ठाकुर सा’ब का कुत्ता........ जो आदमी की मौत मरा
फ़ोटो साभार " इधर से " साले कुत्ते की मौत मरेगा.. ! , उसे तो कुत्ते की मौत मरना चाहिये... अक्सर ये कोसन-मंत्र का उच्चारण रोजिन्ना सुनाई देता है. पर अगरचे कोसने वाले लोग हमारे ठाकुर सा ’ ब से मिले होते तो साले कुत्ते की मौत मरेगा.. ! , उसे तो कुत्ते की मौत मरना चाहिये..किंतु ठाकुर सा ’ ब के कुत्ते की मौत नहीं.कारण साफ़ है कि ठाकुर सा ’ ब का कुत्ता कुत्ता न होकर उनका पारिवारिक सदस्य बन चुका था. वज़ह ठाकुर साब न थे वरन ठकुराइन जी की पारखी आंखें थीं . ये अलहदा बात है कि ठाकुर सा ’ ब को चुनने में उनकी आंखें धोका खा गईं थीं पर इसका दोष ठकुराइन जी का न था ... ठाकुर सा ’ ब का चुनाव पारिवारिक इंतखाब था वोटें इन्ही सु.प्र. ठाकुर को मिलीं. चलिये ठाकुर साब को छोड़िये कुत्ते पर आते हैं.. " यूं तो वो देसी कुतिया एवम सरकारी अफ़सर के विदेशी कुत्ते के मिलन का परिणाम यानी अर्ध्ददेशी नस्ल का किंतु उसे जैकी नाम देकर उसका अंग्रेज़ीकरण किया जाना श्रीमति ठाकुर का ही काम रहा होगा वरना एक मेव स्वामी होने का एहसास उनको कैसे होता. ठाकुर सा ’ ब को वे