1.2.11

ललित शर्मा और विवेक रस्तोगी जी से बात चीत

                                                    कल का दिन भारी व्यस्तताओं से परिपूर्ण रहा. ललित शर्मा शाम से ही कैमरा लगाए बैठे थे. अभनपुर से रायपुर फ़िर रायपुर से अभनपुर का रोजिया जात्री ललित शर्मा को गूगल महाराज़ ने सुंदर सी टी-शर्ट भेजी. कह तो रहे थे कि  वे कह तो रहे थे कि संयोग है किंतु मुझे ऐसा लगता है ये कास्ट्यूम खास तौर पर इसी वज़ह से पहनी गई है बहरहाल जो भी बात चीत मज़ेदार थी. बीच में नेट महाराज़ हो गये नाराज़ तो मौके का लाभ उठाने हमने कैमरा मोड़  दिया बैंगलोर की तरफ़ जहां सैण्डो बनियान पर उपलब्ध थे भाई विवेक रस्तोगी सो उनको भी टी-शर्ट पहनवा के बतियाते रहे चलिये आप भी सुन लीजिये मज़ेदार चर्चा
  1. श्री ललित शर्मा जी से बात चीत 
  2. श्री ललित शर्मा जी से बात चीत
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29.1.11

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्‍जी-धज्‍जी रात मिली



रेडियोवाणी पर मिली इस प्रस्तुति के लिये भाई युनुस का आभार ही कहूंगा
मीना  कुमारी के सुर  खैयाम साहब के संगीत संयोजना में
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्‍जी-धज्‍जी रात मिली
जिसका जितना आंचल था, उतनी ही सौग़ात मिली ।
जब चाहा दिल को समझें, हंसने की आवाज़ सुनी
जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली ।
मातें कैसी, घातें क्‍या, चलते रहना आठ पहर
दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी फिर साथ मिली ।

और अब एक पेशक़श यहां भी 
खैयाम साहब 

आज़ शाम खैयाम साहब को सुनने जाना है तरंग हाल में बिखरेंगी सुर लहरियां हम भी होंगे तरंगित तरंग में और फ़िर देर रात आपसे मुलाक़ात कराना है रात दस बजे प्रोफ़ेसर मटुकनाथ से

26.1.11

जी यशवंत सोनवाने को व्यवस्था ने मारा है

       आत्म केंद्रित सोच स्वार्थ और आतंक का साम्राज्य है.चारों ओर छा चुका है  अब तो वो सब घट रहा है जो  इस जनतंत्र में कभी नहीं घटना था.  कभी चुनाव के दौरान अधिकारी/कर्मचारी  की हत्या तो कभी कर्तव्य परायण होने पर . भारतीय प्रजातंत्र में निष्ठुर एवम दमनकारी तत्व की ज़हरीली लक़ीरें साफ़ तौर पर नज़र आ रहीं हैं.. ब्यूरोक्रेसी की लाचार स्थिति, हिंसक होती मानसिकता, हम किस ओर ले जा रहे हैं विकास का रथ. कभी आप गांवों में गये हैं. ज़रूर गये होंगे   जनता की भावनाओं से कितना खिलवाड़ होता है देखा ही होगा. लोगों की नज़र में सरकारी-तंत्र को भ्रष्ट माना जाता है यह सामान्य दृष्टिकोण है.किंतु सभी को एक सा साबित करना गलत है. सामान्य रूप से सफ़ल अधिकारी उसे मानतें हैं जो येन केन प्रकारेण नियमों को ताक़ पर रख जनता के उन लोगों का काम करे जो स्वम के हित साधने अथवा बिचौलिए के पेशे में संलग्न है. यदि अधिकारी यह नही करे तो उसके चरित्र हनन ,मानसिक हिंसा, प्रताड़ना और हत्या तक पर उतारू होते हैं.  
  खबर ये है कि "मालेगांव के एडीएम यशवंत सोवानणे को तेल माफिआओं ने जिंदा जला दिया है। एडीएम का कसूर सिर्फ इतना था कि वो पैट्रोल में कैरोसिन की मिलावट रोक रहे थे ।"
                        ए डी एम साहब लोक कल्याण ही कर रहे थे उनको  उनके काम से रोकने का जो तरीका अपनाया गया भारतीय कानून-व्यवस्था को सरे आम चिंदी-चिंदी करना है. देश में सैकड़ों अधिकारीयों/कर्मचारियों  को रोज़  मारपीट, उनका अपमान, उनको अपना नौकर मानना , नियम विरुद्ध काम न करने या कि नानुकुर करने पर चरित्र हनन करना. बैठकों में   ज़लील करना और ज़लील करवाना फूहड़ समाचारों का प्रकाशन एवं प्रसारण करवाना जैसी स्थितियों का सामना करना होता है. 
ऐसी परिस्थियों में ही तो हो रहा है ब्रेन-ड्रेन क्या कभी आपने सोचा भारत में सरकारी सेवाओं के प्रति वितृष्णा के कारणों में ये भी एक कारण तो नहीं है ? पूछिये अपनी युवा संतान से .

बदल दो व्यवस्था की बयार फिर मनाओ हर बरस ये त्यौहार

  अर्चना जी के स्वर में  प्रेरक गीत  =>                                                              
 भारतीय जन
तुम प्रभावों से हटकर                                                           
अभावों से  डटकर
करो  मुक़ाबला.
उन्हैं लगाने दो मेले
करने दो व्यक्ति पूजा
ये उनका पेशा है
तुमने कभी कोई ज़िन्दा-इन्सान देखा है ?
मैं तुमको इस पर्व की शुभ कामनाएं कैसे दूं
मुर्दों से
संवादों  की ज़ादूगरी से अनभिज्ञ
पर यह जानता हूं कि
तुम इनके नहीं
शहीदों के ऋणी हो
ये भिक्षुक तुम इनसे धनी हो
बदल दो व्यवस्था की बयार
फिर मनाओ हर बरस ये त्यौहार
इनके पीछे मत भागो
जागो समय आ गया है
जागने का जगाने का 
ज़िंदा हो इस बात का आभास दिलाओ     
मैं शुभकामना की मंजूषा लिए  खड़ा
शायद तुमको ही
दे दूं  " शुभकामनाएं"
अभी तो शोक मना लूं
यशवंत सोनवाने का


24.1.11

विनत श्रद्धांजली पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी जन्म 4 फरवरी 1922 महानिर्वाण 24 जनवरी 2011

फ़त्ते जी को तलाक की राह मिल गई

शीला जी
फत्ते जी मेरे अभिन्न मित्र हैं कई दिनों के बाद मुलाक़ात हुई सो बस चुहल की गरज से अपने राम ने छेड़ दिया उनको . पूछ लिया उनकी नई प्रेमिका के बारे में. पूछा क्या बता कि मिस शीला सच बहुत प्यार करतीं हैं आपसे !
 '' जी सच है उनको मुझसे बहुत प्रेम है हो भी क्यों न हम भी तो उनसे बहुत प्रेम करते है , विपरीत के बीच आकर्षण तो विज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया अब आप ही बताएं. कोई झूठ तो नहीं होगी मेरी बात ?
जी सही है ....! आप झूठ बोलते ही कहाँ हैं ? तो अब बताएं ज़नाब कब मिले थे उनसे ?
''क्या बताऊँ भाई, बीबी से अनबन क्या हुई हमने बहाना किया कि सरकारी टूर पे जाना है और बस चले गए उनके नशेमन में ''
फ़त्ते जी का स्वप्न
कल रात से उनके पास ही थे हम . ?
खूब आदर सत्कार हुआ होगा ?
जी, बहुत.. मेरा ख़ास ख़याल रखा उनने . खूब बातें हुईं . ग़ज़ल शायरी सब कुछ सुनी सुनाएँ हमने उनको और उनने हमको.
जी ये तो हुआ ही होगा. बताएं कुछ खिला-पिलाया के बस भूखे टल्ला रहे हो..?
''अरे मुकुल भाई , क्या बात करते हो, लज़ीज़ खाना था और हाँ मालूम है डिनर पर लंच में,सुबह शाम के नाश्ते के दौरान वे हमें बड़ी मंहगी चीज़ सुन्घातीं रहीं  पता नहीं कितने जतन से से सम्हाल के रखीं हुईं थी कबसे सम्हाल के रखा था उनने वो प्याज जिसकी खुशबू ने हमारी मुलाक़ात को कुछ अधिक रूमानी बना दिया मुकुल भाई सच वे तो हमारी राधा हैं राधा ''
''पर भाभी से झगड़ा काहे हुआ ..जो शीला ओह राधा रानी के पहलू में जाना हुआ कन्हाई का ?''
''बस इसी बात को लेकर कि गुप्ता जी शर्मा जी वगैरा सब तीज त्योहारों में प्याज ले आते हैं और एक आप हैं नामुराद कितने  बेरहम पत्थर दिल पति हैं बस हमारी गैरत ने ललकारा और हम निकल पड़े प्याज खरीदने कि हमारी राधा से बाज़ार में भेंट हो गई . बस उनने हमको न्यौता  हम कल दिए राधा जी के पीछे पीछे .
हमने पूछा - तो फत्ते साब, अभी किधर जा रहें हैं ?
कुछ नहीं उकील साब के यहाँ ?
क्यों,?
तलाक लेंगे तुम्हारी भाभी से ?
इस आधार पे तलाक मिल जाएगा कि वे सदा प्याज की मांग करतीं हैं ?
"किस दुनियाँ में रहते हो मुकुल भाई ! मालूम नहीं आपको, सुना है कि आज जब श्री ....... जी की अदालत में एकतरफा तलाक मिलतें हैं अगर पति या पत्नी के बीच प्याज को लेकर कोई तनाव हो जाए. अखबार में देखा नहीं आपने जज साब ने आर्त भाव से गिलाबिल वर्सेज़ श्रीमती..... वाले मामले में फैसला दिया था कि सुखद दाम्पत्य के लिए सब कुछ स्वीकार्य है सिर्फ प्याज की मांग को छोड़ कर
नोट - इस पोस्ट में उपयोग किये गये चित्र गूगल के ज़रिए क्रमश: भास्कर एवम तीसरा खम्बा ब्लाग ब्लाग से साभार लिया है आपत्ति की दशा में सूचित कीजिये ताक़ि चित्र और आभार अपने अपने स्थान पर पहुंच जाएं 
 

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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