अर्चना जी के स्वर में प्रेरक गीत =>
भारतीय जन
तुम प्रभावों से हटकर
अभावों से डटकर
करो मुक़ाबला.
उन्हैं लगाने दो मेले
करने दो व्यक्ति पूजा
ये उनका पेशा है
तुमने कभी कोई ज़िन्दा-इन्सान देखा है ?
मैं तुमको इस पर्व की शुभ कामनाएं कैसे दूं
मुर्दों से
संवादों की ज़ादूगरी से अनभिज्ञ
पर यह जानता हूं कि
तुम इनके नहीं
शहीदों के ऋणी हो
ये भिक्षुक तुम इनसे धनी हो
बदल दो व्यवस्था की बयार
फिर मनाओ हर बरस ये त्यौहार
इनके पीछे मत भागो
जागो समय आ गया है
जागने का जगाने का
ज़िंदा हो इस बात का आभास दिलाओ
मैं शुभकामना की मंजूषा लिए खड़ा
शायद तुमको ही
दे दूं " शुभकामनाएं"
अभी तो शोक मना लूं
यशवंत सोनवाने का
तुम प्रभावों से हटकर
अभावों से डटकर
करो मुक़ाबला.
उन्हैं लगाने दो मेले
करने दो व्यक्ति पूजा
ये उनका पेशा है
तुमने कभी कोई ज़िन्दा-इन्सान देखा है ?
मैं तुमको इस पर्व की शुभ कामनाएं कैसे दूं
मुर्दों से
संवादों की ज़ादूगरी से अनभिज्ञ
पर यह जानता हूं कि
तुम इनके नहीं
शहीदों के ऋणी हो
ये भिक्षुक तुम इनसे धनी हो
बदल दो व्यवस्था की बयार
फिर मनाओ हर बरस ये त्यौहार
इनके पीछे मत भागो
जागो समय आ गया है
जागने का जगाने का
ज़िंदा हो इस बात का आभास दिलाओ
मैं शुभकामना की मंजूषा लिए खड़ा
शायद तुमको ही
दे दूं " शुभकामनाएं"
अभी तो शोक मना लूं
यशवंत सोनवाने का