"असीम-स्नेह"
बज़ से जाना कि अब बिलकुल ठीक हो हम सबके लिये खुशी की बात है. तुम्हारी कविता तुमको याद है न
Fire is still alive.
But what of the fire?
Its wood has been scattered,
But the embers still dance.
Though the fire is tiny,
It survived.
Though the fire is weak,
It's still alive.
Mahfooz Ali
महफ़ूज़ भाई तुम्हारे जीवन की कविता है सच तुम वो आग हो जिसे कोई सहजता से खत्म कैसे कर सकता है. मैं क्या सारे लोग तुम्हारी ज़िंदगी के लिये अपने अपने तरीक़े से प्रार्थनारत थे. कौन हो किधर से हो कैसे हो मैं नहीं जानना चाहता. पर नेक़ दिल हो तभी तो "महफ़ूज़" हो. सारी बलाएं जो भी जब भी तुम पर आतीं हैं जिसकी आशंका मुझे सदा रहती है ईश्वर की कृपा से सच ज़ल्द निपट ही जातीं हैं.ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव सबके आतें हैं किन्तु तुममें प्रकृति ने जो ईर्षोत्पादक-तत्व दिया है वो एक मात्र कारण है कि किसी न किसी की शिकारी निगाह तलाश ही लेतीं हैं तुमको. मेरे तुम्हारे जीवन में बस एक यही समरूपता है. मैं भी बार बार मारे जाने वाला इंसान हूं मुआं मरता ही नहीं .वो.जो . जो बार बार पीछे से वार कर रहें है ईश्वर से विनत प्रार्थना करता हूं "प्रभू इन को माफ़ कर देना ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहें हैं..?" यक़ीन करो तुम पर हमले वाले दिन बहुत बेक़ल फ़िर उस रात देर रात देखी तुम्हारी कविता और बस यकीं कर लिया महफ़ूज़ को कोई मार नहीं सकता. महफ़ूज़ मुझे मालूम था शायद तुम मेरी स्थिति जान कर भावुक हो जाओगे रोने लगोगे तभी तो मैने अपना दर्द तुमसे शेयर नहीं किया. इन दिनों मैं बहुत तनाव जी रहा हूं लोग निरंतर कपट कर रहें हैं तुम भाग्यवान हो कि तुम्हारे शत्रु सामने हैं. मुझे दिखाई नहीं देते बस महसूस कर लेता हूं. २९ नवम्बर को मेरा अड़तालीस का होना तय है उम्र के इस मोड़ पर करूं तो क्या करूं खैर छोड़ो मेरे तनावों को गोली मारो... बस बताओ बिना संघर्ष के जीवन बेनूर नहीं लगता ? लगता है न हां तो संघर्ष में जीत का पहला कवच सदा "धैर्य" ही होता है. जिसे मैं एक बार खोने जा रहा था पर बस सोचा "सवेरा तो रोज़ ही होता है न..? कब तक तिमिर रुक पाएगा.
मेरे घरेलू एलबम में मेरी आठ माह की उम्र की एक तस्वीर हुआ करती थी "मरफ़ी-बेबी" तुलना करती थी मां फ़िर अक्सर मुझे देखकर आंखे भर आतीं थीं उनकी मैं बेखबर होता था यह घटना कई बार होती . एक बार मेरे चाचा जब आये और उनने यह दृश्य देखा तो मेरी फ़ोटो मांग ली ले भी गए अपने साथ अर्थ बहुत दिनों बाद समझ पाया कि मां की आंखें क्यों नम हो जाया करतीं थीं. रमेश काका फ़ोटो क्यों ले गये. मां-बाबूजी अक्सर मेरे भविष्य को लेकर चिंता करते थे इस बात का एहसास मुझे जब भी हुआ कोशिश की कि कुछ ऐसा करूं कि वे निश्चिंत रहें .कोशिश की सफ़लता मिलीं किंतु आज़ बाबूजी मेरे लिये बेहद दु:खी हैं अस्सी बरस के बाबूजी का खून जल रहा है मेरा एक अफ़सर जिसके बीमार पिता को मैंने अपने शरीर से खून दिया उसी ने सारे ऐसे-षड़यंत्र की रचना की है जो मेरे पिता के खून जलाने का सर्व-प्रथम कारण रहा उसे भी इस आलेख के ज़रिये उसे भी माफ़ कर रहा हूं . यह विवरण यहां इस लिये दे रहा हूं किसी शत्रुओं से ज़्यादा खतरनाक होते हैं सबसे क़रीबी लोग होते हैं इनको पहचानना मुझे दे से आया तुम इनको ज़ल्द पहचानो मेरी मंशा है विश्वास भी है. इस बीच तुमको बताना चाहूंगा कि मेरे दो एलबम बहुत शीघ्र आएंगे अगर परिस्थियां अनुकूल रहीं एक तो टंग-ट्विस्टर गीतों का जो बच्चों के लिये होगा पूर्णत: चैरिटि के लिये होगा. दूसरे के लिये आज़ ही सूचना मिली है. अब बताओ कि ज़िंदगी कितनी ज़रूरी है ईश्वर के हाथों सब कुछ संचालित होता है दुश्मनों की सद गति के लिये हम सभी ईश्वर ये याचना करें यही जीवन का सर्वोच्च सत्य है. तुम्हारे और मेरे जीवन में एक अहम समानता है वो है दु:खों का आधिक्य तभी तो महफ़ूज़ मुझे खुद मुझसे ज़्यादा प्रिय हो..!
अशेष शुभ कामनाओं के साथ दाल-बाटी खाने का न्योता भी दिये देता हूं
38 टिप्पणियां:
"तुम्हारे और मेरे जीवन में एक अहम समानता है वो है दु:खों का आधिक्य"---------पहली बात तो ये कि दुखोको नापते /तौलते कैसे है?
दूसरे --दाल-बाटी मेरी भी बाकी है ।
तीसरी और खास-----महफ़ूज़ ठीक ही जानकर खुशी हुई।
आभार............
ईश्वर के हाथों सब कुछ संचालित होता है
-बस्स!! उसके आगे कुछ नहीं...वही दुख देता है तो वो ही सुख भी...
महफूज की वापसी का समाचार अत्यन्त हर्षित करने वाला है.
महफूज़ का लौट आना बहुत सुखद समाचार है.
ये सच है जब भी घात लगा के पीठ पर जख्म दिए वो हमारे अपने परिचित ही थे गैरों को कहाँ फुर्सत कि किसी गैर पर पीछे से वार करे.इन्होने किये तो भी धमाके,पर....भीतरघात करने वाले ज्यादा खतरनाक होते हैं.इनको पहचानना और सतर्क रहना हमे आना ही चाहिए.मैं ईसा के सिद्दांतों को नही मानती.'ऐसे' बेड एलिमेंट्स का तुरंत दान महा कल्याण करना ज्यादा बेहतर समझती हूँ.अपने जीवन में अपना हो या पराया इतनी छूट किसी को नही दी और ना ही उन्हें माफ किया. क्योंकि सचमुच ऐसिच हूँ मैं
सबको बहुत प्यार करने वाली एक औरत किन्तु....जो सबके लिए कत्तई अच्छी नही.अपने आपको 'ग्रेट' दिखाने की कोशिश कभी नही की.ईसा या गाँधी गौतम नही हूँ .बेहद सामान्य इंसान जिसके आगे बात करने से पहले व्यक्ति सोचता है.और ऐसा होना चाहिए हम विनम्र है कमजोर या कायर नही हैं.
समझे मेरे भाई?
Though the fire is weak,
It's still alive.
यही आशा जीवन का सहारा है महफूज़ अली ! आपको हार्दिक शुभकामनायें !
छिप कर वार करने वाला सच में बहुत दुख देता है, गिरीश जी
हौसला रखिए, समय बदलते देर नहीं लगती
महफ़ूज़ तो महफ़ूज़ है, नो टेन्शन
महफ़ूज़ तो महफ़ूज़ है, नो टेन्शन...
महफ़ूज़ तो महफ़ूज़ है, नो टेन्शन...
महफ़ूज़ तो महफ़ूज़ है, नो टेन्शन...
महफ़ूज़ तो महफ़ूज़ है, नो टेन्शन...
महफ़ूज़ तो महफ़ूज़ है, नो टेन्शन...
महफ़ूज़ तो महफ़ूज़ है, नो टेन्शन...
महफूज स्वस्थ हो गये हैं. अच्छा लगा. आपके भी तनाव दूर हों, जल्दी..
फ़ानूस बनके जिसकी हिफ़ाज़त हवा करे
वो शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे...
जिनके साथ इतने चाहने वालों की दुआएं हों, उन्हें भला क्या हो सकता है...
गिरीश जी, दिल छू लेने वाला पत्र है ये , अपनो से ही जब डर हो जाये तो उसे पर दिल का दर्द कहना चाहिए ....जिंदगी बस अनवरत चलते रहने का नाम है और शायद यही सीख ये पत्र दे रहा है !
महफूज का स्वस्थ होकर लौटने का समाचार सुखद लगा !
महफूज़ भाई का लौटना एक सुखद समाचार है ... भगवान् उन्हें लम्बी आयु प्रदान करे ... आपकी एल्बम के बारे में सुन कर बहुत अछा लगा ...
बुरा वक्त था ...टल गया, महफूज जी स्वस्थ्य होकर लौटने की प्रतीक्षा में हम सभी हैं .....।
गिरीश दादा ..... महफूज़ तो अब 'महफूज़' है ...आप भी अपना ख्याल रखें और निश्चिन्त रहें बहुत जल्द सब ठीक होगा !
बहुत सी घटनाओं पर हमरा वश नहीं चलता -हम केवल निमित्त मात्र हो रहते हैं ....
ऐस्दे में धैर्य बनाए रखना चाहिए ....
आप दोनों उर्जावान शख्शियतों को मेरा स्नेहाशीष !
महफ़ूज़ के बारे मे जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुयी और आपको भी यही कहूंगी ईश्वर इम्तिहान तो जरूर लेता है मगर हमारी सहनशक्ति से ज्यादा नही……………ईश्वर आपकी मुश्किलों से जल्द से जल्द आपको निज़ात दिलाये।
GOOD NEWS
इश्वर से ऊपर कुछ नहीं वह अगर परशानिया देता है तो उसका हल भी देता है.सुख दुःख सब उसके हाथ.
yahi to hai manviy samvedna aur manav ddharm
marmshparsi lekh
बुरा वक्त था ...टल गया, महफूज स्वस्थ हो गये हैं. हौसला रखिए, समय बदलते देर नहीं लगती, अपना ख्याल रखें |
Good News........
महफूज जी स्वस्थ्य होकर लौटने की प्रतीक्षा में हम सभी हैं
जिसके लिए इतने हाथ दुआ के लिए उठें उसको कौन मार सकता है?
अल्लाह का बुत बड़ा शुक्र है की महफूज़ भाई को हिफाज़त से हैं, यह उनके चाहने वालो की दुआओं का ही नतीजा है.
मारने वाले से बचाने वाला सशक्त है
महफूज तो महफूज रहेंगे ही
महफूज जी के साथ सारे ब्लॉगजगत की शुभकामनाएँ थीं!
--
इसलिए महफूज तो महफूज रहेंगे ही!
भाई तो सबका प्यारा निकला
वाह मुझे मेरे दुलारा पर भरोसा था
जानता तो नहीं पर सबका प्यारा लगता है सो मेरी भी शुभ कामनाएं
mehfooz ji ke baare mein jaan kar khushi hui ki wo ab khatre se bahar hain ... bhagwaan unhein lambi aayu de ...
girish ji aapki baatein dil ko chu gayi ...
सुखद लगा, महफूज़ के सम्बन्ध में यह समाचार
दादा हम विलंब से आए।
आज तो आपने दिल खोल कर रख दिया।
पीठ पे छूरा मारने वालों की कमी नहीं है।
मौका देखकर वार कर ही देते हैं।
जब तक इनकी पह्चान होती है तब तक ये अपना काम कर जाते हैं।
अब महफ़ूज के बारे में आपने बहुत कुछ कह दिया मेरी जुबान से।
शुभकामनाएं
आज़ जो था दिल में कह दिया सच मैं अपना फ़ोटो क्रेचेस के साथ पहली बार लगाया अन्यथा मत लीजिये
ज़्यादा कुछ नहीं कहूँगा... मुझे रोना आ गया.... बाक़ी फ़ोन पर कहूँगा... उफ़.... आपने रुला दिया... दिन में इसलिए नहीं देख पाया... क्यूंकि यहाँ हॉस्पिटल में मुझे अपना टाटा फोटोन छुपा कर रखना पड़ता है... बड़ी मुश्किल से चोरी से मंगवाया है.
मेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
http://samajik2010.blogspot.com/2010/11/blog-post.html
किस पर करें यकीन...ज़माना नहीं रहा वैसे आप तो इतना जानते है क्या कहूँ ...फिर भी छोटी बहन के हक़ से ये ज़रूर कहती हूँ जितने भी महापुरुष हुए है उनका जीवन अथाह संघर्षों से भरा रहा .....इसका मतलब यह भी नहीं कि अन्य लोगों ने जीवन में संघर्ष नहीं देखे किन्तु संघर्ष में जो धैर्य और विवेक का दमन थामे रहे वो न सिर्फ उनके पार आए है अपनी मंज़िल तक पहुचने में उन्होंने वो निशान उकेरे की हजारों ने उन्ही का रुख किया . बचपन में एक कहानी सुनी थी एक माँ अपने ७ बच्चों में सबसे कठिन काम हमेशा एक ही को देती थी सबको लगता माँ इससे बहुत नाराज़ है इसीलिए इतना कठिन काम इसके हिस्से आता है लेकिन वो बेटा जानता था कि माँ को यकीं है मुझ पर कि यह मैं ही कर पाऊंगा इसी कारन वो ऐसा करती है ......परमपिता परमेश्वर की माँ की तरह ही है उन्होंने कठिनाई इसीलिए चुनी है की आप उनके खास है ....पीठ में वार करने वाले तो निमित्त मात्र है निश्चित ही कोई अभीष्ट इन संघर्षों के पार आपकी प्रतीक्षा कर रहा है ....भाई दूज पर मेरी और से आपके किये अनन्त शुभकामनाएँ......जल्द से जल्द आप इन कठिनाइयों के पार अपने अभीष्ट को प्राप्त करे !
महफूज़ भाई ....आप भी दिवाली में प्रकाश की तरह प्रकट हुए , यकीं मानिये आपकी वापसी ने त्यौहार की जगमगाहट में चार चाँद लगा दिए....बज़ देख कर बहुत बहुत ख़ुशी हुई ....लगा परिवार का सदस्य परिवार में लौट आया है ...स्वागतम !!
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