एक साथी एक सपना साथ ले
हौसले संग भीड़ से संवाद के ।
०००००
हम चलें हैं हम चलेगे रोक सकते हों तो रोको
हथेली से तीर थामा क्या मिलेगा मीत सोचो ।
शब्द के ये सहज अनुनाद .. से .....!!
००००००
मन को तापस बना देने, लेके इक तारा चलूँ ।
फर्क क्या होगा जो मैं जीता या हारा चलूँ ......?
चकित हों शायद मेरे संवाद ... से ......!!
००००००
चलो अपनी एक अंगुल वेदना हम भूल जाएं.
वो दु:खी है,संवेदना का, गीत उसको सुना आएं
कोई टूटे न कभी संताप से ......!!
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर सन्देश। बधाई।
बहुत सुंदर, धन्यवाद
विचारणीय भाव लिए रचना
kya hai bhaiya hindi mai samjhao
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