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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तरकांड और कुमार विश्वास की जबरदस्त अभिव्यक्ति

👌🏻👌🏻👏🏻🕉️💐👌🏻👌🏻👏🏻🕉️💐  कुमार विश्वास कि इस अभिव्यक्ति से से पूरी तरह सहमत हूं...! मैं यहां तक सहमत हूं की बहुत सारी चीजें पोट्रेट की गई है राम के खिलाफ। और उसे मुखर होकर अभिव्यक्त भी किया गया है जो इस संस्कृति का दुर्भाग्य है। मेरा मानना है कि राम एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी है जो है तो मानव किंतु देवांश है। यह तो देवांश हम सब है अद्वैत मत को अगर आपने पढ़ा है तो देवांश है। यह कथानक बहुत जटिल नहीं है। कथानक बहुत सहज और सरल है। यह कथानक इसलिए भी अत्यधिक लोकप्रिय है क्योंकि हमारा नायक राम है करुणानिधान राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम। दुर्भाग्य यह है कि किसी को भी नेगेटिव पोट्रेट करने की युग युग से परंपरा रही है। *कुमार अध्ययन शील व्यक्ति हैं* लेकिन सिर्फ अध्ययन शील ही नहीं मर्म को समझते हैं इसमें कोई शक नहीं कि वे यह जान चुके हैं कि कोई किसी को भी कुछ भी पोट्रेट कर सकता है। भारत एक असहिष्णु सनातन प्रणाली पर आधारित व्यवस्था है। उससे अफवाह फैलाने वाले और झूठी चुगली करके वातावरण निर्मित करने वाले आहत लोगों को बल भी मिला है। राम के बारे में एक स्पष्ट तथ्य यह है कि वे किसी भी ह

अत्यधिक लोकेषणा के शिकार हैं हम

सूचना क्रांति के युग में हम सब लोकेशणा के अत्यधिक शिकार हो गए हैं।   गलती हमारी नहीं है।   गलती हमारी तब मानी जाती जबकि हम बुद्धि का इस्तेमाल बुद्धि के होते हुए ना कर पाते। इस पंक्ति का अर्थ स्वयं ही  निकलता जाएगा... आलेख में आ गई पढ़ते जाइए और आईने में खुद को निहारिए। हम अपना चेहरा देखकर खुद डर जाएंगे।    पूज्य गुरुदेव स्वामी श्रद्धानंद कहते थे नाटक बनो मत इससे उलट हम नाटक बन जाते हैं। एक अंगुली दुख समीक्षा ग्रंथ सी यह हमारी वृत्ति है। इसका एक दूसरा स्वरूप भी है हम जरा सा करते हैं और उसे बहुत बड़ा प्रचारित करने की कोशिश करते हैं। बहुत सारे फोटो आते हैं पत्रकारों के पास  यह अच्छे-अच्छे फोटो आते हैं । इन फोटो में लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंस का पालन किए बिना फोटो के एंगल पर विशेष ध्यान दिया जाता है। कभी-कभी तो पीछे से फोन दिया जाता है भैया नाम वाम देख लेना ज़रा ? ईश्वर की आराधना का डॉक्यूमेंटेशन कुछ लोग ऑनलाइन होकर कथित तौर पर अपनी साधना का विज्ञापन दे रहे हैं इतना ही नहीं उसकी विज्ञप्ति बनाकर भी भेज रहे हैं। प्रेस के पास जगह है छाप भी रहा है। यह प्रेरक गतिविधि नहीं है यह आत्मा प

रहस्यमई जबलपुर शहर : भयंकर आपदा में भी सुरक्षित रहता है

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मग्गा बाबा और स्वामी शिवदत्त जी महाराज गोसलपुर वाले ओशो के शब्दों में मग्गा बाबा की कहानी मुझे याद आ गई तो सोचा क्यों ना ऐसे ही रीड कर लिया जाए। मैं मग्गा बाबा वाला किस्सा पढ़ रहा था तब मुझे सारे शरीर में शहर अंशी हो रही थी रोंगटे भी खड़े हुए। और मुझे एहसास हो गया कि इस शहर को ध्वस्त होने से बचाने वाले 2 लोग हैं एक मशीन वाले बाबा जिन्होंने जबलपुर को भूकंप से बचाया अपने सीने पर लिया वह कष्ट। और उससे कई वर्ष पूर्व मग्गा बाबा थे । मशीन वाले बाबा को तो आप सब जानते ही हैं। पर मग्गा बाबा को जानने के लिए खुद आचार्य रजनीश को आना पड़ता था। यह तो मग्गा बाबा और आचार्य रजनीश के बीच के आध्यात्मिक अंतर्संबंध की बात है और दोनों खगो की भाषा वे दोनों ही जानते थे । आचार्य रजनीश ओशो पद धारण करने के बाद बताया कि मग्गा बाबा कोई और नहीं मोजेज थे ? यह वह दो विभूतियां हैं जो जबलपुर को सुरक्षित रखें हुए हैं अब तक। 3 ओर से पर्वतों से घिरा हुआ शहर जैसा डॉ प्रशांत कौरव ने बताया आग्नेय कोण पर अवस्थित है इस शहर को कोई नहीं तोड़ सकता इसका नुकसान उतना नहीं होगा जितना की अन्य शहरों में हुआ है। आप देख रहे हो

जिओ के साथ फेसबुक के आने का रहस्य

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जिओ फेसबुक फ्रेंडशिप पृथ्वी दिवस के अवसर पर अचानक की खबर आती है कि फेसबुक ने मात्र 9.99 प्रतिशत ठेकेदारी के लिए एक बड़ी रकम जिओ को सौंप दी है . . ? इसके कई राजनीतिक एवं अन्य मायने निकाले जा रहे हैं। जब गंभीरता से पर विचार किया और परिस्थितियों का अवलोकन किया तो पता चलता है कि फेसबुक ने एक और चैट सर्विस से पहले हाथ मिला लिया...और वह सर्विस है हमारी सर्वाधिक लोकप्रिय सर्विस व्हाट्सएप . उधर 22 अप्रैल 2020 को फेसबुक ने जिओ को 43,574 करोड़ रुपए देखकर अपनी रिश्तेदारी पक्की कर ली है । बाकी सारे आंकड़े आपने अखबार में पढ़ ही लिए हैं उस पर ज्यादा विचार करना या उसे यहां पुनः लिखना अर्थहीन है। पर हम आपको बता दें कि यह एक ऐसी ट्रिनिटी संधि है जिसमें सब एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलेंगे। फेसबुक जिओ और व्हाट्सएप। यहां तक तो बात बिल्कुल साफ है कि ऐसा अक्सर व्यवसाय में चलता है , यह नई बात तो है नहीं। पर इसमें नया एंगल क्या है ऐसा फेसबुक ने क्यों किया ? यही सवाल सोच रहे हैं ना आप । तो समझिए के अब फेसबुक एक तरह से किसी ऐसे व्यवसाय में कूदना चाहता है जो उसे आने वाले समय में एक विकल्प के रूप में खड़ा

उत्तरकांड दोहा 120 से 121 का वायरल टेस्ट : संजय राजपूत

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यह आलेख श्री संजय सिंह राजपूत गंभीर अध्ययन कर्ता हैं । श्री संजय राज्य ग्रामीण संस्थान जबलपुर में संकाय सदस्य के रूप में कार्यरत हैं और रचनात्मक लेखन उनकी विशेषता है। सोशल मीडिया पर वायरल उत्तरकांड के दोहा क्रमांक 120 से लेकर 121 तक को कुछ अध्ययन शील लोगों ने फोटो लगाकर इस कदर वायरल किया महात्मा तुलसीदास ने कोरोना वायरस चमगादड़ का जिक्र उत्तरकांड में उपरोक्त दोहों में कर दिया है । उत्तरकांड में चौपाइयां और दोहे सोरठे सरल तरीके से लिखे गए हैं जिनका अर्थ आसानी से लगाया जा सकता है परंतु हमारे बुद्धिमान पढ़े लिखे लोग भी इसे अनावश्यक वायरल करने से बाज नहीं आए। संजय जी ने इसका विश्लेषण कर मुझे भेजा है। कृपया पढ़िए और जानिए क्या लिखा है उत्तरकांड में  रामचरित मानस के उत्तर काण्ड में ‘‘चमगादड़ और कफ आदि बीमारी’’ का व्हाट्सएप संदेश पर विचार-मंथन (गोस्वामी तुलसीदास रचित -रामचरित मानस, उत्तर काण्ड, दोहा नम्बर 120-121 के विशेष संदर्भ में) विचार मंथन: डाॅ. संजय कुमार राजपूत, संकाय सदस्य महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान-मध्यप्रदेश,  अधारताल, जबलपुर पूरी दुनिया में कोरोना (COVID

पालघर पर टिप्पणी मत करो सवाल के उत्तर देदो

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इस आर्टिकल को किसी भी स्थिति में सांप्रदायिक नजरिए से पढ़ने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह आर्टिकल केवल लचर प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डाल रहा है। लल्लनटॉप के इस प्रसारण को देखें जिसमें स्थिति बेहतर स्पष्ट रुप से विश्वास करने योग्य है जिसमें उन्होंने आवश्यकता को रेखांकित किया है। इस रिपोर्ट में सौरभ द्विवेदी साफ तौर पर कहते हैं कि उस स्थान पर रहने वाले लोग उग्र थे कारण था उस क्षेत्र में बच्चोंं का अपहरण हो जाना। वहां के निवासियोंं द्वारा जन रक्षक समिति बनाकर अनजान लोगों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने एक डॉक्टर और पुलिस को भी लिंचिंग का टारगेट बनाया। स्पष्टट है कि पल भर के पुलिस प्रशासन ने 8 दिन सेे चली आ रही कथित परिस्थिति पर कोई फुलप्रूफ कार्यक्रम तैयार नहीं किया। और यह घटना हो गई। इस आलेख का यह आशय कदापिि नहीं की हम किसी संप्रदाय बिंदु को यहां प्रमुखता दे रहे हैं हमारे प्रश्न है कि सोशल मीडिया के रिस्पांस बिल ठेकेदार खासतौर पल-पल में ट्वीट करने वाली सेलिब्रिटी जो आधी रोटी में दाल लेकर उच्च करना शुरू कर देते हैं ने महाराष्ट्र सरकार को क्या क्या और कै

"रघुवीर यादव : जबलपुर से मुंबई वाया ललितपुर...!"

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रेलवे कॉलोनी के बंगले में मेरे मित्र संजय परौहा बाहर से ही आवाज लगाई और कहां तुरंत चले आओ रजत मयूर लेकर रघुवीर यादव आने वाले और हम एक आर्टिकल तैयार करते हैं देशबंधु के लिए 1985-86 की यह बात है ! फिल्म मेसी साहब के लिए यादव को रजत मयूर मिला। सुबह का 9:00 बजा था और हम दोनों मित्र रेलवे स्टेशन वाले हमारे बंगले से कुछ कर गए रघुवीर यादव से मिलने इंटरव्यू लेने। उन दिनों देशबंधु दिन में निकलने लगा था। सुरजन परिवार द्वारा प्रबंधित यह अखबार एक खास पर्व जिसे आप इंटेलेक्चुअल्स कह सकते हैं के बीच बहुत लोकप्रिय था । संजय के साथ जाकर हमने रघुवीर यादव का इंटरव्यू लिया। एक तस्वीर हम दोनों की हाथ में रजत मयूर छू कर देखा था हमने जबलपुर के लिए एक गरिमा में बात थी जबलपुर का एक भगोड़ा लड़का भागकर वापस आया तू उसके हाथ में एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। रघुवीर जी के नाना के स्कूल में वे अपनी गुरुजी प्रिंसिपल रासबिहारी पांडे जी से मिलने आए थे। बहुत थके थके थे किंतु उत्साह उमंग और खुशियां उस शॉर्ट हाईटेड इंसान को एफिल टावर का एहसास दे रही थी । कम से कम हमने तो यही महसूस किया। अकेले नहीं थे पूर्णिमा भी थीं उनके स

भारत में विदेशी पूंजीगत निवेश मैं सतर्कता के संकेत

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भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना वायरस संक्रमण परिस्थिति के दौरान कठिनाइयों का आना स्वभाविक है। परंतु वर्तमान में ऐसा कुछ बहुत स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई दे रहा... दक्षिण एशियाई देशों भारत की सीमा से लगे देश अथवा विशेष रुप से कोरोना वायरस संक्रमण जैसी आपदाओं का लाभ उठाने वाली अवसरवादी आर्थिक व्यवस्था द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में सीधे दखलअंदाजी कर सकती है। भारतीय कंपनियों के माध्यम से अगर कोई कष्टप्रद निवेश हो सकता है तो वह होगा चाइना द्वारा। लेकिन वित्त मंत्रालय निश्चित रूप से इस पर सतर्कता बरतेगा ऐसा अर्थशास्त्रियों का मानना है। आज भारत सरकार ने एक पत्र जारी कर एफडीआई निवेश पर अर्थात विदेशी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के तहत 10% से अधिक निवेश को सरकारी अनुमति के बिना अनुमति नहीं दिए जाने की भी सूचना वित्त मंत्रालय से प्राप्त हो रही है। जय सूचना होते ही लागू हो जाएगी इससे भारतीय कंपनियां चाइना जैसी अवसरवादी अर्थव्यवस्था से प्रभावित रहेगी। आप जानते हैं कि चीन ने अमेरिका की इस पर पकड़ ना रखने वाली पॉलिसी का लाभ उठाकर कई अमेरिकी कंपनीस पर अपना प्रभाव जमाने की पूरी तैयारी कमरकस के क

चार लोग क्या कहेंगे

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तलाशते उम्र की आधी शताब्दी गुजर गई है। इन 4 लोगों की अपने देश काल परिस्थिति के आधार पर 4 नाम होंगे चारों की चार अपनी अपनी पहचान होगी। पर यह चार ना आज तक मिले न मिलेंगे और ना ही मिलने की संभावना है। और कोरोना वायरस पैडमिक सिचुएशन में तो इन चारों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही पड़ेगा यह चार लोग क्या कहते हैं इसका बात का  हमको  तो बढ़ा डर था और है भी। चलो छत पर थोड़ा टहलो  पड़ोस में रहने वाले लोगों से हेलो बोलो और कोई उटपटांग बात मत करना फर्जी खबर मत फैलाना। यह मैं इसलिए कह रहा हूं अगर आप गलत निकले तो बताओ चार लोग क्या कहेंगे 😊😊😊

बने किचिन किंग पत्नी से चार गुना प्यार पाए

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सुप्रभात मित्रों #कोरोना #लॉक_अवधि अब 30 अप्रैल 2020 तक बढ़ना है । 21 दिन का यह अनुभव आपके जीवन में निश्चित एक बेहतरीन परिवर्तन लेकर आया है। आपको किस तरह अपनी परिवार की मदद करनी चाहिए और किन-किन मुद्दों पर आपको परिवार के साथ में बैठकर चर्चा करनी चाहिए यह सब आपने सीख लिया है। फिर भी एक बार जो अनुभव मैंने किया वह आपके साथ शेयर कर रहा हूं। मित्रों सबसे बढ़िया बात तो यह है 21 दिन के इस लॉक डाउन मुझे घर को समझने का एक और अवसर मिला। यहां एक खूबसूरत बात यह हुई मैंने यह जाना कि - "हम पुरुष के रूप में कहां कहां अपने दायित्वों को भूल जाते हैं भले ही वह हमारे कार्य का दबाव हो या हमारा पुरुषोचित अभिमान", क्योंकि हम यह भूल जाते हैं कि हम हैं केवल उपभोक्ता घर में आकर हमें हर चीज हर काम हमारी इच्छा अनुसार होना चाहिए। यहां महिलाओं की भी एक त्रुटि है कि वे स्वयं को हमारी इस धारणा के लिए अनुकूल बना लेती हैं। हमारा यही दंभ हमारे लिए घातक हो जाता है और हम इस बात के लिए भी कभी तैयार नहीं होते यदि घर में एक ऐसी विषम परिस्थिति आ जाए कि हमें भोजन बनाना हो, हम परेशान से हो जाते है। और फिर एप्स या

भारत में कोरोना संक्रमण : मज़दूरों पर प्रभाव

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किसी भी स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था बेहद नकारात्मक परिणाम नहीं दिखा सकती। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के संबंध में स्मरण करें। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले 6 माह में भारत के 40 करोड लोग बेरोजगारी का शिकार हो जाएंगे। मेरे पिछले आलेख में स्पष्ट कर दिया गया था कि भारत पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के  अनुकूल उतना  प्रभाव नहीं पड़ेगा जितना कि उक्त रिपोर्ट में दर्शाया गया है ।    मेरे ऑब्जरवेशन अनुसार भारत की 20 करोड़ आबादी को अगले 3 से 4 महीने तक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। आई एल ओ ने नौकरियां कम होने संबंधी जो आशंका व्यक्त की थी वह बिल्कुल स्वभाविक और लगभग सटीक कही जा सकती है। जबकि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को इसका कोई जबरदस्त असर पड़ने वाला है ऐसा बिल्कुल नहीं है। बल्कि यह आंशिक सत्य है। भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली वर्कफोर्स के संबंध में आईएलओ का विश्लेषण केवल एक नजीबी नक्शे की तरह है। खेतिहर भूमि हर मजदूर घरेलू नौकर चाय बागानों में काम करने वाले कृषि कार्यों के ट्रेडिंग से जुड़े व्यवसायियों के साथ काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के मज

क्या 40 करोड़ लोग जा सकतें है आय के निचले स्तर पर...?

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कोरोनावायरस संक्रमण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यह जानकारी विश्व श्रम संगठन जिसे इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन भी कहा जाता है जिसका प्रधान कार्यालय जिनेवा स्विट्जरलैंड में स्थित है द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे अगले 6 माह में ही बेहद नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। विश्वव्यापी लॉक डाउन के स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसका यह आशय नहीं है की लॉक डाउन से नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है बल्कि यह है कि जीवन बचाने के लिए विश्व की सरकारों द्वारा किया जा रहा है यह प्रभावी कार्य एक ऐसी परिणीति भी दे सकता है जिसका अनुमान सामान्य लोग वर्तमान में नहीं लगा पा रहे। आईएलओ का मानना है कि विश्व में 7.5 खरब की जनसंख्या है जिसका 3.3 खरब हिस्सा वर्किंग फोर्स के रूप में चिन्हित है। श्रम संगठन की रिपोर्ट बताती है कि वर्किंग फोर्स अर्थात 3.3 खरब आबादी का 81% हिस्सा जो लगभग दो खरक से अधिक होगा बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। यह वैश्विक आंकड़ा है भारत जी इस आंकड़े में ब्राजील और नाइजीरिया के साथ सम्मिलित किया गया है। उसका कारण बताते हुए श्रम संगठन का मानना है कि यहा

लॉक डाउन By Nilesh Rawal

लाॅक डाउन - भाग - ६  कल हमने लॉक डाउन - भाग - 5   में भगवान श्री राम के व्यक्तिगत गुणों और उनके हमारे जीवन में अपने राम के तौर पर अवधरण की बात की थी कल मैंने यह भी कहा था कि कल हम भगवान राम के अपने व्यवसायिक जीवन में उपस्थिति की बातें करेंगे ! वैसे भी अगर हम ठीक ढंग से देखेंगे तो आज की तारीख में हमारे व्यक्तिगत जीवन के साथ साथ व्यवसायिक जीवन भी बहुत बड़ा हो चुका है हमारा व्यक्तिगत जीवन सीधे तौर पर हमारे व्यवसायिक जीवन से प्रभावित रहता है इसलिए यदि हमारे व्यवसायीक जीवन में राम का दिशानिर्देश मिल जाए तो व्यवसायीक जीवन के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन भी संतुलित हो जाएगा!  जिस तरह से मैंने अपने राम के बारे में बताया था कि मैं अपने राम से अपने व्यक्तिगत जीवन में किन का 5 गुणों से प्रभावित हूं उसी तरह से मैं अपने व्यवसायीक जीवन में राम के किन पांच गुणों से प्रभावित हूं इस विषय पर अपनी बात आपसे साझा करता हूं ! १. समन्वय २. मानव शक्ति प्रबंधन ३. स्किल डेवलपमेंट ४. भरोसा ५ . सम्मान १.समन्वय -  राम जीवन में समन्वय स्थापित करने का सबसे अप्रतिम उदाहरण है राम का कहीं कोई विरोधी नहीं था, सारे ही लोगों के

लॉक डाउन By Nilesh Rawal

लाॅक डाउन - भाग - ५  लॉक डाउन है, सुनसान सडकें हैं ,खाली बाजार  हैं और हर व्यक्ति अपनी देहरी के अंदर सिमटा हुआ है !   कुछ दिनों पहले रामनवमी गई और कल हनुमान जयंती है , दूरदर्शन पर रामायण का पुनः प्रसारण हो रहा है एक टीआरपी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 15 करोड लोग इसे देख रहे और वैसे भी राम भारतीय सनातनी परंपरा का सबसे सम्मानीय, मान्य और पूजनीय चरित्र है और रामायण सबसे सम्माननीय और पूजनीय चरित्र चित्रण रहा है!  परंतु क्या रामायण इस काल में भी और विशेष तौर पर करोना काल से जुझती हुई दुनिया के लिए प्रासंगिक है!  चलिए एक बार मिलकर समझने का प्रयास करते हैं ! रामायण में राम को हर किसी ने अपने-अपने राम की तरह देखा है!  मैंने अपने जिस राम को देखा है उस पर मैं जो सोचता हूं आपसे साझा कर रहा हूं!  मै राम के निम्नलिखित गुणों से अभिभूत और प्रभावित रहा हूँ! 1.समर्पण 2.धैर्य 3.विनम्रता 4.सकारात्मकता 5  वीरता  अब चलिए समझने का प्रयास करते हैं क्या राम की ये गुण इस काल में और विशेष तौर पर करोना  काल में भी प्रासंगिक हैं!  1.सबसे पहले बात करते हैं समर्पण की -  रामायण में राम समर्पण की एक प्रतिमूर्ति थे उनका अप

लॉक डाउन By Nilesh Rawal

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लाॅक डाउन के इस दौर में हमारे देश का एक बड़ा पर्व आया है -  "महावीर जयंती"  विशेष तौर पर जैन समाज का यह साल का सबसे बड़ा पर्व होता है!  पूरे शहर में बड़ी धूम रहती है और बहुत से आयोजन होते हैं , बहुत से कार्यक्रम होते हैं और पूरा शहर नेताओं द्वारा जैन समाज को बधाई के बैनर पोस्टरों से पट जाता है!  परंतु इस बार कुछ अलग हालात हैं , कुछ अलग सी शांति है ना कोई कार्यक्रम, ना कोई बधाई ना कोई बैनर ना कोई पोस्टर!  लेकिन त्यौहार तो है और इस बार यह  यह त्यौहार कैसे मनाया जाए?  मौका है मनन का, चिंतन का, महावीर को एक बार फिर एक नए सिरे से जानने का, समझने का , आत्मसात करने का, उनके द्वारा बताए हुए सिद्धांतों को, नीति को ,नियमों को नए सिरे से परिभाषित कर उनके अर्थों को ठीक तरह से समझने का ! मैं महावीर स्वामी के विषय में यह लिखने का प्रयास कर रहा हूं लेकिन मैं जैन नहीं हूं लेकिन मेरा यह मानना है कि महावीर स्वामी जैसा विशाल और विराट व्यक्तित्व किसी संप्रदाय तक सीमित नहीं हो सकता है और उसके सिद्धांत समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है! एक बात कहना चाहता हूं  मेरे बचपन से बहुत सारे जैन मित्र रहे

लाॅक डाउन - By Nilesh Rawal

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  Jabalpur Dated 5th Apr 2020, at Between 09:00 to 09:09 Photo By Ashish Vishvakarma        Writer : Mr. Nilesh Rawal लाॅक डाउन - भाग एक से तीन नीलेश रावल लाॅक डाउन - भाग - १ लॉक डाउन चल रहा है हम सब अपने अपने घरों में ठहर गए हैं! बहुत दिनों से व्हाट्सएप में , फेसबुक पर बहुत सारी जगह पर मैं पोस्ट देख रहा था यदि हम बाहर नहीं जा सकते तो अपने भीतर जाने की कोशिश करें मैं सोच रहा था कि भीतर कैसे जाऊं बहुत कोशिश की पर भीतर जाने का कोई रास्ता नजर नहीं आता था हमने अपने भीतर जाने के सारे दरवाजों पर नाराजगी के, गुस्से के ,नफरत के बडे बड़े ताले जड़ रखे हैं , अपने भीतर प्रवेश करना भी अब शायद हमारे लिए बहुत आसान नहीं रह गया हैं ! अचानक बैठे-बैठे मेरे मन में ख्याल आया कि एक काम करते हैं आराम से शांत मन से बैठते हैं और अपने स्मृति पटल पर जहां तक की स्मृतियां शेष है अपने जीवन में वापस पीछे जाते हैं और फिर वहां से शुरू करते हैं अपनी एक एक गलती , एक एक भूल, एक एक अपराध के लिए स्वयं से , स्वयं की आत्मा से , परम पिता परमेश्वर से क्षमा मांगते हैं ! इस तरह से उस अंतिम छोर से आज तक के सफर पर चलते

खुला ख़त राहत इंदौरी के नाम कॉपी टू मुन्नवर राणा, जावेद अख्तर

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    ज़नाब राहत इंदौरी साहेब नर्मदे हर इसकी जिम्मेदारी हम लिटरेचर के लोगों की भी होती है। आपकी बहुत सारी बातें जो रोंगटे खड़े कर देने वाली होती है हमने सुनी है- *लगेगी आग जग में आएंगे...* हमने एनवायरमेंट क्रिएट किया है , हम कितने दुखी हैं इंदौर की इस घटना से जिसका आईकॉन राहत इंदौरी हो वहां इस तरह के लोग मौजूद हैं। आप नहीं जानते शहर जबलपुर में बहुत पुराने हादसे के बाद आज तक ऐसा कोई मंज़र शहर ने पेश नहीं किया जैसा कि इंदौर ने किया है। आप जानते हैं कि हम मौलाना मुफ्ती साहब के इंतकाल के बाद कितना दुखी है हम जो हिंदू हैं वह जो क्रिश्चियन है वह जो मुस्लिम है सब को एक सूत्र में पिरो देते थे मौलाना साहब। गोया कि आप आपके शहर में पढ़े लिखे समझदार अथॉरिटी को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। आपने अपनी शायरी में बहुत कुछ अच्छा लिखा है हम सभी देर रात तक खुले आकाश के नीचे मुशायरा में जाया करते थे और आपने तब शायरी शुरू ही की थी मंच से सुनते थे आपको और जो अपनापन आपकी कलम में उस दौर में देखा गया अब नजर नहीं आता। हम लिटरेचर के लोग आज भी ह्यूमैनिटी और भाईचारे पर यकीन करते हैं और करे