"
" Regards"
प्रेम करने वालो को कुछ रोक पाया है जी ..शुभ कामनाये
गिरीश जी बहुत ही सशक्त आलेख लिखा है आपने .
हम भी आपके समर्थक हैं लेकिन अश्लीलता के भी उतने ही निंदक हैं
- विजय
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर: प्यार करने से रोकने का किसी के पास कोई अधिकार नहीं है ?
भाई मुकुल जी मैं आपसे और सीमाजी से अक्षरश: सहमत हूँ। क्या बात कही है आपने आज वाह वाह। बेजोड़।
bahut sahi.
बिलकुल जी खुल्लम खुल्ला करिए । कोई नही रोकेगा और अगर रोकेगा तो आप रोकिये उसे ।
really very good girishji, aaj maano kitne saalon k baad aapko yahan shabda deh me dekhkar bahot hi achchaa lag raha hai, really i like all creations very very much may god bless u keep in touch, NAMRATA FROM NEWZEALAND
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