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रविवार, मई 09, 2010

सिर्फ़ अपनी माता को ही सम्मान

जी हां मातृ दिवस पर आप सभी के बीच एक विचार बांटना चाहता हूं कि हम संकल्प लें कि सिर्फ़ अपनी माता को ही सम्मान दें अन्य किसी की  माता के प्रति गुस्से में भी कोई अपशब्द न कहें और न ही कहने दें यही देखतें हैं हम अक्सर  अक्सर आप सब भी देखते ही होंगे सुनते भी होंगे आप से अनुरोध है कि मातृ दिवस पर हरेक माता का सम्मान बनाने में हम क्रिया रूप में भी आगे आयें. अक्सर देखा गया कि चन्द सिक्को के पीछे सोनो ग्राफ़ी कर भ्रूण को जन्म लेने से रोकते हैं एक मां को ......जो ऐसा करते कराते हैं ऐसे लोगों को छोड़कर  और जो किसी भी अन्य की माता का सम्मान नहीं करते उनको भी छोड़ कर सभी को मातृ दिवस की बधाईयां

शुक्रवार, मई 07, 2010

श्री जब्बार ढाकवाला एवम मोहतरमा तरन्नुम का दुख़द निधन

मप्र  के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एवं साहित्यकार श्री  जब्बार ढाकवाला और उनकी पत्नी मोहतरमा तरन्नुम की शुक्रवार 7 मई 2010 को उत्तराखंड के पास जब वे  उत्तर काशी से चंबा की ओर लौट रहे थे, अचानक  उनकी कार गहरी खाई में गिर गई। एम.ए. एल-एल.बी. तक शिक्षित श्री ढाकवाला शेर—शायरी, उपन्यास व व्यंग्य लिखने के शौकीन थे। वे संचालक पिछड़ा वर्ग कल्याण,संचालक आयुर्वेद एवं होम्योपैथी,संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण,संचालक लघु उद्योग तथा बड़वानी कलेक्टर रहे है।जबलपुर में  जब भी उनका निजी अथवा सरकारी प्रवास होता तो वे स्थानीय साहित्यकारों से अवश्य ही मिला करते थे . विगत वर्ष   जबलपुर में 25/09/09 को :श्री जब्बार ढाकवाला साहब की सदारत  में एक गोष्ठी का आयोजन "सव्यसाची-कला-ग्रुप'' की ओर से किया गया .  श्री बर्नवाल,आयुध निर्माणी,उप-महाप्रबंधक,जबलपुर के आतिथ्य में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया  थे.गिरीश बिल्लोरे मुकुल के  संचालन में  होटल कलचुरी जबलपुर में आयोजित कवि-गोष्ठी में इरफान "झांस्वी",सूरज राय सूरज,डाक्टर विजय तिवारी "किसलय",रमेश सैनी,एस ए सिद्दीकी, और विचारक सलिल समाधिया  के साथ स्वयम ज़ब्बार साहब ने भी रचना पाठ किया 
जिंदगी के हर लमहे का मज़ा लीजिये
यहाँ पर टेंसन की जेल में, उम्रकैद की सजा लीजिये



मूक अभिनय करते करते बोलने लगे हैं वो
सूत्रधार की उपेक्षा कर मुँह खोलने लगे हैं वो
तरक्की के नाम पर इतने धोखे खाए हैं कि
अपने रहनुमाओं के बीच के दिल टटोलने लगे हैं वो
मन में मेरे अदालत जिन्दा है
क्या करुँ अन्दर छिपा एक परिंदा है
नहाता तो हूँ नए नए हम्मामों में आज भी
गुनाह नहीं मगर जेहन शर्मिंदा है
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आईएएस अधिकारी एवं साहित्यकार श्री  जब्बार ढाकवाला और मोहतरमा तरन्नुम के असामयिक निधन पर हम सब स्तब्ध हैं.  हमारी श्रद्धांजलियां
 

रविवार, मई 02, 2010

पाड्कास्ट अन्त्याक्षरी : एपीसोड 02

मिसफ़िट पर गत रात्रि प्रस्तुत अन्त्याक्षरी के उपरांत जो हुआ वो कमाल ही थी ...... स्पोर्ट से जुड़ीं श्रीमति अर्चना चावजी को बच्चों ने घेर लिया देर रात एपीसोड की रिकार्डिंग के लिये बाध्य किया . सभी बच्चे अर्चना जी की अवाज़ के मुरीद बने . चिन्मय,समर्थ,शुभम,शिवानी,सुप्रिया, सभी को आज़ यात्रा पे निकलना है सो अर्चना जी के साथ अन्त्याक्षरी रिकार्ड करने के ज़िद के आगे हमने तो घुटने टेक ही दिये , बालहट के सामने किसकी चले सकती है.... और तैयार हुआ यह एपीसोड जो आपकी नज़र है .... श्रोता गण शायद आप इसे पसंद करें

प्रथम पाड्कास्ट अन्त्याक्षरी : श्रीमति अर्चना चावजी एवम सुलभा बिल्लोरे

 श्रीमति अर्चना चावजी एवम श्रीमति सुलभा बिल्लोरे ने आज़ अन्त्याक्षरी के प्रथम एपीसोड में सुलभा जी को हराते हुए चार अंक से आगे हुईं. अन्त्याक्षरी के इस ट्रायल एपीसोड में आपका स्वागत है  आपका इस प्रयोग में सहयोग अपेक्षित है

मंगलवार, अप्रैल 27, 2010

अक्षय कात्यानी की मदद हेतु एकाउंट नम्बर 09322011002264 में सहयोग राशि जमा कीजिये

 CAVS संचार पर प्रकाशित इस आलेख को ध्यान से देखिये 

अक्षय को मदद चाहिए....

अथवा मोहल्ला लाईव पर प्रकाशित इस आलेख को  

जिसमें अक्षय कात्यानी की बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. मित्रों इस आलेख को पोस्ट करने के कुछ क्षण पूर्व श्री सुधीर कात्यानी जी से इस पोस्ट की तस्दीक हुई है. आपसे विनम्र आग्रह है कि आप अक्षय कात्यानी की मदद हेतु ओरिएंटल बैंक आफ़ कामर्स भोपाल,अरेरा कालोनी ब्रांच एकाउंट नम्बर 09322011002264 में सहयोग राशि जमा कीजिये
बात अक्षय की जो एक बीमारी से पीडित है। बीमारी ने उसे ऐसा जकड़ा कि इलाज में पिता की जीवन भर की पूंजी खर्च हो गई इसके बाद भी वो ठीक नही हुआ क्योंकि तब तब इस बीमारी की सही थेरेपी नही आई थी। अब जबकि बीमारी के इलाज की कारगर पद्धति आ गई है पिता के पास बेटे के इलाज के लिए पैसे नही है। यदि समय पर इलाज नही मिला तो युवक का जीवन बचाना मुश्किल होगा।
नाम अक्षय कत्यानी हटटा कटटा गबरू जवान 70 किलो वजन दिखने में स्मार्ट, लेकिन एक बीमारी ने उसे 40 किलो का हाडमांस का पुतला बना दिया । पढाई पूरी की तो टीवी जर्नलिस्ट बन गया लेकिन इस बीमारी के कारण नौकरी छोडनी पड गई और बिस्तर पकड लिया। प्रायवेट बिजनेस करने वाले पिता सुधीर कात्यानी ने बेटे के इलाज के लिए अपने जीवन भर की कमाई खपा दी। गाड़ी बंगला बेच दिया। लेकिन वो ठीक नही हुआ। अब अचानक डाक्टरों ने बताया कि इस बीमारी का कारगर इलाज आ गया है। सिर्फ दो लाख खर्च होंगे। लेकिन अब जबकि वो दाने - दाने को मोहताज हो गए हैं। बेटे के इलाज के लिए दो लाख कहां से लाएं तो क्या इकलौते जवान बेटे को यूँ ही हाथ से चले जाने दे।
मजबूर पिता क्या करे? मदद के लिए सबने हाथ खडे कर दिए हैं। बेटे को अल्सरेटिव्ह कोलाईटिस है। खून की उल्टी दस्त होते हैं। खाना खाते नही बनता। कैंसे माँ - बाप अपने जिगर के टुकडे को तिल - तिल मरते देखें। एक तो बीमारी दूसरा मां - बाप की बेबसी बेटे से देखी नही जाती वो भी ऐंसी जिंदगी से निराश होता जा रहा है। आखिर क्या करे वो कहां जाए। उसकी भी इच्छा है कि मां-बाप के सपनो को पूरा करे। अभी तो पूरी जिंदगी पडी है उसके सामने। सिर्फ दो लाख के पीछे क्या जान जली जाऐगी उसकी। फिलहाल पैसे के अभाव में इलाज रूका है। क्या इस नौजवान को हम दुनिया से विदा हो जाने दें। ऐसे समय में समाज को सामने आना होगा। इस नौजवान की मदद के लिए आईए और इसकी मदद कीजिए। रोशन कीजिए अक्षय की दुनिया को जी लेने दीजिए एक जवान को अपनी पूरी जिंदगी ।
(अतुल पाठक , संपर्क : atul21ap@gmail.com_)
यदि आप अक्षय की कोई मदद करना चाहते हैं तो इन नम्बरों पर संपर्क कर सकते हैं :
योगेश पाण्डेय - 09826591082,
सुधीर कत्यानी (अक्षय के पिता) - 09329632420,
अंकित जोशी (अक्षय के मित्र) - 09827743380,०९६६९५२७८६६
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आलेख :लेखक : अतुल पाठक,CAVS संचार से साभार
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विनम्र अपील :- 

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