5.12.09

मन का पंछी / यू ट्यूब पर सुनिए


Man ka Panchhi मन का पंछी यू  ट्यूब पर सुनिए 

मन का पंछी खोजता ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची उड़ानों में व्यस्त हैं।

चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।
फ़लसफ़ों का किला भी तो ध्वस्त है।
मन का पंछी. . .

कब झुका कैसे झुका अज्ञात है,
हृदय केवल प्रीत का निष्णात है।
सुफ़ीयाना, इश्क में अल मस्त है-
मन का पंछी. . .
बाँध सकते हो तो बाँधो, रोकना चाहो तो रोको,
बँधा पंछी रुका पानी, मृत मिलेगा मीत सोचो
उसका साहस और जीवन इस तरह ही व्यक्त है।।

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत...आज आपको गाते हुए पहली बार सुना. आनन्द आया.
मृत मिलेगा मीत सोचा को मृत मिलेगा मीत सोचो

कर लिजिये..टंकण त्रुटि रह गई है.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी आवाज़ दिया है आपने

निर्मला कपिला ने कहा…

मैने भी शायद पहली बार ही सुना है । अभिभूत हूँ बधाई

Wow.....New

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