1.11.10

एक गज़ल ---गिरीश पंकज जी की

एम.ए (हिंदी), पत्रकारिता (बी.जे.) में प्रावीण्य सूची में प्रथम,लोककला संगीत में डिप्लोमा. पैतीस सालों से साहित्य एवं पत्रकारिता में समान रूप से सक्रिय. -सदस्य-साहित्य अकादेमी, दिल्ली/प्रांतीय अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ राष्ट्र्भाषा प्रचार समिति -बत्तीस पुस्तकें प्रकाशित: तीन व्यंग्य- उपन्यास- मिठलबरा की आत्मकथा, माफिया, और पालीवुड की अप्सरा. आठ व्यंग्य संग्रह- ईमानदारों की तलाश, भ्रष्टाचार विकास प्राधिकरण, ट्यूशन शरणम गच्छामि, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ, मूर्ति की एडवांस बुकिंग, हिट होने के फार्मूले, नेता जी बाथरूम में, एवं ''मंत्री को जुकाम''., नवसाक्षरों के लिये चौदह पुस्तकें बच्चो के लिये चार किताबें, एक हास्य चालीसा, दो ग़ज़ल संग्रह. -कर्णाटक एवं मध्यप्रदेश में दो लोग गिरीश पंकज के व्यंग्य-साहित्य पर पीएच.डी. कर रहे है.प्रवास-अमरीका, ब्रिटेन, त्रिनिदाद, मारीशस आदि लगभग दस देशो का प्रवास. -
ईमेल- girishpankaj1@gmail.com 

आज दिजिये गिरीश पंकज जी को जन्मदिन की बधाई व सुनिये उनकी एक गज़ल ------





पंकज जी की  ग़ज़लें उनकी इस साईट पर उपलब्ध हैं

13 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

जन्म दिन की बधाई...

राजीव तनेजा ने कहा…

मधुर स्वर से सुसज्जित बढ़िया गज़ल...

गिरीश जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

अर्चना जी इस नेक कार्य के लिये आभार
पंकज जी को सुरीली शुभ कामनाएं : अर्चना जी के सहयोग से

रानीविशाल ने कहा…

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आपके स्वर में सुन कर अच्छा लगा ....धन्यवाद !
गिरीश जी को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाईयाँ

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत अच्छा यह ग़ज़ल सुनकर ..... आप दोनों को बधाई
गिरीश जी को जन्मदिन की शुभकामनायें

Archana Chaoji ने कहा…

धन्यवाद...

girish pankaj ने कहा…

बिल्लोरे जी और अर्चना जी ....दोनों का हार्दिक आभार .....आपने दिया निर्मल प्यार. आज के दौर मे बिना स्वार्थ के कोई किसी के लिये नहीं सोचता, लेकिन आप दोनों अपवाद है. मेरा परिचय अपने ब्लॉग में दिया, यह बड़ी बात है. इसलिए इस भावना को नमन. मेरी ग़ज़ले अर्चना जी इसके पहले भी चाव से गाती रही है.उनको अतिरिक्त धन्यवाद. उनका यह स्नेह मेरी रचनाओ के प्रति बना रहे. और ब्लागर मित्रों को भी धन्यवाद, जिनको मेरा काम पसंद आता है.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आशीर्वाद दीजिये पंकज जी
बस और कुछ भी नहीं चाहिये हमको
_________________________________
एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
मानो या न मानो

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ग़ज़ल आपके स्वर में सुन कर अच्छा लगा ... जन्म दिन की बधाई..

शिवा ने कहा…

Bahut Achi Gajal

सदा ने कहा…

जन्‍म दिन की शुभकामनाओं के साथ इस सुन्‍दर प्रस्‍तुति के लिये बधाई ।

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

बहुत सुन्दर...मधुर स्वर...

cgswar ने कहा…

गिरीश जी को बधाई इस खुबसूरत गजल के लिये और अर्चना जी को धन्‍यवाद इस माध्‍यम से लोगों की भावनाओं को दूर दूर तक पहुंचाने में। प्रयास सराहनीय, प्रस्‍तुति काबिले तारीफ।

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...