27.2.14

"फ़ेसबुक पर महाशिवरात्रि की धूम से नंदी भाव-विभोर !!"


 परम आदरणीय महान भारतीयो

                      "हैप्पी महाशिवरात्रि " 
  आज़ फ़ेसबुक पर आप सभी ने जिस तरह महाशिवरात्रि की धूम से मैं शिववाहन नंदी हार्दिक रूप से अभिभूत हुआ हूं. प्रभू को फेसबुक पर देख अभिभूत हूँ आज मैने गणेश जी के एंड्रायड पर प्रभू को पृथ्वी लोक की लीला का अवलोकन कराया . प्रभू एवम मां पार्वती भी अतिशय प्रसन्न हैं. 
हे भारतीयों इनका नाम ही भोले भंडारी है.. यथा नाम तथा गुण वाले प्रभू ने माता पार्वती से कहा -"हे देवी एक ओर जहां पृथ्वी लोक से चुनावी अटपट-चटपट-गटपट संवाद सुनाई दे रहें हैं कहीं कुंठित अनुगुंठित, अवगुंठित गठबंधनो का समाचार दिखाई सुनाई दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर भारतीय जन इस पर्व को बड़े उत्साह से मना रहे हैं एक दूसरे को Wish U Very Happy Mahashivratri…….कह रहे हैं...!!"
           देवी पार्वती ने जब व्यग्र होकर पूछा- प्रभू, इन दिनों शिवाष्टक, पुष्पदंत विरचित शिवमहिम्न्स्त्रोत, शिवलीलामृत, रावण विरचित शिवतांडव   की ध्वनीयां सुनाईं नहीं दे रहीं..
    इस पर प्रभू मुस्कुराए और उनने कहा- देवी, धरा पर ध्वनि आधिक्य के कारण ऐसी ध्वनियों की संभावना कम ही मानो . 
  हे भारतीयो, देश में "हैप्पी.... ये...दिन /  हैप्पी.... वो...दिन" कहने का अवसर जब भी मिले अवश्य कहिये भले आप किसी को हैप्पी रखें या न रखें परंतु आपके ऐसे कह देने मात्र से एक पुण्य आपके एकाउंट में जमा हो जावेगा. ऐसे अवसर निरंतर आते हैं उनका लाभ उठाते रहिये . 
पुन: शिवरात्री की हार्दिक शुभकामानाएं....
                                                    Wish U Very Happy Mahashivratri…….
आपका स्नेही
"नंदी"
अंत में उड़नतश्तरी के एकमेव स्वामी समीरलाल विरचित 
पैग़ाम 


                                



25.2.14

गांव के गांव बूचड़ खाने से लगने लगे अब सियासी-परिंदे गांवों पे मंडराने लगे हैं.

आभार इनका जी 
http://www.blendwithspices.com/2010_08_01_archive.html

रजाई ओढ़ तो ली मैनें मगर वो नींद न पाई ,
जो पल्लेदारों को  बारदानों में आती है.!
वो रोटी कलरात जो मैने छोडी थी थाली में
मजूरे को वही रोटी सपनों में लुभाती है.
***********
फ़रिश्ते   आज कल घर मेरे आने लगे हैं
मुझे बेवज़ह कुछ रास्ते बतलाने लगे हैं
मुझे मालूम है तरीके़ अबके फ़रिश्तों की
फ़रिश्ते घूस लेकर काम करवाने  लगे हैं.
***********
तरक़्क़ी की लिस्टें महक़में से हो गईं जारी
तभी तो लल्लू-पंजू इतराने लगे हैं....!!
खुदा जाने नौटंकी बाज़ इतने क्यों हुए हैं वो
जिनको लूटा उसी को भीख दिलवाने चले हैं.
***********
जिन गमछों से आंसू पौंछते हमारे बड़े-बूढ़े-
वो गमछे अब गरीबों को डरवाने लगे हैं.
गांव के गांव बूचड़ खाने से लगने लगे अब
सियासी-परिंदे गांवों पे मंडराने लगे हैं.
***********

24.2.14

टी.वी. चैनल्स के लिये चुनौती है न्यू-मीडिया ?

 
साभार : learningtimes
             

  के. एम. अग्रवाल कलावाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालयकल्याण(प) के हिंदी विभाग द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान  आयोग के सहयोग से 9-10 दिसबर 2011 को दो दिवसीयराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाना था जो केंद्रित थी "हिन्दी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनायें" विषय पर   डॉ.मनीष कुमार मिश्रा का स्नेहिल आमंत्रण सम्पूर्ण व्यवस्थाश्रीमति अनिता कुमार जी के आचार्य कालेज मुम्बई में मेरा वक्तव्य सुनिश्चित किया था कई सारे प्रोग्राम तो फ़ोन पे तय हो गये थे कुछ तय हो जाते वहां जाकर  सब कुछ सटीक समयानुकूलित था कि अचानक  7.12.2011 की रात मुझ पर  अस्थमेटिक हमला हुआ सपत्नीक कल्याण और फ़िर मुम्बई जाना अब किसी सूरत में संभव न था. जबलपुर से नागपुर फ़िर वहां से फ़्लाईट पकड़नी थी .जात्रा के लिये  सजा सजाया साजो सामान और तेज़ बुखार खांसी एक विपरीत परिस्थिति डाक्टर ने भी बिस्तर से न हिलने की सलाह दी थी. श्रीमति अनिता कुमार जी तो शायद आज़ तक नाराज़ है. नाराज़गी ज़ायज़ है भई .. होनी भी चाहिये ...आचार्य कालेज मुम्बई के बच्चे उस दौर में मुझसे वेबकास्टिंग का हुनर जो सीखते जब लाइव स्ट्रीमिंग के लिये गूगल बाबा ने भी न सोचा था (शायद )..  जी हां अस्ट्रीम और बैम्बशर दो ऐसी साइट्स मेरे हाथ लगी थीं जिनके ज़रिये एक साथ हज़ारोंलाखो  लोग किसी कार्यक्रम से जुड़ जाते चाहे वे कहीं भीं हों. ये करिश्मा खटीमा-ब्लागर्स मीट   की लाइव स्ट्रीमिंग में हो भी चुका था . स्ट्रीमिंग पर कई दिनों तक काम किया था कई सारे प्रसारण प्रसारण मेरे, श्रीमति अर्चना चावजी, भाई अविनाश वाचस्पति  एवम पद्मसिंह द्वारा किये जा चुके थे .
 हिंदी ब्लागिंग में टेक्स्ट के अलावा आडियो कंटेंट्स तो पुरानी बात लगने लगी थी तब.  ब्लागिंग में वीडियों कंटेंट्स की मौज़ूदगी मुहैया कराना एक करिश्मा ही तो था. इसके सहारे कल्याण  मुम्बई जाता तो बहुत कुछ हासिल होता पर जब जब जो जो होना है तब तब वो वो होता है खैर हमारी इस तरह की उछलकूद ने   गूगल बाबा को लाइव-स्ट्रीमिंग की दिशा में सोचने शायद मज़बूर कर ही दिया . लगभग एक बरस से  नेट यूज़र्स  अब लाइव स्ट्रीमिंग का लाभ ले रहे हैं. वो दिन दूर नहीं जब हर पी सी से एक चैनल उपजेगा. न्यू-मीडिया खबरिया चैनल्स के लिये एक सूचना-स्रोत हो सकता है. (अभी कई मामलों में है भी )   प्रिंट मीडिया तो न्यू-मीडिया का भरपूर और सार्थक प्रयोग कर भी रहा है.
       तो लाइव स्ट्रीमिंग के तीव्र होते ही  खबरिया-चैनल्स को कोई खतरा है ? तो जान लीजिये आज़ से बरसों पहले जब फ़िल्में सिनेमाघरों में देखी जातीं थीं तब आम आदमी का मनोरंजन व्यय बेहद अधिक था. मुझे पांच रुपए खर्चने होते थे . पर अब दस बीस फ़िल्में मेरे सेल फ़ोन में उतनी ही कीमत पर देख सकता हूं. वो भी इच्छानुसार . 
अब आवश्यक्ता अविष्कार की जननी नहीं बल्कि बेहतर विकल्पों की तलाश की वज़ह से अविष्कार हो रहे हैं.       
              संचार के क्षेत्र में भी एक आवेग सतह के नीचे पल रहा है.  जो सिर्फ सतह देखने के  आदी है वे देखें न देखें इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ।
             चिन्तक सत्य को समझ पा रहे कि विचार और सरिता में  अनाधिकृत तट बंधों को तोड़ देने की क्षमता होती है । जहां तक न्यू मीडिया का सवाल है ठीक वैसा ही आतुर है में  अनाधिकृत तट बंधों को तोड़ देने जिसका सबसे बड़ा खामियाज़ा लापरवाह निरंकुश टी.वी. चैनल्स को भुगतना पड़ सकता है विज़ुअलिटी के दौर में मनोरंजक, फ़िल्मी चैनल्स, खबरिया चैनल्स पर अब ये सवाल उठने लगे  हैं कि – निरंकुश एवम  अत्यधिक आक्रामक हो रहे हैं .. परिवारों में तांक-झांक करने लगे हैं तो  अगर ये आरोप सही साबित होते  हैं तो तय है कि आने वाले समय में दर्शक जुड़ने से परहेज करेंगें . जो इनके  मीडिया-संस्थानों के लिये बेहद नुकसान देह साबित होंगें. दर्शक तलाशेंगे विकल्प तब मौज़ूद होगा एक मज़बूत विकल्प भले ही तकनीकि तौर पर कमज़ोर सही परंतु मौलिक होंगे. क्या होगा विकल्प ... यक़ीनन वेबकास्टिंग... 4G के आते ही इसकी आहट आप सुन सकते हैं. 
         इस तरह के बदलावों को रोकना सम्भव नहीं होगा. न्यू-मीडिया का यह विकल्प एक ओर विचार-संप्रेषण का माध्यम होगा वहीं दूसरी ओर सूचना-संचरण का तीव्रतम साधन. चूंकि एक या दो अथवा कुछ  लोग के ज़रिये प्रसारण होंगे तो तय है कि तब कि "वेबकास्टिंग" अपेक्षाकृत अधिक उद्दण्ड और अराजक होगी. इस बात को नकारना असम्भव तो है  किंतु विकल्प के रूप में उनकी मौज़ूदगी तय है.!!


               

22.2.14

क्या ये चुनौती है न्यू-मीडिया ? (भाग-01)

                                                   के. एम. अग्रवाल कलावाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालयकल्याण(प) के हिंदी विभाग द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान  आयोग के सहयोग से 9-10 दिसबर 2011 को दो दिवसीयराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाना था जो केंद्रित थी "हिन्दी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनायें" विषय पर   डॉ.मनीष कुमार मिश्रा का स्नेहिल आमंत्रण सम्पूर्ण व्यवस्था, श्रीमति अनिता कुमार जी ने भी अपने कालेज में मेरा वक्त्य सुनिश्चित किया था यहां तक कि रवी भैया आभास-श्रेयश, काकाजी श्रीयुत रमेश नारायण बिल्लोरे जी ने बहुत सारी व्यवस्थाएं तय कीं थीं .. कई सारे प्रोग्राम तो फ़ोन पे तय हो गये थे कुछ तय हो जाते वहां जाकर  सब कुछ सटीक समयानुकूतित था कि  7.12.2011 की रात मुझ पर  अस्थमेटिक हमला हुआ सपत्नीक कल्याण और फ़िर मुम्बई जाना अब किसी सूरत में संभव न था. जबलपुर से नागपुर फ़िर वहां से फ़्लाईट पकड़नी थी .जात्रा के लिये  सजा सजाया साजो सामान और तेज़ बुखार खांसी एक विपरीत परिस्थिति डाक्टर ने भी बिस्तर से न हिलने की सलाह दी थी. श्रीमति अनिता कुमार जी तो शायद आज़ तक नाराज़ है. नाराज़गी ज़ायज़ है भई .. होनी भी चाहिये ...आचार्य कालेज मुम्बई के बच्चे उस दौर में मुझसे वेबकास्टिंग का हुनर जो सीखते जब लाइव स्ट्रीमिंग के लिये गूगल बाबा ने भी न सोचा था .. अस्ट्रीम और बैम्बशर दो ऐसी साइट्स मेरे हाथ लगी थीं जिनके ज़रिये एक साथ हज़ारोंलाखो  लोग किसी कार्यक्रम से जुड़ जाते चाहे वे कहीं भीं हों. ये करिश्मा खटीमा-ब्लागर्स मीट   की लाइव स्ट्रीमिंग में हो भी चुका था . स्ट्रीमिंग पर कई दिनों तक काम किया था कई सारे प्रसारण किये "समीरलाल बवाल और समाधिया से बातचीत " - ये तो एक नमूना था हिंदी ब्लागिंग में टेक्स्ट के अलावा आडियो कंटेंट्स तो पुरानी बात थी तब ब्लागिंग में वीडियों कंटेंट्स की मौज़ूदगी एक करिश्मा ही तो था. मुम्बई जाता बहुत कुछ हासिल होता पर जितना भी हासिल होना था हुआ  गूगल को इस दिशा में सोचना पड़ा कि लोग अब लाइव स्ट्रीमिंग के आकांक्षी हैं. हैंगआउट और लाइव ओन यू-ट्यूब को इसी तरह की पहल की श्रेणी में रखना ग़लत न होगा.  अब तो मतदान केंद्रों की लाइव स्ट्रीमिंग सभी ने अपना ली है. वो दिन दूर नहीं जब हर पी सी से एक चैनल उपजेगा. न्यू-मीडिया खबरिया चैनल्स के लिये एक सूचना-स्रोत हो सकता है. (अभी कई मामलों में है भी )   प्रिंट मीडिया तो न्यू-मीडिया का भरपूर और सार्थक प्रयोग कर भी रहा है.
       तो लाइव स्ट्रीमिंग के तीव्र होते ही  खबरिया-चैनल्स को कोई खतरा है ? तो जान लीजिये आज़ से बरसों पहले जब फ़िल्में सिनेमाघरों में देखी जातीं थीं तब आम आदमी का मनोरंजन व्यय बेहद अधिक था. मुझे पांच रुपए खर्चने होते थे . पर अब दस बीस फ़िल्में मेरे सेल फ़ोन में उतनी ही कीमत पर देख सकता हूं. वो भी इच्छानुसार . 
क्रमश: जारी......................  


21.2.14

गलती किसी की भी हो कटते तो मुर्गे ही हैं.

               मुर्गों का आतंक देख मुर्गियां खुद विलापरत थीं.दौनों मुर्गे ज़मीन से आकाश वाली लड़ाई लड़ते देख लगा गोया wwwF की फ़ाईट चल रही हो एक खली तो दूसरा जान सीना नज़र आ रहा था. पूरे गांव भर के तमाशबीन झोप लगाके झगड़ा देख तालियां पीट रहे थे ... जब इस तरह के हादसे हुआ करते हैं तो गांव दो हिस्से में बंट जाता है . एक ग्रुप काले खां की तरफ़ दूसरा लालचंद की तरफ़ दौनों की गुंडा गर्दी से हलाकान मुर्गियों ने लालचंद की मालकन शकुन को उकसाया कि - बाईसा, लालचंद को चंडी मेले में दान कर दो ..
बाईसा ने अनसुनी कर दी और धुत-धुत कर भगा दिया. कालेखां के मालिक ने भी उनका  यही हाल किया.     अब मुर्गियां चुग्गा कम चुनतीं दौनों को हटाने पर विशेष चर्चा करतीं . लालचंद की मालकिन को नौकरी की तलब हुई सो राजा के हाकिम के पास पहुंची . हाक़िम ने उससे एक मुर्गे और पांच अशर्फ़ीयों की मांग कर डाली . मामला सेट हुआ.  मुर्गे और पांच अशर्फ़ी लेने के बाद हाक़िम यूं भूला जैसे आम तौर पर एक पति अपनी सगाई और शादी की तारीख भूल जाते हैं. 
            जब मरे हुए लालचंद की आत्मा ने दुहाई दी तू ने अकारण कटवाया अगर तू राजनौकर न बनी तो समझ लेना ... मारे डर के थर थर कांपती शकुन ने मुखिया से मुर्गे के भूत वाली बात बताई . मुखिया ने मालगुज़ार को, मालगुज़ार ने कोतवाल को कोतवाल ने वज़ीर को तब जाकर कहीं वज़ीर ने बुलावा भेजा फ़रियादिन शकुन और हाक़िम के बीच बातचीत के ज़रिये सुलह सफ़ाई कराई गई . पांच अशर्फ़ियां और दो मुर्गे वापसी पे मामला सेट हुआ. 
          मुकरर किये  दिन पर हाकिम एक मुर्गा  लेकर शकुन बाई के घर जा पहुंचा . दूसरा मुर्गा छै:आने में खरीदा गया. मुर्गा क्या वो काले खां था लालचंद का दुश्मन .
                              शाम को सारा गांव इस जीत पर खुश था  दावत हुई दोनों मुर्गे काटे और पकाए गये सब ने छक के खाए . आज़ रात शकुन बाई को फ़िर दौनों मुर्गों के भूत दिखे - जो आपस में बतिया रहे थे - गलती किसी की भी हो कटते तो मुर्गे ही हैं. 

20.2.14

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!

               
साभार : Poetic Remnants से 

  हे देवर्षि "आप" इन दिनों भूमंडल के चक्कर काहे नहीं लगाते हो ?
           इंद्र की बात सुन नारद जी को अपना एडवांस टूर प्रोग्राम की सुध आई सो  हडबड़ा के उठे और वीणा करताल आदि गैजेट्स शरीर के साथ चस्पा कर बिना कुछ बोले चल पड़े ।
     सुदूर आकाश में नारायण नारायण की अनुगूंज बिखर रही थी क्षीरसागर नाथ ने लक्ष्मी से कहा - देवी आज गोया नारद को ए टी पी की एप्रूवड कापी मिल गई । पर एक बात समझ नहीं पा रहा हूँ कि स्वर्ग में कम्यूनिकेशन सिस्टम इतना कमजोर क्यों है ?
लक्ष्मी जी बोलीं- प्रभू नारद जी को इसी काम के लिए बोला था पर वो हैं कि अल्लसुबह से ही फेसबुक पर इत्ते बिजी हो जाते हैं कि कुछ पूछिए मत । फिर दिन भर ट्वीटते हैं ।
  अरे स्वर्ग में आपकी आज्ञा से एक मात्र ब्राडबैंड लगा है उससे भी पूरा किधर होता है । सारे देवता खासकर अप्सराएं आज़कल लाइफ़ स्टाइल फैशन साइट्स पर सर्फिंग करतीं नज़र आतीं हैं ।
      और देवता ......?
                               उनकी न पूछिये वो तो खैर जाने दीजिए नारद जी ने कहा था कि -"प्रभू, आपसे ट्विटर पर जुड़ा रहता पर वाट्सअप  कुछ समय के लिये फ़्री है .. आप भी डाउनलोड कर लीजिये फ़्री में संदेशों की आवाज़ाही हो जावेगी .
     इधर जाने कैसे  जी को  नारद जी के आगमन की खबर मिली कि झट वे ललित शर्मा जो चमचों को साधने में लगे हैं बस फ़िर क्या था हो गया हंगामा . को पता नहीं विष्णु भगवान और नारद जी की वार्तालाप का पता लगा कि बस्स एलान कर दिया - अपनी भैंस और मिस.रामप्यारी  के सामने- बोल दिये . बोले का कि सारे बड़का-छुटका ब्लागरन, माइक्रो ब्लागरन, फ़ेसबुकियन में हो हल्ला मच गया.
                 नारद के आते ही लोग उनके एकाऊंट पर ट्वीट करते नज़र आए .इधर नारद जी ने वाट्सअप के रास्ते प्रभू को संदेशा भेजा -"प्रभू, देश में सर्वत्र अमन चैन है पर..."
प्रभू- पर क्या नारद ...?
नारद बोले प्रभू - राजनगरी में झाड़ू चल रही है.. एक विशाल भवन में तरह तरह की आवाज़ें आ रहीं हैं.. सुना है किसी मानव ने एक स्प्रे की बोतल खोल दी ...
अर्र्र प्रभू ... एक प्रदेश में तो एक एक गण वस्त्र उतार रहा है..
         प्रभू ने संदेशा बांच के लक्ष्मी जी को सुनाया . और वही मनमोहनी मुस्कान बिखेर दी बिना कुछ बोले . फ़िर अचानक बोले - हे देवी, अब क्षीरसागर में काफ़ी दिन व्यतीत कर लिये .. मानव प्रज़ाति आपकी अनुपस्थिति में बेहद पीढा भोग रही है . जाओ सबका कल्याण करो .
और आप प्रभू...?
        हम तो सब पर इधर से ही नज़र रखेंगे ?
  प्रभू इधर से नज़र ...  क्षमा कीजिये नेट कनेक्शन भी कमज़ोर है.. ड्राप हो जाता है.. उधर वेबकास्टर   भी अस्थमेटिक हमले का शिकार है .. आप तो चलिये आर्यावर्त्य जहां संतुलन की अत्यंत आवश्यकता प्रतीत होती है.
              प्रभू ने लक्ष्मी जी की बात स्वीकार ली और चल पड़े ... धरा पर वैसा ही सब कुछ था जैसा कि नारद जी ने बताया ... लोग सुबह से अपने अपने कामकाज़ पे निकलते देर रात घर वापस आते पर सभी क्या अधिकांश लोग सुबह से "नमो-नमो" की ध्वनियां निकालते . प्रभू अति प्रसन्न हुए
इस पर लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया  - "प्रभू ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " से सिर्फ़ एक ही शब्द क्यों उच्चारित हो रहा है..?
      प्रभू असमंजस में थे कि - नारद जी ने संदेशा भेजा .. प्रभू आप किधर है ?
भूमंडल पर ही तो हूं.. देवी लक्ष्मी भी साथ हैं.   तत्क्षण प्रभू को अपनी वीणा पर लगे रडार पर पाकर देवर्षि प्रत्यक्ष हुए ...
   प्रभू विस्मित भाव से बोल पड़े - नारदजी ..... "आप"
   नारद जी - प्रभू, यहां "आप" शब्द का प्रयोग न करें बस नमो कहें.. नमो...!!
               प्रभू क्या बताऊं , यहां का मानव बेहद कंफ़्यूज़ है जब बाहर निकलता है तो "आप" और "नमो" शब्दों का अनुप्रयोग सम्हलकर करता है.
तो पूरा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! क्यों नहीं बोलता... मानव... ? प्रभू ने पूछा
नारद- प्रभू, भागो भागो पीछे देखो कंधे पे कैमरा लटकाए लोग आपकी तरफ़ आ रहे हैं..! तत्क्षण प्रसारित हो जाएगें आपके कहे शब्द और फ़िर आप किस किस को ज़वाब देते फ़िरेंगे. यहां इंद्रासन के लिये चुनाव प्रक्रिया ज़ारी होने वाली है. आप फ़ंसे तो  इस सृष्टि का क्या होगा ..?
प्रभू - पलायन करने पर बचेगा क्या ये जम्बू द्वीप..?
नारद- प्रभू, आज़तक बचा है तो बचेगा ही न .. इसकी अखण्डता को कौन खण्डित कर सकता है . सत्तालयों में जो भी कुछ होता है वो इन मानवों के लिये फ़िज़ूल की बातें हैं.. ये महान परिश्रम  से देश को बचाते हैं..
सत्तालय जाने के लिये कुछ लोग सिर्फ़ मुंह चलाते हैं..   मुंह चलाने से देश चलता है क्या..
        देवी लक्ष्मी विष्णु भगवान और नारद को भूमंडल के वातावरणवश भूख लग आई.. एक किसान के झोपड़े से आती रोटियों की गंध ने उनको अपनी ओर खींचा प्रभू ने झोपड़ी में जा सदतगृहस्थ से भूख लगने की बात कही . अतिथि देवो भव: का अनुसरण करते तीनों को भोजन परोसा गया.. तृप्ति उपरांत तीनों अंतर्ध्यान हो गये पर किसान को वरदान दे गये न तुम भूखे रहोगे न अतिथि .. अन्नदेव ...

17.2.14

योगी श्री अनन्तबोध चैतन्य

गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी श्री विश्वदेवानन्द पुरी जी
के सानिध्य में स्वामी 
अनन्तबोध चैतन्य

श्री अनन्तबोध चैतन्य का जन्म इतिहास प्रसिद्ध हरियाणा के पानीपत जिले के अधमी नामक गांव में हुआ । बचपन मे उनका नाम सतीश रखा गया। सतीश की बुद्धि बहुत ही तीव्र रही । घर का वातावरण धार्मिक होने के कारण इनको अनेक दंडी स्वामी और नाथ पंथ के महात्माओ का सानिध्य अनायास ही मिला। विभिन्न गुरुकुलों मे शिक्षा होने के कारण 18 वर्ष की छोटी उम्र मे ही इन्हें व्याकरण के प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टाध्यायी आदि के साथ-साथ न्याय वेदान्त के अनेक  ग्रंथ जैसे तर्कसंग्रह, वेदांतसार आदि  तथा वेदों के भी कुछ अंश कंठस्थ हो गए । उपनिषदों का  भी इन्हे अच्छा बोध हो गया । इनके पिता पंडितश्रीमौजीराम की सत्संग प्रियता एवं सौम्य प्रकृति के फलस्वरूप भगवतसत्ता के प्रति ललक एवं आत्म जिज्ञासा ने इन्हे अध्यात्म की राह मे लगा दिया। अनन्तबोध चैतन्य बाल्यकाल से ही शक्ति के उपासक रहे।
शिक्षा
प्रारम्भिक शिक्षा के बाद अनेक गुरुकुलों एवं विद्यालयो में अद्ध्यन करते हुए इन्होंने कतिपय आचार्यों से शिक्षा प्राप्त की। इन्होने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय,कुरुक्षेत्र से  संस्कृत भाषा , भारतीय दर्शन के साथ स्नातक (शास्त्री) तथा दर्शन विषय में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की बाद मे भारतीय दर्शन मे ज्ञान विषय से पी एच डी वाराणसी से प्रस्तुत की ।  
दीक्षा
सबसे पहले गंगा जी के पावन तट बिहार घाट मे परम विरक्त तपस्वी दंडी स्वामी श्री विष्णु आश्रम जी के दर्शनों ने इनके जीवन की दिशा को बदल दिया उनकी आज्ञा से धर्मसम्राट करपात्रि जी महाराज की तपस्थली नरवर मे श्री श्यामसुंदर ब्रह्मचारी जी से स्वल्प समय मे ही प्रस्थानत्रयी  का अद्ध्यन किया तथा आत्मा एवं ब्रह्म की एकता को स्वीकार किया। इसके बाद अप्रेल 2005 मे विश्व प्रसिद्ध गोविंद मठ की महान परंपरा मे पूज्य महाराज आचार्य महामंडलेश्वर निर्वाण पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी श्री विश्वदेवानन्द पुरी जी से  अद्वैत मत में दीक्षित हुए एवं इनका नाम अनन्तबोध चैतन्यपड़ा।


प्रारम्भिक जीवन
अनन्तबोध चैतन्य की आध्यात्मिक यात्रा हिमालय की तलहटी के अनेक महान संतों और साधुओं की संगत में गहन आध्यात्मिक प्रशिक्षण के माध्यम से आध्यात्मिक उत्कृष्टता प्राप्त करने में आठ साल बिताने के साथ शुरू हई । .
इन्होने आदि शंकराचार्य संप्रदाय से संबंधित महानिर्वाणी अखाडे मे वैदिक शास्त्रों की सेवा करने के लिए और भारतीय विरासत और संस्कृति के आध्यात्मिक मूल्यों के लिए अपना जीवन समर्पित करने के का संकल्प लिया।
• बचपन की गतिविधियों एवं आध्यात्मिक जीवन के लिए बहुत गहरा आकर्षण को देखते हुये कुछ महापुरुषों ने कह दिया था कि एक दिन ये बालक आत्मबोध और मानवता की सेवा के लिए अपने पूरे जीवन समर्पित करेंगे।  

सनातन धारा की स्थापना
देश के सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक  और राष्ट्रीय नवजागरण के लिए सनातन धारा की स्थापना की। मानव मात्र को इससे नई चेतना मिली और अनेक संस्कारगत कुरीतियों से छुटकारा मिला। उन्होंने जातिवाद और बाल-विवाह का विरोध किया और नारी शिक्षा तथा विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया।
अद्ध्यापन अनुभव
अनन्तबोध चैतन्य जी हमेशा शास्त्र , संस्कृत भाषा , भारतीय दर्शन और संस्कृति के अपने विशाल ज्ञान के प्रसार में रुचि रखते है ।  .
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान छात्रों की सैकड़ों करने के लिए इन विषयों सिखाया है।  .
शिव डेल स्कूल, हरिद्वार में एक आध्यात्मिक सलाहकार के रूप में तीन वर्ष का अनुभव।
वह हमेशा उनके उन्नत शोध और अध्ययन में भारतीय और विदेशी दोनों प्रकार के लोगों को मदद प्रदान करते रहते है।
उन्होने माल्टा, यूरोप में एक मुद्रा अनुसंधान समूह शुरू किया है जो मानव मात्र को चिकित्सा एवं अध्यात्म मे सहायता मिल रही है ।
प्रकाशन
• कई पत्र और पत्रिकाओं के लिए लेख लिखने के अलावा संस्कृत अनुसंधान के महान वेदांत साहित्य संपादन में सहायता प्रदान की।  
.सनातन धारा और उपनिषदों  के रहस्य का आध्यात्मिक और सार्वभौमिक महत्व अंग्रेजी में अनुवाद किया है .
संस्कृत भाषा में एक विशेष पाठ्यक्रम जल्द ही छात्रों को उपलब्ध कराया जाएगा
श्री विद्या पर
• " श्री विद्या साधना सोपान " पुस्तक  जल्द ही प्रकाशित होने जा रही है .
                                                समाज सेवा और क्रियाएँ
बच्चों के कल्याण , स्वास्थ्य देखभाल आदि के लिए 2000 में वीर सेवा समिति की स्थापना
दोनों भाषाओं के छात्रों के लिए 2009 में अंग्रेजी संस्कृत अकादमी की स्थापना की। 
2011 में वैश्विक मिशन के साथ सनातन धारा फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की।
अन्य लोगों और आश्रमों द्वारा अपनाई परोपकारी और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उनकी नि: स्वार्थ सेवाओं ने सभी संन्यासियों और भिक्षुओं के बीच में उसे बहुत लोकप्रिय बना दिया है।
2005 सभी दुनिया भर से छात्रों को उपनिषदों, श्रीमद भगवतगीता और श्री यंत्र मंदिर, कनखल, हरिद्वार  में योग सूत्र पर नियमित प्रवचन देते हैं.
कई संस्थाओं के सदस्य के रूप में और एक योग्य प्रशासक के रूप में वह उनके विकास के लिए अपने मूल्यवान गाइड लाइनों दिया है।
श्री विद्या पर प्रवचन देने के लिए मलेशिया में एक महीने के दौरे पर गए ।
 गीता और योग सूत्र पर उपदेश देने के लिए ऑस्ट्रेलिया में 3 महीने के दौरे पर गए।
 • बैंकाक, थाईलैंड में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया ।
• Bonatng , Kalimantan, इंडोनेशिया में धर्मों के बीच सद्भाव पर व्याख्यान दिया .
वह एक आध्यात्मिक नेता के रूप बाली इंडोनेशिया में हिंदू शिखर सम्मेलन 2012 और 2013 में आमंत्रित किया गए ।
वह इंडोनेशिया, जकार्ता , इंडोनेशिया के बैंक में रामायण के अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान अपने बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए एक मुख्य वक्ता के अध्यक्ष के रूप में सर्वोच्च प्रशंसा के साथ सम्मानित किए गए ।  .
उन्होने जनवरी 2014 में माल्टा, यूरोप में ' मुदाओ के द्वारा चिकित्सा ' के विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
उन्होने धार्मिक सद्भाव और विश्व बंधुत्व के एक मिशन के साथ दुनिया भर की यात्रा कर रहे   है।



रोज़ एक जन्म लेता हूँ

हर रोज़ जन्मता हूँ
ज़रूरी है रोज़ जन्मना
फिर हौले हौले बड़े  होने का
एहसास करना ।
कभी लगता है
एक बार फिर
बचपन आ गया
रोज़िन्ना भयभीत हो जाता हूँ
जब ये आभास होता है
कि मै
केवल एहसास कर सकता हूँ

2.2.14

गाँव में घर-घर तक पानी पहुँचाया जायेगा : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान डिण्डोरी

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गाँव को समूह में जोड़कर पाइप लाइन से घर-घर में पानी पहुँचाया जायेगा।साथ ही खेतों तक सड़कों का निर्माण करने का काम भी शुरू हो गया है। श्री चौहान आज डिण्डोरी में 'आओ बनायें अपना मध्यप्रदेशसम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 30 हजार 491 हितग्राही को विभिन्न योजना में 91 करोड़ 28 लाख रुपये के चेक वितरित किये। उन्होंने लगभग 27 करोड़ रुपये के लागत के निर्माण कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण किया। साथ ही 51 करोड़ के निर्माण कार्यों को मंजूरी दी।
शिलान्यास
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरी उतरेगी। समाज के हर वर्ग के सहयोग से प्रदेश को और समृद्ध तथा उन्नत बनाया जायेगा। उन्होंने इसके लिये सभी लोगों से सरकार के प्रयासों में भागीदार बनाने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आदिवासी अंचलों के चौतरफा विकास पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। इसी कड़ी में डिण्डोरी जिले में सिंचाई की सुविधाओं के साथ-साथ खेती और उद्योग को बढ़ावा दिया जायेगा। जिले में खाद्य प्र-संस्करण इकाई खोलने के प्रयास भी किये जायेंगे। नये औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी खोले जायेंगे। उन्होंने कहा कि आदिवासी विद्यार्थियों को शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जातियों के लिये छात्र आवास योजना शुरू की गई है। इसमें किराये पर कमरा लेने वाले विद्यार्थियों का किराया सरकार चुकाती है।
बच्चों को लेपटाप दूंगा : शिवराज सिंह
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गरीबों को एक रुपये किलो गेहूँचावल और आयोडीनयुक्त नमक दिया जा रहा है। गरीबों के लिये अगले पाँच साल में 15 लाख आवास बनाये जायेंगे। अभी तक लाख लोगों को वनाधिकार-पत्र दिये जा चुके हैं और यह कार्य निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर टपरियाँ बनाकर रहने वाले लोगों को मालिकाना हक के पट्टे दिये जायेंगे। उन्होंने उपस्थित जन-समुदाय को प्रदेश की उन्नति में भागीदार बनने का संकल्प भी दिलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छा काम करने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को पुरस्कृत किया जायेगा। वहीं लापरवाह लोगों को सजा दी जायेगी।
इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री श्री शरद जैन,विधायक श्री ओमप्रकाश धुर्वे और श्री ओमकार मरकाम ने भी सम्बोधित किया।
विकलांग को देख मुख्यमंत्री ने रोका अपना काफिला


अपनी गहरी संवेदनशीलता के लिये जाने जाने वाले मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी डिण्डोरी यात्रा में एक विकलांग को घुटने के बल जाता देख अपना काफिला रोक लिया। वह सम्मेलन में शामिल होने जा रहा था। उन्होंने विकलांग अमर सिंह तेकाम से उसकी व्यथा सुनी और अपने काफिले के साथ वाली गाड़ी में बैठा लिया। वे उसे न केवल कार्यक्रम स्थल पर ले गये बल्कि मंच पर भी बैठाया। उन्होंने इस युवक की समस्याओं के निराकरण के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने सम्मेलन में स्वास्थ्य अधिकारियों को सभी नि:शक्तजन के स्वास्थ्य परीक्षण के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें सरकारी खर्च पर इलाज के लिये दिल्ली-मुम्बई भेजा जायेगा।
बिदाई के पल 

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धर्म और संप्रदाय

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