कुमायूं का सौन्दर्य और जीवन की विवषताएं
मास्टरनी नामाऔर कुमायूनी चेली ब्लॉग की लेखिका शैफाली पांडे से हुई बातचीत के दौरान उन्हौने बताया कि ये मैं क्यों बताऊँ आप स्वयं सुन लीजिये कुमाऊं की बेटी के बारे में इतना ज़रूर कहूँगा कि वे पाजिटिव ऊर्जा से भरी हुईं हैं _______________________________________________
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कुमाउनी गीत का इंतज़ार कुछ देर के लिए कीजिये
11 टिप्पणियां:
शेफाली जी ने बताया चेली यानि बेटी । (लोग अपनी जानकारी ठीक कर लें }। शेफाली जी ने बताया कि वे जिम कार्बेट के पास एक स्कूल मे शिक्षिका हैं । वहाँ काम करने की परिस्थितियों के बारे मे काम करने के बारे मे बताते हुए उन्होने अपने लेखन की विधा के बारे मे बताया ।उन्होने बताया कि गाँव की सूरत अब बदल चुकी है । कुमाऊँ के बच्चो के बारे मे उन्होने बताया कि जहाँ सुविधायें नही है वहाँ भी उनकी बौद्धिक स्थिति बेहतर है । साहित्यकारों के बारे मे बताते हुए उन्होने परसाई जी को याद किया और उनकी रचनाये वैष्णव की फिसलन को याद किया । गिरीश जी की जबान भी फिसल गई और वे शरद जोशी की रचना "जीप पर सवार इल्लियाँ 'को याद कर बैठे । गिरीश जी ने राग दरबारी को याद किया । इस तरह यह साक्षात्कार चलता रहा .. आगे आप खुद सुन लीजिये .
shefaali ji se aapka sakhsharkaar bahut hi accha laga...kumaaun ki sundarta dekh sunkar ab jaane ki iccha ho gayi hai...shefali ji ke lekhan ki main bhi mureed hun..hamesha padhti hun unhein...aaj aawaz sunkar aur bhi accha laga...
aapka bahut dhnywaada girish ji aap bahut hi accha kaam kar rahe hain..
शेफाली जी ने बिल्कुल स्पष्ट तौर पर उन्होने हर मामलों में अपने विचार रखे .. उनके विचार मुझे बहुत अच्छे लगे .. इस पोस्ट के लिए आपका आभार !!
गिरीश जी... शऱद ने जी आपको क्या खूब पकड़ा है... जुबान फिसलने पर.. हाहाहा.. साफ़गोई से भरा इंटरव्यू.. कुमाऊं में मेरे भी बहुत से रिश्तेदार रहते हैं... अभी भी कुछ इलाकों में बुनियादें सुविधाएं तक नहीं हैं...
शेफाली जी को अब तक पढते रहे हैं आज आवाज से रूबरू होकर तथा विचारों आदि को जानकर अच्छा लगा.
जीवंत ब्लोग बना दिया है आपने
अशोक पांडे जी आजकल ग्वालियर में हैं। घुघूती बासूती संभवत: मुंबई में हैं आजकल। पर मेरी जानकारी सही न हो तो कृपया दुरुस्त अवश्य कीजिएगा। साक्षात्कार बहुत उपयोगी रहा है। दिशा देती मानसिकता है इसमें। जिनसे समाज में सकारात्मकता बढ़ सकती है। पर शेफाली, वो जो अंधविश्वास है, वो इतना अंधा है कि उन्हें दिखता ही कुछ नहीं है परन्तु बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाई जा सकती है।
बहुत अच्छी बातचीत, मगर प्रस्तुति में सफाई का ध्यान रखा जाना जरूरी है। एडिटिंग वगैरह की भी व्यवस्था होनी चाहिए। हालाँकि गिरीश जी ने तुरन्त गलती सुधार ली परन्तु फिर भी एक पाठक के रूप में यह सुनना कतई अच्छा नहीं लगता कि जीप पर सवार इल्लियाँ परसाई जी की रचना है।
ब्लॉगिंग की कमजोरी के मुद्दे पर शैफाली जी की राय बेहद सटीक और ब्लॉगरों के लिए सोचने की बात है। शैफाली जी का बेबाकी उनके ब्लॉग से ही स्पष्ट होती है, इस वार्ता ने इसे और भी स्पष्ट किया है। शैफाली जी और गिरिश जी को बधाई और शुभकामनाएँ।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
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अरे ये कुमायूनी चेली तो गज़ब ढा रही है ..इनकी लेखनी कि धार के तो हम कायल हैं इनसे मिलकर भी बहुत मजा आया था आज फिर से उन्हें सुनकर बहुत ख़ुशी हुई .बहुत आभार गिरीश जी.
hi, ur standard requirment improvement dear sister.
शेफ़ाली जी से बातचीत सुनकर अच्छा लगा।
बहुत ही दमदार है बातचीतख् प्रभावोत्पादक। बधाई स्वीकारें।
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