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गुरुवार, मार्च 13, 2008

आभास जोशी के स्वरों में:"बावरे-फकीरा"





पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु

Promo 128।mp3

## प्रोमो ##
** सव्य साची प्रोडक्शन,जबलपुर की प्रथम भेंट **
***स्वर:आभास जोशी,संदीपा पारे,***संगीत:श्रेयस जोशी,***गीतकार:गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"***रिकारडिस्ट: आशीष सक्सेना,***

बुधवार, मार्च 12, 2008

"माँ,मैं तेरी सोनचिरैया...!"

जबलपुर की कवयत्री प्रभा पांडे"पुरनम" की कृति,माँ मैं तेरी सोनचिरैया


का
विमोचन,09।02.2008. को होम साइंस कालेज , जबलपुर में हुआ

सोमवार, मार्च 10, 2008

होली पर आमंत्रण

मेरे जबलपुर में होली के शुब अवसर पर आप सभी लोग मय-[बचे-हुए-बाल सहित ] बाल-बच्चों के सादर आमंत्रित हैं। मुख्य समारोह पाते नामक संस्था के स्थायी पते tहाने के बाजू में ,mitr - निवास पर होगा । जिसके इंत"ज़ाम" अली होंगे "राजेश पाठक "चतुर" यूँ तो इनका उपनाम "प्रवीण" है समानार्थी शब्द का इस्तेमाल करने की इजाज़त हमने हिरण्यकश्यपों से ले ली है । किसी ..ने कोई असहमति नहीं जतायी। सबको मालूम है के वे चतुर ही हैं। अब कितना बड़ा "...हाउस" चला रहे हैं बरसों से ।स्वागत की हमने पूरी-पूरी व्यवस्था कर रखी है मुख्य रेलवे स्टेशन से ही आपका स्वागत शुरू हों जाएगा आपको जी हाँ ... आपको इतना करना है कि डा०सन्ध्या जैन तथा डा० ठाकुर "दादा" को उनके फोन नम्बर पे फोन लगाइये वे फोन पे आपको कह देंगे:- "संस्कार-धानी" में आपका स्वागत है...!!" बाद,kavita,भी सुनाएंगे ऐसी इससे बेहतर भी
ये शब्द सुने बिना आप स्टेशन से बाहर न जाएं बाहर आपको क्या करना है कृपया रिजर्वेशन तो करा आइये फिर बताउंगा आपको क्या करना है...?

लगता है हमारी पहली न्यौतार को आमंत्रण मिल गया ये अपने कपूत भटकाव Kaput Bhatkav वाले कपूत भैया इनके क्विक रिस्पांस पर हम व हमारी कमेटी इनका " तहे...दिल से शुक्रिया अ...द...दा .करती .है...कपूत जी:-"थैंक्स फॉर क्विक रिस्पोंस"तडाक से तपाक से ज़बाव दे दिया लगता है कपूत ने रिज़र्वेशन करा लिया आमंत्रण तो बड़ा होलियाना ,सौ-पाप छोड़ के आपको जबलपुर आना है...!!अब आप तो पकडे गए आमंत्रण के पहले पन्ने पे ही जकडे गए......?आप हमारी "पहली-न्योतार" ,आपका जबलपुर है ज़रूरी चाहे..साली रोके...या....आपकी अपनी चाँद चकोरी ...!!"

ANDE PE BAITH KE DADA KAVITAA SUNAAENGE



2008-03-10-kavita....

गुरुवार, मार्च 06, 2008

"guest-corner" [अतिथि कोना]:[01]डाक्टर संध्या जैन "श्रुति"

इस पन्ने पे आपकी मुलाक़ात होगी महिला-साहित्यकारों से पहला क्रम जबलपुर की राष्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त शिक्षिका डाक्टर संध्या जैन "श्रुति" को समर्पित है समर्पित करने जैसी कोई बात है नही उनको आज मैंने बुलवाया सम्पूर्ण चर्चा के लिए ।
नेट से दूर रहने वाले जबलपुर के साहित्यकारों को वेब-डिजायनर,दस-बीस हजार का खर्चा बताते हैं कवि साहित्यकार कोई पूंजी-पति नही होता जो बेवजह वेब पर इतना भी खर्च करेगा क्यों....?
खैर छोडिए, आज इस कोने की अतिथि-लेखिका,को फिल्म-फेयर अवार्ड के दौरान प्रसिद्ध अभिनेताओं -के द्वारा हिंदी के प्रति अपमान जनक व्यवहार से क्षोभ है वही फिल्म-फेयर अवार्ड समारोह जिसमे हिंदी फिल्मों के गीतकार प्रसून जोषी ने अवार्ड पाने के बाद अंगरेजी में ही आभार व्यक्त किया।
डाक्टर जैन ने दो किताबें लिखी हैं "आकाश-से-आकाश तक" कथा संग्रह,मिलन,जबलपुर ने प्रकाशित की थी । चौबीस कहानियों में सभी कहानियाँ एक से बढकर एक हैं।
पूर्णिमा वर्मन जी ने मुझे दूर से.....[यानी शारजाह से ] दूर तक पहुँचने का रास्ता दिखाया "शायर-फेमिली" वाली श्रद्दा जैन , पारुल…चाँद पुखराज का वाली पारुल जी , सभी ने सहारा दिया अंतर जाल से जुडे रहने के लिए सव्य-साची का आशीषा जो हूं - जो कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....? मैं तो अपनी जिन्दगी में मातृ-शक्ति का ऋणी हूँ.... यदि महिला रचनाकारों के लिए जो भी कुछ कर रहा हूँ वो मेरा दायित्व है ...अस्तु अब आगे चलें Udan Tashtari जी की टिप्पणी से उत्साहित हूँ सो दीदी के बारे में आगे लिख रहा हूँ ..........
संध्या दीदी यदि वर्ष 1960 के अक्टूबर माह की पहली तारीख को जन्म न लेकर अगले दिन जन्मतीं तो दुनियाँ भर में गांधी जी के साथ उनका जन्म दिन भी मनाया जाता है....एम० ए० हिन्दी साहित्य,तथा परसाई पर डाक्टरेट पाने वाली संध्या जी की पहली कृति "आकाश से आकाश तक " में शुभ कामना में ज्ञानरंजन जी ने कहा कि -" इन कहानियों में एक ऐसी स्त्री हस्तक्षेप करती जिसके भीतर पुराना मर्म,भावनात्मकता,आदर्श और आवेग,संवेदनात्मक-विचलन कुछ बचा हुआ है,समाप्त नहीं हुआ...!
प्रथम कथा संग्रह में संध्या जी जो मध्यम दर्जे के शहर की,मध्यम-वर्गी , परिवार की पृष्ठ भूमि का गहरा प्रभाव ज्ञान जी ने देखा । साथ मध्य-वर्गीय केनवस् से मोह छोड़ने की सलाह देकर आश्वस्त करते हैं कि संध्या मोह छोड़ के प्रथम पंक्ति में आजाएंगी"
मेरी राय दादा ज्ञान जी से भिन्न है मैं न तो मध्यम वर्ग के प्रति पूर्वाग्रही हूँ और न ही पूर्वाग्रही होने की सलाह दूंगा ।
डाक्टर त्रिभुवन नाथ शुक्ल जी हिन्दी विभाग प्रमुख की पाठकों को सलाह "संक्रमण की स्थिति में श्रुति की कहानियों का स्वागत होगा "में दम लगती दिखाई देती है......!
प्रसिद्ध व्यंग्य कार श्रीराम ठाकुर "दादा" भी इनके लेखन को जिम्मेदारी भरा लेखन मानतें है.
{शेष जारी => }

रविवार, फ़रवरी 10, 2008

प्रेमिका और पत्नी



प्रिया बसी है सांस में मादक नयन कमान
छब मन भाई,आपकी रूप भयो बलवान।
सौतन से प्रिय मिल गए,बचन भूल के सात
बिरहन को बैरी लगे,क्या दिन अरु का रात
प्रेमिल मंद फुहार से, टूट गयो बैराग,
सात बचन भी बिसर गए,मदन दिलाए हार ।
एक गीत नित प्रीत का,रचे कवि मन रोज,
प्रेम आधारी विश्व की , करते जोगी खोज । ।
तन मै जागी बासना,मन जोगी समुझाए-
चरण राम के रत रहो , जनम सफल हों जाए । ।

दधि मथ माखन काढ़ते,जे परगति के वीर,
बाक-बिलासी सब भए,लड़ें बिना शमशीर .
बांयें दाएं हाथ का , जुद्ध परस्पर होड़
पूंजी पति के सामने,खड़े जुगल कर जोड़

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