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नवंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाल गायिका जयालक्ष्मी में मौज़ूद सुरसाधना के दैवीय गुण

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16. नवंबर 2014 को एक वीडियो अचानक मुझे फ़ेसबुक पर देखने को मिला. फ़ेसबुक पर अलाहाबाद के किसी सदस्य श्री महेश सेठ जी ने शेयर किया था.  वीडियो में एक बेटी ने  पंडित नरेंद्र शर्मा    के गीत “सत्यं शिवम सुंदरम ”  गाया था.  अनोखी आवाज़ उम्र भी कोई खास नहीं. मुझे लगा नौ-दस बरस से अधिक क्या होगी.  हम सभी हतप्रभ थे, आवाज़ अनोखी एवम रेशमी सी.. अटूट संभावनाओं से भरी इस आवाज़ को बहुतों ने सुना. उसी दिन से मेरी तलाश [ जो सिर्फ़ नेट तक सीमित थी ] शुरु हुई.  सरस्वती की कृपा पात्र बेटी के बारे में जानने की इच्छा बलवति हुई. वीडियो एंबेड कर तुरंत किलकारी ब्लाग  [ http://kilakari.blogspot.in ] चस्पा कर दिया. रोज़ उसे सुनने लगा. हज़ारों लोगों  को यह आवाज़ मोहित करती है . फ़िल्म सत्यं-शिवम-सुंदरम का यह गीत वास्तव में पंडित नरेंद्र शर्मा का कालजयी गीत है. लता दीदी के मानस भाई पंडित नरेंद्र शर्मा ने यह गीत तब लिखा जब स्वयं उनके अंतस का कवि सत्य की तलाश में शब्दों से अक्षरों से भाव प्रदेश में संवाद कर रहा होगा. तब शायद स्वयं शिव ने उनमें समा कर इस गीत की रचना की होगी. गीत विशुद्ध रूप से जीवन का दर्शन है, अ

श्री राजेंद्र कामले की चित्र प्रदर्शनी

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तुमको नेवलों से बचाना मेरा फ़र्ज़ है..

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मैं अपनी प्राप्त सांसें गिन रहा हूं .. तुम अपनी गिनो .. रोज़िन्ना  सोचता हूं तुम क्यों गिनते हो इस उसकी सांस क्या सर्वशक्तिमान हो मेरी नियति का नियंता तुम नहीं हो जहां मैं हूं वहां तुम कहीं नहीं हो .. भला क्या मालूम कि तुम कितनी गिन पाते हो मेरी सांसें.. जानते हो आर्त हृदय से सदा ही तीर निकलते हैं तुम हो कि सुई चुभते ही हो जाते हो बदहवास .. तुम उन में शुमार  हो जो वमन करते हो विष और मैं वो हूं जो तुमको आस्तीन में सम्हाल के रखता हूं.. :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: मुझसे डरो मत मुझमें विषदंत नहीं हैं मां के स्तनों में  अमिय ही तो था जो मैने छक के पिया है.. पिता का दिया विशाल फ़लक हां मित्र मैने हक़ से लिया है.. तुम्हारे पास सायुध आया हूं तुममें बसे विषधर को मिटाने मेरे गीत मेरे आयुध हैं.. जो विषधर के खिलाफ़ हैं.. चलो निकाल दो विषग्रंथियां जो अंतस के विषधर की संगत से तुममें ऊग आईं हैं मित्र तुमको नेवलों से बचाना मेरा फ़र्ज़ है..  तुम्हारी मित्रता मुझपे कर्ज़ है...

भारतवंशियों का अमेरिका में बढ़ता प्रभाव और पाकिस्तानी मीडिया की छटपटाहट

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 श्री सत्य नडेला  बाबी ज़िंदल  पाकिस्तानी मीडिया   पर प्रसारित एक विशेष प्रसारण में अमेरिकी प्रशासन में भारतीय मूल के लुसियाना के गवर्नर  बाबी ज़िंदल एवं साउथ कैरलिना की गवर्नर  निकी हैली के नाम का प्रभाव पूर्ण ढंग से ज़िक्र किया. बाबी ज़िंदल को   को भविष्य में (2016 के अमेरिकी चुनाव ) में अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने की संभावना का उल्लेख करते हुए चिंता व्यक्त की  है कि यू.एस. की पालिसी में प्रो-भारतीय सिद्धांतों को वज़न मिलेगा.  भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों की बढ़ती साख और पाकिस्तानीयों की वर्तमान परिस्थिति पर केंद्रित कार्यक्रम   की शुरुआत करते हुए सी ई ओ माइक्रोसाफ़्ट  का ज़िक्र करते हुए कहा कि बड़ी कम्पनियों में भारतीय मूल के लोगों की भागीदारी बढ़ी है. स्मरण हो कि  श्री सत्य नडेला,  सी ई ओ माइक्रोसाफ़्ट हैं.     निक्की हैली मान. प्रधानमंत्री जी के साथ   यू.एस. प्रशासन में नीतिगत फ़ैसले लेने वाले ओहदेदारों  पुनीत तलवारी, निशा विश्वाल, राजीव शाह, सुश्री अजिता  राज़ी  , (स्वीडन में अमेरिकी राज़दूत ) विक्रम सिंह, फ़रीद परेरा, जसमीत आहूजा, का ज़िक्र किया. यहां तक कि अमेरिकी मीडिय

वर्ल्डविज़न का भारत की छवि को गिराने वाला आपत्तिजनक ई संदेश

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आज एक मेल देखा. वर्ल्ड विज़न   www.worldvision.in  मेल का स्नेपशाट देखिये   लाल रंग से रेखांकित लाइन के पढ़ते ही लगा जैसे कि देश में भयावह स्थिति आ गई जो वर्ल्ड विज़न के अलावा अन्य किसी के विज़न में नहीं हैं. एक स्थापित एन जी ओ के रूप में यह संस्थान प्रभावी कार्य भले कर रहा हो पर बच्चों के  भूखे रहने के नाम पर स्पांसर शिप मांगना किस हद तक सही है. मेरी तरह की मेललिस्ट में कई देशी-विदेशी लोगों के पते होंगे जहां ये मेल पहुंच रहे होंगे. और लोग भारत में भूख की स्थिति पाए जाने की बात से सहमत हो गए होंगे तथा  प्रेरित होकर स्पांसर-शिप के लिये तत्पर भी होंगे ।     मेरा खुला आग्रह है कि     वर्ल्ड विज़न   www.worldvision.in   इस तरह के विज्ञापन तुरंत बंद कर सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त करे।  इस संस्था ने कहीं भी अपना मेल पता वेब पर अंकित नहीं किया है. जो एक  आपत्ति-जनक बिंदु है.   _______________________________ प्रति  वर्ल्ड विज़न टीम World Vision India  No. 16, VOC Main Road,  Kodambakkam, Chennai - 600 024.       हार्दिक-शुभकामनाएं आपका ई संदेश मिला . आपके बाल कल्याण के लिये क

तू देख की क्या रंग है तेरा मेरे आगे..!!

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  गो हाथ को जुम्बिश नहीं हाथों में तो दम है रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे…!                        बात यूं तो एहसास करने की है. लिखना भी नहीं चाहता पर क्या करूं लेखक जो ठहरा लिखे बिना काम भी तो नहीं चलता.कब तक छिपाए बैठूंगा अपना दर्द सीने में जो मेरा मित्र है . सोचता हूं कि  आत्म हिंसा कितनी ज़ायज़ है ?  उत्तर मिलता है- मात्रा में पूछोगे तो कहूंगा कि लेशमात्र भी नहीं अवधि में ? तो निमिष मात्र भी नहीं....कदापि नहीं..! तो क्या लड़ जाऊं ..? न इसकी ज़रूरत ही नहीं है.. ! तो क्या करूं..  बस खुद से बातें करो खुद को प्रेम से समझाओ.. और जिसने तुम पर अनाधिकृत दबाव डाला है उसे एहसास करा दो कि - भाई, अब सीमाएं पार होती नज़र आ रहीं हैं.. मेरे खिलाफ़ होते अपने आचरण में बदलाव लाओ. अत्यधिक सहनशीलता दिखाने की ज़रूरत नहीं. क्यों कि यही है "आत्म-हिंसा..!" ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::                  मित्रो, एक मित्र के सार्वजनिक आचरण से आघातित हो मैने स्वयं से सलाह ली. फ़िर वही किया . क्योंकि खुद पर हो रही हिंसा का प्रतिहिंसक हो ज़

एक कविता : फ़ेसबुक से / प्रस्तुति रीता ज़मींदार क़ानूनगो

तब टूटती थी प्लेट बचपन में तुमसे अब माँ से टूट जाये तो कुछ भी ना कहना.. 👓🍫🍏 तब मांगते थे गुब्बारा बचपन में माँ से अब माँ चश्मा मांगे तो ना मत कहना.. 👓🍫🍏 तब मांगते थे चॉकलेट बचपन में माँ से अब माँ मांगे दवाई तो ना मत कहना.. 👓🍫🍏 तब डाटती थी माँ शरारत होती थी तुमसे अब वो सुन ना सके तो बुरा उसे ना कहना.. 👓🍫🍏 जब चल नहीं पाते थे तुम माँ पकड़ के चलाती थी अब चल ना पाए वो तो सहारा तुम देना.. 👓🍫🍏 जब रोते थे तुम माँ सीने से लगाती थी अब सह लेना दुःख तुम माँ को रोने ना देना.. 👓🍫🍏 जब पैदा हुए थे तुम माँ तुम्हारे पास थी जब माँ का अंतिम वक़्त हो उसके पास तुम रहना. Rita Zamindar Kanungo  

ढोली अविरल बजाएगा ढोल : ढमन कड्डन.. कड्डन... कड्डन

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मास्टर अविरल गले में ढोल यूं लटकाते हैं बड़े बड़े शरमा जाएं    यूं तो मास्टर अविरल  की उम्र छै: बरस की पिछले महीने ही हुई है पर इन लिटिल-मास्टर साहबान में  सिद्धहस्त  ढोली बनने के सारे गुण मौजूद हैं वो भी तीन बरस की उम्र से . अविरल की माताजी श्रीमती रिंकी के अनुसार -"पाँव तो पालने में ही नज़र आ चुके थे. अवी ने एक बरस की उम्र से  दौनों हाथों से टेबल बरतन को बजा बजा के बताने की कोशिश की कि उसके साथ एक कलाकार भी जन्मा है माँ ..! "   व्हीकल-फैक्ट्री में कार्यरत श्री मनीष को माँ ने अपने पुत्र के अंतस के कलाकार के बारे में बताया तो वे भी प्रभावित हुए. संकट इस बात का था कि क्या किया जाए. समय बीतते बीतते   अविरल का अन्य बच्चों की तरह  स्कूल जाना प्रारम्भ हुआ . परंतु ताल ने अवि से नाता बनाए रखा. अखबारों के ज़रिये जब पता चला कि बालभवन में  “किलकारी 2014” के लिए आडिशन हो रहा है तो अवि के दादाजी और माँ रिंकी को राह मिल गई घरेलू कामकाज के साथ तालमेल बैठाकर वे मास्टर अविरल को लेकर आ गए  बालभवन . बालभवन की सदस्यता के साथ अब रोज़ अविरल बालभवन आते हैं.   वीरेन्द्र सिद्धराव और

अमृत वृद्धाश्रम : विजय सपत्ति

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||| एक नयी शुरुवात ||| मैंने धीरे से आँखे खोली, एम्बुलेंस शहर के एक बड़े हार्ट हॉस्पिटल की ओर जा रही थी। मेरी बगल में भारद्वाज जी, गौतम और सूरज बैठे थे। मुझे देखकर सूरज ने मेरा हाथ थपथपाया और कहा,  “ ईश्वर अंकल , आप चिंता न करे ,  मैंने हॉस्पिटल में डॉक्टर्स से बात कर ली है ,  मेरा ही एक दोस्त वहाँ पर हार्ट सर्जन है , सब ठीक हो जायेंगा।  “  गौतम और भारद्वाज जी ने एक साथ कहा , “ हाँ सब ठीक हो जायेंगा।  “  मैंने भी धीरे से सर हिलाकर हाँ का इशारा किया। मुझे यकीन था कि अब सब ठीक हो जायेंगा। मैंने फिर आँखे बंद कर ली और बीते बरसो की यात्रा पर चल पड़ा। यादो ने मेरे मन को घेर लिया। ||| कुछ बरस पहले ||| कार का हॉर्न बजा। किसी ने ड्राइविंग सीट से मुंह निकाल कर आवाज लगाई , “ अरे चौकीदार, दरवाज़ा खोलना।  “ मैंने आराम से उठकर दरवाज़ा खोला। एक कार भीतर आकर सीधे पार्किंग में जाकर रुकी। मैं धीरे धीरे चलता हुआ उनकी ओर बढा। कार में से एक युवक और युवती निकले और पीछे की सीट से एक बूढी माता। युवक कुछ बोलता ,  इसके पहले ही मैंने कहा , “ अमृत वृद्धाश्रम में आपका स्वागत है, ऑफिस उस तरफ है। 

कलेक्टर श्री रूपला ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार की राशि कैंसर ग्रस्त मरीजों की मदद के लिये दी

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रीवा जिले में कृषि उत्पादन में वृद्धि के प्रयासों में मिली जबरदस्त कामयाबी के लिए कलेक्टर शिवनारायण रूपला को आज भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड पर आयोजित मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार से नवाजा गया है । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस समारोह में श्री रूपला को यह पुरस्कार प्रदान किया ।  पुरस्कार के रूप में उन्हें प्रशस्ति पत्र और पचास हजार रूपए की राशि का चेक प्रदान किया गया ।                 ज्ञात हो कि श्री रूपला ने रीवा जिले का कलेक्टर रहते हुए कृषि के क्षेत्र में कई ऐसे अनूठे प्रयोग किये थे जिनकी वजह से इस जिले के कृषि उत्पादन में महज तीन साल में साढ़े तीन गुना की वृद्धि दर्ज की गई । रीवा जिला जो खाद्यान्न की अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए दूसरे जिलों पर निर्भर रहा करता था वह महाराष्ट्र को भी गेहूं और चांवल की आपूर्ति करने लगा ।                 कृषि के क्षेत्र में रीवा जिले के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए श्री रूपला ने कृषि विभाग के अमले और कृषि वैज्ञानिकों को साथ लेकर अपने प्रयासों की शुरूआत वर्ष 2011-12 से की ।  उन्होंने पि

शाह अस्त हुसैन, बादशाह अस्त हुसैन...फ़िरदौस ख़ान

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इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को ख़िराजे-अक़ीदत पेश करते हुए ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती फ़रमाते हैं- शाह अस्त हुसैन, बादशाह अस्त हुसैन दीन अस्त हुसैन, दीने-पनाह हुसैन सरदाद न दाद दस्त, दर दस्ते-यज़ीद हक़्क़ा के बिना, लाइलाह अस्त हुसैन... इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी सन् का पहला महीना मुहर्रम है. हिजरी सन् का आग़ाज़ इसी महीने से होता है. इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है. अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने इस माह को अल्लाह का महीना कहा है. साथ ही इस माह में रोज़ा रखने की ख़ास अहमियत बयान की गई है. 10 मुहर्रम को यौमे आशूरा कहा जाता है. इस दिन अल्लाह के नबी हज़रत नूह (अ.) की किश्ती को किनारा मिला था. कर्बला के इतिहास मुताबिक़ सन 60 हिजरी को यज़ीद इस्लाम धर्म का ख़लीफ़ा बन बैठा. सन् 61 हिजरी से उसके जनता पर उसके ज़ुल्म बढ़ने लगे. उसने हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के नवासे हज़रत इमाम हुसैन से अपने कुशासन के लिए समर्थन मांगा और जब हज़रत इमाम हुसैन ने इससे इनकार कर दिया, तो उसने इमाम हुसैन को क़त्ल करने का फ़रमान जारी कर दिया. इमाम हुसैन मदीना से सपरिवार कुफ़ा के लिए निकल पड

अल्पसंख्यकों की दुर्दशा करते चरमपंथी

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 यज़ीदी अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ होते धर्मांध  आई एस आई एस की दरिंदगी उफ़्फ़ !!उनके द्वारा  यज़ीदी समुदाय की औरतों एवम बच्चों के खिलाफ़ हो रहे जुल्मो-सितम की खबरें विश्व के लिये एक चिंता का विषय है.परंतु इस पर विश्व के अगुआओं की नज़रफ़ेरी से बेहद दुख:द स्थिति जन्म ले रही है.   उधर यज़ीदीयों का धर्म उनको अल्प संख्यक के रूप में स्थापित रखता है. वे  विश्व में मात्र सात लाख रह गए हैं. उनका दोष मात्र इतना है वे "शैतान को मान्यता " देते हैं.         नवभारत टाइम्स के अनुसार " पुरातन काल से यजीदी इराक के अल्पसंख्यक हैं। ये लोग शुरू से ही शैतान को पूजते आ रहे हैं। इनके धार्मिक सूत्रों में शैतान ईश्वर के बनाए सात फरिश्तों में से एक है और उसका दूसरा नाम मेलक तव्वस है। माना जाता है कि आदम को सिजदा न करने पर मेलक को ईश्वर ने न सिर्फ माफ कर दिया बल्कि उसके स्वाभिमान से काफी प्रभावित हुए। 18वीं और 19वीं सदी में यजीदियों को शैतान पूजक बताकर जातिगत द्वेष के चलते बड़ी तादाद में मारा गया। इससे मिलती-जुलती घटना उनके साथ 2007 में भी घटी। धमकियों के चलते यजीदियों के धर्मगुरु बाबा शेख ने वह