24.4.20

रहस्यमई जबलपुर शहर : भयंकर आपदा में भी सुरक्षित रहता है

मग्गा बाबा और स्वामी शिवदत्त जी
महाराज गोसलपुर वाले
ओशो के शब्दों में मग्गा बाबा की कहानी मुझे याद आ गई तो सोचा क्यों ना ऐसे ही रीड कर लिया जाए। मैं मग्गा बाबा वाला किस्सा पढ़ रहा था तब मुझे सारे शरीर में शहर अंशी हो रही थी रोंगटे भी खड़े हुए। और मुझे एहसास हो गया कि इस शहर को ध्वस्त होने से बचाने वाले 2 लोग हैं एक मशीन वाले बाबा जिन्होंने जबलपुर को भूकंप से बचाया अपने सीने पर लिया वह कष्ट। और उससे कई वर्ष पूर्व मग्गा बाबा थे ।
मशीन वाले बाबा को तो आप सब जानते ही हैं। पर मग्गा बाबा को जानने के लिए खुद आचार्य रजनीश को आना पड़ता था। यह तो मग्गा बाबा और आचार्य रजनीश के बीच के आध्यात्मिक अंतर्संबंध की बात है और दोनों खगो की भाषा वे दोनों ही जानते थे । आचार्य रजनीश ओशो पद धारण करने के बाद बताया कि मग्गा बाबा कोई और नहीं मोजेज थे ?
यह वह दो विभूतियां हैं जो जबलपुर को सुरक्षित रखें हुए हैं अब तक। 3 ओर से पर्वतों से घिरा हुआ शहर जैसा डॉ प्रशांत कौरव ने बताया आग्नेय कोण पर अवस्थित है इस शहर को कोई नहीं तोड़ सकता इसका नुकसान उतना नहीं होगा जितना की अन्य शहरों में हुआ है। आप देख रहे होंगे कि शहर में कोरोना से मौत कम ही हुई। आप जानते हैं कि जब भूकंप ने जबलपुर में कहर मचाया था तब एक योगी जिसे मशीन वाले बाबा कहते हैं ने अपने सीने पर वह तकलीफ रिसीव कर ली थी । घटना होना तय था इस कारण घटना हुई पर उस घटना से जो नुकसान होता है वह कम होगा। उस रात में जबलपुर में नहीं था मेरी पोस्टिंग थी टिमरनी में। मेरी बेटियां बहुत छोटी थी पूरा परिवार जबलपुर में था रात को मैं जबलपुर में था सोते समय गहरी नींद वाले सपने में अपने शहर को देख रहा था अजीब सा माहौल नजर आ रहा था । मुझे लग रहा था कि सब कुछ हिल रहा है रहस्योद्घाटन आज कर रहा हूं तभी सपने मुझे दो साधु मुझे दिखे जिन्हें मैं नहीं पहचानता और वह चेहरे पर गंभीर तनाव लिए हुए थे।
अर्ध निद्रा अवस्था थी। मेरे जीजाजी और बाजू में सो रहे और भाइयों ने बताया कि भाई देखिए यहां भी भूकंप के झटके महसूस हुए । सारा कस्बा सड़कों पर उतर आया हम भी अपने अपने बिस्तर से हटकर बाहर आ गए तभी किसी ने बताया कि उनकी जबलपुर में फोन पर बात हुई और जबलपुर में भयंकर भूकंप आया। जबलपुर फोन लगाकर बात करने की कोशिश की परंतु संभव नहीं हो सका तब लैंडलाइन फोन चला करते थे मोबाइल नहीं थे घर की कोई खबर नहीं मिल पा रही थी। सुबह-सुबह लगभग 4:30 बजे फिर एक बार गहरी नींद आ गई। नींद में फिर वही स्वप्न एक साधु शरीर का व्यक्ति जिसके चेहरे पर तनाव था किंतु अपना पंजा दिखाकर मानो कह रहा हो कि सब ठीक है सब ठीक है। मैं पूछना चाह रहा था बाबा हमारे घर में क्या स्थिति है ? बाबा वैसा ही हाथ दिखाते रहे इन इशारों में मुझे समझ पाया कि सब ठीक है।
और दूसरे दिन अखबारों दूरदर्शन और रेडियो के समाचारों से शहर का हाल मिला टेलीफोन पर बहुत देर बाद यानी चौथे पांचवें दिन बात हो सके ।
*जबलपुर में 14 बरस पुराना हनुमान मंदिर भी है क्यों बदलती यह है कि उस मंदिर में स्वयं तुलसीदास जी आए थे मंदिर की स्थापना के लिए। सत्यता क्या है इस पर विमर्श किया जा सकता है खोज भी की जा सकती है। यह भी मान्यता है कि इस प्रसिद्ध मंदिर में शनिदेव् की जीवंत मौजूदगी है । यहां राजशेखर द्वारा विभिन्न पूजा ग्रहों का निर्माण कराया गया और उनमें से एक शनि मंदिर तिलवारा के पास भी है। जिस शहर में शनिदेव का आशीर्वाद होता है वहां की प्रशासनिक व्यवस्था हमेशा चुस्त और दुरुस्त ही होती है इस हिसाब से इस शहर में काम करने वाले शीर्ष अधिकारी सदा ही शहर के प्रति स्वयं को ही जवाबदार समझने लगते हैं इसके हजारों उदाहरण आप महसूस कर सकते हैं।
जहां तक जबलपुर से कटनी मार्ग तक की स्थिति है उसे देखने वाले स्वामी शिवदत्त महाराज है। जिनकी समाधि गोसलपुर रेलवे स्टेशन के पीछे स्थित है और दद्दा जी की सशरीर मौजूदगी भी इस शहर को और उसकी पेरिफेरी को सुरक्षित और संरक्षित रखे हुए हैं। अधिकांश जबलपुर वासी अपने शहर की कीमत नहीं पहचान सके हैं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण जाबालि ऋषि की भूमि भृगु की तपोभूमि बहुत ही महत्वपूर्ण और सुरक्षित है।
इन सब बातों को कि अलावा आप तो जानते हैं की नर्मदा के तट पर विकसित शहर या गांव कस्बे कभी भी अभागे नहीं होते ।
इन सब बातों को बताते हुए शहर वासियों को एक चेतावनी भी है शनि देव अनुशासन के देवता होते हैं कानून और न्याय के संरक्षक माने गए हैं। मित्रों मेरी बात समझ रहे हैं ना कभी भी राज आज्ञा का उल्लंघन करने की कोशिश करना व्यक्तिगत रूप से घातक होगा इसलिए कोशिश यह की जाए कि राजा क्या का उल्लंघन ना करें। वरना परिणाम बहुत जल्दी सामने आएंगे। आप अभी कोरोना संक्रमण के बारे में गंभीर नहीं है तो अब हो जाएं। आप सदा अमरत्व प्राप्त हनुमान एवं शनि देव से संरक्षित नर्मदा से आशीर्वाद प्राप्त भले ही हैं परंतु अगर आपने राज आज्ञा का उल्लंघन किया तो दंड स्वयमेव प्राप्त होगा भले ही आप राजदंड से बच जाए।

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