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शुक्रवार, फ़रवरी 18, 2011

गौरैया तुम ये करो

एक खबर जागने की
तुम सुबह से ही
लेकर आ जाती हो
ये नहीं कहती तुम भी जागो
मुंडेर पर चहकना तुम्हारा
जगा देता है
सुनो अब से कुछ और देर
बाद बताने आया करो !
मुझे सोने दो जागते ही मुझे नहीं सुननी
वो गालियां जो
गांव की गलियों से शहर तक देतें हैं लोग
व्यवस्था वश एक दूसरे को
हां गौरैया तुम ये करो
उन जागे हुओं को जगा दो
उनको बता दो
मुझे चाहिये मेरे
मेरे पुराने गांव
मेरे  पुराने शहर
हां गौरैया तुम ये करो



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