ट्विटर के एक स्पेस पर मेरी मुलाकात यूक्रेन से दिनांक 24 मई 2022 को वापस आई पत्रकार अलीशा नैयर से हुई। अलीशा ने बताया कि यूक्रेन एवं रूस के बीच हो रहे इस युद्ध में भारत के प्रति यूक्रेन के नागरिकों का दृष्टिकोण बेहद सकारात्मक है। अलीशा का मानना है कि भारत द्वारा यूक्रेन को की गई मानवीय सहायता के परिपेक्ष में वहां की जनता जो प्रतिपल मृत्यु को अपने नजदीक आता देख रही है कृतज्ञता व्यक्त करने से नहीं चूकती। अलीशा ने यह भी बताया कि-" यूक्रेन के मेट्रो स्टेशन की स्थिति खचाखच भीड़ से भरी हुई है। यूक्रेन में लोग इतने कष्ट के बावजूद स्वयं को खुश रखने का कोई अवसर नहीं छोड़ते।"
उन्होंने यह भी बताया कि-" अगले पल में क्या होगा कौन जाने? परंतु वह वर्तमान की परिस्थितियों का हम एकजुटता के साथ सामना कर रहे हैं और करते रहेंगे!
अलीशा बताती हैं कि -" सुरक्षित स्थान पर निवास कर रहे लोगों ने आराम करने का समय भी सुनिश्चित कर दिया है। जिसकी नींद पूरी हो जाती है वह अन्य किसी को विश्राम के लिए जगह दे देता है। एक भारतीय रेस्टोरेंट संचालक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि-" रेस्टोरेंट संचालक ने रेस्टोरेंट बंद कर दिया है। अपने परिजनों को दुबई भेज दिया है। और अपनी समूची कमाई वहां बेघर लोगों को मुफ्त में भोजन बांटने में खर्च कर रहे हैं। रेस्टोरेंट संचालक का कहना है- जिस भूमि से मैंने धन कमाया उस भूमि को संकट के समय छोड़कर निकलना हमारे धर्म में नहीं है । मानवता के प्रति भारतीय लोगों का यह भाव निसंदेह सराहनीय और अनुकरणीय भी है।
सामूहिक चर्चा में सम्मिलित लोगों में श्री समीर शर्मा ने पूछा कि क्या असुरक्षा की भावना आपस में द्वंद और तनाव को जन्म दे रही है?
नहीं ऐसा नहीं है संकट के समय में एकजुटता और एकात्म भाव तीव्रता से यूक्रेन में दिखाई दे रहा है।
युद्ध कब खत्म होगा इस प्रश्न के जवाब में अलीशा ने बताया कि-" यूक्रेन के लोग कहते हैं युद्ध कभी भी खत्म हो इसकी अब कोई चिंता नहीं है आखरी सांस तक हम इस युद्ध में अपना योगदान देते रहेंगे।"
चर्चा के दौरान यह भी ज्ञात हुआ कि यूक्रेन की सेना के सैनिक अपने परिवार से मिलने आते हैं उनके साथ प्यार बांटते हैं और फिर चले जाते हैं। यह बहुत मार्मिक दृश्य होता है।
युद्ध की भयावह विभीषिका का कष्ट सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चों को होता है। युद्ध चाहे 1 दिन का हो या 18 दिन का या लगातार चलते रहने वाला हो युद्ध जीवन में गहरा असर करता है और यह असर पीढ़ियों तक स्थाई रहता है।
अलीशा सहित उन सभी साहसी और आत्मविश्वास से लबरेज भारतीय पत्रकारों को नमन करना आप भी चाहेंगे जिनके आत्मविश्वास ने भारत को गौरव प्रदान किया है।