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मैं .... पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ

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आभार : KNICK N KNACK BLOG तपता हूँ   पिघलता भी हूँ .... बह के तुम तक आना मुझे   अच्छा लगता है ...   बूंदों की शक्ल में   कल बरसूँगा ...... चकवे का गला   सूख जो  गया है ....   टिहटिहाती   टिटहरी की तड़प   सुनी है न तुमने ... सबके लिए आउंगा   बादल से रिमझिम रिमझिम से टपटप बूँद बूँद समा जाउंगा तुममें ... धरा में .... नदियों में ...   कंदराओं में ..... तुम   मेरी कीमत न लगा सकते हो .. न किसी को चुका सकते हो ... मैं ....... अनमोल हूँ   मैं .......बहुमोल   हूँ   मैं .... पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ   तुम सब   प्यासे हो .....प्यासे हो ......प्यासे हो  

डॉ अ कीर्तिवर्धन की कविता : आँख का पानी

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आँख का पानी होने लगा है कम अब आँख का पानी, छलकता नहीं है अब आँख का पानी| कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से, मरने लगा है अब आँख का पानी| सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर सूख गया है तब से आँख का पानी| पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी| स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई भूल गया बहना,आँख का पानी| उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल उतरा है जब से बच्चों कि आँख का पानी| फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर मर गया है औरत कि आँख का पानी| देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ पलकों मे सिमट गया आँख का पानी| लूटा है जिन्होंने मुल्क का अमन ओ चैन उतरा हुआ है जिस्म से आँख का पानी| नेता जो बनते आजकल,भ्रष्ट,बे ईमान हैं बनने से पहले उतारते आँख का पानी| डॉ अ कीर्तिवर्धन 09911323732 डॉ अ कीर्तिवर्धन, की कविता : आँख का पानी डा० अ कीर्तिवर्धन अ कीर्तिवर्धन के ब्लाग :-     संवाद  एवम  समंदर    

पता नहीं उनको ज़टिल क्यों लगे मलय ?

जिनको मलय जटिल लगें उनको मेरा सादर प्रणाम स्वीकार्य हो मुझे डाक्टर साहब को समझाने का रास्ता दिखा ही दिया उन्होंने जिनको मेरे पड़ोसी मलय जी जटिल लगते हैं । लोगो का मत था की मलय जी पक्के प्रगतिशील हैं वे धार्मिक सामाजी संसकारों की घोर उपेक्षा करतें हैं ..... हर होली पे मलय को रंग में भीगा देखने का मौका गेट नंबर चार जहाँ मलय नामक शिव की कुटिया है में मिलेंगे इस बार तो गज़ब हो गया मेरी माता जी को पितृ में मिलाना पिताजी ने विप्र भोज के लिए मलय जी को न्योत लिया मुझे भी संदेह था किंतु समय पर दादा का आना साबित कर गया की डाक्टर मलय जटिल नहीं सहज और सरल है । अगर मैं नवम्बर की २९वीं तारीख की ज़गह १९ को पैदा होता तो हम दौनो यानी दादा और मैं साथ - साथ जन्म दिन मना ते हर साल खैर ..........! हाँ तो जबलपुर की लाल मुरम क

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दिल्ली की बारिश और बीजिंग को लेकर लाइव इंडिया की स्टोरी देख के लगा कि ओलम्पिक खेल से ज़्यादा भारत की इन्सल्ट तुलना करके करना ही ख़बर है .... भैया प्रोड्यूसर साहब सरकार राज़ से ऐसी क्या गलती हुई कि आप दिल्ली की लगातार बरसात के बाद सडकों गलियों में भरे पानी को दो साल बाद भारत में होने वाले खेल महा कुम्भ से जोड़ कर दिखाया जिसका न तो कोई अर्थ था और न ही ज़रूरत कि इस देश की किसी अन्य देश से तुलना कर भारत को नीचा दिखाएं । मेरठ में उड़नतश्तरी के बारे जानकार खुशी हुई हुई ही थी की पुण्य प्रसून बाजपेयी के आगमन की ख़बर मेल इनबाक्स से निकलने को फड़फड़ा रही थी ।मैनें आनन् फानन बाजपेयी जी का स्वागत कर दिया और कह दिया है कि उडन तश्तरी .... की तरह औरों ब्लॉग को टिप्पणी तिलक ज़रूर कीजिए । अब ये कोई बात है जो ब्लॉग पर लिखूं .....तो फ़िर ब्लॉग पे लिखने के लिए क्या विषय चुक गए हैं कटाई नहीं विषय के चुक जाने का संकट अपुन को कतई नहीं अपन यानी "अपुन जेक ऑफ़ आल मास्टर ऑफ़ नन" जो ठहरे....ठेल देंगें कछु भी । यदि कुछ न सूझा तो कट पेस्ट थेरेपी जिंदाबाद ..... ! चीन में ओलोम्पिक की शुरुआत ,तिब्बतियों का विर