चीन भाई को समझ देर से आई
भारत की विदेश नीति में आए अहम परिवर्तन के बारे में पहले से ही सभी को यकीन है. कि यह एक पाजिटिव बदलाव है. जून 2017 से अगस्त 2017 के बीच कटे 72 दिनों तक छाती से छाती टकराकर चीन भारत के सैनिक एक दूसरे धकेलते रहे डोकलाम में और भारत की दृढ़ता से हटना पड़ा. जापानी एवं पाकिस्तानी मीडिया से भी भारत के दबाव में चीन के डोकलाम से हटने की पुष्टि हुई है. बाकायदा इस बात की स्मरण होगा कि मैंने पूर्व में अपने मिसफिट पर 26 जुलाई 17 प्रकाशित लेख में साफ़ तौर पर इस कयास से असहमति व्यक्त की थी कि चीन खुद को युद्ध में ठेल सकता है. स्क्रीन शॉट में देखा सकतें हैं . ये अलहदा बात है कि - चीन सहित विश्व के सारे देश इस चीनी अखबार और अन्य डिजिटल मीडिया वर्सेस भारतीय मीडिया पर शब्दों के तीर और वाक्यों की मिसाइल्स दागी गईं कुछ भारतीय लोग इस मीडिया वार से भले इत्तिफाक न करें पर सूचनाओं संवादों के वैश्विक विस्तारीकरण के फायदे दौनों देशों ओ मिले भारत को इस मायने में कि उसने अपने स्टैंड को सही साबित किया वहीं चीन को हर उस बात का ज़वाब मिला जो उसने विश्व के सामने लाने की कोशिश की थी. हमारी भूटान से संध