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रविवार, अगस्त 14, 2011

अन्ना गांधी वर्सेस ..अदर.गांधी.....?


गुज़रात वाले गांधी के चेले अन्ना के बारे में जो कुछ जाना तो लगा कि अन्ना को अन्ना गांधी बोल देने में कोई हर्ज़ नहीं..! अन्ना के किसे क्या नज़र आ रहे हैं  इस मसले पर मुझे ज़्यादा कुछ कहना नहीं है. परंतु अन्ना मेरी नज़र में एक ताक़त तो ज़रूर बन गए हैं. कुछ लोगों को भ्रम है कि अन्ना केवल एक वर्ग विशेष का नेतृत्व कर रहे हैं.. ऐसा सोचना ग़लत है मुझे लगता है (सत्य भी यही है) अन्ना वाक़ई दिलों में स्थान बना चुके हैं. गांधी देश  की नज़र में कितना आदरस्पद थे इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि  मेरी नानी अपनी संध्या आरती के समय जिन देवी देवताओं का जयकारा करतीं थीं उसमें "गांधी बाबा की जय" भी शामिल था.यानी एक आयकान की स्थिति तक पहुंचना आदर्श बन जाना अपढ़ गंवारों के दिल में बैठना.. किसी साधारण सख्सियत के बूते की बात नहीं. तब तो शहर भी आज के कस्बे की तरह हुआ करते थे गांधी ने कोई एस एम एस , फ़ेसबुक,ट्वीटर का सहारा न लिया था फ़िर भी देश के दिल में बसे थे . अन्ना भी गांधी की तरह देश के आम आदमी को पसंद आ रहे हैं. कारण ये कि "हर भारतीय भ्रष्टाचार से मुक्ति का मार्ग खोज रहा है..!" जैसा कि गांधी के दौर में हर भारतीय अंग्रेजों से भारत की आज़ादी की बाट जोह रहा था. 
आज़ ही मैने एक रिक्शे वाले से पूछा "अन्ना हज़ारे को जानते हो ..?"
"जी,साहब कौन नहीं जानता.. वो ही तो है जो ईमान का राज लाएगा.."
              ईमान के राज़ के लिये छटपटाता भारत एस एम एस , फ़ेसबुक,ट्वीटर की वज़ह से नहीं छटपटाता वो यक़ीन कीजिए सियासी दांवपेंच और सफ़ेद झूटों से उकता चुका है.. उसे एक आयकान की तलाश थी जो मिला अन्ना के रूप में. उसे अब स्विस बैंक का मामला भी समझ आ गया. उसे अखबार पढ़ना आए न आए रेडियो सुनना टी वी देखना आता है .. बेशक़ अन्ना का अनुयायी हो गया है.. अन्ना वाक़ई गांधी है.. विचार से तो बताएं जिनने गांधी को पहन रखा है वो कहां तक इस गांधी के मुक़ाबिल खड़े रहेंगें जो गांधी को जी रहा है उसका शक्तिवान होना अवश्यंभावी है. सवाव अब ये है कि :-"

  • क्या अन्ना अन्ना हजारे देश के दूसरे गांधी हैं..?"
सख्त लोकपाल विधेयक के लिए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का आमरण अनशन बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। अन्ना के गांव में राले गांव सिद्धी में भी प्रदर्शन जारी है। वहां भी लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। मंगलवार का अन्ना का पूरा गांव भूखा था। अन्ना के गांव में नारे गूंज रहे हैं अन्ना हजारे आंधी है...देश का दूसरा गांधी है....।देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को मिल रहे समर्थन के बीच जाने-माने गांधीवादी हजारे ने कहा है कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने को लेकर गम्भीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता।इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (युनाइटेड) ने हजारे के अनशन को अपना समर्थन दिया है जबकि कांग्रेस ने हजारे के उपवास को 'असामयिक' करार दिया है।5 April 2011 मंगलवार को महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद हजारे ने जंतर-मंतर पर अपना अनशन शुरू किया। अनशन पर बैठने से पहले हजारे ने कहा, ‘यह दूसरा 'सत्याग्रह' है।हजारे समर्थक लोकपाल विधेयक के समर्थन में राष्ट्र ध्वज और तख्तियों के साथ राजघाट और जंतर-मंतर पर एकत्रित हैं। हजारे के समर्थन में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, स्वामी अग्निवेश, मैगसेसे पुरस्कार विजेता किरन बेदी, संदीप पांडे सहित अन्य लोग शामिल हुए ।( स्रोत : विकी पीडिया से )

  • अन्ना क्या तालिबानी गांधी है..? कुछ लोग कहते हैं कि अन्ना तालिबान गांधी हैं .. हंसी आती है ऐसे वक्तव्य वीरों के विचार पर लगता है कि गांधी की चीरफ़ाड़ का इससे अनोखा अवसर उनको कब मिलता ... 
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यक़ीन  तो होने लगा है कि अन्ना-हजारे नहीं अन्ना गांधी है..  उसे अनदेखा अनसुना करना ज़ायज़ नहीं.. अब तो सबसे पहले सरकारी मशीनरी को  आत्म चिंतन करना है कि क्या बिना भ्रष्ट हुए जीना संभव है..? मेरे ख्याल से अवश्य जिया जा सकता है . अपनी ज़रूरतों की पूर्ति करो बस इच्छाओं लालसाओं के पीछे मत भागो.. ज़रूरत तो भिक्षुक की भी पूरी हो जाती है लेकिन लालसा किसी सम्राठ की भी पूरी नहीं होती. ये सही है...
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जी आपको यक़ीन हो न हो मुझे यक़ीन है. सुन्दर लाल बहुगुणा ने भोपाल प्रशासन अकादमी में अधिकारीयों को सम्बोधित करते हुये  ये शब्द कहे थे (वर्ष मुझे याद नहीं आ रहा) :- ”प्रकृति और चरित्र दौनों की रक्षा आप सादगी के आयुध से कर सकतें हैं.."
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आप यक़ीन करें न करें इस जन क्रांति के सामने सारी दलीलें बेहद लाचार साबित हो जाएंगी अन्ना को गलत और गै़रजरूरी करार देने वाली.. 

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इस आलेख का किसी भी सियासी संकल्प से कोई लेना देना नहीं वरन इस बात की पतासाजी करना है कि क्या वाक़ई अन्ना अब के दौर के आईकान हैं.. महसूस तो हो रहा है कि सही है वे एक आईकान हैं...  
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गुरुवार, अगस्त 11, 2011

मित्र जिसका विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं

   
                   ख़ास मित्र के लिए ख़ास पोस्ट प्रस्तुत है.. आप लोग चाहें इसे अपने ऐसे ही किसी ख़ास मित्र को सुनवा  सकते .... 




ऐसे मित्रों का विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं. आप को भी ऐसा ही लगता होगा.. चलिये तो देर किस बात की
ये रहा मेरा मित्र जो नाराज़ है मुझसे यह एक मात्र तस्वीर है  इनके पास जिनका हार्दिक आभारी हूं.

बुधवार, अगस्त 10, 2011

बधाईयां अर्चना चावजी संगीता पुरी, घुघूती बासूती, रश्मि स्वरूप,निर्मला कपिला जी को ..

हिन्दी की मशहूर ब्लागर वेबकास्टए पाडकास्टर मेरे मन की..स्वामिनी एवम मिसफ़िट की सहभागी ब्लागर  तथा  ब्लाग  अर्चना चावजी  सौम्य एवम सतत कर्मशील ब्लागर हैं.. आवाज़ पर इनका हालिया प्रसारण हवा महल आकाशवाणी के आडियो सीरियल  "हवा महल" की याद दिलाता है..


ब्लाग इन मीडिया पर प्रकाशित सूचना के अनुसार,
9 अगस्त 2011 को The New York Times के इंटरनेट संस्करण में संगीता पुरीघुघूती बासूतीअर्चना चावजीरश्मि स्वरूप,निर्मला कपिला का उनके ब्लॉगों के नाम सहित तथा रवि रतलामी का उल्लेख करते हुए भारत में महिला ब्लॉगरों पर आधारित लेख
.
यही आलेख प्रिंट में, The New York Times के एशियाई संस्करण The International Herald में 10 अगस्त 2011 को पृष्ठ 2 पर छपा है. यहाँ उसका सांकेतिक प्रस्तुतिकरण है क्योंकि वह पृष्ठ नहीं मिल सका, केवल मुख्य पृष्ट ही मिल सका
.
                                     संगीता पुरीघुघूती बासूतीअर्चना चावजीरश्मि स्वरूप,निर्मला कपिला को 
मिसफ़िट की ओर से  हार्दिक बधाईयां 
भवदीय
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"


सोमवार, अगस्त 08, 2011

"ज़रा सी विकृति जायज़ है वरना आप जितने सहज होंगे कुत्ते उतना ही आपका मुंह चाटेंगें"

                            "आप जितने सहज होंगे कुत्ते उतना ही आपका मुंह चाटेंगें" इस बात से कई दिनों तक मेरी असहमति थी. हो भी क्यों न सहजता ज़िंदगी में वो रंग भरती है जो केवल प्रकृति ही दे सकती है हमारे जीवन को.. हुआ भी यही जीवन भर की सादगी सहजता के सहारे जीवन में  रंग भरता इंसान..  
मेरा  एक कपटी मित्र जिसकी असलियत से वाकिफ़ तो था पर आज़ मित्रता दिवस पर मैने उससे रिश्ता तोड़ लिया वो एक शातिर शिक़ारी है..एक ऐसा शिक़ारी जो मासूमियत और नेक़ी का लबादा ओढ़ के दुनियां के सामने बड़ी बेहरहमी से मानवाधिकारों का अंत किया  मेरे .भी...
    पर क्या हम खुद पर  हिंसक आघातों को  जारी रहने दें .... कदापि नहीं..हमको विद्रूपता का सहारा लेना ही होगा.. वरना कुत्तों से आपका मुंह यूं ही चटवाया और नुचवाया जाता रहेगा ..  चेहरे पर विद्रूपता लानी ही होगी.. पर इस विद्रूपता को व्यक्तित्व पर हावी न होने दिया जाए.. 
 कैसे ..?
                       इस सवाल का ज़वाब दिया था एक दिन मेरे मित्र  सलिल समाधिया ने :-... अगर आप सांस्कृतिक नहीं तो आप के काबिल दुनियां नहीं.. दुनियां के काबिल कौन है..? वही जो गाता है... नैसर्गिक संगीत के साथ सरस भावों वाले गीत गाता है.. !!   जो सांस्कृतिक है , 
                                    आज़ गुरुदेव ने अनंत जी से इच्छा व्यक्त की कि वे मुझसे बात करेंगें.. गुरु की महिमा देखें ब्रह्मचारी अनंत बोध जी ने बताया होगा उनसे कि "गिरीष कवि है.." वो बोले.. हृदय से निर्मल होगा ..!! यहां यह स्पष्ट है कि :- "सर्जक को सभी दुलारतें हैं" विध्वंसक की सहज सराहना.. नहीं होती..
लोग आज़कल इस ज़द्दो ज़हद में लगें हैं कि उनकी अमुक से तमुक नातेदारी है.. लोग अपने बाप दादों के किये का गीत गा गा कर आपके बीच होते हैं कुछेक लोग ऐसों से प्रभावित हो जाते हैं.. मुझे ऐसे लोग उस भिखारी से नज़र आते हैं जो किसी का गीत गा गा कर भूख से बचने की जुगत लगाते हैं.. सच ऐसे लोग लोकेषणा की क्षुदा तृप्ति के अलावा क्या कर रहे होते हैं ध्यान से देखिये..!!
     एक क्या ऐसे लोगों की भरमार है .. आपके हमारे इर्दगिर्द
   एक मित्र ने बताया की वे फलां के ढिकां हैं दूसरे ने बताया की अमुक सेली ब्रिटी से उनका ये रिश्ता है.. तो हम बोले एक बात मैं भी जानता हूम ...!
मित्र बोले:-क्या.. बताओ बताओ..!!
हमने कहा :-"मैथुनी सृष्टि के पूर्व ब्रह्मा जी ने सप्तर्षियों का उल्लेख करते हुए कहा था कि:- 

मरीची अत्रि, भवान अंगिरा, पुल: कृतु
पुलतश्च्य  वशिष्ठ्श्च, सप्तैते ब्राह्मणा सुता   
और अंगिरा कुल के तीन प्रवर हुए विश्वामित्रे मधुछंदा  अघमर्षण
और वे पूर्व स्व. राष्ट्रपति महामहिम  शंकर दयाल के नाते दार हैं.. "  
     मूर्खों की जमात को ऐसे ही बहलाते हुए हम  निकल लिए.. ..  

शनिवार, अगस्त 06, 2011

श्रीमति वंदना गुप्ता से बातचीत

ग्रहणी एवम ब्लागर श्रीमति वंदना गुप्ता  से बातचीत आपकी सेवा में पेश हैं
जिनके ब्लाग्स हैं


ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़रज़ख्म…जो फूलों ने दियेएक प्रयास              
 


रमज़ान और सावन

तुम एक दिन उपवास करो
मैं भी  एक दिन रोज़ा रखूं..!!
न तुमसे अल्लाह को
न मुझसे भगवान को
कोई एतराज़ होगा..
रमज़ान के मानी पाक़ीज़गी में
रम जाना
सावन के महीने वाला रमज़ान
रमज़ान के साथ वाला सावन
एक चारों ओर पाकी़ज़गी का एहसास
तुम्हारे रोज़े कुबूल होंगे
मेरे उपवास
आओ बैठे इबादत और पूजा के लिये 
तनिक पास पास ..!!


शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

हम बेहतर बांबी के बाहर तुम महफ़ूज़ अस्तीनों मे.. छिपे रहो.. आलों में चाहे या कि घर के जीनों में..!!

हम बेहतर बांबी के बाहर छुपना तुम अस्तीनों मे..
छिपे रहो.. आलों में चाहे या फ़िर घर के जीनों में..!!
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तुमने हमसे क्या सीखा है तुम ही जानो हम क्या बोलें..
क्यों बोलें भाषा तुम सब सी, काहे गिरहें तुम्हरी खोलें..?
हम विषधर हैं तुम विष डूबे, विष है तुम्हरे सीनों में......!!
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तुमने सारी धरती मापी, जिसका भार है मेरे सर
विषधर कहते हो तुम मुझको, कहा कभी न धरती धर !!
काम हमारा तुम करते हो.. बोते ज़हर ज़मीनों पर ..
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