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बुधवार, जुलाई 14, 2021

अफगान सरकार ने भारत रूस ईरान और अमेरिका से मांगी सहायता


   मीडिया खबरों की माने तो अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही अफगान सरकार को विश्वास है कि हवाई हमलों के जरिये तालिबान को रोका जा सकता है. हालांकि अभी अफगान को तालिबान को रोकने के लिए काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
    उपरोक्त समाचार से स्पष्ट होता है कि अफगान सरकार ने 4 बड़े देशों से तालिबान से अफगानिस्तान को बचाने के लिए मदद की दरकार की है। स्पीड चलाने वाली वानी रफत ने अपने टि्वटर हैंडल से एक फेक न्यूज़ जारी की है जिसके तहत वह यह साबित करने की कोशिश में लगी हुई है कि अफगान के आंतरिक मामलों में भारत सरकार अनावश्यक रूप से गोला बारूद मुहैया करा रही है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक टि्वटर स्पेस में कश्मीर और पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर के मुद्दों पर बहुत से भड़ास निकाली जा रही है। अब कान समस्या को लेकर भारत सरकार का नजरिया क्या है या क्या रहेगा इस पर कोई भी बात करना बहुत जल्दबाजी है। भारत की जनता को ऐसे किसी भी प्रकार के नैरेटिव से बचना चाहिए जिसमें भारत की विदेश नीति पर खास तौर पर वर्तमान में जब अफगान की सरकार और तालिबान के बीच की स्थिति और अभी स्पष्ट नहीं हो जाती ।  दक्षिण एशिया में पाकिस्तान और चीन सहित रूस के अपने-अपने नजरिए अफगानिस्तान को लेकर हैं कश्मीर वर्तमान में भारत का अभिन्न अंग है वह भी पीओके के साथ अभिन्न अंग है जो भविष्य में हमारे पास निश्चित तौर पर आ सकता है। यहां आज भी पाकिस्तानी नैरेटिव को बहुत तरजीह दी जाती है भले ही उसका प्रतिशत कम हो। इस देश में बात करने वाले अधिकांश लोग यह समझते हैं कि भारत सरकार अपनी विदेश नीति पर चर्चा करती रहे। लेकिन यह अनुकूल समय नहीं है कि हम भारत सरकार से ऐसी कोई उम्मीद करें। राष्ट्र सर्वोपरि है राष्ट्रीय मानव का सर्वोपरि है।
बेदर्द तालिबान के क्रूर लड़ाके

  बहरहाल इस पर सरकार की पैनी नजर है 5 अगस्त 2019 के बाद कश्मीर किसी चर्चा के लिए शेष नहीं रह जाता कश्मीर भारत का हिस्सा था है और रहेगा और भविष्य में पी ओ के भारत में आ जाए तो कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। परंतु पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी पाकिस्तान के नजरिए से सोच रहे हैं। वी भारत को झूठा और तालिबान को जांबाज जंगजू मानते हैं। इसका खुलासा ट्विटर पर आप स्पेस सुविधा के अंदर देख सकते हैं जो हाल ही में ट्विटर ने मुहैया कराई है।
टि्वटर ने इन दिनों स्पेस नामक सुविधा अपने खाता धारियों को मुहैया कराई है। भले ही यह एक अच्छी व्यवस्था हो किंतु यह ऐसे नैरेटिव सेटलर्स के लिए चारागाह बन गई है जो भारत विरोधी अभिव्यक्ति करते हैं।
13 से 14 जुलाई 2021 को मीडिया से प्राप्त होने वाली खबरों के संदर्भ में सोच कर ही अजीब परिस्थितियों का एहसास होते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक मीडिया चैनल के अनुसार आज तक 85% अफगानिस्तान में तालिबान का साम्राज्य स्थापित हो चुका है
   जहां तक वर्तमान में अफगानिस्तान में तालिबान बढ़ती हुई हैसियत का सवाल है हमें भारत सरकार के आधिकारिक कदमों की प्रतीक्षा करना उचित होगा। ना ही यह कयास लगाए जाने चाहिए कि भारत कोई ऐसा कदम उठाएगा जो अप्रिय हो और ना ही ऐसे मंतव्य को स्थापित करना चाहिए। जहां तक मीडिया का सवाल है उनके अपनी नजरिया है उनके अपने अधिकार है इस पर कुछ कहना भी उचित नहीं है। परंतु आम भारतीय होने के नाते हम सभी भारतीयों को भारत सरकार के आधिकारिक प्रयासों को देखते रहना है।

सोमवार, जुलाई 12, 2021

परिंदे हंसते हैं उस पर...!

       उम्मीद ना थी कि हम कभी इतना एकाकी महसूस करेंगे। उसे बहुत तकलीफ हो रही थी जब उसने अपने बच्चों को बाहर पढ़ने भेजा। वह जानता था यह अब वापस नहीं आने वाले। परंतु अनिश्चितता भरे इस जीवन क्रम में बच्चों के हर फैसले को स्वीकारना उसकी नियति थी। भले ही यह शहर गांव के लिए उम्मीदों का शहर हो पर इस शहर में रहने वाला बच्चा इस शहर को पता नहीं क्या समझता है। उसे क्या मालूम था कि अब नन्हीं पाखी के पर निकल आए हैं। समझाने की तो बहुत कोशिश की परंतु पाखी के अपने अकाट्य तथ्य थे। कस्बा नुमा  शहर जिसे वह अपना शहर कहता है बच्चों के लिए सुविधा ही गांव से हटकर कुछ और नहीं। बहुत समझाया था कि  कॉलेज यूनिवर्सिटी महत्वपूर्ण नहीं होती महत्वपूर्ण होता है तुम्हारी अध्ययन शीलता। उसे अच्छी तरह से बार-बार समझाने के बाद बेटी जिद के आगे झुकना पड़ा। अपने शहर से कुछ बड़े शहर के किसी बेहतर  कॉलेज की तलाश में जाने के लिए कार में सवार होकर पत्नी और पाखी के साथ उसका जाना सुनिश्चित हो गया था। एक विचार बार-बार मन में उभर रहा था कि पता नहीं पाखी को फिर वापस आएगा या नहीं बस यह सवाल उसकी चिंता बन चुका था ।
    जब वह एक कॉलेज का जायजा ले रहा था जो काउंटर पर बैठे काउंसलर ने बताया कि हमारे कॉलेज में अभिषेक बच्चन भी आए थे। सेलिब्रिटीज का आना जाना लगा रहता है। 
अचानक उसके मुंह से निकला-" मिस्टर शर्मा आप जानते हैं आप क्या कह रहे हैं?"
  एक पल के लिए मिस्टर शर्मा शरमा गए । शर्मा जी के शरमाने की वजह यह न थी कि वे जान चुके थे कि उनने गलत जानकारी दी है । बल्कि उन्हें मेरे प्रश्न का उत्तर तुरंत नहीं मिल पा रहा था। आखिर  15000 पगार वाला काउंसलर सबकी साइकोलॉजी को क्या समझता। फिर जब उसने काउंसलर से कहा-"आप कोई प्रोडक्ट बेच रहे हैं क्या ?"
तब काउंसलर को समझ में आया कि किसी सिरफिरे से पाला पड़ गया है। फिर भी खिसियानी हंसी हंसते हुए शर्मा जी ने कहा-"सर , नहीं सर हमारे बच्चे पढ़ते भी हैं।
वह- कितने बच्चे आईएएस बने हैं और आईपीएस
शर्मा जी- सर स्टेट में बहुत गए हैं सीए बने हैं...!
     तक्षशिला वाला दौर होता तो शायद द्वारपाल ही उसे सब परिवार वापस लौटा देता। 21वीं शताब्दी में एजुकेशन बेचने वाले कुकुरमुत्ते जैसे कॉलेजों का उद्देश्य क्या होता है आप सब समझते हैं।
     वह जिसका नाम अभी तक मैंने इस कहानी में लिखा नहीं है हो सकता है कि वह आप हो सकता है कि वह मैं हूं कोई भी हो नाम आप अपनी सुविधा के हिसाब से रख लीजिए।
   वह उसकी पत्नी और बेटी वापस अपनी कार की तरफ जाने लगे एडमिशन डेस्क से उठकर शर्मा जी पीछे तक आए और उन्होंने कहा सर हमसे क्या गलती हो गई है। वह बोल पड़ा- शिक्षा कोई प्रोडक्ट नहीं है कृपया अपनी सेठ को बता देना। 
   शैक्षिक संस्थानों की स्थिति दुकानों या व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से बढ़कर नहीं है यह तो सुधि पाठक समझ गए होंगे।
      खैर अब बारी थी और कॉलेजों को समझने की। बिटिया से यही तय कर चुका था कि अगर मुझे महाविद्यालय में कोई खास बात नजर आई तो जरूर मैं तुम्हारा एडमिशन उसी कॉलेज में कराऊंगा।
   बहुत कॉलेजों को समझने की कोशिश की पर उस जड़ बुद्धि को तक्षशिला कहां मिलने वाला था। लौट लौट कर उसे अपने शहर की विद्वान प्रोफेसर्स की याद आ रही थी । पर नई पीढ़ी को कौन समझा सकता है मन में डर यह भी था कि कहीं बेटी यह आरोप ना लगाए -"कि बेटा होता तो ज़रूर भेजते..?
    एंपावरमेंट के इसी फलसफे को नजरअंदाज ना कर सका। परंतु बेहतर कॉलेज चुनना मेरी जिम्मेदारी थी।
    यह अंतिम कॉलेज था अगर पसंद आया तो वापिस जाना तय था। उसने अपनी पत्नी और बेटी को कॉलेज की कैंटीन और उसकी अवलोकन के लिए भेज दिया। और वह कैंपस में बच्चों से वर्ल्ड इकोनामिक सिस्टम पर बात करने लगा। एक बच्चे से उसने फिसकल पॉलिसी पर बात की और मन ही मन बहुत खुश हुआ जो वह चाह रहा था वह यहां मौजूद है। अब बारी थी हॉस्टल देखने की। उसके मन में वार्डन की कर्कश आवाज में जो आकर्षण पैदा किया अद्भुत था। वह जानता था इस कर्कश कठोर आवाज के पीछे एक सुरक्षा चक्र जरूर है। और फिर प्रवेश की औपचारिकताएं पूर्ण कर पाखी को उसी हॉस्पिटल में सौंप दिया गया।
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   डिग्री होते होते कैंपस सिलेक्शन और वह भी रिनाउंड फाइनेंसियल कंपनी में खुशी तो बहुत हुई परंतु वह चाहता था कि पाखी कुछ ऐसा करें कि उसका वज़ूद और बच्चों के लिए सागरदीप बने।
    मल्टीनेशनल कंपनियों का अपना एक चक्रव्यूह होता है। इनमें जाने के बाद बाहर आने का रास्ता मिलना नामुमकिन है। वह चाहता था कि पाखी कम से कम एमबीए या सीए जरूर करें। परंतु यह हो ना सका कंपनी ने आश्वासन दिया था कि हम सीए कराएंगे। फिर कंपनी की पॉलिसी बदल गई सच क्या है कंपनी जानती है ।
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लॉकडाउन के पहले दौर के बाद ऐसा लगा था कि शायद पाखी साथ में रहेगी। परंतु आप तो जानते हैं हमारे पिताजी जी रिटायर होकर वापस अपने गांव कहां जा सके वहां शेष क्या है..? पिताजी के मस्तिष्क में वो गांव है...! पर अब तो सब कुछ बदल गया अब वह गांव वैसा नहीं है जैसा उसने गर्मियों सर्दियों की छुट्टीयों है बरसों पहले देखा था। 
    गुप्ता जी के बच्चे भेजो अमेरिका में हैं लौटे नहीं क्यों लौटेंगे ...! शर्मा जी पांडे जी इन सब की बच्चों की यही स्थिति है। कस्बा नुमा शहर में रखा क्या है। वही चेहरे ना अब तो और झुर्रीदार हो गए होंगे । मोहल्ले के बहुतेरे लोग वही विंटेज टाइप की जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे शहरों में जाने की जरूरत क्या। गांव से आने वाला कस्बे में मुस्कुराता है उसे कस्बा पसंद आ जाता है कस्बे वाला बड़े शहर को नहीं छोड़ता बड़े शहर वाला मेट्रोपॉलिटन को नहीं छोड़ता और मेट्रो वाला अगर गलती से बच्चे यूएस कनाडा पहुंच गया तो फिर आप मुंबई वाली माता जी की तरह इंतजार करते रह जाएंगे जिसे मीडिया ने बहुत ही स्पेस दिया था हां कंकाल होने पर । 
आजकल उसने आकाश की ओर निहारना बंद कर दिया है। वह पंछी बातें करते अपने अपने ठिकानों पर लौटते हैं जानते हो क्या बातें करते हैं शायद किसी को नहीं मालूम कुछ व्यक्ति ने सुनी है हां पाखी के पापा ने कई बार सुनी है ... . एक पंछी,  पाखी के पापा को देखकर न केवल हंसते हैं आपस में यह भी कहते हैं .. ."हां हम इन लोगों से बहुत अच्छे हैं।"
    पाखी के चिंतन में खोया अचानक खुद फोन लगाता है...!
कैसी हो बेटा.. ?
एकदम बढ़िया थोड़ा व्यस्तता चल रही है कंपनी का काम बहुत है...!
वर्क फ्रॉम होम की फैसिलिटी है तो फिर तुम आ सकती हो...?
"मुश्किल है पापा, आप कुछ के अनुकूल वातावरण मुहैया नहीं करा पाएंगे...!"
      अपराध बोध में वह अब तक सदमे से उबर नहीं पा रहा और ना कभी उबर पाएगा।
     

एनसीईआरटी को भेजे गए प्रस्ताव

एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रमों में परिवर्तन परिवर्तन एवं संवर्धन बाबत
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपेक्षित विषयांतर्गत बिंदुओं पर निम्नानुसार बिंदु नवीन पाठ्यक्रम में जोड़े जाने की जरूरत है विषय वार हम क्रमागत रूप से अनुरोध करते हैं कि कृपया समस्त बिंदुओं में हमारी इन सुझावों को यथोचित स्थान देने की कृपा कीजिए
नवीन शिक्षा नीति के तहत अथवा उसके पूर्व निम्नानुसार पाठ्यक्रम परिवर्धन परिवर्तन संवर्धन की अपेक्षा है
1 :- गणित
[  ] जब क्षेत्रीय भाषाओं का अध्ययन भी कराया जाना है ऐसी स्थिति में गणना प्रणाली में कम से कम पांचवी कक्षा तक संस्कृत की गणना प्रणाली को केवल इस उद्देश्य से शामिल किया जाना प्रस्तावित है ताकि विद्यार्थी को संस्कृत के शब्दों को सुनने समझने का अवसर प्राप्त हो ।
[  ] यथासंभव वैदिक गणित को भी स्थान देना प्रस्तावित है
2 : विज्ञान
[  ] सामान्यतः वर्तमान युग को वैज्ञानिक युग माना जाता है। परंतु तकनीकी का विकास भारत के संदर्भ में बहुत पहले हो चुका है। जैसे समय का अनुमापन करना वार्षिक कैलेंडर का निर्माण यह सब नक्षत्र विज्ञान पर आधारित होने के बावजूद बच्चों को इस बात का ज्ञान नहीं होता कि- भारत की नक्षत्र आधारित काल गणना प्रणाली कितनी वैज्ञानिक है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारतीय नक्षत्र विज्ञान संबंधी तथ्यों को माध्यमिक शिक्षा स्टार्टअप के विद्यार्थियों को बता देना आवश्यक होगा ।
3 :- इतिहास
[  ] भारतीय इतिहास में रामायण महाभारत के कालानुक्रम को समाप्त कर दिया गया है। यह कोई धार्मिक व्यवस्था नहीं थी महाभारत और रामायण काल के पर्याप्त सबूत उपलब्ध है। इस संदर्भ में रामायण एवं महाभारत कालीन विवरणों को स्वीकृति देनी चाहिए।
[  ] भारत का इतिहास मौर्य काल से प्रारंभ नहीं होता है बल्कि उससे पहले रामायण के बाद महाभारत काल के उपरांत महाजनपदों का विवरण प्राचीन इतिहास के रूप में भारतीय आदि ग्रंथों में मौजूद है । इसलिए आवश्यक है कि भारतीय इतिहास को ईशा के 1500 वर्षों तक सीमित ना रखा जाए। पाठ्यक्रम में सिंधु घाटी सभ्यता तथा वैदिक कालीन सरस्वती नदी के विलुप्त होने के इपोक अर्थात समय बिंदु को जो 8000 वर्ष पूर्व का है को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। इस संबंध में कई वैज्ञानिकों ने तथा इतिहासकारों ने बहुत बड़े-बड़े काम किए हैं इनमें एक नाम वेदवीर आर्य का भी है जिनकी किताबों क्रमशः the chronology of India from Manu To Mahabharata, एवम the chronology of India Mahabharat to mediaeval era में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर विस्तृत विश्लेषण है। इसके अलावा भी आईआईटी कानपुर एवं कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा प्राचीन भारतीय इतिहास के संबंध में शोध पत्र तैयार किए गए हैं का विवरण पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए।
[  ] वर्तमान में किसी को भी जैन एवं बुद्ध मतों के कालखंड के संबंध में कोई विशेष जानकारी नहीं है अतः इस पर नवीनतम शोध कार्यों को ध्यान में रखते हुए विस्तार से जानकारी प्राथमिक शिक्षा के उपरांत सम्मिलित की जा सकती है ऐसा हम प्रस्तावित करते हैं।
4:-भारतीय वैदिक समाज के संबंध में कोई भी विवरण भारत के विद्यार्थियों तक पहुंचाने का ना तो कोई प्रयास किया गया है और ना ही विवरण पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं। इस विसंगति को दूर करना भी बहुत आवश्यक है।
[  ] इसके अतिरिक्त इस्लामिक ईसाई कंटेंट  को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन ने स्वीकारा है परंतु समकालीन भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर ना तो ऐतिहासिक कंटेंट उपलब्ध है और ना ही इसका कोई भी सही विवरण इतिहास में सम्मिलित नहीं है। अर्थात 4004 वर्ष पूर्व भारत की सभ्यता को 0 साबित करना सिद्ध होता है। जबकि सिंधु घाटी सभ्यता के अंत की स्थिति अर्थात लगभग 5000 तक के प्रमाण 2019 तक हरियाणा में मिल चुके हैं। सिंधु घाटी सभ्यता आज की से 5000 वर्ष पूर्व चरम पर थी जिसका उदाहरण धोलावीरा के नगर निर्माण अवशेषों से ज्ञात हुए हैं जबकि अभी मात्र 10 से 12% तक के अवशेष चिन्हित किए गए हैं।। अतः यह माना जा सकता है कि सिंधु घाटी सभ्यता वर्तमान समय से 5000 वर्ष समाप्त हुई है। परंतु किसका प्रारंभ निश्चित तौर पर 16000 वर्ष पूर्व हुआ था। इसके प्रमाण में उदाहरण स्वरूप आदरणीय विष्णु श्रीधर वाकणकर जी के कार्यों के माध्यम से समझा जा सकता है।
[  ] वर्तमान शिक्षा प्रणाली में केवल उत्तर भारतीय राज्य व्यवस्था तथा संस्कृति का विवरण दर्ज है वह भी विशेष रूप से मुगलकालीन। जबकि दक्षिण भारत के राज्यों का राजवंशों का उल्लेख या तो नहीं है और यदि है अभी तो संक्षिप्त रूप से। अतः संपूर्ण भारत के इतिहास के विवरण को पाठ्यक्रम में किसी न किसी रूप में शामिल किया जावे ऐसा हम प्रस्तावित करते हैं।
[  ] यहां भारतीय सामाजिक व्यवस्था धार्मिक ना होकर सर्वाधिक सेक्युलर है। दक्षिण भारत में शैव वैष्णव शाक्त, आदि आदि कई संप्रदाय प्रतिष्ठित थे। किंतु उनका समेकन अर्थात एकीकरण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा किया गया। ऐसे विवरण भी शैक्षिक पाठ्यक्रम में ना होने से भारतीय विद्यार्थियों को ही भारत को समझने में भारी चूक हो रही है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र को अर्थशास्त्र जैसे विषय से बाहर रखा है । शून्य और दशमलव प्रणाली के संदर्भ में जिन भारतीय विद्वानों का योगदान रहा है उसके बारे में बच्चों को जानकारी ही नहीं है।
हमारे ऐतिहासिक व्यक्तित्व
भारत के ऐतिहासिक व्यक्तित्व से परिचित कराने के लिए 1977 के आसपास तक सहायक वाचन जैसी पुस्तकें विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से चला करती थी। जिसमें पंचतंत्र जातक कथाएं महापुरुषों की जीवनी या आदि कंटेंट शामिल हुआ करता था जो वर्तमान में पाठ्यक्रम से बाहर है। कृपया ऐसे विवरणों को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की कृपा कीजिए।
6:- भाषा विकास
वर्तमान में भाषा विकास संबंधी कोई कंटेंट अर्थात पाठ्य सामग्री बच्चों को नहीं पढ़ाई जा रही है। संस्कृत विश्व की समस्त भाषाओं की जननी है यह तथ्य हम बहुत बाद में आकर समझे जबकि संस्कृत के बारे में हमें प्रारंभ से ही जानकारी होनी चाहिए थी। हमें संस्कृत को एक विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल कर देना चाहिए। परंतु संस्कृत को किसी भी स्तर पर पर्याप्त संरक्षण प्राप्त नहीं हुआ है जो वापस प्रदान करना चाहिए।
[  ] भाषाओं के विकास के संबंध में भी कंटेंट पाठ्यक्रम में प्रस्तुत करना आवश्यक है।
[  ] प्राचीन इतिहास मौर्य वंश से प्रारंभ होकर वहीं कहीं समाप्त हो जाता है । जबकि मोहम्मद साहब के समकालीन राजा दाहिर का कहीं भी जिक्र नहीं है इतिहास से बाहर रखने का औचित्य क्या है यह हमारी समझ से परे है। अतः आपसे अनुरोध है कि राजा दाहिर के अतिरिक्त उसके पूर्व तथा पश्चात में विभिन्न विदेशी यात्रियों विशेष तौर पर चीनी यात्रियों एवं पर्शियन मुस्लिम विद्वान यात्रियों द्वारा लिखे गए विवरणों का पाठ्यक्रम में शामिल होना जरूरी है।
        मान्यवर उपरोक्त अनुसार प्रस्ताव सादर हमारी ओर से प्रस्तुत है
गिरीश बिल्लोरे मुकुल

रविवार, जुलाई 11, 2021

जनसंख्या नियंत्रण ही नहीं जनसंख्या प्रबंधन की अवधारणा को अपनाना होगा

 

         मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारत की जनसंख्या 139 करोड़ होकर विश्व की जनसंख्या 17.58% पर आ चुकी है और यह वह समय है जब हम किन से मात्र कुछ लाख कम है  अर्थात जनसंख्या के मामले में अगर भारत और चीन की जनसंख्या मिला दी जाए तो विश्व की आबादी की एक दशक में 50% हिस्सेदारी आने में आसानी से पहुंच जाएगी। यह दोनों हितेश आने वाले दो-तीन दशक में अपने सारे संसाधन खो सकते हैं ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

          विश्व के कुछ प्रमुख राष्ट्रों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका जनसंख्या विश्व की जनसंख्या में 5% यूनाइटेड किंगडम  .0 8%, जर्मनी की जनसंख्या 1.07% फ्रांस 0.85% इटली 0.78% है। यह सारे देश लगभग भारत और चीन से अधिक जन सुविधा संपन्न देश हैं। यहां उन देशों का विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है जो खाड़ी के देश है वे आर्थिक रूप से बेहद समृद्ध होने के साथ-साथ जन सुविधा संपन्न है।

          भारत ने जनसंख्या को  जनशक्ति के रूप में स्वीकारा है। अतः भारत को भविष्य के 50 वर्षों की कार्य योजना तैयार करने की जरूरत है। विभिन्न रिपोर्ट के आधार पर हम कह सकते हैं कि भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर 1.2% से 1.3% के बीच रहेगी। और यह वार्षिक वृद्धि दर भारतीय जनसंख्या को भारत के नागरिकों की औसत उम्र 72 वर्ष की तुलना में अत्यधिक कही जा सकती है।

                                            जनसंख्या वृद्धि की दर



          यह सर्वोच्च सत्य है की भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2.5 % से कम होकर 1.8% के आसपास रह गई है। तो आप सोचते होंगे कि किन कारणों से जनसंख्या अधिनियम लाने चाहिए?

सवाल स्वाभाविक है। पर आपने आर्टिकल के प्रारम्भ को ध्यान से देखा कि- भारत और चीन अगले कुछ दशक में विश्व की जनसंख्या के 50 % हो जाएगी। और इन दौनों राष्ट्रों को 3 से 4 गुना अधिक संसाधनों की जरूरत होगी। फिर प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादों के उपभोक्ताओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का विदोहन में तेज़ी से प्राकृतिक अस्थिरता बढ़ेगी । जैसा प्राचीन इतिहास में दर्ज़ है।  

          अत: भारत की जनसंख्या जनशक्ति अवश्य है किंतु रोजगार एवं उत्पादकता में इस जनसंख्या की भागीदारी वर्तमान संदर्भ में एवं आगामी 50 वर्षों के लिए  चिंता  का विषय है।
          भारतीय जनशक्ति के लिए आर्थिक संसाधनों एवं उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों जैसे रहने के स्थान शुद्ध पानी उत्पादित खाद्य सामग्री और इसके अलावा राज्य की ओर से प्रदत्त शैक्षणिक विकास चिकित्सा एवं आंतरिक सुरक्षा संसाधनों को बढ़ती हुई जनसंख्या नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी ऐसा मेरा मानना है।

          भारतीय संदर्भ में जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ जनसंख्या प्रबंधन के संदर्भ में भी फुलप्रूफ माइक्रो प्लानिंग की जरूरत है। वर्तमान में कोविड-19 टीकाकरण में अब तक कई देशों की जनसंख्या से दुगनी कई देशों की जनसंख्या के बराबर कई देशों की  जनसंख्या की तुलना में कई गुना अधिक वैक्सीनेशन दिए जा चुके हैं परंतु फिर भी हमारी उपलब्धि 50% तक नहीं पहुंच पाई है।

          राज्य की जिम्मेदारी है कि वह शिक्षा चिकित्सा और रक्षा मूल रूप से आवासी व्यवस्था के साथ राष्ट्र वासियों को ब्लड कराएं। परंतु यदि इस गति से जनसंख्या बढ़ेगी तो आने वाले 50 वर्षों में भारत की जनसंख्या ना केवल राजकीय संसाधनों का लाभ उठा सकेगी और ना ही प्राकृतिक संसाधनों का पर्याप्त रूप से रसास्वादन कर सकेगी।

          विश्व जनसंख्या दिवस पर प्रत्येक परिवार को व्यक्तिगत तौर पर बिना किसी लोभ लालच के जनसंख्या प्रबंधन को महत्व देना ही होगा। भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों द्वारा जनसंख्या प्रबंधन की दिशा में कारगर कदम उठाए हैं परंतु यह व्यवस्था बेहद कारगर नहीं रहेगी अगर जनसंख्या वृद्धि ना रुके तो। हम पड़ोसी देश पाकिस्तान से तुलना करें तो उनकी जनसंख्या मात्र 22 या 23 करोड़ है। यद्यपि उसका जनशक्ति नियोजन और प्रबंधन बेहद घटिया स्तर का होने के कारण वहां स्वास्थ्य शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नकारात्मक आंकड़े प्रदर्शित करती है। परंतु भारतीय प्रशासनिक एवं सामाजिक व्यवस्था करने वालों का हुनर काबिले तारीफ है कि उनके द्वारा इस देश को संभावित खतरे से बाहर निकाल लिया।

          भारतीय योजनाकारों ने एक  प्रभावशाली व्यवस्थापन कर संसाधनों की आम नागरिक तक पहुंच को वर्तमान परिस्थितियों में बरकरार रखा है यह कुशल प्रबंधकीय विशेषज्ञता का बिंदु है। परंतु सब दिन होत ना एक समाना के सिद्धांत को भी ध्यान में रखना होगा। 

 

रविवार, जुलाई 04, 2021

Understanding Swami Vivekananda

दुनिया में जो भी कुछ घटता है वह सब उन महापुरुषों के संदेशों से व्यवस्थित हो सकता है जो का यही संदेश है। स्वामी विवेकानंद को याद करना आज.. 
    अभी लेकिन उनकी स्मृतियां इतनी मीठी कि किसी को बांटने में मुझे उस बच्चे की तरह असहजता हो रही थी जैसे किसी बच्चे को अपनी सबसे प्रिय वस्तु बांटने के लिए कहा जाए। परंतु" हर दिन नया दिन है हर रात नई रात..!"- का अनुसरण करते हुए लगा कि कुछ लिख दिया जाए कुछ बांट दिया जाए। आज मैं बच्चों से बात करना चाहता हूं बच्चों से बात करने का उद्देश्य यह है कि वह जाने भारत विश्व में इतना चर्चित राष्ट्र क्यों है। बच्चों भारतीय दर्शन एक ऐसा जीवन प्रदर्शन है.. जिसे विश्व के दर्शन यानी फिलासफी की नीव कहा जा सकता है। मैंने बचपन में एक कवि की कविता सुनी थी जिसने उन्होंने कहा था कि- आज दुनिया में जो भी कुछ है इसकी फाउंडेशन में भारतीय फिलासफी है।
    विवेकानंद जी के बारे में आप कितना जानते हैं मुझे नहीं मालूम। स्वामी विवेकानंद जी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुए जब उन्होंने शिकागो में अपना भाषण दिया। उन्होंने भारतीय सनातन धर्म पर अपनी टिप्पणी अपने भाषण में बहुत सतर्कता एवं आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत की थी। आज मैं आपको सलाह दूंगा कि एक बार अनिवार्य रूप से विवेकानंद के उस भाषण को गूगल से सर्च करके अवश्य पढ़ें। बच्चों शायद आप जानते होंगे कि भारत अपनी संस्कृति का विकास ईशा के 3500 वर्ष पूर्व हुआ आपके पापा मम्मी भी यही जानते हैं। परंतु नवीनतम खोजों ने स्पष्ट कर दिया है कि यह एक भ्रम है जो चलाया गया है। भारतीय समाज का विकास आज से लगभग 20000 वर्ष पूर्व हुआ है। इसके वैज्ञानिक और तथ्यात्मक साक्ष्यों  scientific and factual evidence के आधार पर यह कहा जा सकता है। मेरे सहित बहुत से लोगों ने इस पर रिसर्च कर लिया है।
    बच्चों भारतीय धर्म सनातन धर्म कहलाता है। जिसके मूल आधार में विश्व बंधुत्व यानी विश्व के प्रत्येक व्यक्ति में आपसी भाईचारे का मौलिक सिद्धांत उल्लेखित है। स्वामी विवेकानंद ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे जिन्होंने सामाजिक विषमताओं और आर्थिक विषमताओं पर भी चिंतन किया। उनका मत था कि वेद वाक्य जिसमें यह कहा गया है कि सर्वे जना सुखिनो भवंतु को वास्तविक रूप में समाज में दिखना चाहिए। इसके लिए वे अमेरिका में नहीं रुके बल्कि भारत आकर संपूर्ण भारत की यात्रा की और लोगों को जागृत किया। उनका यह मानना था कि चाहे दुनिया कितनी भी वितरित हो जाए सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ना है। आपको उनके जन्म और मृत्यु का विवरण नीचे प्रस्तुत कर रहा हूं जन्म की तारीख और समय: 12 जनवरी 1863, कोलकातामृत्यु की जगह और तारीख: 4 जुलाई 1902, बेलुर मठ, हावड़ा अब देखिए 1863 से 1902 तक कुल 39 वर्ष का जीवनकाल और महान उपलब्धियां है ना अद्भुत बात...! 
  स्वामी विवेकानंद के जन्म से सन 2063 में उनकी हमारे बीच अनुपस्थिति के 200 वर्ष लगभग पूर्ण हो जाएंगे और तब भी उनके प्रतिपादित सिद्धांत के साथ-साथ शिक्षाएं अकाट्य रहेगी। स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन को आगे ले जाना आपकी जिम्मेदारी है। जिस तरह अमेरिकन अपने राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को भुला नहीं पाती उसी तरह भारत में बहुत सारे आईकॉनिक व्यक्तित्व हुए हैं जिन्हें भूल जाना भारत की दुर्दशा को आमंत्रित करने के बराबर होगा। मुझे मालूम है कि यह आर्टिकल बहुत लंबा होने से आपको पढ़ने में तकलीफ होगी। परंतु आज आपको पढ़ना होगा विवेकानंद योगी होने के बाद लोगों के बीच गए जबकि वे अपने व्यक्तिगत एक के लिए हिमालय की ओर नहीं गए। उनकी चिंता थी कि भारत का अगर कोई भी बच्चा भूखा रहता है तो उन्हें चैन से रहने की आवश्यकता नहीं है। वह शिक्षा चरित्र निर्माण और राष्ट्रप्रेम को सर्वोच्च धर्म मानते थे। भारत को अगर आप आज अच्छा देखना चाहते हैं तो आप गलत हैं आपको यह ध्यान रखना होगा कि भारत भविष्य में भी अच्छा रहे आज को हम बेहतर बनाएं कल को बेहतर बनाने में कोई कठिनाई नहीं होगी। स्वामी विवेकानंद ने ना केवल अपने दौर को बेहतर बनाने की कोशिश की बल्कि कुछ ऐसा कर दिया जिसके कारण आज आप स्वतंत्र भारत के मुस्कुराते हुए बच्चे बने हो। अभी आर्थिक विषमता आए हैं सामाजिक मुद्दे हैं जिनके कारण हम कभी कभी या अक्सर चिंतित और दुखी रहते हैं। स्वच्छता सद्भावना सामाजिक ऊंच-नीच का भेद और निजी स्वार्थ इन बिंदुओं पर वेदांत के सिद्धांतों पर सरल विश्लेषण करने वाले स्वामी विवेकानंद के दर्शन यानी फिलासफी को समझना जरूरी है। रोटी कपड़ा मकान जरूरी है तो सामाजिक विकास के लिए समतामूलक दर्शन यानी फिलासफी की जरूरत है। बच्चों सच कहूं वेदों में कहीं भी जाति प्रथा मेरे पढ़ने में नहीं आती है। जब फाह्यान और व्हेनसांग भारत आए थे तो उन्होंने कहा था कि भारत इसलिए महान है क्योंकि यहां समतामूलक समाज है सोचिए पांचवी छठवीं शताब्दी में आने वाले इन यात्रियों ने भारत के बारे में साफ-साफ लिखा था और वह भी वापस चीन जाकर। अर्थात उन पर कोई मानसिक दबाव नहीं था। इससे यह तो प्रमाणित हो जाता है कि भारत विश्व बंधुत्व और समता मूलक समाज के रास्ते पर चलता है। आप जब स्कूल जाते हैं तो क्या आप जाति बिरादरी और संप्रदाय को देखते हैं नहीं देखते ना तो बस यही है भारत के सनातन दर्शन का आधार। अंग्रेजों ने इस बात को ठीक उसी तरह समाज में फैलाने की कोशिश की जैसा वह करते हैं। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल  ने भारत के नागरिकों से बहुत नकारात्मक व्यवहार किया था। वे भारतीयों को दूसरे दर्जे का विश्व नागरिक समझते थे। विंस्टन चर्चिल सबसे बड़े नस्लवादी व्यक्ति थे यह अलग बात है कि उन्होंने हिटलर की तरह यहूदियों पर जैसा अत्याचार किया जाता है वैसा नहीं किया परंतु विचारों से वह व्यक्ति मेरे अध्ययन के अनुसार बहुत क्रूर था। जबकि स्वामी विवेकानंद का दर्शन पढ़ने समझने के बाद आप बच्चे भविष्य में ना तो हिटलर को स्वीकारेंगे और ना ही चर्चिल को। एक और बात स्वामी विवेकानंद के बारे में बताता हूं उनका मानना था सत्य पर अडिग रहना इसी सत्य को पकड़कर चलना चाहे समाज से आप किसी भी तरह की असहमतियाँ झेलते रहे परंतु सत्य के लिए सहते रहना झेलते रहना। महामना स्वामी विवेकानंद को शत शत नमन।

शनिवार, जुलाई 03, 2021

The Virgin River Narmada


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*Scientific and Geological facts about Narmada*
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*Narmada is the virgin river because she never cross her limit and limitations. According to pauranik text and description Narmada was only the river we called brahmacharini*

नर्मदा अति प्राचीन नदी है इसका निर्माण हिमालय के निर्माण से भी पहले हुआ है। आप सभी जानते हैं कि लगभग 4.50 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी नामक ग्रह का निर्माण हुआ वास्तव में सूर्य की हलचल से निकला हुआ आग का लावा जिसमें गैस और तरल खनिज मौजूद थे साथ ही अंतरिक्ष में गतिमान भौतिक वस्तुएं पृथ्वी के कक्ष में स्थापित हो गई। और पृथ्वी अपनी कक्षा में गर्म लावा बॉल की तरह है अपनी अक्ष पर घूमने वाली गति के कारण गुरुत्वाकर्षण बल पैदा करती है। यह प्रक्रिया लगभग 10000000 साल तक चलती है। पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी होती है किंतु अचानक एक पिंड पृथ्वी से टकरा जाता है जिससे चंद्रमा का उदय भी होता है। पृथ्वी के अंदर का लावा उसके टकराने से बहुत ऊंचाई तक जाता है और एक निश्चित दूरी पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में बंध जाता है। जो पिंड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में अथवा किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण में बंध जाए तो वह अपनी कक्षा स्थापित कर लेता है। तथा उसके चक्कर लगाने लगता है।
  सुधि जनो इस घटना के लाखों साल बाद पृथ्वी की ऊपरी परत यानी प्लेट्स में परिवर्तन होता है। और यह प्लेट एक दूसरे से टकराती है जब भारत के दक्षिणी हिस्से में यह टकराव होता है तो हिमालय का निर्माण होता है साथ ही साथ निचले भाग में सिलवट पड़ती है ऐसी ही सिलवट नर्मदा और ताप्ती सहित दक्षिण भारत की के निर्माण का कारण बनी है। नर्मदा के संदर्भ में कहा जाए तो अमरकंटक से खंभात की खाड़ी तक जो सलवट बनी नर्मदा है नर्मदा की विशेषता यह है कि नर्मदा अपनी सीमाएं नहीं तोड़ती। जो अपनी सीमा नहीं छोड़ता वह ब्रम्हचर्य का पालन करता है वैज्ञानिक कारण यही है उसे चिर कुमारी मानने का । 
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

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