भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना गीत के भावों के ओतप्रोत आज का दिन भारतीय संस्कृति का वो त्यौहार है जो मन मानस की पाकीज़ा सोच को आज और
(अर्चना चावजी के स्वर में राखी का उपहार )
पुख्ता कर देता है. आज के लिए बहन फिरदौस का जिक्र सबसे पहले करूंगा जिनकी राखी मुझे सबसे पहले मिली .....
और मिला ये संदेश
रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं...
फ़िरदौस ख़ान
तभी हरनीत का फोन मिला भैया आ रही हूं कि सेल फोन ने बताया कि शोभना चौधरी का संदेश खुलने को बेताब है
माथे पे तिलक
चेहरे पे प्यार
मुंह में मिठाई
तोहफा-उपहार
कच्चे धागे ने
किया हाथों का श्रंगार
लो मन गया राखी का त्यौहार
श्रद्धा जैन
प्यारे भैया
राखी के इस अवसर पर प्यार दुआएँ भेज रही हूँ
दूर भले हूँ तन से लेकिन मन में भैया दूर नही हूँ
इस राखी को बाँध कलाई पर, तुम देना मान
तुमसा भाई पाकर मैं एक खुशनसीब बहन बनी हूँ
दूर भले हूँ तन से लेकिन मन में भैया दूर नही हूँ
इस राखी को बाँध कलाई पर, तुम देना मान
तुमसा भाई पाकर मैं एक खुशनसीब बहन बनी हूँ
आपकी बहन
श्रद्धा जैन
इस के अलावा हम सारे भाई जी हाँ आज हम सौ से अधिक लोग मिल कर होटल गेलेक्सी में एकत्रित होंगे मनाएंगे रक्षाबंधन हर बरस की तरह मेरा कुटुंब बहुत बड़ा है बिल्लोरे परिवार की तीन पुश्तें जुड़ेंगी यहाँ फिर क्या खूब दृश्य होगा आप कल्पना नहीं कर सकते ६ माह के मनन मुम्बइ वाले प्रभात की बेटी ख़ुशी /ख्वाइश से लेकर ९० साल के बड़े पापा पुरुषोत्तम जी सहित सब सभी जुड़ेंगे बस माँ सव्यसाची न होगी जिनने दस बरस पहले ये परम्परा शुरू कराई थी ......
मेरी बेटियां अक्सर मेरी कलाई पर सजी राखियाँ गिनतीं है कोहनी तक सजा मेरा हाथ देख खूब खुश होतीं हैं
उन लोगों को बता दूं की बेटियाँ न इस त्यौहार के वास्ते बल्कि सारी कायनात के लिए कितनी ज़रूरी हैं जो बेटियों को जन्म नहीं लेने देते सच कितने अभागे और दुष्ट होते है हैं न ..................... चलिए आज स्वप्न-मंजूषा वाली अदा जी को भी जन्म दिन की शुभ कामनाएं दें दें जो किसी की बेटी ही तो हैं जिनने देश का नाम विदेशों में रोशन किया