सोमवार, जुलाई 12, 2010

एक गीत..............बहुत पुराना ...............एकल से युगल ..........एक प्रयोग ... .....

आज ज्यादा कुछ नहीं बस एक गीत ----------------बोल बहुत पसन्द हैं मुझे...................पहले मैने गाया इंदौर मे...........



और फ़िर  रचना ने युगल बनाया नासिक से .(125 बार साथ मे ..प्रयास करके )...............



प्रयोग सफ़ल रहा या नही ये तो आप ही बता पायेंगे--------------------------(ध्यान रहे----- हमने गाना सीखा नही है और कोई तकनिकी ज्ञान भी नहीं है हमें,पर प्रयोग करने में पीछे नहीं हटते)

9 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

एकल और युगल दोनों ही सुने!
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बहुत ही मोहक और सुन्दर स्वर है!
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रचना बजाज और अर्चना चावजी को बहुत-बहुत शुभाशीष!
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सन्देश देने वाला गीत भी बहुत ही बढ़िया चुना है आपने!
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संगीता पुरी ने कहा…

एकल और युगल दोनो ही बहुत अच्‍छे लगे !!

Girish Billore ने कहा…

अदभुत यह सहज और सरल नहीं जो आपने कर दिया
बधाईयां

M VERMA ने कहा…

मधुर स्वर
बेहतरीन प्रयोग

Udan Tashtari ने कहा…

दोनों वर्ज़न पसंद आये.

निर्मला कपिला ने कहा…

दोनो ही बहुत अच्छे लगे गीत तो है ही बहुत अच्छा। धन्यवाद।

राजीव तनेजा ने कहा…

एकल और युगल...दोनों ही गीत मधुर बन पड़े हैं...

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

दोनों ही गीत बहुत मधुर हैं...

Atul Shrivastava ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

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