क्यों लिखते हैं दीवारों पर - "आस्तिक मुनि की दुहाई है"
सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौराणिक सर्प पात्र की पुत्री के पुत्र थे । एक बार तक्षक से नाराज जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया और इस यज्ञ में मंत्रों के कारण विभिन्न प्रजाति के सांप यज्ञ वेदी संविदा की तरह आ गिरे । तक्षक ने स्वयं को बचाने के लिए इंद्र का सहारा लिया तो वासुकी ने ऋषि जगतकारू की पत्नी यानी अपनी बहन से अनुरोध किया कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी सांपों की रक्षा कीजिए और यह रक्षा का कार्य आपके पुत्र मुनि आस्तिक ही कर सकते हैं । अपने मामा के वंश को बचाने के लिए आस्तिक मुनि जो अतिशय विद्वान वेद मंत्रों के ज्ञाता थे जन्मेजय की यज्ञशाला की ओर जाते हैं । किंतु उन्हें सामान्य रूप से यज्ञशाला में प्रवेश का अवसर पहरेदार द्वारा नहीं दिया जाता । किंतु आस्तिक निराश नहीं होते और वे रिचाओं मंत्रों के द्वारा यज्ञ के सभी का सम्मान करते हैं । जिसे सुनकर जन्मेजय स्वयं यज्ञशाला में उन्हें बुलवा लेते हैं । जहां आस्तिक मुनि पूरे मनोयोग से यज्ञ एवं सभी की स्तुति की जैसे जन्मेजय ने उनसे वरदान मांगने की
टिप्पणियाँ
taknik ka aisa prayog hindi bloging ke liye bada vardaan hai
dhnyavaad
किस्मत वाले हो जी ...
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!