16.8.09

मांगो तो हजूर दिल और जाँ सब कुछ तुमको दे दूंगीं



वो दूर से देख मुस्कुराती शोख चंचल नयनो वाली सुकन्या मुझे भा गई ऊपर की जितनी भी तारिकाएँ हैं उनका हुस्न फीका पड़ गया उसके सामने।
मैंने पूछा - मुझे ,कुछ देर का वक्त मिलेगा
क्यों नहीं ! ज़रूर मिलेगा ।
उत्तर में थी मादक खनक ...एक-एक काफी का आफ़र उसमें भी सहज स्वीकृति मैंने फ़िर कहा -आज मेरी छुट्टी है जबलपुर के पास भेडाघाट है चलो घूम आते हैं उसमें भी सहमत लगा आज लाटरी लग गई वीरानी जीवन बगिया में प्रेमांकुर फूट पड़ा .... सोचा आज पहले दिन इतनी समझदार ओर मुझे सहज स्वीकारने वाली अनुगामिनि मिल गई अब जीवन का रास्ता सहज़ ही कट जाएगा।
बातों ही बातों में मैंने कहा: तुम मुझे कुछ देने का वादा कर सकोगी ?
वादा क्या दे दूंगीं जो कहोगे
दिल,
हां ज़रूर
मोहब्बत
ऑफ़ कोर्स
वफ़ा
क्यों नहीं ?
और कभी जब मुझे वक्त की ज़रूरत हो तो
ज़नाब ये सब कुछ अभी के अभी या फ़िर कभी ?
सोच के बताता हूँ कुछ दिन बाद कह दूंगा
##############################################################
घर में माँ के ज़रिये पापा तक ख़बर की मुझे ".......'' से प्यार हो गया है । अब चाहता हूँ कि मैं शादी भी उसी से करुँ ! घर से इजाज़त मिलते ही मैंने फोन डायल किया....98........... लेटेस्ट रूमानी गीत न होकर "एक मीरा का भजन हे री मैं तो प्रेम दीवानी मेरा....''सुन कर लगा आग उधर भी तेज़ है इश्क की जैसी इधर धधक रही है ।
बातों ही बातों में मैंने उससे वो सब दिल,मोहब्बत, वफ़ा और वक्त की मांग कीउसने कहा शाम को तुम्हारे घर रहीं हूँये सब साथ ले आउंगी
शाम को पापा,माँ,दीदी अपनी होने वाली बहू का इंतज़ार कर रहे थे। मेरे मन में भी चाकलेट के रूमानी विज्ञापन वाले प्यार का जायका ज़ोर मार रहा था। एक खूबसूरत नाज़नीन का घर में आना मेरे लिए दिल,मोहब्बत, वफ़ा और वक्त साथ लाना मेरी उपलब्धि थी ।
सभी सभी उससे बारी बारी बात कर रहे थे अन्त में मुझे मौका मिला . मैने पूछा "वो सब जो मैने कहा था "
"हां लाई हूं न"
सुनहरी पर्स खोल कर उसने मेरे हाथों रख दीं - दिल,मोहब्बत,वफ़ा और वक्त की सीडीयां और पूछने लगी : पुरानी फ़िल्मों के शौकीन लगतें हैं आप . ?
"हां"
अब मुझे फ़िल्म ज़हर और ज़ख्म की सी डी ज़रूर ला देना .
ज़रूर ला दूंगी.... पर एक हफ़्ते बाद कल मेरी एन्गेज़्मेंट है. एन्गेज़्मेंट के बाद हम दौनो हफ़्ते भर साथ रहेंगे एक दूसरे को समझ तो लें .

ब्लागर्स जो सेलिब्रिटीज़ हैं


14.8.09

जबलपुर रत्न एक नई परंपरा


यूँ भेजा था न्योता
अपने जबलपुर को


विश्वास की परंपरा को कायम रखने का संकल्प लिए नई दुनिया">नई दुनिया ने जब रत्नों की तलाश शुरू की थी तो लगा था कि शायद व्यावसायिक प्रतिष्ठान द्वारा की गई कोई शुरुआत जैसी बात होगी ? किंतु जब जूरी ने रत्नों को जनमत के लिए सामने रखा तो लगा नहीं कुछ नया है जिसे सराहा जावेगा आगे चल कर , हुआ भी वही आज मैं जितने लोगों से मिला सबने कहा :"वाह ऐसी व्यक्ति-पूजा विहीन मूल्यांकन की परम्परा ही है विश्वास की परंपरा ओर सम्मानित हुए विशेष सम्मान शिक्षा क्षेत्र : एसपी कोष्टा उद्योग क्षेत्र : सिद्धार्थ पटेल चिकित्सा क्षेत्र : डॉ. सतीश पांडे न्याय क्षेत्र : अधिवक्ता आरएन सिंह पर्यावरण क्षेत्र : योगेश गनोरे
छा गए मंत्री जी भा गए बल्लू
करीब पांच घंटे तक चले आयोजन के दौरान लोगों का मनोरंजन करने के लिए प्रख्यात बाँसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू, पॉलीडोर आर्केस्टा के कलाकारों सहित प्रियंका श्रीवास्तव, प्रसन्न श्रीवास्तव, श्रेया तिवारी ने शानदार रचनाएं पेश कर लोगों को मुग्ध कर दिया।बलजिंदर सिंह ने जब बांसुरी से "तू ही रे" और "पंख होते तो उ़ड़ जाती रे" की तान छे़ड़ी तो मेरे मन को किसी भी तरह की बाहरी हलचल बर्दाश्त नहीं हो रही उद्योगमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने साबित कर दिया कि वे वास्तव में एक स्थापित कलाकार हैं । मंत्रीजी ने देशभक्ति गीत "कर चले हम फिदा जानो तन साथियों" "छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल" पेश किया। प्रियंका के गीत "बलमा खुली हवा में" से लोग सावन के भीने अहसास में खो गए। जबकि प्रसन्न श्रीवास्तव ने "मेरे महबूब कयामत होगी" सुनाकर लोगों को किशोर कुमार की याद ताजा करा दी।
*******************************************************************
संस्कारधानी के सपूत न्यायविदों की वर्तमान पी़ढ़ी के लिए ऋषितुल्य न्यायमूर्ति जीपी सिंह को पहला "जबलपुर रत्न" सम्मान आज़ सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय रहा नई दुनिया ने इन विभूति का सम्मान कर विश्वास की परम्परा को कायम रखा
*******************************************************************
तरंग प्रेक्षागृह में गुरुवार शाम एक गरिमामय समारोह में जबलपुर रत्न सहित साहित्य-कला, शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, समाजसेवा, पर्यावरण, उद्योग, खेल क्षेत्रों की नौ हस्तियों को रत्न सम्मान दिया गया जिनमें । समारोह की अध्यक्षता मप्र उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस आरएस गर्ग ने की, मुख्य अतिथि निर्माता-निर्देशक सुभाष घई थे। इस मौके पर बतौर अतिथि संगीतकार आदेश श्रीवास्तव और निर्देशक विवेक शर्मा के अलावा नईदुनिया समूह के प्रधान संपादक पद्मश्री आलोक मेहता भी विशेष रूप से उपस्थित थे। रूपरेखा की विस्तृत जानकारी स्थानीय संपादक आनंद पांडे ने दी। कार्यक्रम को संगीतकार आदेश श्रीवास्तव और निर्देशक विवेक शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप दुबे व सुरेंद्र दुबे "(सव्यसाची अलंकरण से अलंकृत) "ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन महाप्रबंधक मनीष मिश्रा ने किया।
*************************************************************************************
संस्कार धानी जबलपुर के नौ रत्न
*************************************************************************************
*************************************************************************************
जबलपुर के रत्न : साहित्य-डा०चित्रा चतुर्वेदी/कला-अरुण पांडे/समाज-सेवा: पुष्पा बेरी/खेल-रत्न :मधु यादव/शिक्षा रत्न : ईश्वरी प्रसाद तिवारी/उद्योग-रत्न:वी एन दुबे /चिकित्सा-रत्न:डा0 एम सी० डाबर/न्याय-रत्न :एस सी दत्त/पर्यावरण रत्न: नरसिंह रंगा
*************************************************************************************
सुभाष घई ने कहा : "बच्चों के मामले सही सोच की ज़रूरत है उनकी प्रतिभा को पहचानिये /आजाद भारत में अंग्रेजियत की सेवा पर टिप्पणी करते हुए सुभाष घई ने कहा गुलामी के दौर में हमने उनकी सेवा की आज पश्चिमी संस्कृति की नक़ल कर उनकी सेवा कर रहें हैं "/अपार संभावनाएं है रजत पट पर प्रतिभाओं की मया नगरी को हमेशा ज़रूरत थी , है और रहेगी ।
*************************************************************************************

आलेख : गिरीश बिल्लोरे मुकुल / सहयोग श्रीमती सुलभा बिल्लोरे /राजेश दुबे "डूबे जी" एवं शैली खत्री

विश्व के सबसे पहले कामरेड कृष्ण का कर्मवाद चिर स्थाई है

मेरे कवि अग्रज घनश्याम बादल ने कहा था अपने गीत में
"यहाँ खेल खेल में बाल सखा तीनो तिरलोक दिखातें हैं
रणभूमि में भी शांत चित्त गीता उपदेश सुनातें है "

Janmashtami
वही बृज का माखन चोर से महान कूटनितिज्ञ,प्रेम का सर्वश्रेष्ठ आइकान बने कृष्ण को अगर भारत और विश्व अगर सर्वकालीन योगेश्वर कह रहा है तो उसमें मुझे कोई धर्मभीरुता नज़र नहीं आ रही. कृष्ण को यदि भगवान कहा जा रहा है तो गलत नहीं है. कर्म योगी का सबक तत्-समकालीन परिस्थितियों के बिलकुल अनुकूल था. और तो और यह सबक भी उतना ही समीचीन है जितना कल था । जहाँ तक द्वापर काल की ग्रामीण व्यवस्था की कल्पना करें तो प्रतीत होता है कृष्ण के बगैर तत्-समकालीन ग्राम्य-व्यवस्था की पीर को समझने और मज़दूर किसान को शोषण से मुक्ति दिलाने का सामर्थ्य अन्य किसी में भी न था।कृष्ण का कंस शासित मथुरा को गांवों से सुख के साधन वंचित कराने की सफल कोशिश सिद्ध करती है - कि आज से 5100 सौ वर्ष पूर्व भी वो दौर आया था जब सर्वहारा को ठगे जाने की प्रवृत्ति व्याप्त थी योगेश्वर कृष्ण ने गोकुल की श्रमिकों को विलासी मथुरा से विमुख रखने का प्रयास किया, ठीक उसी तरह आज भी गाँवों से पल रहे शहरों ने गाँवों की उपेक्षा की है और स्वयं का विकास को जारी रखने की कोशिश की है किंतु कृष्ण के समान नेतृत्त्व क्षमता के कोई आइकान दृष्टिगोचर नहीं होते। माखन चोरी का नाता साफ़ तौर पर गाँव के उत्पादों का गाँव के अकिंचनों के लिए गाँव में ही रोकने से था। ताकि विकास समान रूप से आकार ले। सर्वहारा वर्ग शक्तिवान उनके बच्चे सामर्थ्य वान बनें ।
महान राजनैतिक क्षमताओं के धनी श्रीकृष्ण द्वारा कंस वध करने के उपरांत द्वारिका में राज्य स्थापना करने का अर्थ है समकालीन राजनैतिक ढाँचे में लोक-शक्ति की स्थापना करना । जो द्वापरयुग के लिए एक अत्यावश्यक घटना थी।
फ़िर कुरुक्षेत्र में 5 भाइयों को 100 पर विजय दिलाने की घटना कृष्ण के उस कार्य को उजागर करती है जिसे "आज हम शोषण के विरुद्ध आवाज़ कहतें हैं "कृष्ण ने नस्ल वर्ण वर्ग धर्म किसी बिन्दु पर भी विचार कर आध्यात्मिक /राजनीतिक /सामाजिक संरचना का प्रयास करते तो निश्चित ही कृष्ण सर्व कालीन सर्व मान्य नेता नहीं होते। आज की विश्व भर की राजनैतिक व्यवस्थाएँ जो धारण/वर्ण/वर्ग/जाति पर आधारित कृष्ण कालीन व्यवस्था से लोक हित में सीख सकतीं है।
उसी विश्व नायक उर्द्वरैता (नैष्ठिक-ब्रह्मचारी) के जन्म दिवस पर सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं

कृष्ण जन्माष्टमी फोटो गैलरी (krishna janmastami photos) कृष्ण जन्माष्टमी फोटो गैलरी (krishna janmastami pictures) कृष्ण जन्माष्टमी फोटो गैलरी (krishna janmastami wallpaper) कृष्ण जन्माष्टमी फोटो गैलरी (krishna janmastami photogallery) कृष्ण जन्माष्टमी फोटो गैलरी (krishna janmastami pics)
(सभी फोटो वेब दुनिया से साभार)


6.8.09

सलीम भाई के नाम खुला ख़त

प्रिय सलीम भाई "

आज के परिपेक्ष्य में बात कीजिये हिन्दू धर्म में ये सारी बातें हैं ही नहीं
हिंदुत्व केवल और केवल विश्व में सर्वाधिक गंभीर धर्म है न तो इस धर्म ने सत्ता की पीठ पर सवारी कर विश्व में संप्रभुता प्राप्त करने की कोशिश की है नहीं यह आयुधों के सहारे / आतंक के सहारे विश्व पर छाया . इसे मानव ने सहजता से स्वीकारा, हिंदुत्व कभी भी प्रतिक्रया वादी नहीं रहा आप अपने पूर्वजों जो पूछिए या उनका इतिहास जानिए कभी भी औरत को दोयम दर्जा नहीं मिला. मैं साफ़ तौर पर आपको बता दूं आप भारतीय परिवेश में रह कर नकारात्मक सोच की बानगी पेश कर रहें हैं आप गार्गी,मैत्रेयी,सीता,आदि के बारे में जान लें. आप जान लें हिन्दू धर्म में ही नारी को शक्ति कहा है. कट्टर पंथियों नें रजिया सुलतान, को बर्दाश्त नहीं किया. गोंडवाना के इतिहास को देखिये वीरांगना माँ दुर्गावती को भी अंग्रेजों के साथ मिल कर किस ने शहीद कराया सब जानतें हैं.
चलिए छोडिये इस धर्म में बिना वामा के कोई अनुष्ठान पूर्ण नहीं माने जाते . जबकि कुछ पूजा गृहों / आराधना स्थानों पर नारी का प्रवेश वर्जित है मित्र इस पर गौर किया कभी आपने.
कई धार्मिक व्यवस्थाएं गलत व्याख्याओं के कारण गलत तरीके से लागू की गयीं . इस/इन कारणों से सम्पूर्ण धर्म को कटघरे में लाना बुद्धि-वमन ही है. आशा है मेरे पत्र की गंभीरता को आप समझ रहे होंगे . मेरे घर में इस्लाम/क्रिश्चियनिटि/सिक्ख-धर्म/का आदर करना मुझे सिखाया है. मेरी माँ सव्यसाची घंटों मेरे शायर मित्र "इरफान झांस्वी" से कुरान की प्रासंगिकता,आवश्यकता, के तत्वों पर चर्चा करतीं थीं . मेरे पिता ने कभी इस बात का विरोध नहीं किया. आगे मुझे कुछ कहने की ज़रुरत नहीं
अल्लाह (भगवान्),मुझे और आपको उसके रास्ते पे चलने की तमीज सिखाए इसी मंगल कामना के साथ
आपका ही "मुकुल "


3.8.09

समाज में बदलने को कुछ बाक़ी नहीं है...?....

विश्व की अधिकाधिक आबादी जिस मूल्यहीनता से गुज़र रही है उसके लिए कितने भी प्रयास कियें जावें मुझे नज़र नहीं आ रहा की कोई परिवर्तन आएगा। आज का दौर "आर्थिक-लिप्सा" का दौर है । कुलमिला कर विश्व को अब एक ऐसे श्रीमद्‍भगवद्‍गीता की ज़रूरत है जो विश्व की इस गन्दगी को समाप्त । केवल और केवल धन की लिप्सा से मुक्ति के लिए सार्थक चिंतन की ज़रूरत है आप सोच रहें होंगे इस तरह के प्रवचनों का आज और वो भी इस ब्लॉग जगत में क्यों कर रहा हूँ...? मेरा यह करने का सीधा-साफ़ कारण यह है कि उपदेश,लेखक,विचारक,जों भी आज बाँट रहे हैं चाहे वो कितना भी सर्व-प्रिय,है शुद्ध व्यापारी नज़र आता है मुझे। इन सभी को आत्मसंयमयोग के स्मरण/अनुकरण की ज़रूरत है।
ओशो ने भी कहा है ""यह भी हो सकता है कि आदमी अंधा हो और अपने को जानता हो तो वह आँख वाले से बेहतर है। आखिर तुम्हारी आँख क्या देखेगी? उसने अंधा होकर भी अपने को देख लिया है। और अपने को देखते ही उसने उस केंद्र को देख लिया है जो सारे अस्तित्व का केंद्र है।
"
इन मुद्दों पर विचार करना ज़रूरी है।
यदि अब भी इस और ध्यान नहीं दिया तो कल हम कह देंगें:-"समाज में बदलने को कुछ बाक़ी नहीं है...?..."

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...