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बुधवार, फ़रवरी 01, 2012

मिस्र में चुनावी धोखाधडी की अवहेलना ना की जाये


डैनियल
पाइप्स



जब 23 जनवरी को मिस्र के निचले सदन की बैठक हुई तो कुल 498 सीटों में 360 सीटें इस्लामवादियों के पास थीं और कुल 72 प्रतिशत मत सहित। यह आश्चर्यजनक आँकडा देश के लोकप्रिय मत से अधिक सत्तारूढ सैन्य नेतृत्व द्वारा सत्ता में बने रहने की हेराफेरी को अधिक व्यक्त करता है।
जैसा कि 6 दिसम्बर के लेख मिस्र के चुनाव का छलावा में हमने तर्क दिया था कि जिस प्रकार अनवर अल सादात और होस्नी मुबारक ने पूर्व में, " नीतिगत ढंग से इस्लामवादियों को सशक्त किया ताकि पश्चिम से सशस्त्र और धन का सहयोग प्राप्त किया जा सके वही नीति मोहम्मद तंतावी और उनकी सुप्रीम काउंसिल आफ द आर्म्ड फोर्सेस ने अपनायी है और वही पुराना खेल जारी रखा है" ।
इस दावे के समर्थन में हमने तीन साक्ष्य रखे थे: (1) स्थानीय आधार पर चुनावी धोखाधडी; (2) सुप्रीम काउंसिल आफ द आर्म्ड फोर्सेस द्वारा इस्लामवादियों के साथ की गयी सौदेबाजी और (3) सेना द्वारा इस्लामवादियों के राजनीतिक दलों को छूट या सब्सिडी दिया जाना। सात सप्ताह के पश्चात कहीं व्यापक स्तर पर धोखाधडी के अनेक संकेत सामने आ रहे हैं।
मिस्र के अग्रणी शास्त्रीय उदारवादी राजनीतिक दल फ्री इजिप्टियन्श पार्टी ने 10 जनवरी को घोषणा की कि उसने निचले सदन के चुनाव को लेकर कुल 500 शिकायतें दर्ज कराई थीं लेकिन उसके प्रत्युत्तर में कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं हुई। इस राजनीतिक दल ने आगे होने वाले ऊपरी सदन के निर्वाचन में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है क्योंकि , " कानून का उल्ल्घंन करने वालों को पुरस्कृत किया गया और जो कानून का पालन करने वाले थे उन्हें दंडित किया गया और यह कहकर उसने अपने नामाँकन वापस ले लिये।
अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के पूर्व महानिदेशक मोहम्मद अल बरदेयी ने निर्वाचन में सम्भावित धाँधली के चलते 14 जनवरी को राष्ट्रपति पद की दौड से स्वयं को हटा लिया। उन्होंने घोषणा की कि, " मेरी आत्मा मुझे इस बात की अनुमति नहीं देती कि जब तक पूरी तरह लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होती तब तक राष्ट्रपति या अन्य किसी आधिकारिक पद के लिये चुनाव लडूँ" ।
10 जनवरी के अपने अंक में El-Badil ने रिपोर्ट प्रकाशित की है कि छह संसदीय प्रत्याशियों ने अनेक अधिकारियों के विरुद्ध शिकायतें कीं और माँग भी की कि चुनावों को रद्द कर उन्हें फिर से सम्पादित कराया जाये । वफ्द दल के प्रत्याशी इब्राहिम कामिल ने बताया कि उन्हें सरकारी दस्तावेज मिला जिससे यह पता चलता है कि मिस्र में 4 करोड से भी कम मतदाता मतदान के योग्य है जबकि हाल के निर्वाचन में 5.2 करोड मतदाताओं ने भाग लिया इसमें अंतर्निहित है कि 1.2 करोड मतपत्र फर्जी थे। उनके अनुसार इस बढत को प्राप्त करने के लिये सही मतदाताओं के नाम और और मतदाता संख्या लेकर उन्हें अन्य निर्वाचन स्थानों पर 2 से 32 बार तक मिलाकर फर्जीवाडा किया गया।
एक गैर सरकारी संस्थान इजिप्टियन नेशनल काउंसिल के प्रमुख ममदूह हमजा ने El-Badil में प्रकाशित निर्वाचन प्रकिया में छेडछाड की बात को दुहराते हुए कहा , " मिस्र के इतिहास में सबसे बडा धोखा है" उन्होंने माँग की कि निचले सदन के चुनाव फिर से आरम्भ से कराये जायें।
इसके ठीक विपरीत विजेता इस्लामवादियों ने जिन्होंने कि लोकतंत्र की अवमानना की है उन्होंने इस तथ्य को छुपाने का बिलकुल भी प्रयास नहीं किया कि उनकी निर्वाचन सफलता धोखे से प्राप्त हुई है। उनमें से तो अनेक गर्व से और बिना ग्लानि के इस बात का दावा कर रहे हैं कि बेईमान होना तो उनका इस्लामी कर्तव्य है। एक अग्रणी सलाफी तलत ज़हरान ने लोकतांत्रिक प्रणाली को " काफिर" , " आपराधिक" और [Protocols of theElders of Zion." से निकला हुआ बताया । उन्होंने सनकपूर्वक माना कि, " निर्वाचन प्रकिया में धाँधली करना उनका कर्तव्य है और ईश्वर इसके लिये उन्हें पुरस्कृत करेगा" ।
रहस्योद्घाटन करते हुए ज़हरान ने तंतावी की प्रशंसा की, " जैसा कि हमने मुबारक को bay'a [ इस्लाम के प्रति निष्ठा की शपथ ] दियाउसी प्रकार हम एससीएएफ का समर्थन करेंगे। यदि तंतावी सत्ता में बने रहने का निर्णय लेते हैं तो हम मरते समय तक उनका समर्थन करेंगे। इस बात के संकेत भी मिल रहे हैं कि इस्लामवादी और सेना कुछ मुद्दों पर जैसे कि सेना की स्वायत्ता और 1971 के संविधान में परिवर्तन को लेकर साथ साथ कार्य कर रहे हैं। उनके साथ कार्य करने का कारण भी है क्योंकि इस्लामवादी मुस्लिम एकता चाहते हैं ताकि वे काफिर शत्रुओं ( विशेष रूप से यहूदी और ईसाई) पर पूरा ध्यान दे सकें।
हमें इस बात पर आश्चर्य होता है कि धाँधली के इतने साक्ष्यों के बात भी पश्चिमी राजनेता, पत्रकार और विद्वान मिस्र में अभी सम्पन्न हुए चुनावों के दयनीय परिणामों को लोकमत की वास्तविक अभिव्यक्ति मानते हैं। आखिर वे सनकी पत्रकार कहाँ हैं जो कि इस बात पर शंका व्यक्त करें कि अचानक अस्तित्व में न रहने वाले सलाफी 28 प्रतिशत मत प्राप्त कर लेते हैं? आखिर वे विश्लेषक कहाँ हैं जिन्हें कि रूस और सीरिया में चुनावों की धाँधली तो दिखती है और सहन नहीं होती लेकिन " मिस्र के इतिहास की सबसे बडी धाँधली" में वे कमजोर पड जाते हैं? शायद ऐसा इसलिये है कि काइरो ने पिछले 40 वर्षों से पश्चिमी शक्तियों के साथ सहयोग किया है या फिर शायद इसलिये कि तंतावी बडी सफाई से धाँधली कर ले गये।
एससीएएफ ने जिस प्रकार स्पष्ट रूप से इन चुनाव परिणामों की अवहेलना की है उससे हमें भी आश्चर्य है कि विश्लेषक इस बात की अपेक्षा कर रहे हैं कि इसका देश के भविष्य पर प्रभाव होगा। वास्तव में एससीएएफ ने इन चुनावों में अपने लाभ के लिये हेराफेरी की है , इस्लामवादी तो इस पूरे नाटक में प्रयोग किये जा रहे हैं और उनकी स्थिति बन्धक की है जिसके आधार पर सौदेबाजी हो सके वे असली राजा नहीं है। हम एक वैचारिक क्रांति के साक्षी नहीं बन रहे हैं वरन सैन्य अधिकारी आत्यंतिक शासन के मधुर फल का आनंद लेते हुए अब भी प्रभावी भूमिका में हैं।


मौलिक अंग्रेजी सामग्री: Don't Ignore Electoral Fraud in Egypt
हिन्दी अनुवाद - अमिताभ त्रिपाठी
 आज इस गीत के साथ एक नई शुरूआत...

सोमवार, जनवरी 30, 2012

ऐसे मनाई नर्मदा जयंती : कोलावरी डी....झुमका गिरा रे...पे थिरकते बच्चे चीयर अप करते अभिभावक


तिलवारा पुल के नीचे : बच्चे रेवा के आंचल में
लहरों के पल्लू उपहार ले आते हैं  
नेमावर वाले बच्चे रेवा तट से पन्नी कचरा
बीन बीन के जला देते हैं  
                               कल मन काफ़ी उत्साहित था नार्मदेय ब्राह्मण जो हूं. डा.संध्या जैन "श्रुति" के नर्मदा-महाकाव्य के विमोचन समारोह में मैंने संचालन के दौरान  मैने गर्व से कहा था कि नार्मदेय ब्राह्मण हूं मुझे नर्मदा महाकाव्य के विमोचन का अवसर मिला अभिभूत हूं मुझ पर मां नर्मदा की विशेष कृपा हुई है.. और दूसरे ही दिन यानी 30 जनवरी 2012 की अल्ल सुबह    मां नर्मदा के तट पर आयोजित होने वाले समारोह में जाकर स्वजातीय बंधुऒं से मिलूंगा गया भी तिलवारा तक वहां जाकर पता चला कि आयोजन स्थल बदल गया है.  घर से निकलते वक़्त धर्म-पत्नि से घर पे आने वाली सूचनाऒं को बिना प्राप्त किये निकलने से नुक़सान ही होता है. पर एक लाभ हुआ कि नर्मदा-दर्शन हो गए. सामाजिक कारोबार में सरकारी लोग कुछ इसी तरह अज्ञानी   होते हैं..जैसा कि मैं.. !  बहरहाल लौटना था सो लौटा और कुछ देर पश्चात समाज द्वारा नर्मदा जयंति के अवसर पर हो  रहे धार्मिक आयोजन में जाकर देखा तो मंजर ही अजीब था.. वहां सांस्कृतिक-कार्यक्रमों की प्रस्तुति हो रही थी. नन्हे मुन्ने बच्चे कोलावरी डी, झुमका गिरा रे जैसे गीतों पर ठुमके लगा रहे थे. ठुमके तो और भी लगे हिंदी फ़िल्मी गीतों के रीमिक्स पर.. दादा दादी ताऊ जी बाप-मां सब चीयर अप कर रहे थे..मां नर्मदा की कृपा ये रही कि मेरे स्वजातीय बंधुओं के बच्चों ने "हैप्पी-बर्थडे टू नर्मदा नहीं कहा और न ही बेचारे विप्र आयोजकों ने मैया के लिये केक न काटा..!!
          

डा. विजय तिवारी किसलय कृत नर्मदा स्तुति :नित नमन मां नर्मदे

शनिवार, जनवरी 28, 2012

डा० संध्या जैन “श्रुति” कृत नर्मदा-महाकाव्य का विमोचन


       
श्रीमति संध्या जैन “श्रुति” कृत कृत नर्मदा-महाकाव्य का विमोचन पूर्व केंद्रीय मंत्री  प्रहलाद पटेल के मुख्य आतिथ्य में तथा पंडित श्रीयुत  शिव कुमार मिश्र (अपर महाप्रबंधक व्ही एफ़ जे. )  की अध्यक्षता में स्थानीय मानस भवन प्रेक्षागार में दिनांक 29 जनवरी 2012 को किया जावेगा. समारोह के विशिष्ठ अतिथि  महापौर  श्री प्रभात साहू श्री भागीरथ कुमरावत (भोपाल) श्री राजेश माहेश्वरी होंगे वक्ता के रूप में पं..श्री द्वारका नाथ शुक्ल शास्त्री. आचार्य भगवत दुबे .श्री के एल नेमा,आर. एन विश्वे आमंत्रित हैं.
                 इस अवसर आयोजक संस्थाओं द्वारा डा० श्रुति की मातुश्री  श्रीमति कमला जैन, साहित्यकार श्री मणि मुकुल, एवम श्री अंशलाल पंद्रे जी को सम्मानित किया जावेगा.
        राष्ट्र पति पुरस्कार प्राप्त लेखिका एवम कवयत्रि डा० श्रुति को “सव्यसाची” अलंकरण , एवम   श्री चंद्रकात जैन को भी सम्मानित किया जावेगा.

युवक का सिर काटा और लेकर पहुंच गई थाने

Deshbandhuजबलपुर !  जिला मुख्यालय से करीब 45 किलो मीटर दूर मझौली के एक गांव में एक महिला ने अपनी आबरू बचाने के लिए एक युवक की सिर को कुल्हाड़ी से काट धड़ से अलग कर दिया और सिर को बोरी में भरकर बहोरीबंद थाने पहुंचे गई। बोरी में मानव मुण्ड देख पुलिस कर्मी सकते में आ गए। बहोरीबंद पुलिस ने तत्काल महिला और सिर को लेकर मझौली थाने पहुंचे क्योंकि मामला मझौली थाना क्षेत्र का था। महिला का पति पहले से ही जेल में बंद है। उधर इस घटना के बाद से गांव में सनसनी व्याप्त है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मझौली के आमोदा गांव में श्रीराम सेन अपनी पत्नी बच्चों के साथ रहता था। कुछ दिन पहले श्रीराम सेन  चोरी के एक मामले में पकड़ा गया और पुलिस ने उसे दमोह जेल भेज दिया। पति के जेल जाने के बाद  राजकुमारी सेन 35 वर्ष गांव में ही मेहनत मजदूरी करके घर चलाने लगी। बताया गया है कि ग्राम अमोदा के करीब पीडब्लूडी का कोई निर्माण कार्य चल रहा है। राजकुमारी यहां मजदूरी कर रही थी। कुछ दिनों से गांव का ही रहने वाला श्यामलाल यादव 38 वर्ष राजकुमारी को परेशान कर रहा था। यह बात कई लोगों को पता थी। आज दोपहर 3 बजे श्यामलाल यादव ने राजकुमारी के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया तो राजकुमारी अपनी आबरू बचाने के लिए कुछ दूर भागी इस दौरान उसे सड़क किनारे पड़ी एक कुल्हाड़ी मिल गई। बताते है राजकुमारी ने कुल्हाडी उठाई और उसे पकड़ने आ रहे श्याम लाल पर हमला कर दिया पहले ही हमले में श्यालाल लड़खड़ा गया और मौका मिलते ही राजकुमारी ने श्यामलाल के ऊपर कई वार कर दिए। इससे श्याम लाल की मौत हो गई। उसके बादे राजकुमारी ने उसके गले पर हमला करके सिर को धड़ से अलग कर दिया और एक बोरी में सिर लेकर बहोरीबंद थाने पहुंच गई। बोरी के अंदर मानव सिर देख पुलिस कर्मी घबरा गए और महिला सहित नर मुण्ड को लेकर मझौली थाने पहुंचे। यहां राजकुमारी सेन ने अपने बयान में बताया कि श्यामलाल यादव उसके पति के जेल जाने के बाद उसके साथ 3 बार दुष्कर्म कर चुका था। आज फिर श्यामलाल ने उसके साथ दुष्कर्ष की कोशिश की तो उसने कुल्हाड़ी से वार कर उसकी हत्या करने के बाद उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। राजकुमारी से रक्त रंजित कुल्हाड़ी, सिर और खून से सनी साड़ी आदि पुलिस ने बरामद कर ली है।

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