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जुलाई, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आज हमारा जगराता है ............................

आज सुनिए एक गज़ल- ------------------गिरीश पंकज जी की................इनके बारे मे पढिये इस ब्लॉग पर.......

तलाश है---------------------- इस कविता के कवि की ..............................

आज सुनिए देवेन्द्र पाठक जी(मेरा भाई ) की आवाज में एक कविता ---जो बरसों से उनके जेहन में बसी है --- अगर आप इसके रचयिता के बारे में जानते हो तो जरूर बताएं..........................(उनसे बिना अनुमति लिए यहाँ सुनवा रही हूँ मै -----माफ़ी चाहती हूँ.............)

आहत मन का छलकता गर्व--------------------आप भी महसूस कीजिए-------------------

आज सुनिए------------सतीश जी का ये गीत जो उन्होंने बीस साल पहले लिखा था...............आज भी ताजा- सा लगता है ...........  १---  इसे फ़िर सुने ----------------कुछ इस तरह से ........................ २---   सतीश जी      के बारे में----

रफ़ी साहब के तीन गीत

गुरू पूर्णिमा पर विशेष प्रार्थना-------------------------------------

सभी गुरूजनों के सादर चरण-स्पर्श करते हुए......आज समर्पित करती हूँ एक प्रार्थना----जो हम अपने घर में करते हैं --------------यह प्रार्थना किसी एक गुरू के लिये नहीं है -----------इसमें सभी धर्मों के गुरूओं द्वारा दी जाने वाली शिक्षा का निचोड /सार है ------------------इसे रचना और उसकी बेटी  निशी ने नासिक से रिकार्ड करके भेजा और बाद मे मैने अपनी भाभी उर्मिला पाठक के साथ इन्दौर से स्वर मिलाया----------- आज गुरूपूर्णिमा पर नमन किजीये अपने सभी उन गुरूओं को जिनसे आपने अपने जीवन में कभी भी कुछ अच्छा सीखा हो----------साथ ही सुनिये---रचना,निशी,अर्चना व उर्मिला  के स्वर में ये प्रार्थना---------  

भय बिन होत न प्रीत

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                          भय बिन होत न प्रीत एक गहन विमर्श का विषय है. सामान्य रूप से सभी स्वीकार लेते हैं . स्वीकारने की   वज़ह है भय के बिना कोई भी अनुशासन की डोर से बंध नहीं सकता :- जी हां , यह एक पुष्टिकृत [प्रूव्ड] सत्य है. अगर दुनिया भर में व्यवस्था को चलाने के लिये कानूनों के उल्लंघन की सज़ा के प्रावधान न होते तो क्या कोई इंसान कानून को मानता ? कदापि नहीं अधिकारों और कर्तव्यों के साथ साथ सर्व   जन हिताय दण्ड का प्रावधान इस लिये किया गया है कि आम आदमी अपने हित के लिये दूसरों के अधिकारों पर अतिक्रमण न करे. कानून के साथ दिये गये दाण्डिक प्रावधानों से समाज में एक भय बनता है जो अनुशासन को जन्म देता है.   भय सामाजिक-सिस्टम को संतुलित रखता है   एवम सुदृढता करता है :-  समाज के रिवाज़ नियम उसके आंतरिक ढांचे को संतुलन एवम सुदृढता [ स्ट्रैबिलिटी] देता है.    समाज के संचालन के लिये में रीति-रिवाज़ बनाये गये हैं जो देश-काल-परिस्थितियों के अनुसार तय होते हैं सामाजिक-व्यवस्था के लिये ज़रूरी हैं.... जैसे परिवार के पालन-पोषण की जिम्मे

नया एग्रीगेटर: हमारी वाणी

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हिन्दी चिट्ठाकारिता के इतिहास में स्मूथ संकलकों की बेहद ज़रूरत है, मैथिली जी के द्वारा अचानक एग्रीगेटर ब्लागवाणी को बन्द कर दिया, उधर चिट्ठाजगत की सहजता से न खुल पाने की मज़बूरी, से ब्लाग जगत की आंतरिक खल बली में तो कुछ बदलाव आया किंतु वास्तव में एक दूसरे से सम्पर्क के सेतु से वंचित हुए ब्लागर ...! इस आपसी सम्पर्क बाधा को समाप्त करने एक नया संकलक ” हमारीवाणी ” का आगमन स्वागत योग्य तो है किंतु भय है कि कहीं इसे अधबीच में रुकावटों का सामना न करना पड़े अस्तु यदि इस हेतु कोई शुल्क भी लिया जाए तो मेरी नज़र में कोई ग़लत बात नहीं.   ताकि संकलक के संचालकों को कोई आर्थिक दबाव न झेलना पड़े .... जो भी हो हम तो खुद पंजीकृत इस वज़ह से भी हो गये कि चलेगा यह संकलक हमारी शुभ कामनाएं संकलक के संचालकों को  आज तक इसमें शामिल ब्लाग्स धर्म यात्रा कुछ इधर की, कुछ उधर की श्रीमद् भगवद्‍ गीता‎ ज्योतिष की सार्थकता अमृत-वाणी ब्लॉग संसद - आओ ढूंढे देश की सभी समस्याओं का निदान और करें एक सही व्यवस्था का निर्माण सीखें 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' Aloevera Product KAVITARAWAT मेरी भावनायें... जज़्बात य

इसमें शायद आपकी चर्चा भी हुई है

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मित्रो सादर अभिवादन स्वीकारिये ........... मेरी पठन सूची में यूं तो बहुत से ब्लाग है लेकिन रविवार जिन चिट्ठों के साथ गुज़रा वे ये थे .......... पूरे हफ़्ते की खुराक आज़ एक साथ ले ली मैनें ... परन्तु सच कहूं ईमानदारी से कम ही पढ़ पाया............. सच है कि अधिक लिंक को एक साथ पढ़ना कठिन काम है फ़िर भी आपसे अनुरोध है कि इनको एक बार अवश्य देखिये ............ अपना अभिमत दीजिये लेखक के प्रति आपका स्नेह सच कोई भी कमाल कर देगा............. रवीश.....एक उड़ान...हमारे लिए...सबके लिए संबंधों में कोई तल्ख़ी नहीं: क़ुरैशी कायम रहे ये मोहब्बत ! कहां ले जाऊंगा मैं इतना प्यार...खुशदीप खुशदीप सहगल द्वारा देशनामा - 25 मिनट पहले पर पोस्ट किया गया क्या कहूं...क्या न कहूं...आप सबके प्यार ने निशब्द कर दिया है...इतनी बधाई मेरे सारे जन्मदिनों को मिलाकर नहीं मिली जितनी अकेले इस 18 जुलाई पर मिल गई... कल रात 18 जुलाई होने में दो मिनट ही थे कि मोबाइल की ... "नीम की डाली "कहानी शोभना चौरे द्वारा अभिव्यक्ति - 2 घंटे पहले पर पोस्ट किया गया आज जैसे ही सुबह रसोई में आई

मन निर्जन प्रदेश

बिना तुम्हारे मन एक निर्जन प्रदेश जहां दूर दूर तक कोई नहीं बस हमसाया तुम्हारी यादें और आवाज़ बस चलो इसी सहारे चलता रहूंगा तब तक जब तक कि तुम से न होगा मिलन ________________________________

जन्मदिन मुबारक..................................................शुभकामनाएँ-------------------------------

आज मिलिए प्रीती बड्थ्वाल से --------दिजिए बधाई जन्मदिन की ----------------सुनिए एक कविता उनकी --मेरी आवाज में----------जिसे मैने पढा उनके ब्लॉग से

एक गीत..............बहुत पुराना ...............एकल से युगल ..........एक प्रयोग ... .....

आज ज्यादा कुछ नहीं बस एक गीत ----------------बोल बहुत पसन्द हैं मुझे...................पहले मैने गाया इंदौर मे........... और फ़िर  रचना ने युगल बनाया नासिक से .(125 बार साथ मे ..प्रयास करके )............... प्रयोग सफ़ल रहा या नही ये तो आप ही बता पायेंगे--------------------------(ध्यान रहे----- हमने गाना सीखा नही है और कोई तकनिकी ज्ञान भी नहीं है हमें,पर प्रयोग करने में पीछे नहीं हटते)

बाक़ी रह जाती है ।

दिन में सरोवर के तट पर सांझ ढ्ले पीपल " सूर्य की सुनहरी धूप में या रात के भयावह रूप में गुन गुनाहट पंछी की मुस्कराहट पंथी की बाकी रह जाती है बाकी रह जाती है । हर दिन नया दिन है हर रात नई रात मेरे मीट इनमे दिन की धूमिल स्मृति रात की अविरल गति बाकी रह जाती है बाकी रह जाती है । सपने सतरंगी समर्पण बहु रंगी जीवन के हर एक क्षण दर्पण के लघुलम कण टूट बिखर जाएँ भी हर कण की "क्षण-स्मृति" हर क्षण की कण स्मृति बाकी रह जाती है बाकी रह जाती है ।

सन २०५० मे................................एक समाचार .................................

आज सुनिए एक समाचार प्रवीन पाण्डेय जी के ब्लॉग से ...................................जिसकी जानकारी मुझे यहाँ से मिली.............................. सन २०५०-------------- मुकदमे के निर्णय का क्षण । 

याद-------------पुरानी यादों की गठरी से ............................

आज जो गीत आप सुनने जा रहे हैं ,उसके गीतकार हैं--------- ये.. .............. इस गीत की जानकारी मुझे इस ब्लॉग से हुई ..............आभार ---------- -इनका आभार अपने उस मित्र का जो इस गीतकार के बारे मे लिखते हैं--"------ "धन्य है राकेश खंडेलवाल , जो बिना किसी सम्मान की इच्छा लिए माँ शारदा की आराधना में लगे हैं .."      Get this widget |      Track details  |         eSnips Social DNA   

पालने से पालकी तक बेटियों के लिये

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