साभार : प्रवासी दुनियाँ
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बुधवार, जनवरी 07, 2015
भारतीय-अमेरिकी के नाम पर अमेरिका में बिजनेस स्कूल
सोमवार, जनवरी 05, 2015
Ten Kings By Ashok Banker

TEN KINGS set in 3400 BCE, is the riveting story of a legendary battle between King Sudas and the combined invading force of ten kings from neighboring regions. The battle decided the future course of the region’s history and laid the foundation of bharatvarsha.
In this interactive session moderated by Kaneez Razavi , senior editor with Amaryllis the audience participated enthusiastically. Additional Chief Secretary Aruna Sharma was the Chief Guest on this occasion. She lauded the contribution of Banker and hoped that it will kindle interest among the youth to know more about our ancient past. Waseem Akhtar, Secretary of Arera Club, Vikas Rakheja,MD Manjul Publishing House and a large number of club members were present on this occasion. The program was compeered by Madiha Khan. Seema Raizada, Founder President of Club Literati proposed a vote of thanks.
मंगलवार, दिसंबर 30, 2014
परसाई जी बनाम आमिर खान और फुरसतिया वर्सेज़ मिसफिट
पी के ने तीन सौ करोड़ से ज़्यादा रकम भीतर कर ली हंगामा तब मचा
कि आमिर भाई एक तरफा बात करती है इस फिलम के भीतर ...... आमिर बाबू बोले भाई अपुन
तो आर्टिस्ट है जे बात आप निर्माता निर्देशक से कहियों !
कोई कुछ भी कहे एक बात तो स्वीकारनी होगी कि इंसानी आस्थाओं के खिलाफ लोगबाग सदियों
से आधी रोटी में दाल लेकर उचकते नज़र आते हैं ... हमाए बाबा परसाई जी कम न थे
गणेशोत्सव हो या अन्य कोई उत्सव हिन्दू धर्म के खिलाफ वो लिखना न चूकते ऐसा जबलपुर
वालों का मत रहा है । परंतु परसाई जी
कट्टर भगत लोग इस बात को अस्वीकारते हैं
सारे भगत मानतें हैं कि -
"परसाई जी सभी धर्मों की कट्टरताओं के खिलाफ थे । "
तो भगत भाई लोग
ये बताओ कि - किसी भी प्रकार का
धार्मिक विद्वेष के लिए ऐसे विषय औवेसी ब्रांड वक्तव्य अथवा किसी भड़काऊ
विषय को सामने लाना ज़रूरी है क्या ?
"नहीं
न................ तो समझ लो लोग निब्बू वाले प्रकाश में ( लाइम लाइट में ) बने रहने अथवा नोट कमाने के लिए
अथवा टी आर पी के चक्कर में ऐसा काम करने से चूकते नहीं ।
अब
अपने अनूप जी को ही लीजिये वे पुलिया प्रकरणों प्रकाशनोपरांत इन दिनों परसाई जी की उक्तियों की सीरीज़ फेसबुक पर सांट रहे हैं उनकी मित्र मंडली में हम ही एक नालायक निकले
जिसने ऐन उनकी फेसबुक वाल पे अंगुली कर दी .......... अब जुकर भाई ये फाइसेलिटी प्रोवायाडे
हैं तो हम फायदा उठा लिए ।
परसाई ने केवल हिन्दुओं को निशाना बनाया
था अनूप
शुक्ल जी कोई और की नज़ीरें है क्या
आपके पास ?
वैसे वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है ।
वैसे वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है ।
भाई साहब को हमारा सवाल गलत अवश्य लगा पर
चोखा सवाल है मित्रो दोषारोपण कर हम किस किस को और क्यों आहत करना चाहते हैं ? रही परसाई जी की बात तो जान लीजिये कि बावजूद उनसे गटागट की गोलियां खाने
के हम उनके हर मुद्दे को हूबहू स्वीकार लें तो यह भी एक तरह की सांप्रदायिकता होगी । मुझे परसाई जी पसंद हैं पर उनका हर अक्षर स्वीकार
लूँ मुझे स्वीकारी नहीं है ।
परसाई ने इस तरह की बात कह दी पता
नहीं क्यों धर्मों को दोष दिया परसाई ने शायद उनने धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने के बाद एक भी अच्छी
बात परसाई को न मिली उन में तो मुझे उनकी शैली में ही कहना पड़ रहा है कि - परसाई भगत ने उनको गलत
चश्मा पकड़ा दिया होगा ।
कोई बात नहीं ..... होता रहता है बड़े
बड़े शहरो में ऐसी छोटी छोटी बात होती ही हैं । हिन्दुत्व क्रिश्चियनिटी इस्लाम
सबकी अच्छी एवं मानवता पोषक बातों को हाइलाइट कीजिए अनूप शुक्ल जी सहित उन सभी से मेरा
निवेदन है जो कि सनातन की ज़्यादा भद्द पीटने
आमादा हैं कि भाई धर्म के नाम पर किसी को प्रोवोग न किया जावे .... दु:खी तो कतई न
करें वरना इसके दुष्परिणाम ही सामने आएंगे ।
समय सदभाव को गति देने का है न
कि फिजूल में मुद्दे उछालने का ।
आजकल अधिकतर लेखक / फ़िल्मकार /
सोशल-साइट वीर,
ब्लागर, नेता धर्मगुरू बिक जाने योग्य यानि सेलेबल मुद्दे उछलते है
। मुद्दे उछालते हैं ।
पी के फिल्म पी के की खिलाफत
न होती अगर फिल्मकार समझदारी से मुद्दा उठाते , आप आज नहीं कल स्वीकारेंगे
कि पी के एकतरफा फिल्म है ।
मुद्दे
पर आता हूँ मैंने फुरसतिया जी की वाल पर लिखा -
परसाई
ने केवल हिन्दुओं को निशाना बनाया था अनूप शुक्ल जी कोई और की नज़ीरें है क्या आपके
पास ?
वैसे
वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित
मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है ।
ये लिखने की वजह थी किसी धर्म पर निशाना लगाने से क्या हो सकता है .... और
देखना यह भी था कि वास्तव में केवल एक समूह
विशेष के बारे में लिखने वाले कितने साहसी हैं .......... मित्रो आगे के कुछ संवाद
से आप समझ ही जाएंगे
अनूप शुक्ल आप तो बचपन से परसाई जी से मिलते रहे हो। इत्ता ही जानते हो परसाई जी को।
अफ़सोस हुआ आपकी टिप्पणी से। पढ़ो उनका लिखा हुआ।
Mukul जी
पढ़ा है पढ़ूँगा भी ...... उनके हाथ से गटागट की गोलियां भी खाईं हैं । मैं खुले तौर
पर इस बात को सामने लाना चाहता हूँ कि परसाई कालीन परिस्थियों पर भी विमर्श हो ।
Mukul आप
अफसोस ज़ाहिर न करें मैं वो पहला व्यक्ति हूँ जिसने परसाई जी के भोला राम के जीव को
पढ़कर संकल्प लिया था कि अफसर बना तो किसी भी मातहत को इस तरह दु:खी न होने दूंगा ।
ऐसा किया भी .... 1991 में मुझे अवसर मिला भी । इसका ये अर्थ
नहीं कि " मैं टार्च बेचने वाले को स्वीकार लूँ "
अनूप शुक्ल परसाईजी ने हर धर्म की कट्टरता के खिलाफ लिखा है। लेकिन पिटे अपने धर्म के
कट्टरपंथियों से हैं। अफ़सोस इसलिए कि आपने लिखा क़ि उन्होंने सिर्फ हिंदुओं को
निशाना बनाया है । परसाई जी से परिचित व्यक्ति से यह तो अपेक्षा रखी जा सकती है कि
वह उनके बारे में इतनी तो समझ रखे ।
Mukul वही तो
पूछ रहा हूँ कि परसाई जी ने अन्य के बारे जो लिखा उसे आप आज पोस्ट कर पाएंगे ............
मैं उन नज़ीरों को सामने लाने की बात ही तो कर रहा हूँ ......... जीनामे यूनाने
अन्य सभी कुरीतियों को उजागर किया है अनूप शुक्ल जी
Mukul मैंने आपको अपनी राय नहीं दी वरन एक सवाल पूछा हा... ? चिन्ह के पहले ये ही लिखा है न .................. " परसाई ने केवल
हिन्दुओं को निशाना बनाया था अनूप शुक्ल जी कोई और की नज़ीरें है क्या आपके पास ?
वैसे वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है । "
वैसे वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है । "
इसके बाद फुरसतिया जी ने कुछ
भी नहीं कहा ......................
आमिर
भी मौन हैं ....................... सेंसर बोर्ड तो पहले ही नेत्र विकार से ग्रस्त
है ......... कुल मिला के सबकी दुकान अपने अपने तरीके से चलती है चलती रहेगी ।
रविवार, दिसंबर 28, 2014
जो कभी भी न मिला, न मैं उसको जानता- वो भी पत्थर आया लेके जाने उसको क्या गिला है.
आप बोलोगें मुकुल जी, आपका तो जलजला है by girishbillore
फ़न उठा कर मुझको ही डसने चला है,
सपोला वो ही मेरी, आस्तीनों में पला है.!
वक़्त मिलता तो समझते आपसे तहज़ीब हम -
हरेक पल में व्यस्तता है तनावों का सिलसिला है.
जो कभी भी न मिला, न मैं उसको जानता-
वो भी पत्थर आया लेके जाने उसको क्या गिला है.
जीभ देखो इतनी लम्बी, कतरनी सी खचाखच्च -
आप अपनी सोचिये, बयानों में क्या रखा है .?
ये अभी तो ”मुकुल” ही है- पूरा खिलने दीजिये-
आप बोलोगें "मुकुल जी, आपका तो जलजला है..!!"
शनिवार, दिसंबर 27, 2014
सोमवार, दिसंबर 22, 2014
हरदे वाला बाबूलाल
हरदे* वाला बाबूलाल
एक टांग पर खड़ा
एक हाथ उंचा आकाश को निहारता
अक्सर देखा जाता था
घंटाघर में
जोर जोर से कुछ बोलता था
जाने क्या कौन जाने
काला कम्बल
कब सोता था उसे ओढ़कर
कब सोता था उसे ओढ़कर
कौन जाने ?
किसानों की छकड़ी से
बाबूलाल को तकते बच्चे
पूछते - "यो काई बोलच दाजी "
.... कुण जाणा कई बोले है ....
पोरया, अ वो धसाढ़नई
मुड़ो भित्तर कर .......
बच्चे छिप जाते गाड़ी के भीतर
हरदे वाला बाबूलाल
एक टांग पर खड़ा
एक हाथ उंचा आकाश को निहारता
लोग कहते थे
गरिया रहा है
अंग्रेजों को.…………………।
मेरे घर के ऐन
सामने वाला बूढ़ा भी है
रोज़िन्ना ......................
लोगों को गरियाता है मातृ-भगनी अलंकरण करता
पर वो बाबूलाल नहीं है हरदे वाला
यह कविता श्रीमती जी से आज सुबह हुई चर्चा पर आधारित है
*हरदे= हरदा
शनिवार, दिसंबर 20, 2014
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने पेशावर ट्रेजेडी पेंटिंग पर किए हस्ताक्षर
![]() |
17.12.2014 रात्रि 08 : 00 बजे बालभवन जबलपुर |
![]() |
18 . 12. 2014 अपरान्ह 12 :00 बजे मानसभवन जबलपुर |
![]() |
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने पेंटिंग पर अपने हस्ताक्षर करते हुए |
संभागीय बालभवन
जबलपुर के बच्चे पाकिस्तान के पेशावर में
16 दिसंबर 2014 को स्कूली बच्चों पर हुए आतंकी हमले से बेहद दु:खी थे । सामूहिक
प्रार्थना के उपरांत बच्चों ने विश्व में आतंक के खात्मे पर खुला के बातचीत की ।
सभी बच्चों के मन में आक्रोश था । सभी दु:खी थे कुछ बच्चे भावुक भी थे आंखों में
नमी लिए हमसे पूछा – “आतंक का अंत क्या है ?”
बच्चों को हमने बताया कि जितना अधिक से
अधिक सकारात्मकता एवं तेजी से को बढ़ावा
दिया जाएगा उतना तीव्रता से आतंक का अंत होगा । हम एक महान देश के नागरिक हैं हमें
विश्व को शांति का संदेश देते रहना होगा । अगर हम कलाकार हैं तो कला के जरिये, कवि हैं तो हमारी कविताएं सकारात्मक होनी चाहिए । सबसे पहले हम मन से
कुंठा निकालें और विश्व को शांति का संदेश देने की कोशिश करें चित्रों से गीतों से
कविताओं से साहित्य से ......... !!
बस फिर क्या था किसी ने कलम उठाई तो किसी ने ब्रश ......... रात आठ
बजे जब मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रवास दिनांक 18 दिसंबर 2014 के लिए मिली ज़िम्मेदारी पूरी कर वापस बालभवन पहुंचा तो कला-कक्ष में बच्चों और
उनकी निर्देशिका को पेशावर-त्रासदी पर बनाई पेंटिंग को अंतिम रूप देते पाया । सारे
अनुदेशक एवं समस्त स्टाफ उनके साथ था । यह पूछे जाने पर कि – आप लोग क्यों इतना कर
रहे हो ..... बच्चे ज़रा झिझके पर फिर दृढ़ता से बोले- सर, जब कल हमें बाक़ी सारी पेंटिंग लगानी ही है तो हमने सोचा कि पेशावर
ट्रेजेडी पर क्यों न संदेश दिया जाए । मैडम से हमने ज़िद कर इसे पूरा करवाने को कहा
। बच्चों के अभिभावक भी बालभवन में मौजूद
थे । उन अभिभावकों का मानना था कि- नेक काम है आप नाराज़ न हों हमने काम करने की
अनुमति दी है ।
पेंटिंग अगले दिन यानी 18 दिसंबर 2014
को माननीय मुख्यमंत्री जी के जबलपुर
प्रवास के समय मानसभवन प्रेक्षागार के कारीडोर में प्रदर्शित हुई । माननीय
मुख्यमंत्री जी पेंटिंग देखकर द्रवित हुए उन्हौने अनुदेशिका श्रीमती रेणु पांडे से
पेंटिंग एवं बालभवन जबलपुर की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की ,
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने पेंटिंग
पर अपने हस्ताक्षर भी किए ।
इस अवसर पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री शरद जैन, सांसद राकेश सिंह, जबलपुर विकास
प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा, श्री विनोद
गोंटिया, श्रीमती रीना गुजराल सहित अधिकारी गण उपस्थित थे ।
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