लाॅक डाउन - भाग - ५
लॉक डाउन है, सुनसान सडकें हैं ,खाली बाजार हैं और हर व्यक्ति अपनी देहरी के अंदर सिमटा हुआ है !
कुछ दिनों पहले रामनवमी गई और कल हनुमान जयंती है ,
दूरदर्शन पर रामायण का पुनः प्रसारण हो रहा है एक टीआरपी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 15 करोड लोग इसे देख रहे और वैसे भी राम भारतीय सनातनी परंपरा का सबसे सम्मानीय, मान्य और पूजनीय चरित्र है और रामायण सबसे सम्माननीय और पूजनीय चरित्र चित्रण रहा है!
परंतु क्या रामायण इस काल में भी और विशेष तौर पर करोना काल से जुझती हुई दुनिया के लिए प्रासंगिक है!
चलिए एक बार मिलकर समझने का प्रयास करते हैं !
रामायण में राम को हर किसी ने अपने-अपने राम की तरह देखा है!
मैंने अपने जिस राम को देखा है उस पर मैं जो सोचता हूं आपसे साझा कर रहा हूं!
मै राम के निम्नलिखित गुणों से अभिभूत और प्रभावित रहा हूँ!
1.समर्पण 2.धैर्य 3.विनम्रता 4.सकारात्मकता 5 वीरता
अब चलिए समझने का प्रयास करते हैं क्या राम की ये गुण इस काल में और विशेष तौर पर करोना काल में भी प्रासंगिक हैं!
1.सबसे पहले बात करते हैं समर्पण की - रामायण में राम समर्पण की एक प्रतिमूर्ति थे उनका अपने गुरु के प्रति समर्पण हो ,अपने पिता के प्रति समर्पण हो, अपनी माता के प्रति समर्पण हो, अपनी पत्नी के प्रति समर्पण हो या अपने राज्य और अपने साथियों के प्रति समर्पण!
यदि हम गौर से देखें तो आज हमें भी अपने जीवन में इस तरह के समर्पण की आवश्यकता है अपने हर रिश्ते में , और शायद हमारा यही समर्पण भाव हमारी इस दुनिया को स्वर्ग बना सकता है इस करोना काल में भी समर्पण का गुण बहुत आवश्यक है समर्पण देश और समाज के प्रति, ईमानदारी से लॉक डाउन के नियमों का पालन कर के हम अपने समाज को इसी समर्पण भाव की वजह से करोना युद्ध में विजय दिला सकते हैं!
2. धैर्य - राम हर परिस्थिति में धैर्य का एक अनुपम उदाहरण है चाहे एक रात पहले राजा बनने की स्थिति हो और अगले दिन वनवास जाने की, जंगल में पत्नी का अपहरण हो या पूर्ण समर्पित भाई का मृत्यु शैया पर लेटा हुआ होना हो , हर परिस्थिति में राम ने धैर्य धारण करके स्वयं को और स्वयं के सारे लोगों को उन परिस्थितियों से बाहर निकाला , राम के पूरे चरित्र में कुछ जो सबसे मजबूत रहा है तो वह धैर्य ही रहा है! आज समाज में , हमारे जीवन में धैर्य की सख्त आवश्यकता है हम छोटी-छोटी परिस्थितियों में, छोटे-छोटे व्यापारिक ऊंच-नीच में ,छोटे-छोटे पैसों की लेन-देन में अपना धैर्य खो देते हैं और बड़ी-बड़ी गलतियां करके अपने जीवन को नर्क बना लेते हैं शायद यदि हम धैर्य धारण करना सीख जाएं तो हम अपने जीवन की बहुत सारी परेशानियों और तकलीफों से अपने आप को बचाने में सफल हो जाएंगे इसी तरह करोना काल में भी धैर्य की बहुत आवश्यकता है हम घर पर बैठे हैं ,हमारा काम बंद है ,हमारे व्यापार बंद है हमारा वित्तीय नुकसान है और भी बहुत सारी चीजें हैं जो कहीं ना कहीं हमें अधीर करती है और घर से बाहर निकलने के लिए दबाव बनाती है पर शायद यही समय है जब हमें धैर्य धारण करना है और पूरी इमानदारी से घर में रहकर लॉक डाउन के सारे नियमों का पालन करना है!
3.विनम्रता - बहुत बार हमारी सफलता या हमारा व्यवहार हमें विनम्रता की परिधि से बाहर ले जाता है और यही शायद हमारे पतन का कारण भी बनता है इसलिए हर हाल में हर परिस्थिति में स्वयं पर आत्म नियंत्रण रखें और विनम्रता का दामन कभी नहीं छोड़े ! इस करोना काल में विनम्रता और सम्मान उन लोगों के प्रति जो इस करोना युद्ध में प्रथम पंक्ति में युद्ध कर रहे हैं जैसे सफाई कर्मी ,चिकित्सा कर्मी ,प्रशासन, पुलिस इनके प्रति हमारी विनम्रता हमारा सम्मान ही इनके द्वारा किए गए कार्यों का सही विश्लेषण होगा,
राम को इसी विनम्रता ने भारत का सबसे मान्य और सम्मानित चरित्र बना दिया है!
4.सकारात्मकता - सकारात्मकता शब्द अपने आप में स्वपरिभाषित शब्द है , नौकरी ,व्यापार, व्यवसाय, लाभ, हानि ,यश, अपयश इन सारी परिस्थितियों से बाहर आने का इन सारे विचारों से स्वयं को बाहर निकालने का एकमात्र रास्ता और तरीका सकारात्मकता ही है ! राम ने किसी भी परिस्थिति में सकारात्मकता का दामन कभी नहीं छोड़ा जब भरत और तीनों माताएं राम को जंगल से वापस लेने गई तो राम ने उनसे कहा कि नहीं मां मेरे साथ किसी तरह का कोई अन्याय नहीं हुआ है भरत को पिता श्री ने नगर का शासन दिया है और मुझे जंगल का राजा बनाया है और आने वाले दिनों में मुझे अपने सारे बड़े कामों का अंजाम इसी राज्य से देना है, एक दूसरा छोटा सा उदाहरण है युद्ध के पूर्व विभीषण ने राम से कहा कि हम युद्ध के लिए तैयारी शुरू करते हैं राम ने कहा - नहीं अभी अंगद दूत के तौर पर गए हुए हैं उनके आने से पहले युद्ध की तैयारी शुरू करना मतलब अंगद को प्रयास के पूर्व असफल मान लेना होगा , पहले प्रतीक्षा कीजिए अंगद के प्रयासों पर विश्वास किजिए , अंगद अपने प्रयासों में सफल होंगे, शायद इस तरह की सकारात्मकता का उदाहरण जीवन में कम देखने को मिलता है , आज करोना काल में भी हमें सकारात्मक होना और रहना है इस पूरे मजबूत विश्वास के साथ की करोना से युद्ध हम जीतेंगे ही!
5. वीरता - जब सारे रास्ते समाप्त हो जाए और संधि का या सामंजस्य का कोई विकल्प नहीं बचे तो फिर युद्ध और उस युद्ध को जीतने के लिए आपके अपने अंदर की वीरता ही एकमात्र विकल्प रह जाती है , राम ने अपने हर युद्ध के पूर्व विनम्रता और धैर्य के साथ उस युद्ध को रोकने और टालने का यथासंभव प्रयास किया परंतु जब युद्ध टल नहीं सके तो फिर राम ने पूरे समर्पण भाव से, पूरी शक्ति से, पूरी वीरता से युद्ध को लड़ा भी! आज हमारे लिए भी शायद यही आवश्यक है यथासंभव हम समाज में, मित्रता में ,आपस में टकराव को टालने का पूरा प्रयास करें और हाँ ये प्रयास सचमुच पूरी ईमानदारी से हो! परंतु एक जगह कहीं आने के बाद हमें यह लगे कि युद्ध टाला नहीं जा सकता है , उस लड़ाई को उतनी ही वीरता से लडें जैसा कि आज हम करोना काल में करोना के विरुद्ध युद्ध लड रहें हैं! जिस तरह से अपने आपको अपनी ही देहरी के अंदर समेट कर लॉक डाउन और करोना के विरुद्ध युद्ध के नियमों का पूरी वीरता और समर्पण भाव से पालन करके इस युद्ध में अपनी विजय सुनिश्चित कर रहे हैं !
ऐसा मेरा मानना है कि राम आदि काल से लेकर आज तक हर एक व्यक्ति के जीवन में चाहे वो छोटा हो ,बढ़ा हो, अमीर हो ,गरीब हो, सफल हो असफल हो प्रासंगिक है और जब तक मानव जीवन है मानव जीवन की जीवन शैली में राम है क्योंकि राम एक चरित्र मात्र नहीं है ये एक जीवनशैली हैं यह जीवन शैली किसी जाति या मात्र हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है यह तो धरती के प्रत्येक मनुष्य के लिए प्रासंगिक है!
" अपने अपने राम को अपने अपने अंदर ही धारण करके अपने अपने अंदर ही देखने और समझने का प्रयत्न करें " !
आज हमने राम के व्यक्तिगत गुणों पर बात की लॉक डाउन के अगले भाग में हम राम के व्यवसायिक गुण धर्मो पर बात करेंगे ।
जय श्री राम