सलमा अंसारी |
एक बार तो दे दो दिल से आशीर्वाद :- "पुत्रीवति भव:" दिल से आवाज़ क्यों नहीं निकलती क्या वज़ह है किन संस्कारों ने जकड़ी हैं आपकी जीभ ऐसा आशीर्वाद देने में क्यों नही उठते हाथ आपके कभी ? क्यों मानस पर छा जाता है लिंग भेदी पर्दा ? इन सवालों के ज़वाब अब तो खोज लीजिये सरकार . क्या आप के मन में इस बयान से भी तनिक हलचल पैदा नहीं हो सकी लड़की को पैदा होते ही मार देना... . कितनी आर्त हो गई होगी यह मां इस बयान को ज़ारी करते हुए. मोहतरमा सलमा अंसारी का यह बयान हल्के से लेना हमारी भूल होगी. वास्तव में जब कलेजों में दर्द की लक़ीरें बिजली की तरह दौड़तीं हैं तब ही उभरीं हैं कराहें इसी तरह की. मुस्लिम औरतों के तालीम की वक़ालत करने वाली इन मोतरमा के दिल में हिंदुस्तान की नारियों के लिये दर्द ही नज़र आ रहा है मुझे तो. उनके बयान में एक आह्वान और एक सुलगती हुई क्रांति का सूत्रपात दिखाई दे रहा है.
देश के उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी के दिल में समाज के गरीब और पिछड़े लोगों के प्रति दर्द हैं। यही वजह है कि उन्होंने 1998 में 'अल नूर फाउंडेशन' कायम किया। उनका यह फाउंडेशन गरीब और जरूरतमंद बच्चों को तालीम मुहैया कराने का काम करता है। उत्तरप्रदेश में जन्मी सलमा का ज्यादातर वक्त विदेशों में बीता, क्योंकि उनके पिता संयुक्त राष्ट्र की सेवा में थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अंग्रेजी लिटरेचर की पढ़ाई की। (साभार:-दस्तक) |
नज़्मों की बात से साभार |
वेब दुनियां से साभार |
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आवाज़ : श्रीमति अर्चना चावजी
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