मीडिया खबरों की माने तो अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही अफगान सरकार को विश्वास है कि हवाई हमलों के जरिये तालिबान को रोका जा सकता है. हालांकि अभी अफगान को तालिबान को रोकने के लिए काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
उपरोक्त समाचार से स्पष्ट होता है कि अफगान सरकार ने 4 बड़े देशों से तालिबान से अफगानिस्तान को बचाने के लिए मदद की दरकार की है। स्पीड चलाने वाली वानी रफत ने अपने टि्वटर हैंडल से एक फेक न्यूज़ जारी की है जिसके तहत वह यह साबित करने की कोशिश में लगी हुई है कि अफगान के आंतरिक मामलों में भारत सरकार अनावश्यक रूप से गोला बारूद मुहैया करा रही है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक टि्वटर स्पेस में कश्मीर और पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर के मुद्दों पर बहुत से भड़ास निकाली जा रही है। अब कान समस्या को लेकर भारत सरकार का नजरिया क्या है या क्या रहेगा इस पर कोई भी बात करना बहुत जल्दबाजी है। भारत की जनता को ऐसे किसी भी प्रकार के नैरेटिव से बचना चाहिए जिसमें भारत की विदेश नीति पर खास तौर पर वर्तमान में जब अफगान की सरकार और तालिबान के बीच की स्थिति और अभी स्पष्ट नहीं हो जाती । दक्षिण एशिया में पाकिस्तान और चीन सहित रूस के अपने-अपने नजरिए अफगानिस्तान को लेकर हैं कश्मीर वर्तमान में भारत का अभिन्न अंग है वह भी पीओके के साथ अभिन्न अंग है जो भविष्य में हमारे पास निश्चित तौर पर आ सकता है। यहां आज भी पाकिस्तानी नैरेटिव को बहुत तरजीह दी जाती है भले ही उसका प्रतिशत कम हो। इस देश में बात करने वाले अधिकांश लोग यह समझते हैं कि भारत सरकार अपनी विदेश नीति पर चर्चा करती रहे। लेकिन यह अनुकूल समय नहीं है कि हम भारत सरकार से ऐसी कोई उम्मीद करें। राष्ट्र सर्वोपरि है राष्ट्रीय मानव का सर्वोपरि है।
उपरोक्त समाचार से स्पष्ट होता है कि अफगान सरकार ने 4 बड़े देशों से तालिबान से अफगानिस्तान को बचाने के लिए मदद की दरकार की है। स्पीड चलाने वाली वानी रफत ने अपने टि्वटर हैंडल से एक फेक न्यूज़ जारी की है जिसके तहत वह यह साबित करने की कोशिश में लगी हुई है कि अफगान के आंतरिक मामलों में भारत सरकार अनावश्यक रूप से गोला बारूद मुहैया करा रही है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक टि्वटर स्पेस में कश्मीर और पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर के मुद्दों पर बहुत से भड़ास निकाली जा रही है। अब कान समस्या को लेकर भारत सरकार का नजरिया क्या है या क्या रहेगा इस पर कोई भी बात करना बहुत जल्दबाजी है। भारत की जनता को ऐसे किसी भी प्रकार के नैरेटिव से बचना चाहिए जिसमें भारत की विदेश नीति पर खास तौर पर वर्तमान में जब अफगान की सरकार और तालिबान के बीच की स्थिति और अभी स्पष्ट नहीं हो जाती । दक्षिण एशिया में पाकिस्तान और चीन सहित रूस के अपने-अपने नजरिए अफगानिस्तान को लेकर हैं कश्मीर वर्तमान में भारत का अभिन्न अंग है वह भी पीओके के साथ अभिन्न अंग है जो भविष्य में हमारे पास निश्चित तौर पर आ सकता है। यहां आज भी पाकिस्तानी नैरेटिव को बहुत तरजीह दी जाती है भले ही उसका प्रतिशत कम हो। इस देश में बात करने वाले अधिकांश लोग यह समझते हैं कि भारत सरकार अपनी विदेश नीति पर चर्चा करती रहे। लेकिन यह अनुकूल समय नहीं है कि हम भारत सरकार से ऐसी कोई उम्मीद करें। राष्ट्र सर्वोपरि है राष्ट्रीय मानव का सर्वोपरि है।
बहरहाल इस पर सरकार की पैनी नजर है 5 अगस्त 2019 के बाद कश्मीर किसी चर्चा के लिए शेष नहीं रह जाता कश्मीर भारत का हिस्सा था है और रहेगा और भविष्य में पी ओ के भारत में आ जाए तो कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। परंतु पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी पाकिस्तान के नजरिए से सोच रहे हैं। वी भारत को झूठा और तालिबान को जांबाज जंगजू मानते हैं। इसका खुलासा ट्विटर पर आप स्पेस सुविधा के अंदर देख सकते हैं जो हाल ही में ट्विटर ने मुहैया कराई है।
टि्वटर ने इन दिनों स्पेस नामक सुविधा अपने खाता धारियों को मुहैया कराई है। भले ही यह एक अच्छी व्यवस्था हो किंतु यह ऐसे नैरेटिव सेटलर्स के लिए चारागाह बन गई है जो भारत विरोधी अभिव्यक्ति करते हैं।
13 से 14 जुलाई 2021 को मीडिया से प्राप्त होने वाली खबरों के संदर्भ में सोच कर ही अजीब परिस्थितियों का एहसास होते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक मीडिया चैनल के अनुसार आज तक 85% अफगानिस्तान में तालिबान का साम्राज्य स्थापित हो चुका है
जहां तक वर्तमान में अफगानिस्तान में तालिबान बढ़ती हुई हैसियत का सवाल है हमें भारत सरकार के आधिकारिक कदमों की प्रतीक्षा करना उचित होगा। ना ही यह कयास लगाए जाने चाहिए कि भारत कोई ऐसा कदम उठाएगा जो अप्रिय हो और ना ही ऐसे मंतव्य को स्थापित करना चाहिए। जहां तक मीडिया का सवाल है उनके अपनी नजरिया है उनके अपने अधिकार है इस पर कुछ कहना भी उचित नहीं है। परंतु आम भारतीय होने के नाते हम सभी भारतीयों को भारत सरकार के आधिकारिक प्रयासों को देखते रहना है।