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सोमवार, जून 13, 2022
भारत में शिक्षा प्रोडक्ट है ?
शुक्रवार, जून 03, 2022
टारगेट किलिंग, सांप्रदायिक एकात्मता एवं भारत..!
कश्मीरी पंडितों डोगरा और गैर मुस्लिम लोगों के विरुद्ध जिस मानसिकता को हवा दी जा रही है वह हवा, भारत विरोधी आंतरिक स्लीपर सेल्स एवं आयातित विचारधारा तथा आई एस आई का संयुक्त प्रयास है।
एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता जीशान जावेद राणा ने एक टीवी चैनल पर केवल पॉलिटिकल स्टेटमेंट देते हुए नजर आए। टारगेट किलिंग को देखकर पूरी दुनिया समझ सकती है कि कश्मीरी पंडितों के विरुद्ध 1990 और उसके पहले तथा अब तक कितना जुल्म ढाया होगा। बहरहाल भारत सरकार इस मुद्दे पर बिल्कुल क्लियर है साथ ही निकट भविष्य में स्पष्ट एक्शन के मूड में है।
कश्मीर के जिन लोगों की हत्या हुई उनमें बैंक में मैनेजर विजय कुमार के अलावा राहुल भट्ट राजस्व अधिकारी रणजीत सिंह दुकान का कर्मचारी अमरीन भट्ट टीवी कलाकार रजनी बाला शिक्षिका की हत्या एक राजनीतिक दल की पहल पर पाकिस्तान कुख्यात सरकारी संगठन आई एस आई प्रायोजित हो इससे इनकार करना असंभव है। वर्तमान में कुछ राजनीतिक टिप्पणियों से सिद्ध होता है कि टारगेट किलिंग करवा कर या हो जाने पर भारत की सुरक्षा व्यवस्था को निशाने पर लिया जाए। एक सन्दर्भ से पता चलता है कि इस टार्गेट किलिंग का तानाबाना पीओके के मुज्ज़फराबाद में हुई थी .
उपरोक्त विवरण से हटकर अगर देखा जाए तो भारत में शांति की स्थापना के लिए हमारी एथेनिक-परम्पराओ को समाप्त करने का प्रयास सतत जारी रहना चाहिए।
इस संदर्भ में दिनांक 2 जून 2022 को संघ प्रमुख माननीय मोहन भागवत जी ने जो मार्गदर्शन दिया वह सामाजिक एकात्मता के परिपेक्ष में महत्वपूर्ण है। समय की आवश्यकता है कि भारत नेचुरल सेकुलरिज्म अर्थात प्राकृतिक- असंप्रदायिक परिस्थितियों में लौट जाए जैसा कि सनातन की प्रकृति है। सनातन व्यवस्था सदा से ही सांप्रदायिक विद्वेष को अस्वीकृत करती रही है।
लेकिन बाहरी विचारधारा एवं ब्रेनवाश करने वाली विचारधाराओं पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। हमारा इंटरनल इंटेलिजेंस सिस्टम का बहुत प्रभावी होना जरूरी है।
उपरोक्त अनुसार शांति सद्भावना और एकात्मता का संदेश संपूर्ण भारतीय नागरिकों को करना ही होगा।
गुरुवार, जून 02, 2022
मध्यमवर्गीय अभिभावक अब मुझे रेसकोर्स के जुआरी लगने लगे हैं..!
“मध्यमवर्गीय अभिभावक अब मुझे रेसकोर्स के जुआरी लगने लगे हैं..!”
गिरीश बिल्लोरे”मुकुल”
"भारत का मध्य वर्ग मध्यवर्ग के
बच्चे बच्चों से मध्यवर्गीय माता पिता जी अंत ही उम्मीदें..!"- अब तक ना समझ
में आने वाला प्रमेय यानी साध्य है। इस प्रमेय को हल करने के लिए बस बच्चों को
पढ़ाने के पहले बच्चों को पढ़ लीजिए।
कोविड-19 के 2 साल पहले की बात है यानी
2017 की। एक मां इस समस्या से तनावग्रस्त स्थिति उनके बच्चे उनके अन्य रक्त
संबंधियों के बच्चों के बराबर योग्यता नहीं रखते। और उन्हें यह भी तनाव था कि वे
बच्चों पर जो इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं उस इन्वेस्टमेंट के अनुपात में उन्हें
उपलब्धि कुछ हासिल नहीं हो रही। वह अपने दोनों बच्चों को मेरे द्वारा प्रबंधित
संस्थान ने दाखिला कराने की गरज से आई। महिला ने बताया कि-" मेरे बच्चे अपने
चचेरे भाई बहनों से कमजोर हैं, वे हर फील्ड में अव्वल हैं... पर हमारे
बच्चे कभी एक भी मैडल या पुरस्कार तक नहीं जीत पाते.
रविवार, मई 29, 2022
रियलिटी शो के मकड़जाल और संगीत का भविष्य
इन दिनों रियलिटी शो का माहौल इस कदर दिमाग पर
हावी है कि कला साधक बच्चों का लक्ष्य केवल रियलिटी शो तक सीमित रह गया है।
अभिभावक जी रियलिटी शो के लिए अपने बच्चों को चुने जाने के सपने में दिन-रात डूबे
रहते हैं।
नृत्य संगीत तक समाज को सीमित रखने वाली इन
ग्लैमरस कार्यक्रमों में संवेदना उनका भरपूर दोहन किया जाता है। दर्शकों के मन में
बच्चे की गरीबी अथवा उसकी अन्य कोई विवशता को प्रदर्शित करके टीआरपी में आसानी से
ऊंचाई हासिल करने का हुनर उन्हें करोड़ों रुपए के विज्ञापनों से लाभ दिलवाता है।
मेरा दावा है कि अगर मौलिक कंपोजीशन पर
केंद्रित गैर फिल्मी गीतों पर आधारित कोई रियलिटी शो आयोजित किया जाए तो ना तो
बच्चे खुद को सक्षम पाएंगे और ना ही अभिभावक ऐसे कार्यक्रमों मैं बच्चों को शामिल
करने की कोशिश करेंगे। टेलीविजन चैनल भी ऐसा करने के लिए ना तो मानसिक रूप से
तैयार है और ना ही उनमें ऐसे काम करने की कोई विशेष योग्यता है।
जबलपुर नगर का ही उदाहरण ले लीजिए। नगर से अब
तक कई बच्चे ऐसे संगीत शो में शामिल हुए हैं परंतु स्थायित्व कितनों को मिला है यह
एक विचारणीय प्रश्न है?
ऐसे रियलिटी शो के कारण दूरदर्शन तथा अन्य
चैनल पर आने वाले क्विज कार्यक्रम भी समाप्त हो चुके हैं। भारत को समझने के लिए
भारत की निगाह चाहिए। परंतु रियलिटी शो के मकड़जाल ने बच्चों को इस कदर जकड़ रखा
है कि वह 100 200 गीत गाकर अपने आपको महान गायक मानने लगे हैं। कुछ गायक तो यह समझते हैं
कि वे अमुक महान गायक के विकल्प हैं। वास्तविकता इससे उलट है। मेरा मानना है की
कराओके पर गाना गा लेना श्रेष्ठ गायकी का कोई पैमाना नहीं होना चाहिए। इन दिनों यह
इडियट बॉक्स केवल कॉपी पेस्ट कलाकार पैदा कर रहा है और उन्हें प्रचारित कर रहा है।
जबकि भारत को लता मंगेशकर मोहम्मद रफी किशोर कुमार कुमार गंधर्व पंडित भीमसेन जोशी
जैसे महान कलाकारों की जरूरत है। मुझे अधिकांश बच्चों के अंतिम लक्ष्य की जानकारी
प्राप्त होने महसूस हुआ संगीत कला के ऊपरी हिस्से तक भी यह बच्चे नहीं पहुंच पाए
हैं। आप जानते हैं कि इन दिनों गीतों की उम्र मुश्किल से एक माह से लेकर अधिकतम 12 माह तक होती है। आजकल गीत देखे जाते हैं ना कि सुने जाते हैं। 50
60 के दशकों में जो गीत रचे जाते थे गाए जाते थे वह आज भी जिंदा है।
मुंबई महा नगरी में जहां गीत दिखाने के लिए बनते हैं वहां केवल और केवल संगीत का
व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है। हाल ही में कुछ शो इस फॉर्मेट पर बनाए गए कि लोग
उस चैनल विशेष का ऐप डाउनलोड करें और अपने मनपसंद कलाकार के लिए वोटिंग करें। इसका
सीधा सीधा लाभ केवल चैनल को हासिल होता है। ऐप डाउनलोड होने से टीआरपी में वृद्धि
होती है और आमदनी भी होती है।
मेरे संस्थान की एक बालिका इशिता तिवारी बच्चों
के किसी रियलिटी शो के लिए सेलेक्ट ना हो पाई तो उसने आकर मुझसे अपना दुख व्यक्त
किया। बच्ची ने यह भी कहा कि मैं योग्य नहीं हूं। इस पर मैंने उसे समझाया बेटा
संगीत महान साधना के बिना हासिल नहीं किया
जा सकता। और उसका मूल्यांकन टीवी चैनल कर
भी नहीं सकते। संगीत साधना कठोर तपस्या की तरह ही होती है। पंडित छन्नूलाल मिश्र
की गायकी उस बच्ची को सुना कर मैंने बताया कि- यह उन महान गायकों में से हैं
जिन्होंने अपनी साधारण आवाज को कर्णप्रिय आवाज के रूप में परिवर्तित कर दिया। ऐसे
महान गायक किसी टीवी शो के मोहताज नहीं थे।
हम अपने संस्थान में कॉपी पेस्ट गीत संगीत को
बिल्कुल महत्व नहीं देते। जब इस देश को अच्छे तैयार कलाकारों की जरूरत है तो हम
क्यों ना ऐसी कोशिशें करें जो क्षणिक प्रसिद्धि दिलाने वाली व्यवसायिक मनोरंजन प्रणाली से बच्चों को मुक्त करें।
इन रियलिटी शोज में जिन बच्चों को मौका नहीं
मिलता वह अपने आप को अयोग्य मानने लगते हैं , यहां तक कि उनके अभिभावक भी यही सोचते हैं कि
मेरे बच्चे में प्रतिभा की कमी है? अभिभावक यह विचार करें की
कॉपी पेस्ट करके या नकल उतार के कौन महान कलाकार बन सका है? बस
अगर इतना आप सोचेंगे तो तय है कि आप रियलिटी शो के इस मकड़जाल से बाहर होंगे।
गुरुवार, मई 26, 2022
मूर्ति भंजक आक्रांताओं को दुशासन कहने का समय
यूक्रेन में भारतीय डायस्पोरा को सम्मान मिलता है - अलीशा नैयर
ट्विटर के एक स्पेस पर मेरी मुलाकात यूक्रेन से दिनांक 24 मई 2022 को वापस आई पत्रकार अलीशा नैयर से हुई। अलीशा ने बताया कि यूक्रेन एवं रूस के बीच हो रहे इस युद्ध में भारत के प्रति यूक्रेन के नागरिकों का दृष्टिकोण बेहद सकारात्मक है। अलीशा का मानना है कि भारत द्वारा यूक्रेन को की गई मानवीय सहायता के परिपेक्ष में वहां की जनता जो प्रतिपल मृत्यु को अपने नजदीक आता देख रही है कृतज्ञता व्यक्त करने से नहीं चूकती। अलीशा ने यह भी बताया कि-" यूक्रेन के मेट्रो स्टेशन की स्थिति खचाखच भीड़ से भरी हुई है। यूक्रेन में लोग इतने कष्ट के बावजूद स्वयं को खुश रखने का कोई अवसर नहीं छोड़ते।"
उन्होंने यह भी बताया कि-" अगले पल में क्या होगा कौन जाने? परंतु वह वर्तमान की परिस्थितियों का हम एकजुटता के साथ सामना कर रहे हैं और करते रहेंगे!
अलीशा बताती हैं कि -" सुरक्षित स्थान पर निवास कर रहे लोगों ने आराम करने का समय भी सुनिश्चित कर दिया है। जिसकी नींद पूरी हो जाती है वह अन्य किसी को विश्राम के लिए जगह दे देता है। एक भारतीय रेस्टोरेंट संचालक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि-" रेस्टोरेंट संचालक ने रेस्टोरेंट बंद कर दिया है। अपने परिजनों को दुबई भेज दिया है। और अपनी समूची कमाई वहां बेघर लोगों को मुफ्त में भोजन बांटने में खर्च कर रहे हैं। रेस्टोरेंट संचालक का कहना है- जिस भूमि से मैंने धन कमाया उस भूमि को संकट के समय छोड़कर निकलना हमारे धर्म में नहीं है । मानवता के प्रति भारतीय लोगों का यह भाव निसंदेह सराहनीय और अनुकरणीय भी है।
सामूहिक चर्चा में सम्मिलित लोगों में श्री समीर शर्मा ने पूछा कि क्या असुरक्षा की भावना आपस में द्वंद और तनाव को जन्म दे रही है?
नहीं ऐसा नहीं है संकट के समय में एकजुटता और एकात्म भाव तीव्रता से यूक्रेन में दिखाई दे रहा है।
युद्ध कब खत्म होगा इस प्रश्न के जवाब में अलीशा ने बताया कि-" यूक्रेन के लोग कहते हैं युद्ध कभी भी खत्म हो इसकी अब कोई चिंता नहीं है आखरी सांस तक हम इस युद्ध में अपना योगदान देते रहेंगे।"
चर्चा के दौरान यह भी ज्ञात हुआ कि यूक्रेन की सेना के सैनिक अपने परिवार से मिलने आते हैं उनके साथ प्यार बांटते हैं और फिर चले जाते हैं। यह बहुत मार्मिक दृश्य होता है।
युद्ध की भयावह विभीषिका का कष्ट सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों को होता है। युद्ध चाहे 1 दिन का हो या 18 दिन का या लगातार चलते रहने वाला हो युद्ध जीवन में गहरा असर करता है और यह असर पीढ़ियों तक स्थाई रहता है।
अलीशा सहित उन सभी साहसी और आत्मविश्वास से लबरेज भारतीय पत्रकारों को नमन करना आप भी चाहेंगे जिनके आत्मविश्वास ने भारत को गौरव प्रदान किया है।
गुरुवार, मई 19, 2022
जोगी जी वाह जोगी जी
जोगी जी की कैबिनेट ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं
[ ] नए मदरसों को अनुदान नहीं मिलेगा - परंतु पुरानी अनुदानित मदरसों को अनुदान निरंतर दिया जाता रहेगा। यह एक अच्छी पहल है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में 7000 से अधिक ऐसे मदरसे हैं जिन्हें भारत सरकार से बाकायदा उन्नयन का कार्य करने के लिए सहायता प्राप्त होती रही है और 500 से अधिक मदरसों को वर्तमान में करोड़ों रुपए की राशि अनुदान स्वरूप दी जाती है।
[ ] दूसरा निर्णय बीपीएल और अंत्योदय कार्ड का खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पुनरीक्षण प्रस्ताव। अकेले गाजियाबाद में ऐसे दो हजार से अधिक कार्ड सरेंडर करने में लोग स्वयं आगे आए। गोंडा में भी 5000 का सरेंडर किए गए। सब कुछ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत किया जा रहा है। अब आप सोचेंगे कि लोग इतनी बड़ी संख्या में बीपीएल कार्ड क्यों सरेंडर कर रहे हैं। इसकी वास्तविकता का परीक्षण करने पर पाया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत रुपए दो लाख वार्षिक आय यदि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले की है अथवा रुपए तीन लाख वार्षिक आमदनी वाले को बीपीएल की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। दो पहिया वाहन 100 वर्ग मीटर का प्लॉट कंस्ट्रक्टेड एरिया एसी अथवा कीमती मशीन रखने वालों को बीपीएल की श्रेणी में अथवा अंत्योदय की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इस अधिनियम में अन्य पैरामीटर को देखते हुए योगी कैबिनेट ने जो निर्णय लिया है उससे वास्तविक हितग्राहियों को लाभ मिलेगा किंतु ऐसे हितग्राहियों को वंचित किया जाएगा जिन्होंने ऐसे कार्ड अपने पास अब तक रखे हैं जो बीपीएल या अंत्योदय श्रेणी में आते हैं परंतु मापदंड के अनुरूप व्यक्ति अर्थात राशन कार्ड धारक अपात्र है। इस क्रम में उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने यह निर्णय लिया कि-" स्वेच्छा से बीपीएल कार्ड या अंत्योदय कार्ड जमा करने वाले पात्र हितग्राहियों पर किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं होगी किंतु जो लोग अपात्र होने के बावजूद कार्ड अवैध रूप से लाभ लेंगे उनसे बाकायदा वसूली बाजार दर पर की जावेगी।
सरकार के उपरोक्त आदेश बकायदा गांव गांव मुनादी करा कर कार्ड वापस करने की सूचना प्राप्त होते ही आपात हितग्राहियों ने खाद्य विभाग के ऑफिस में लाइन लगाकर कार्ड सरेंडर किए। उधर सरकार ने लगभग इस श्रेणी के 160000 नए राशन कार्ड सुपात्र हितग्राहियों के लिए जारी किए हैं। प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर 90% लोगों ने प्रसन्नता से अपने कार्ड जमा कर दिए। परंतु एक विशेष वर्ग के व्यक्ति ने इसका कारण यह बताया। अब तो आप कहेंगे जोगी जी वाह जोगी जी
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