5.5.11
3.5.11
"पाडकास्टर से वेबकास्टर तक की जात्रा : बारास्ता परिकल्पना/ नुक्कड़ सम्मान समारोह
वेबकास्टिंग का दौर आना और मुझे इस पेटे सम्मान मिलना मेरे लिये बस एक अनजाने में खेले गये खेल से मिली जीत का सा मामला है. मुझे नहीं मालूम था कि खटीमा के आयोजन से कोई करिश्मा होगा. होगया तो बात इस हद तक पहुंच जाएगी कि - निगाहें मुझे देखेंगी. ये अलग बात है कि पुराने काम पाडकास्टिंग को बहुत बड़ा स्थान मिला ब्लाग जगत के दिल में... किंतु मन बार बार यही कहता रहा कि मैं हिंदी के भले के लिये टेक्स्ट आधारित ब्लागिंग को ही अपनाऊं. कारण था कि - आडियो ब्लागिंग यानी पाडकास्ट, को सेकण्डरी कर दिया पर दिमाग ने सीधे अंगुलियों से कहा .."तलाशो अब लाइव हो जाने का रास्ता..! रास्ता है मिलेगा भी !! " बस्स... इत्ती सी बात इस खोजा-तपासी के बीच एक न्योता भेज दिया अर्चना चावजी को कि वे मधुर आवाज़ में मिसफ़िट को सजाती रहें... हुआ भी यही.. उनके एहसानों को कैसे भुलाऊं कि पाडकास्टर से वेबकास्टर तक का सफ़र वे न होतीं तो पूरा करना सम्भव न था. आदरणीया अर्चना जी को आभार कह कर उनका कद छोटा न करूंगा. बहरहाल दिल्ली में श्री निशंक जी के हाथौं मिला सम्मान हिंदी ब्लागिंग के प्रति मन की उकताहट को कम कर गया. बीच में एक खीज एक ऊब सी ऊग आई थी पर अब सब ठीक है कि मुझे कुछ नया इस लिये करना है ताकि "न्यू मीडिया" को परिपक्कवता मिलती रहे. ऐसा सभी सोच रहे हैं.हां वे सभी जिनके काम का मूल्यांकन किया परिकल्पना ने, नुक्कड़ ने, और हिंदी साहित्य निकेतन ने. कुछ भी हो भला हिंदी ब्लागिंग का ही तो होना है.व्यक्तिश:आभार कहूं तो अविनाश वाचस्पति, श्री गिरिजाशरण जी अग्रवाल ,डा० मीना अग्रवाल ,पद्म सिंह, श्री पवन चन्दन केवल राम जी , का स्नेहिल सहयोग कैसे भूलूं..?
क्रमश:
2.5.11
29.4.11
दिल्ली ब्लागर्स मीट : प्रेस कान्फ़्रेंस लाइव जबलपुर एवम इंदौर से
गिरीश बिल्लोरे मुकुल द्वारा जबलपुर से सुनने के लिये चटका लगाएं
"लाइव" पर
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अर्चना चावजी इंदौर से
"लाइव" पर
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अर्चना चावजी इंदौर से
दिल्ली पहुंच कर अन्ना ने चूलें सरकार की हिला दीं थीं ब्लागर ब्लागरा भी ..
हां तो भाईयो और ब्लागर भग्नियो जो ( मानें ) दिल्ली पहुंच कर अन्ना ने चूलें सरकार की हिला दीं थीं ब्लागर ब्लागरा क्या करेंगे.. जी सम्मेलन की घोषणा होते ही कितने सीनों पे नागिन फ़िलम छाप धुन पै सांप लोट रए हैं सबरे ब्लागरन को पता है.पर जे जान लो भैया रवींद्र परताप जी और अगरवाल साब ने पूरे देस और बिदेस से ज़हर निकालने वाले सपेरे बुलाय लिये. जिनका काम है ज़हर से "ज़हर-रोधी" बनाना . सांप भैये आप तो जिसकी आस्तीन में रहते हो रहो सीनों पे न लोटो वरना ज़हर से हाथ धो लोगे. खास खबर ये है कि अविनाश जी और पता नहीं कौन कौन दिल्ली चलो का हल्ला महीनों से नुक्कड़ पे आके मचाए पड़े थे उधर भाई रवीन्द्र प्रभात की किताबें लिखने की मौन साधना अलग जारी थी. बस्स इस आह्वान का असर दिखा अंदर की बात तो जे है भैया कि अन्ना हज़ारे तक दिल्ली आ गये और बस हिला दीं चूलें सरकार की ऐसा माना जा रहा है... और खास खबर ये है कि लारा मेमसाब पर इस आह्वान का असर कुछ ज़ियादा ही हुआ उनने कसम खाई कि 29 अप्रैल 2011 से पूरे देश में ब्लागर्स के वास्ते आह्वान करेंगीं नारा देंगी "दिल्ली चलो "समीर बाबू कनाड़ा से सोच रए हैं के दिल्ली में बस जाने को जी चाहता है. हजूर बस एक बार चुनाव लड़ लिये होते तब्ब तो पक्का था कि आप दिल्ली में इच्च होते..सुना है कुछ लोग जो सम्मेलन को फ़ेस न कर पाए वे फ़ेस बुक में...पद्मावलि (पद्मावति नहीं) बारे पद्म भैया सुनिये हमारे राशी फ़ल में जात्रा के लिये मनाही है पर हम आयेंगे ज़रूर आएंगे पक्के में आएंगे . संगीता ताई से तोड़ निकलवाएंगे पक्के में. जी और तो और हम वेबकास्टिंग करेंगे ललित भाई के अलावा सवा लाख पे भारी श्री बी एस पाबला श्री संजीव तिवारी से मिलना भी होगा और देखिये हम लोग ऐसे दिखेंगे
वेबकास्टिंग के लिये किस ब्लाग पे चटका लगाना है..?
जी डा०विजय तिवारी किसलय के बताए अनुसार मुझे बताया "वेबकास्टिंग जिसकी चर्चा देश विदेश की पत्र पत्रिकाओं में भी की गई है. इतना ही नहीं उक्त कार्यक्रम का लाइव प्रसारण http://www.nukkadh.com, http://sanskaardhani.blogspot.com, तथा http://editers.blogspot.com/ , http://hindisahityasangam.blogspot.com/ पर दिनांक 30 अप्रैल 2011 .को शाम तीन बजे से उपलब्ध होगा.
"
इस पर एक रपट देखिये भाई पियूस पाण्डे साब की कतरन भास्कर की
दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संस्करण में आज दिनांक २९.०४.२०११ को प्रकाशित पीयूष पांडे का विस्तृत विवेचन हिंदी ब्लॉग सम्मलेन के बहाने
नुक्कड़ से साभार
28.4.11
नाव गाड़ी का रिश्ता
पाकिस्तान में मिली ये तस्वीर नाव गाड़ी का रिश्ता बयां कर रही है. यही हक़ीकत है पाकिस्तान की हमेशा नाव पर गाड़ी होती है. नाव जो हमेशा डूबती-उतराती नज़र आती है.पर चल रही है परम आत्माओं के सहारे जो विश्व के हर हिस्से को हिला देने की जुगत में तत्पर. अब तो जागो पाक़िस्तान ... विश्व को बता दो तुम भी नेक नियत देश हो... तुम्हारे दामन के दाग धोने के लिये इससे बेहतर वक़्त कब आएगा. तब जब विश्व एक बड़े सामाझिक परिवर्तन के लिये तत्त्पर है.
एक रपट किसलय जी के सेलफ़ोन से
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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