आज
तुम मैं हम सब जीत लें
अपने अस्तित्व पर भारी
अहंकार को
जो कर देता है
किसी भी दिन को कभी भी
घोषित "काला-दिन"
हाँ वही अहंकार
आज के दिन को
फिर कलुषित न कर दे कहीं ?
आज छोटे बड़े अपने पराये
किसी को भी
किसी के भी
दिल को तोड़ने की सख्त मनाही है
कसम बुल्ले शाह की
जिसकी आवाज़ आज भी गूंजती
हमारे दिलो दिमाग में
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