27.7.17

भारत के राष्ट्रवाद को हिन्दू राष्ट्रवाद कहना चीन की सबसे बड़ी अन्यायपूर्ण अभिव्यक्ति


आलेखों से आगे ..... भारतीय राज्य व्यवस्था के स्वरुप की एक और झलक 
इस आलेख में देखिये   
भारत की धर्म निरपेक्षता एवं सहिष्णुता आज की नहीं है बल्कि अति-प्राचीन है . भारतीय  सनातनी व्यवस्था के चलते किसी की वैयक्तिक आस्था पर चोट नहीं करता यह सार्वभौमिक पुष्टिकृत तथ्य है इसे सभी जानते हैं . जबकि विश्व के कई राष्ट्र सत्ता के साथ आस्था के विषय पर भी कुठाराघात करने में नहीं चूकते. कुछ दिनों से विश्व को भारत के नेतृत्व में कुछ नवीनता नज़र आ रही है ... श्रीमती सुषमा स्वराज ने अपनी एक अभिव्यक्ति में कहा कि- संस्कृत में  "वसुधैव कुटम्बकम" की अवधारणा है. उनका  यह उद्धरण इस बात की पुष्टि है कि भारत की  सनातनी व्यवस्था में वृहद परिवार की परिकल्पना बहुत पहले की जा चुकी.  भारतीय सम्राट न तो  धार्मिक आस्थाओं पर कुठाराघात करने के   उद्देश्य  के साथ राज्य के विस्तारक हुए न ही उनने सेवा    के बहाने धार्मिक विचारों  को  छल पूर्वक विस्तारित किया  . 
जबकि न केवल इस्लाम बल्कि अन्य कई धर्म तलवार या व्यापार के बूते विस्तारित हुए . आज भी जब पाक-आधित्यित-काश्मीर के शरणार्थी  भारत आए तो राष्ट्र ने उनके जीवन को पुनर्व्यवस्थित करने 5 लाख रूपयों की राशि प्रदान करने की व्यवस्था की है . इसे सहिष्णुता ही कहेंगे जबकि चीन जैसे कम्युनिष्ट राष्ट्र ने डोकलाम के मुद्दे पर विश्व और खुद  जनता को गुमराह करने राष्ट्रवाद को हिन्दू राष्ट्रवाद का नाम दिया . भारत के राष्ट्रवादी चिंतन को बीजिंग से परिभाषा दी जावे इसके मायने साफ़ हैं कि बीजिंग भी अन्य धार्मिक आस्थाओं को उकसाने की फिराक में हैं . 
अमेरिकन फांसीसी व्यक्वास्थाएं अब घोर राष्ट्रवादियों के हाथ में हैं उसे क्या परिभाषा दी जावेगी ये तो साम्यवादी राष्ट्र के विचारक ही बता सकतें हैं पर  यहाँ साफ़ तौर पर एक बात स्पष्ट होती है कि साम्यवादी राष्ट्र से जो भाषा हम, तक आ रहीं हैं वो  साम्यवादी तो कतई नहीं हैं . 
  भारत के   राष्ट्रवाद को हिन्दू राष्ट्रवाद कहना चीन की सबसे बड़ी अन्यायपूर्ण अभिव्यक्ति है इस ओर विचारकों का ध्यान जाना अनिवार्य है  .
आज़कल लोगों के मन में एक सवाल निरंतर कौंध रहा है कि क्या चीन भारत के बीच युद्द होगा ..?
मेरे दृष्टिकोण से कोई भी स्थिति ऐसी नहीं है कि चीन और भारत के मध्य युद्ध हो.. युद्ध किसी भी स्थिति में चीन के लिए लाभदायक साबित नहीं होगा इस बात का इल्म  चीन की लीडरशिप को बखूबी है. पर चीन का जुमले उछालने का अपना शगल है. मेरी नज़र में चीन उस पामेरियन सफ़ेद कुत्ते की तरह बर्ताव कर रहा है जो घर में आए मेहमान पर जितना भौंकता है उतना ही पीछे पीछे खिसकता है. यह राष्ट्र अपनी विचारधारा के चलते भय का वातावरण निर्मित करने में लगा है.   


चित्र साभार : नवभारत टाइम्स 

20.7.17

Shikha Patel


Shikha Patel is a craft student of balbhavan Jabalpur, One day she showed me her craftwork wich was  made by  unusefull material 
      i   called to Art-Teacher and give   congratulations to her .  
 After long conversation about shikha and her art-work .   i instruct to shikha's Art-teacher  Renu Pandey  for more  improvement and efficiency in shikha's  work as well special attention for shikha . Shikha now selected for state label BalShri Camp . 
       Shikha's mother is house wife but part time sale's-girl her father working as motor Mechanic .The family of Shika is in the low-middle-income group. Those who live in two room houses with less comfort than four children.
Please watch & like MyChannel



   

18.7.17

"सनातन सामाजिक व्यवस्था" क्या है ...?

अखंड भारत कल्पित नहीं सनातन सामाजिक व्यवस्था
ने इसे 5000 से अधिक अवधि तक सम्हाला था 

पाकिस्तान के कितने टुकड़े  होंगे  ?  कल के इस आलेख में यह समझाने का प्रयत्न किया था कि  "सनातन सामाजिक व्यवस्था" क्या है ...? आइये उसी से आगे बात को लिए चलतें हैं.... 
क्या यह एक सम्प्रदाय है ... उत्तर स्वाभाविक रूप से न ही है .. क्योंकि धर्म के अनुयाई सहमति असहमति के आधार पर अपने सुझाए मार्ग पर चलने व्यवस्था बनाते हैं.. यह कार्य समूह का शिखर व्यक्तित्व करता है जिसे गुरू संबोधित किया जा सकता है किन्तु मेरा आध्यात्मिक चिन्तन  इनको प्रवर्तक मानता है .  हो सकता है आप असहमत हों . पर यही सत्य है. 
धर्म क्या है ... इस पर बेहद विशद मंथन किया जा चुका है होता भी रहेगा इससे कोई ख़ास अर्थ निकलने वाला नहीं . जैसे कि गाड अर्थात ईश्वर को कोई न तो प्रूफ कर पाया है न ही ही किसी ने उसके अस्तित्व को बहुसंख्यक वैश्विक आबादी ने स्वीकार्य ही किया है. विश्व का हर प्राणी ईश्वर को मात्र  अनुभूत करता है . धर्म उसी ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता है .

जो अन्य प्राणियों के प्रति सात्विकता पूर्ण व्यवहार के साथ स्वयमेव प्रशस्त होता है. वाम मार्ग को यही सब खलता है उसे लगता है कि एक आकार हीन आब्जेक्ट को लोग पूजते हैं जबकि उसका केवल एहसास मात्र कथित रूप से होता है ... जबकि जीवितों को जिनका आकार है उसे उपेक्षित किया जाता है . वाममार्ग इसी उधेड़बुन में लगे लोगों में  अनास्तिकता की विचारधारा को बीज रोपित करना   है ! --- 
 वास्तव में वाममार्ग वैदेशिक आयातित-विचारधारा है ऐसी विचारधारा कदाचित  भारत में प्रवर्तित होती तो तय था का उसका स्वरुप इतना कठोर और विघटनकारी  न होता कि पैररल सत्ता चलाने की  भारत में आवश्यकता हो नक्सल आन्दोलन इसी का एक उदाहरण है . भारत की सनातन सामाजिक व्यवस्था में अकिंचनों अर्थात गरीबों को आर्थिक समृद्धि की व्यवस्था के प्रावधान मौजूद हैं. "सर्वे जना सुखिना भवन्तु" का घोष बारबार सामाजिक साम्य की ओर इशारा है. अधिकाँश राजाओं ने इसे स्वीकारा भी था राज्य के विस्तार से अधिक लोककल्याण के कार्यों के लिए अधिक सजग रहे किन्तु वैदेशिक आक्रान्ताओं के हमलों से भारत की अखंडता बनी न रह सकी .
2500 वर्षों में तो भारत का तेजी से विभक्त होना एक दुखद पहलू रहा है. विदेशी आक्रमण लूटपाट, वैचारिक बदलाव, सनातनी सामाजिक व्यवस्था को खंडित करने उद्देश्य से भारत आए . कालान्तर में आक्रमणकारियों की पीठ पर लद कर पंथों  का प्रवेश हुआ.  सनातनी व्यवस्थाओं में को क्षतिग्रस्त कर आयातित आचरण को बलपूर्वक भारत में लागू करने से साम्प्रदायिक वर्गीकरण तेजी से हुआ यही वर्गीकरण जातिगत विद्वेष का आधार भी इस वज़ह से बना क्योंकि बिना दरार के उनको घुसने का अवसर कदापि न मिलता . वाममार्ग की विशेषता है कि वह प्रोग्रेसिव होने के नाम पर वर्गीकरण करता वर्ग निर्मित करता है फिर लफ्फाजी के सहारे आतंरिक संघर्ष कराता है. इसकी जद में अक्सर कम ज्ञान रखने वाले सहज आ जाते हैं. अर्थात वाममार्ग का उद्देश्य किसी भी प्रकार से विकासोन्मुखी नहीं है . सनातन सामाजिक व्यवस्था की शल्यक्रियाओं में जितना आस्तिक पंथ प्रचारकों का योगदान था उससे अधिक इन नास्तिकों है. जबकि सनातन सामाजिक व्यवस्था जिसने चार्वाक को भी वैचारिक स्वातंत्रय का अधिकार दिया था को छिन्नभिन्न कर दिया . और प्रयास इस आलेख के लिखे जाने तक जारी है. 
परन्तु  सदी बीतते बीतते भारत में राष्टवाद का पुनर्जागरण का युग शुरू हुआ. जो नई सदी में पुख्ता होता नजर आ रहा है.  2050  तक भारत में  इसी राष्ट्रवाद के सहारे  सनातन सामाजिक व्यवस्था क्रमश: इतना  सशक्त होगी जितनी इजराइल में हुआ है. सत्ताएं आएंगी जाएँगी  पर राष्ट्रवाद के संकल्प के बिना कोई भी शक्ति सत्ता के शीर्ष पर नहीं टिक सकेगी.
तब तक अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो ( यद्यपि जो न होगा ) विश्व के नक़्शे में कई देशों के नक़्शे नए होंगें और न हुआ तो भारतीय सांस्कृतिक सामाजिक परिदृश्य में सभी पंथ सौहार्द पूर्ण रूप से जीवित होंगें . 
लेखक के रूप में मैं आशावादी हूँ क्योंकि जिस तेज़ी से मात्र 3 वर्षों में हमारी विश्वनीति सफल हुई है उससे इस बात की तस्दीक होती है कि हम तेज़ी से वैश्विक स्तर पर अन्य देशों की आवाम के दिलों पर राज करेंगें . सनातन सामाजिक व्यवस्था सीमाओं को छीनने पर विश्वास नहीं रखतीं बल्कि चीन और पाक  जैसे देशों को सीमाओं में रहने की नसीहत पर विश्वास रखतीं हैं. 
( आलेख जारी है प्रतीक्षा कीजिये )
       

17.7.17

पाकिस्तान के कितने टुकड़े होंगे...?

गिलगित - बालित्स्तान की सांस्कृतिक समारोह की तस्वीर 
पाकिस्तान के कितने टुकड़े  होंगे ये तो आने वाला समय बताएगा किन्तु ये तयशुदा है जम्हूरियत पसंदगी आज के दौर की सबसे बड़ी ज़रूरत है और आम नागरिक को प्रजातंत्र के लिए अधिक आकर्षण समूचे विश्व के चप्पे चप्पे में पसंद आ रहा है. और यही भावना आने वाले दौर को और अधिक सशक्त बनाएगी. इसी जम्हूरियत पसंदगी के चलते वे सारे राष्ट्र जहां जम्हूरियत का नामोंनिशान नहीं है उन देशों के राष्ट्र प्रमुखों को खासतौर पर सोचना ज़रूरी है जो धर्माधारित राष्ट्र के प्रमुख हैं अथवा किसी धार्मिक राष्ट्र की संस्थापना के चिन्तन में हैं.वे सभी भी जो सभी धर्मों को उपेक्षा भाव से देखते हुए केवल ख़ास विचारधारा को जनता पर लादते हैं. अर्थात प्रजातंत्र जहां धर्म संस्कृतियों को सहज स्वीकारने और अपने तरीके से जीने का अधिकार जो राज्य देता है जनता उस राज्य की नागरिकता अधिक पसंद करेंगे . और विश्व में भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली के अधिकाँश अध्याय जुड़ेंगे . लोग उसे सहर्ष स्वीकारेंगे .
भारत में हिंदुत्व नामक कोई अवधारणा या विचारधारा नहीं है बल्कि सनातन सामाजिक व्यवस्था है. जो इतनी व्यवस्थित एवं स्वचालित है कि उसमें किसी प्रकार की ऐसी कठोरता हो जो जनता को अस्वीकार्य हो. इसकी पुष्टि कुम्भों के आयोजन से होती है. जहां भारत के सभी ऋषि, मुनि, संत, विद्वत समाज, आस्तिक एकत्र होकर विगत 12 वर्षों में अपेक्षित व्यवस्थाओं की समीक्षा कर सनातन  सामाजिक व्यवस्था को समयानुकूलित करने के लिए नवीन बिन्दुओं का समावेश करते रहें हैं. यह परम्परा संसदीय थी सम्राट, रियासतों के राजाओं एवं अन्य प्रशासनिकों को लागू करवाना होता था.
सनातन सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन न होता तो सनातन कठोर होता जड़ता युक्त होता .. और यही जड़ता उसे क्षतिग्रस्त करती . और सनातन आज हम नहीं स्वीकारते. क्योंकि नागरिक सदैव सहज जीवन जीना पसंद करते हैं. राजशाही / सामंत शाही में धर्माचरण के निर्देश थे. बदलावों को सदैव ग्राह्य किया गया . पश्चिमी और सनातन व्यवस्था में लचीलापन उसको स्थाईत्व देता है. मत भिन्नता को ग्राह्य करते हुए सभी धर्मों का सम्प्रदायों में बंटना स्वाभाविक प्रक्रिया है जो धर्म की स्थापना के बाद कालान्तर में होती है . एक ब्रह्म एकेश्वरवाद , द्वैत, अद्वैत, निरंकार , साकार, शैव, शाक्त, वैष्णव, ट्रिनिटी , और अन्य सभी विचारधाराएं जो मनुष्य की दिमागी उपज है उसी का अनुशरण राष्ट्र की जनता करती है जो उसे अधिक सहज लगता है.
स्वामी शुद्धानंदनाथ ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा था कि- “देश-काल-परिस्थिति” के अनुकूल व्यवस्था ही धर्म है . उदाहरण के लिए यदि आप सफर में और आप त्रिसंध्या के नियम का पालन नहीं कर सकते हैं तो आप मानस-पूजा के ज़रिये अपने आराध्य की वंदना कीजिये. सनातन का यही लचीलापन उसे सर्वग्राह्य बनाता है. सनातन व्यवस्था  में बाह्य-आचरण की व्यवस्थाएं दीं हैं . किन्तु आतंरिक आध्यात्मिक विकास के लिए अध्ययन, तप, योग, ध्यान, चिंतन के बिन्दुओं का समावेश धर्म गुरु करते हैं. सनातनी धर्मगुरु मेकअप कराकर मनमोहक वातावरण बनाकर भाषण नहीं देते थे . बल्कि समाज के छोटे छोटे समूह को आध्यात्मिक एवं सनातनी सामाजिक व्यवस्था का शिक्षा देते रहे हैं . आज भी भारत में धर्म और उसका आतंरिक तत्व अर्थात अध्यात्म बहुसंख्यक रूप से स्वीकार्य है. सनातन सामाजिक व्यवस्था सत्ताभिमुख होने की बजाय राष्ट्रधर्म के पालन को बढ़ावा देती है . 
इससे पाकिस्तान में सत्ता का आधार ही कठोर है लोकप्रशासन भी बेहद लचर है  . वहां कोई भी बदलाव राज्य को ही अस्वीकार्य है तो जनता के मन में सदैव आशंका होती है . राज्य का प्रबंधन की समझ रखने वाले प्रोग्रेसिव विद्वानों को वहाँ स्थान नहीं मिला इसी वज़ह से प्रजातंत्र की रक्षा के तरीके न खोज सका पाकिस्तान और इसी के चलते 1971 यानी मेरे जन्म के आठ वर्ष बाद उस देश को दो खंड में विभक्त होना पड़ा . 48 साल बाद  उसे छल से छीनी भूमि  बलोचस्तान, के साथ साथ गिलगित-बल्तिस्तान, सिंध, आदि को खोना पड़ सकता है. पाकिस्तान का जन्म कायदे आज़म  कुंठा और भ्रम से हुआ. कुंठा और भ्रम में निर्मित कोई रचना दीर्घायु भला कैसे हो सकती है. पाकिस्तान का पंजाब सूबा देश का सबसे कम आय-अर्जक है पर वहाँ (पंजाब में) शोषण करने वालों की संख्या अधिक है, पाकिस्तान की  जो भी विकास की  नीतियाँ हैं उनका सीधा और सबसे अधिक लाभ केवल पंजाब को हासिल है. शेष जैसे बलोचिस्तान, सिंध, गिलगित-बल्तिस्तान आदि की उपेक्षा हुई है. 48 सालों में इन्हीं गलत एवं गैर-समानता वाली व्यवस्था के चलते पाकिस्तान की फैडरल-व्यवस्था फिर से  चरमराने लगी है . जिससे आम शहरी बेहद घायल महसूस करता है . यहीं से रास्ते बनतें हैं जनक्रांति के जो भौगोलिक सीमाओं में तक परिवर्तन ला सकती हैं. एक सत्य भी पाकिस्तानी सदर यानी वहाँ के वजीर-ए-आज़म विश्व फॉर्म पर उजागर करते हैं हैं कि पाकिस्तान को आतंकवाद सबसे अधिक क्षतिग्रस्त करता है . सत्य भी है पर इसके तीन कारण हैं ..
एक कि वो ऐसा कहकर वो विश्व समुदाय से सिम्पैथी हासिल करना चाहता है जिससे उसकी करतूतों पर पर्दा डाला रहे
दूसरे उसको देश चलाने के लिए अमेरिकी डालर मिलते रहें . जिससे उसके पंजाब सूबे की जनता का जीवन सामान्य हो सके.  
तीसरा और सबसे अहम कारण है उसके पास अब इतना भी धन नहीं है जिससे वो अपने पाले आतंकवादी संगठनों का खर्च भी उठा सके.
अक्सर भारत के कुछ विचारक भारत को कम आंककर अनाप-शनाप आरोप लगाकर हमारी विदेशनीति पर सवाल खड़े करते हैं . लेकिन दिनांक 16 जुलाई 17 को आतंक के खिलाफ दृढ़ता से आवाज़ उठाने वाले मनिंदर सिंह बिट्टा के संकल्प को समझाने की ज़रूरत है कि आतंकवाद के खिलाफ जंग को धार्मिक साँचें में ढालकर पेश न किया जाए.
अधिकाँश आयातित विचारधारा के पोषक सदा वर्गीकरण करतें हैं ताकि व्यवस्था में उन्माद का प्रवेश हो तथा अंतर्कलह की स्थिति उत्पन्न हो . किन्तु भारत ने विश्व को अपने मज़बूत कूटनीति से जिस तरह पाकिस्तान और उसके आका चीन को पोट्रेट किया है उससे विश्व का भारत के प्रति झुकाव भी बढ़ा है . और हमारी वैश्विक साख में इजाफा हुआ है.
जहां तक भारत के अल्पसंख्यकों का प्रश्न है वे चाहे यहूदी हों बौद्ध, सिख, पारसी, ज्यूस्थ, जैन, अथवा मुसलिम हों उनको बहुसंख्यकों से भयातुर होने की ज़रूरत कदापि नहीं . भारत सर्वधर्म समभाव का स्वप्रमाणित राष्ट्र है. बावजूद इसके कि पश्चिम बंगाल सहित कई प्रान्तों में सनातनियों की स्थिति सामान्य न हो .

परन्तु एक बाद सबको समझनी आवश्यक है कि पाकिस्तान को सर्वाधिक क्षति चीन और उसके अपने बलोचस्तान, गिलगित-बल्तिस्तान, सिंध, के नागरिक ही दे सकतें हैं.         

15.7.17

Spin-Orbitonics : Dr. Pramey Upadhyay




A proud feeling one hour talk on" Spin-Orbitonics " ( an emerging & frontier technology of electronics and computer ) delivered by Dr Pramey Upadhyaya at Purdue University, Lafayette, Indiana, USA, on 6 July  2017 .
                         Jabalpur based Dr. Pramey Upadhyay was a student of Christ Church higher secondary school and his father Dr. S.D Upadhyay is a professor in JNKVV jabalpur and his mother is also highly educated woman .
Education
University of California Los Angeles Los Angeles PhD, Department Electrical Engineering 2011-2015 Thesis: Spin-orbitronics: Electrical control of magnets via spin-orbit interaction University of California Los Angeles Los Angeles Master of Science, Department Electrical Engineering 2009–2011 Indian Institute of Technology Kharagpur Bachelor of Technology, Department Electrical Engineering 2005–2009

Research Interests
Topological phenomenon: topological phases, skyrmion and domain wall dynamics { Spin superfluidity, spin wave excitation in magnetic insulators and multiferroics { Spin-torques in magnets and topological insulators with broken inversion symmetry { Spintronics in anti-ferromagnets and 2d materials: graphene, MoS2, etc. { Application of spintronics for low power memory and logic devices
Awards and Fellowships
Qualcomm Innovation fellowship, 2013 (a highly competitive and prestigious award reserved for Ph.D.candidates at top-notch universities)
Henry Samueli School of Engineering and applied science, UCLA, department fellowship for securing rank 1 in Ph.D. prelims, 2011
Intel summer research fellowship, Oregon, USA, 2011 : high frequency magnetization dynamics
IEEE fellowship: summer school on Magnetics, New Orleans, USA, 2012
undergraduate summer research fellowship, Trinity college Dublin, Ireland 2008
undergraduate summer research fellowship, Virginia Commonwealth university, USA, 2007 : theoretical study of Rashba-coupling induced spin texturing and optical transitions, resulted in two first authored Phys. Rev. B publications
Publications
M. Montazeri , P. Upadhyaya , M.C. Onbasli, G. Yu, K.L. Wong, M. Lang, Y. Fan, P.K. Amiri, R.N. Schwartz, C.A. Ross and K.L. Wang, “Microscopy of spin-orbit torques in metallic and insulating magnetic structures", (accepted Nature Comm.); equal contribution
P. Upadhyaya, P.K. Amiri and K.L. Wang, “Electric-field guiding of magnetic skyrmion", (in press Phys. Rev. B) W. Jiang, P. Upadhyaya, W. Zhang, G. Yu, M.B. Jungfleisch, F.Y. Fradin, J.E. Pearson, Y. 1/3 Tserkovnyak, K.L. Wang, O. Heinonen, S.G. te Velthuis and A. Hoffman, “Blowing magnetic skyrmion bubbles", Science 349, 283 (2015)
Y. Fan , P. Upadhyaya , X. Kou , M. Lang, S. Takei, Z. Wang, J. Tang, L. He, L.T. Chang, M. Montazeri, G. Yu, W. Jiang, T. Nie, R.N. Schwartz, Y. Tserkovnyak and K.L. Wang, “Magnetization switching through giant spin-orbit torque in a magnetically doped topological insulator heterostructure", Nature Mater 13, 699 (2014); equal contribution
G. Yu , P. Upadhyaya , Y. Fan, J. G. Alzate, W. Jiang, K.L. Wong, S. Takei, S.A. Bender, L.T. Chang, Y. Jiang, M. Lang, J. Tang, Y. Wang, Y. Tserkovnyak, P.K. Amiri and K.L. Wang, “Switching of perpendicular magnetization by spin orbit torques in the absence of external magnetic fields", Nature Nano 9, 548 (2014); equal contribution
G.Yu, P. Upadhyaya, K.L. Wong, W. Jiang, J.G. Alzate, J. Tang, P.K. Amiri and K.L. Wang “Magnetization switching through spin-Hall-effect-induced chiral domain wall propagation", Phys. Rev. B, 89, 104421 (2014)
M. Lang, M.Montazeri, M.C. Onbasil, X. Kou, Y.Fan, P. Upadhyaya, K. Yao, F. Liu, Y. Jiang, W. Jiang, K.L. Wong, G. Yu, J. Tang, T. Nei, L. He, R.N. Schwartz, Y. Wang, C.A. Ross and K.L. Wang, “Proximity-induced high-temperature magnetic order in topological insulator-ferrimagnet insulator heterostructure", Nano Lett. 14, 3459 (2014)
P. Upadhyaya, R. Dusad, S. Hoffman, Y. Tserkovnyak, J.G. Alzate, P.K. Amiri and K.L. Wang “Electric field induced domain-wall dynamics: depinning and chirality switching ", Phys. Rev. B, 88, 224422 (2013) [ selected for Editor’s suggestion ]
W. Jiang , P. Upadhyaya , Y. Fan, J. Zhao, M. Wang, L.T. Chang, K.L. Wong, M. Lewis, Y.T. Lin, J. Tang, S. Cherepov, X. Zhou, Y. Tserkovnyak, R.N. Schwartz, and K.L. Wang “Direct imaging of thermally driven domain-wall motion in magnetic insulators ", Phys. Rev. Lett., 110, 177202 (2013); equal contribution
M. Trif, P. Upadhyaya and Y. Tserkovnyak “Theory of electromechanical coupling in dynamical graphene", Phys. Rev. B, 88, 245423 (2013)
P.K. Amiri, P. Upadhyaya, J.G. Alzate and K.L. Wang “Electric-field-induced thermally assisted switching of monodomain magnetic bits", J. Appl. Phys., 113, 013912 (2013)
W. Jiang, Y. Fan, P. Upadhyaya, M. Lang, M. Wang, L.T. Chang, K.L. Wong, J. Tang, M. Lewis, J. Zhao, L. He, X. Kou, C. Zheng, X.Z. Zhou, R.N. Schwartz, and K.L. Wang “Mapping the domain wall pinning profile by stochastic image reconstruction", Phys. Rev. B, 87, 014427 (2013)
S. Hoffman, P. Upadhyaya and Y. Tserkovnyak “Spin-torque ac impedance in magnetic tunnel junctions", Phys. Rev. B, 86, 214420 (2012)
J. Zhu, J.A. Katine, G.E. Rowlands, Y.J. Chen, Z. Duan, J.G. Alzate, P. Upadhyaya, J. Langer, P.K. Amiri, K.L. Wang and I.N. Krivorotov “Voltage-induced ferromagnetic resonance in magnetic tunnel junctions", Phys. Rev. Lett., 108, 197203 (2012)
M. Lang, L. He, X. Kou, P. Upadhyaya, Y. Fan, H. Chu, Y. Jiang, J.H. Bardarson, W. Jiang, E.S. Choi, Y. Wang, N.C. Yeh, J. Moore and K.L. Wang K. L “Competing Weak Localization and Weak Antilocalization in Ultrathin Topological Insulators ", Nano Lett., 13, 48 (2012)
 P. Upadhyaya, P.K. Amiri, A. Kovalev, Y. Tserkovnyak, G.E. Rowlands, Z.M. Zeng, I.N. Krivorotov, H.W. Jiang and K.L. Wang “Thermal stability characterization of magnetic tunnel junctions using hard-axis magnetoresistance measurements", J. Appl. Phys., 109, 07C7081 (2011)           
Z.M. Zeng, P. Upadhyaya, P.K. Amiri, K.H. Cheung, J.A. Katine, J. Langer, K.L. Wang and H.W. Jiang “Enhancement of microwave emission in magnetic tunnel junction oscillators through in-plane field orientation", Appl. Phys. Lett., 99, 032503 (2011)
F. Xiu, Y. Wang, J. Kim, P. Upadhyaya, Y. Zhou, X. Kou, W. Han, R. K. Kawakami, J. Zhou and K.L. Wang “Room-temperature electric-field controlled ferromagnetism in MnGe quantum dots ", ACS Nano, 4, 4948 (2010)
 Z. Diao, M. Abid, P. Upadhyaya, M. Venkatesan and J.M.D. Coey “Vortex states in soft magnets in two and three dimensions", J. Magn. and Magn. Mater., 322, 1304 (2010)
P. Upadhyaya, S. Pramanik and S. Bandyopadhyay “Optical transitions in a quantum wire with spin-orbit interaction and its application in terahertz electronics: Beyond zeroth-order theory ", Phys. Rev. B, 77, 155439 (2008)
P. Upadhyaya, S. Pramanik, S. Bandyopadhyay and M. Cahay “Magnetic field effects on spin texturing in a quantum wire with Rashba spin-orbit interaction", Phys. Rev. B, 77, 045306 (2008)

Contributed talks and posters
"Voltage guiding of magnetic skyrmion", 59th Magnetism and Magnetic materials Conference, Hawaii, USA 2014 (poster)
"Electric-field induced domain wall dynamics: depinning and chirality switching ", 12th Joint Intermag/Magnetism and Magnetic materials Conference, Chicago, USA 2012 (poster)
"Bias dependence of h/e and h/2e Aharonov-Bohm oscillations in topological insulators ", American Physical Society March Meeting, Dallas, USA 2011 (contributed talk)
"Thermal stability characterization of Magnetic Tunnel Junctions using hard-axis magnetoresistance measurements", 55th Magnetism and Magnetic materials Conference, Atlanta, USA 2010 (poster)
Referee service
Physical Review Letters, Physical Review B, Physical Review applied
References

Professor Kang L Wang (thesis advisor) Distinguished Professor and Raytheon Chair, Department of Electrical Engineering, University of California Los Angeles { Professor Yaroslav Tserkovnyak (thesis co-advisor) Department of Physics and Astronomy, University of California Los Angeles { Professor Pedram Khalili Amiri Assistant adjunct professor, Department of Electrical Engineering, University of California Los Angeles
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जबलपुर के क्राइस्टचर्च के मैदान में असेम्बली के दौरान जब भी स्कूली रिज़ल्ट की घोषणा की जाती तो प्राचार्य सदैव हर कक्षा के  श्रेष्ठ तीन बच्चों के नामों की घोषणा करते पर जब भी प्रमेय की कक्षा की बारी आती  तो वे यह पूछना नहीं भूलते “इस बार भी कौन फर्स्ट कौन होगा ? ” और भीड़ की समवेत आवाज़ गूंजती “अवश्य ही प्रमेय ...!”
यही प्रमेय अब नार्मदीय ब्राह्मण समाज के युवाओं के लिए यूथ आयकान से अब कम नहीं हैं.
प्रमेय उपाध्याय नार्मदीय महिला मंडल जबलपुर की सचिव प्रमेय सबसे उत्साही  प्रेरक गणित विषय के विशेषग्य कला संगीत साहित्य जैसी प्रतिभाओं की धनी   श्रीमति ललिता एवं नार्मदीय ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष डा.एस.डी.उपाध्याय, कृषि नगर, अधारताल, जबलपुर को यूनिवर्सिटी ऑफ़  केलिफोर्निया, लॉसएंजलिस  , अमेरिका में डाक्टर ऑफ़ फिलोसाफी उपरान्त पोस्ट डाक्टरल स्कॅालर हेतु चयनित किया गया ।
 प्रमेय ने आई.आई.टी., खडगपुर से बी.टेक इलेक्ट्रीकल्स इंजीनियरिग (2009), एम.एस. व  पी.एच.डी. इलेक्ट्रीकल्स इंजीनियरिग (यूसी.एल.ए, केलिफोर्निया) क्रमश: वर्ष 2011 2015 में उपाधियाँ अर्जित की हैं .
 ये उपाधियाँ  किसी अच्छे जॉब के लिए पर्याप्त हो सकतीं हैं . परन्तु प्रमेय की के सपने प्रखर है .. और वे खुद सपनों को साकार करने  के लिए कृतसंकल्पित हैं इस क्रम में यहाँ यह   उल्लेखनीय है कि प्रमेय को वर्ष 2007 2008 में स्टूडेन्ट रिसर्च फेलोशिप क्रमश: वरजिनिया कामनवेल्थ यूंनिवर्सिटी, अमेरिका एवं ट्रिनिटी कालेज डबलिन, आयरलैड में उच्च अध्ययन हेतु प्रदान की गई ।
वर्ष 2013 में   चि. प्रमेय को क्वालकम इनोवेशन फेलोशिप अवार्ड से नवाजा गया । आपके 30 से अधिक शोध पत्र अंतर-राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए  है . 
युवा प्रमेय स्वयेव एक ऐसा साध्य है जो लक्ष्य संधान का एक श्रेष्ठतम  उदाहरण हैं .ऐसे बिरले उदाहरण को “यूथ-आयकान” का दर्ज़ा न देना प्रतिभा के प्रति इग्नोरेंस होता जो मेरे बस की बात नहीं . नार्मदीय ब्राह्मण समाज की ओर से अनवरत शुभकामनाएं ...... प्रमेय को ........ उनके अभिभावकों को .....
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सुधि पाठको,
अभिवादन
 चिरंजीव प्रमेय की उपलाब्धियों की चर्चा करते हुए बेहद हर्षित हूँ वैसे भी मेरा लेखकीय दायित्व है कि प्रतिभाओं  को सामने लाऊं जब सामाजिक अन्वेषण करता हूँ तो पाता हूँ कि- नर्मदे युवा बेहद प्रतिभा संपन्न हैं किन्तु उनकी चर्चा बहुधा कम ही होती है. . जबकि हमारा दायित्व है कि हम हर नए अंकुरण को सराहें उसकी उपलब्धियां अपनों के बीच लाएं... समकालीन  परिस्थितियों में भारतीय  युवा पर विश्व सर्वाधिक चिंतन कर रहा है . मुझे यकीन  है कि भारतीय युवाओं का अगले पंद्रह बरसों में वैश्विक विकास का सर्वाधिक  योगदान होगा. आशा है आप भी प्रतिभा परिचय अनुलेखन के लिए मुझ तक अवश्य भेजेंगें .
गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”
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11.7.17

राहत इंदौरी साहब को समर्पित रचना : अब तो हर खून को बेशक परखना होगा

#हिन्दी_ब्लागिंग 
राहत साहेब अपनी अबसे अच्छी रचना मानकर गोया हर मंच पर सुना रहें हैं . बेशक कलम के तो क्या कहूं उनकी प्रस्तुति के अंदाज़ पर बहुतेरे फ़िदा हैं.. राहत साहेब की ग़ज़ल के मुक़ाबिल आज मैंने एक सकारात्मक कोशिश की थी मुझे लगा कि मैं कामयाब हूँ सो आप सबको दे रहा हूँ.. इस मंशा से कि कभी भी कोई भारतीय कवि शायर किसी से इतना व्यक्तिगत दूर न हो जाए कि उसकी झलक उसकी शायरी में दिखाई दे ... सुधि जन हम इंसानियत के लिए लिखतें हैं .. हम वतन परस्त हैं हमारी कलम से किसी के लिए इतनी घृणा न हो कि वो लोगों को तकसीम करने की वजह बने . हम किसी सियासी वजूद से दूर क्षितिज से  हौले हौले  उभरता हुआ डूबा हुआ आफताब उगाते हैं जो तेज़ी से मुक्कदस ज़मीन को अपनी सोनाली-रश्मियों से ढँक लेता है. यही है कलम की ताकत ... इन दौनों  ग़ज़ल में फर्क देखिये और जो कहेंगे ईश्वरीय प्रसाद मान कर ग्रहण करूंगा ........ तो सबसे पहले   राहत_इन्दौरी साहेब की ग़ज़ल      
अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है

                       राहत_इन्दौरी 
अब प्रस्तुत है मेरी गजल ... उर्दू लिटरेचर के मापदंडों में उन्नीस-बीस हो सकती है पर सकारात्मक सृजन राष्ट्रीय चिंतन के बिंदु पर मुक्कमल मानता हूँ.. यकीनन आप भी मानेंगे. 

जो खिलाफ हैं वो समझदार इंसान थोड़ी हैं
जो वतन के साथ हैं वो बेईमान थोड़ी है ।।

लगेगी आग तो बुझाएंगे हम सब मिलकर
बस्ती हमारी है वफादार हैं बेईमान थोड़ी हैं ।।

मैं जानता कि हूँ वो दुश्मन नहीं था कभी मेरा
उकसाने वालों का  सा मेरा खानदान थोड़ी है ।।

मेरे मुंह से जो भी निकले  वही सचाई है
मेरे मुंह में पाकिस्तानी ज़ुबान थोड़ी है ।।

वो साहिबे मसनद है कल रहे न रहे -
वो भी मालिक है ये किराए की दूकान थोड़ी है

अब तो हर खून को बेशक परखना होगा
                            वतन हमारे बाप का है हर्फ़ों की दुकान थोड़ी है ।।
                                              #गिरीश_बिल्लोरे_मुकुल   

10.7.17

ताऊ के हांके से ब्लॉगर जागे

गुरू ताऊ रामपुरिया  उर्फ़ ताऊ हरियाणवी उर्फ़ होलसेल ब्लॉग प्रमोटर उर्फ़  हरियाणवी ठिलुआ संघ के मुक्कदम्म उर्फ़ ब्लॉग-पटवारी के ऐलान पर ब्लागर्स जागे परन्तु ललित शर्मा पानी की टंकी पे ऐसे जमे कि एक लाइन भी न लिक्खे ... कुछ लिंक जे रहे आप टिपिया दो 
शेष शुभ 
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपका
शुभाकांक्षी गिरीश बिल्लोरे मुकुल


मेरी रूहानी यात्रा ... ब्लॉग से फेसबुक शैलजा पाठक

ब्लॉग बुलेटिनर रश्मि प्रभा... - 4 घंटे पहले
रूहानी यात्रा जगह जगह विश्राम लेती रही, उसीमें अचानक एक दोराहा दिखा कई ब्लॉग सूने , कई चलायमान लेकिन लिंक दोराहे पर ... राह बदलने की कितनी आलोचना करें ! अब है, तो है और दोराहा यानी फेसबुक सुबह से रात तक चलता है, नशा कहो या रास्ता सब यहाँ मिल जाते हैं, जो ब्लॉग पर हैं वे भी, जो यहीं हैं वे भी - मित्रता करो, और पढ़ते जाओ कुछ नगीने यहाँ से उठाती हूँ, क्या पता आप मित्र न हों, तो मित्र हो जाएँ *शैलजा पाठक * ----------------- *तुम जादूगरनी थी क्या* एक छोटे बच्चे की हथेली में तेल से अम्मा एक गोल बनाती कहती इ लो लड्डू भैया दूसरी हथेली बढ़ा देता अब दूसरी में पेडा भैया देर तक मुस... अधिक »
varsha singhपरDr Varsha Singh - 6 घंटे पहले

वर्षा का गीत - डॉ. वर्षा सिंह गरमी के झुलसाते दिन तो गए बीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। कितना भी सूखे ने कहर यहां ढाया अब तो है कजरारे बादल की छाया रिमझिम से सजती है पौधों की काया इसको ही कहते हैं ऋतुओं की माया दुनिया ये न्यारी है परिवर्तन जारी है दुख के हज़ार दंश एक खुशी भारी है रहती हर हार में छुपी हुई जीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। गूंथ रहा मनवा भी सपनों की माला पुरवा ने लहरा कर जादू ये डाला भीगी-सी रागिनी, स्वर में मधुशाला हृदय के भावों को छंदों में ढाला बारिश की लगी झड़ी सरगम की जुड़ी क... अधिक »
ताऊ डाट इनपरताऊ रामपुरिया - 7 घंटे पहले
भाईयों, ताई के अलावा सभी भहणों, भतीजे, भतीजियों और काका बाबा जो भी हों, आप सबनै गुरू पूर्णिमा की घणी रामराम. आज इस पावन पर्व पर "*हरियाणवी ठिलुआ संघ"* द्वारा आयोजित गजल संध्या में आप सबका स्वागत करणै म्ह घणी खुशी का स्वाद आरया सै. ऐं मौका पै पर म्हारी यो पुराणी गजल सुणाते हुये मन्नै घणी खुशी होरी सै. खुशी का ठिकाणा कोनी......बस नू समझ लो कि ताई के लठ्ठ खाणै तैं भी ज्यादा आनंद आरया सै. इब मैं अपणी यों पुराणी और ताजा (दोनों एक साथ) गजल आपको सुणा रह्या सूं.....जरा कसकै तालियां मारणा.... तालियां ना मारो तो कोई बात नही.....टमाटर भी मार सको हो....टमाटर घणे महंगे हो राखें सैं....घर ले ज... अधिक »
उड़न तश्तरी ....परUdan Tashtari - 17 घंटे पहले
जूते पर १८ प्रतिशत जीएसटी..मगर जूते अगर ५०० रुपये से कम के हैं तो ५ प्रतिशत जीएसटी..इसका क्या अर्थ निकाला जाये? ५०० से कम का जूता पैरों में पहनने के लिए हैं इसलिए कम टैक्स और महँगा जूता शिरोधार्य...इसलिए अधिक टैक्स? एक देश एक टैक्स के जुमले की बरसात में एक वस्तु अनेक टैक्स टिका गये और लोग जान ही न पाये.. एक देश एक टैक्स का छाता और उसमें से बरसात की बूँदों की तरह बाजू बाजू से सरकती अनेकों टैक्स स्लैबों की बूँदें..आम जन समझ ही नहीं पा रहा है कि ये कैसा एक टैक्स है? अनेकता में एकता टाईप... आमजन को सरल भाषा में समझाने के लिए कुछ यूं समझाना होगा कि जैसे सरकार का कहना है कि अब तक का पूरा व... अधिक »
ExpressionपरRajni Chhabra - 13 घंटे पहले
दिल का तो मालूम नहीं, ज़हन अभी जवान है या खुदा! तेरी रहमत से इसकी शान है/
computer tips & tricksपरFaiyaz Ahmad - 17 घंटे पहले

आज कल शायद ही कोई ऐसा Mobile user होगा जो व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल नही करता हो,यूज़र्स के WhatsApp में रोज़ बहुत सारे मैसेज आते हैं जिन्हें यूज़र्स के दोस्त या रिश्तेदार भेजते रहते हैं,कुछ व्हाट्सएप्प यूज़र्स तो इतने सारे ग्रुप में Activate रहते हैं कि उनके पास रोज़ हज़ारों मैसेज आते हैं. वैसे तो WhatsApp में यूज़र्स की सुविधा के लिए रोज़ New updates आ रहे हैं जिनके मदद से यूज़र्स के बहुत सारे काम दिन प्रतिदिन आसान होते जा रहें हैं. अगर आप व्हाट्सएप्प को और easy ,convenient और useful बनाना चाहते हैं तो आप Third party app का इस्तेमाल कर सकते हैं.Third party app के इस्तेमाल से व्हाट्स एप में ... अधिक »
देशनामापरKhushdeep Sehgal - 1 दिन पहले
*तारीख- 18 जून 1983* *जगह- टर्नब्रिज, वेल्स* ये तारीख और जगह बहुत खास है...या यूं कहिए कि भारत के क्रिकेट की टर्निंग प्वाइंट है ये तारीख...इस दिन एक शख्स ने अकेले दम पर भारतीय क्रिकेट का वो आधार तैयार किया जिसने उस टूर्नामेंट में ना सिर्फ भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाया बल्कि देश में क्रिकेट के सुनहरे काल की बुनियाद रख दी...ये शख्स और कोई नहीं भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव हैं...उस तारीख को भारत का मैच जिम्बाब्वे जैसी अपेक्षाकृत नौसिखिया टीम से था...भारत पहले बैटिंग कर रहा था...लेकिन ये क्या एक के बाद एक भारत के दिग्गज बैट्समैन पवेलियन लौटने लगे...17 रन बनते बनते भारत के पाँच विकेट ... अधिक »
झा जी कहिनपरअजय कुमार झा - 1 दिन पहले
बहती नदी के संग तू बहता जा , मन तू अपने मन की कहता जा , न रोक किसी को ,न टोक किसी को, थोडा वो झेल रहे ,थोडा तू भी सहता जा .. वर्तमान में सोशल नेट्वर्किंग साईट्स पर ,उपस्थति बनाए रखने , किसी भी वाद विवाद में पड़ने , तर्क कुतर्क के फेर में समय खराब करने से बहुत बेहतर यही है , कि हम आप जिस भी विषय अपर लिखें , वैसे , जैसा कि मित्र और तकनीक गुरु पाबला जी अक्सर कहा करते थे कि , धर्म और राजनीति दो ऐसे विषय हैं जिनपर वे लिखना कभी नहीं पसंद करते , इन दोनों ही विषय का यूं तो हमेशा से ही विमर्श में विवाद का लाजिमी होना जैसा है , किन्तु वर्तमान में तो स्थति इतनी विकट हो चुकी है कि लगता है मानो... अधिक »
ब्लॉग बुलेटिनपररश्मि प्रभा... - 1 दिन पहले
भावनाओं के घने वृक्ष और मैं सारी थकान मिट जाती है दूर दूर तक फैली ज़िन्दगी दिखाई देती है ज़िन्दगी को सुनती हूँ आँखों में भरती हूँ इस संजीवनी के बारे में जितना कहूँ कम ही होगा ... एक वटवृक्ष फेसबुक से - https://www.facebook.com/krishna.kalpit *बुरे दिन * जब अच्छे दिन आ जायेंगे तब बुरे दिन कहाँ जायेंगे क्या वे किसानों की तरह पेड़ों से लटककर आत्महत्या कर लेंगे या किसी नदी में डूब जायेंगे या रेल की पटरियों पर कट जायेंगे नहीं, बुरे दिन कहीं नहीं जायेंगे यहीं रहेंगे हमारे आसपास अच्छे दिनों के इन्तिज़ार में नुक्कड़ पर ताश खेलते हुये बुरे दिन ज़िंदा रहेंगे पताका बीड़ी पीते हुये बुरे दिनो... अधिक »
छींटे और बौछारेंपरRavishankar Shrivastava - 1 दिन पहले
फिर तो, कोई वांदा नई!
उच्चारणपररूपचन्द्र शास्त्री मयंक - 1 दिन पहले
*यज्ञ-हवन करके करो, गुरूदेव का ध्यान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।।* *भूल गया है आदमी, ऋषियों के सन्देश।* *अचरज से हैं देखते, ब्रह्मा-विष्णु-महेश।* *गुरू-शिष्य में हो सदा, श्रद्धा-प्यार अपार।* *गुरू पूर्णिमा पर्व को, करो आज साकार।* *गुरु की महिमा का करूँ, कैसे आज बखान* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।**(१)**।* *संस्कार देता गुरू**, **पाता सिख अमिताभ।* *बिना दीक्षा के नहीं**, **शिक्षा का कुछ लाभ।* *अन्तस को दे रौशनी**, **गुरू ज्योति का पुंज।* *गुरु के शुभ आशीष से**, **सुरभित होय निकुंज।* *सद्गुरु अपने शिष्य को, देता हरदम ज्ञान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बि... अधिक »
computer tips & tricksपरFaiyaz Ahmad - 2 दिन पहले
Darvaar दरबारपरdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } - 3 दिन पहले
ब्लॉग बुलेटिनपरराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर - 3 दिन पहले
चलते -चलते...!परकेवल राम - 4 दिन पहले
जरा उन दिनों को याद करते हैं जब हम हर दिन अपना ब्लॉग देखा करते थे. कोई पोस्ट लिखने के बाद उस पर आई हर टिप्पणी को बड़े ध्यान से पढ़ते थे. साथ ही यह भी प्रयास होता था कि जिसने पोस्ट पर टिप्पणी की है, बदले में उसके पोस्ट पर जाकर भी टिप्पणी कर आयें. हम कोई पोस्ट लिखें या न लिखें, लेकिन ब्लॉगरों के ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणियों का सिलसिला अनवरत जारी रहता था. उन दिनों यह भी होता था कि ब्लॉगिंग हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा था. सुबह उठते ही सबसे पहले ब्लॉग की हलचल को देख लिया जाता था, वरना ऐसा लगता था कि आज जिन्दगी का अहम् समय बेकार चला गया. जीमेल की बत्ती देखकर अंदाजा लगाया जाता कि सामने वाला... अधिक »



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धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...