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बुधवार, मार्च 10, 2010

आज पोडकास्ट ? सॉरी कल आज तो ये देखिये

जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं

जे जो आप आदमी देख रए हो न उस शहर से आया है जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं सूरज शोलों सा इनके ही शहर से और तो और ठीक इनके मकान के ऊपर से निकलता है. तभी देखोन्ना............इनका चेहरा झुलसा हुआ आग उगलता नज़र आ रिया है. सारे नकारात्मक विचार इनकी पाज़िटीविटी जला के ख़ाक ख़ाक कर चुकें हैं ! गोया ये ये नहीं सोई हुई आग को अपने में समोए गोबर के उपले से नज़र आ रहे हैं .
कुंठा की खुली दूकान से ये महाशय अल सुबह से कोसन मन्त्र का जाप करतें हैं . तब कहीं कदम ताल या पदचाप करतें हैं .
जी हाँ ...!! ज़मूरे खेल बताएगा
बताउंगा उस्ताद
इस आदमीं की जात सबको बताएगा ?
बताउंगा...!
कुछ छिपाएगा....?
न उस्ताद न
तो बता ........ आज ये कितनों की निंदा करके आया है ..?
उस्ताद............आज तो जे उपासा है...! देखो न चेहरा उदास और रुआंसा है......!!
हाँ ये बात तो है पर ऐसा क्यों है....!
उस्ताद इसकी बीवी का भाई इसके घर आया था बीवी को ले गया आज ये घर में अकेला था मन बहलाने बाजीगरी देखने आ गया...!
नहीं मूर्ख ज़मूरे ये अपनी बाजीगरी कला का पेंच निकालेगा
उस्ताद बड़े पहुंचे हुए हो ......ये सही बात कैसे जानी ...
बताता हूँ पहले पिला दे पानी ..........
किसे......उस्ताद ........ इसे की तुमको ....?
उस्ताद रिसियाने का अभिनय करने लगा इस नकली झगडे को असल का समझ वो नकारात्मक उर्जावान व्यक्ति बाजीगरी के लिए बीच घेरे में आ गया . निंदा के मधुर वचन फूट पड़े उसके मुँह से ... ज़मूरों की जात पे वो तहरीर पढ़ी की सारे सन्न रह गए .......
"बाजीगर भाई, तेरा जे जो ज़मूरा है इसकी वफादारी का इम्तहान लेता हूँ तुझे कोई एतराज़ तो नहीं ?"
"न,भाई ......... बिलकुल नईं मेरा ज़मूरा है "
बोल ज़मूरे तू तरक्की चाहता है.....?
हाँ !
क्या करेगा !
बड़ा बाजीगर बनूँगा.....!
उस्ताद से भी बड़ा ....?
हाँ उस्ताद से भी बड़ा तभी तो उस्ताद का नाम अमर रहेगा ...?
"तू उस्ताद का नाम अमर करेगा ?"
हाँ,करूंगा
कब
जब मैं उस्ताद बन जाऊंगा और कब ?
तू उस्ताद कितने समय में बनेगा
जितना ज़ल्दी भगवान वो समय लाएगा ?
इसका अर्थ समझे उस्ताद ....?
फिर दूर ले जाकर उस्ताद के कानों में ज़मूरे के कथन का अर्थ समझाया .... उस्ताद उसकी बात सुन कर सन्न रह गया
"मित्रो बताइए उस्ताद के कानों में ज़मूरे ने क्या कहा होगा....?"

मंगलवार, मार्च 09, 2010

स्त्री-विमर्श के लिए वास्तविक-विषय वस्तु को खोजें इस चर्चा में

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शिखा वार्ष्णेय जी से आज  भारतीय एवं पश्चिमी परिवेश में  हुई बातचीत से यह तय हो गया है की स्त्री-विमर्श की विषय वस्तु जो आजकल संचार माध्यमों पर हावी है वो कदापि उपयुक्त नहीं है. आज उनके ब्लॉग स्पंदन पर जो कविता है उसमें जो भी कुछ शामिल है वो है उंचाइयो की तलाश और खुली हवा की अपेक्षा.
बंद खिड़की के पीछे खड़ी वो,
सोच रही थी कि खोले पाट खिड़की के,
आने दे ताज़े हवा के झोंके को,
छूने दे अपना तन सुनहरी धूप को.
उसे भी हक़ है इस
आसमान की ऊँचाइयों को नापने का,
खुली राहों में अपने ,
अस्तित्व की राह तलाशने का,[आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये  ]
           शिखा वार्ष्णेय जी के अंतस में पल रही कवयत्री का दर्शन देखिये उनकी ही इन पंक्तियों  में
अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई
होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते
आइये स्त्री-विमर्श के लिए वास्तविक-विषय वस्तु को खोजें इस चर्चा में 
 
इस तरह मनाया हमने गाँव में जाकर महिला दिवस

सोमवार, मार्च 08, 2010

अदा जी ने ले ही लिया इंटरव्यू हमारा

आज सुबह  सवेरे  ललित जी पाबला जी से प्राप्त  स्नेहिल शुभ कामनाएँ और शाम की आहट के साथ पाबला जी के  ब्लॉग एवं +९१९८७०८०७०७० एस एम एस के ज़रिये सूचना के प्रकाशित एवं प्रचारित होते ही कि आज मेरे विवाह की साल गिरह है ढ़ेरो शुभ-कामनाएँ अंतरजाल की दुनियाँ से प्राप्त हुईं सभी का शुक्रिया अदा जी ने मुझे पकढ़ ही लिया और ले ही लिया इंटरव्यू हमारा  
साथ ही इन स्नेही मित्रों को मित्रानियों /पूज्यों के प्रति कृतज्ञता 
राज भाटिय़ा दादाजी , 'अदा जी    सिद्धार्थ जोशी जी   
praween trivedi ji

रविवार, मार्च 07, 2010

हौसलों का सागर :शायर अशोक

मेरा फोटो

शायर  अशोक   उम्र: 23 मुजफ्फरपुर  : बिहार के भाई अशोक का सपना है की बैंक में प्रोबेशनरी अधिकारी बनें,दोनों पैरों के बगैर भागती भटकती दुनिया में जाने कब से वो मेरे साथ हो लिए मुझे इस बात का ज्ञान नहीं था उनने बताया की वे आरकुट से मुझे फालो कर रहें हैं और अब तो ब्लागिंग भी करने लगे हैं . अशोक जी  को पसंद है क्रिकेट और किशोर कुमार के गीत . शायर अशोक का ब्लॉग है :-" कुछ एहसास - कुछ जज्बात " अशोक जी के लिएमेरी हार्दिकशुभ कामनाये आप भी चाहें तो अशोक जी से सवाल करने के लिए मुझे मेल कर सकतें हैं आइये सुनते हैं ये पॉड कास्ट :-


शनिवार, मार्च 06, 2010

जबलपुर से लन्दन व्हाया दिल्ली एंड लखनउ !!''भाग-01 /भाग-02

मुझे ये मालूम था की जी टाक पर एक बार में सिर्फ एक साथी से बात हो सकी शायद आप भी ये जानते ही हैं किन्तु आज रश्मि रविज़ा जी का इन्तजार था . किन्तु उन्हैं अपने ब्लॉग मन का पाखी जिसका लिंक ये http://mankapakhi.blogspot.com है पर आय एम् स्टील वेटिंग फॉर यु शचि लिंक http://mankapakhi.blogspot.com/2010/03/1.html शीर्षक से लघु उपन्यास डालनी थी सो सवाल ही नहीं उठाता. ..... इस बीच एक ग़ुमशुदा मित्र महफूज़ भाई हरे दिखाई दिए उनको काल किया दुनिया ज़हान की बातें चल ही रहीं थीं कि जीटाक से आने वाली काल अविनाश वाचस्पति जी की थी . और फिर हम तीनों बातों में जुट गए . उधर महफूज़ भाई की बात शिखा जी से चल रही थी इस बात का खुलासा रिकार्डिंग के बाद महफूज़ भाई ने किया वे बात चीत में महफूज़ भाई के ज़रिये शामिल थीं आइये उनकी भेजी कविता को देखें
लरजती सी टहनी पर
झूल रही है एक कली
सिमटी ,शरमाई सी
टिक जाती है
हर एक की नज़र
हाथ बढा देते हैं
सब उसको पाने को
पर वो नहीं खिलती
इंतज़ार करती है
बहार के आने का
कि जब बहार आए
तो कसमसा कर
खिल उठेगी वो
आती है बहार भी
खिलती है वो कली भी
पर इस हद्द तक कि
एक एक पंखुरी झड कर
गिर जाती है भू पर
जुदा हो कर
अपनी शाख से
मिल जाती है मिटटी में.
यही तो नसीब है
एक कली का
 अब सुनिए पाड कास्ट   भाग-01               भाग02

गुरुवार, मार्च 04, 2010

ब्लॉग की लेखिका शैफाली पांडे से बातचीत

             कुमायूं का सौन्दर्य और जीवन  की विवषताएं                   
 मास्टरनी नामाऔर कुमायूनी चेली ब्लॉग की लेखिका शैफाली पांडे से हुई बातचीत के दौरान  उन्हौने  बताया कि ये मैं क्यों बताऊँ आप स्वयं सुन लीजिये कुमाऊं  की बेटी के बारे में इतना ज़रूर कहूँगा कि वे पाजिटिव ऊर्जा से भरी हुईं हैं 
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कुमाउनी गीत का इंतज़ार कुछ देर के लिए कीजिये

बुधवार, मार्च 03, 2010

''पाबला जी से खुली बातचीत !''

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साथियो आपका हार्दिक अभिवादन, होली के पूर्व श्री बी एस 
पाबला से खुल कर चर्चा हुई . किन्तु नेट एवं अन्य विवषताओं 
के चलते पाडकास्ट पोस्ट न कर सका. सादर प्रस्तुत है. 
आपसे पाडकास्ट  इंटरव्यू की  कमियों की ओर इंगित कर 
मुझे मार्गदर्शन दीजिये 
भवदीय मुकुल
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