मध्यप्रदेश शासन के महिला सशक्तिकरण विभाग ने 2013 से लाडो अभियान चलाकर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006
को प्रभावी बनाने जो कदम उठाए उससे इस दिशा में
अभियान के द्वितीय चरण अर्थात लाडो अभियान 2015 के प्रभावी असर दिखाई डे रहे हैं . लाडो-अभियान
एक मिशन मोड में चलाया जाने वाला कार्यक्रम है . इस कार्यक्रम की प्रणेता महिला
सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव का स्वप्न है
कि महिलाओं एवं बच्चों सशक्तिकरण के लिए सर्वांगीण पहल होनी चाहिए . आम जनता
को यह महसूस हो कि सामाजिक बदलाव लाने के लिए सरकार के साथ साथ आम नागरिक की ज़िम्मेदारी भी
है . इस हेतु योजनाएं अथवा कार्यक्रमों का जनजन तक पहुँचना आवश्यक होता है .. इसी
क्रम में महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त श्रीमती कल्पना
श्रीवास्तव की सोच लीक से हटकर नज़र आ रही है . उनकी सोच से स्वागतम
लक्ष्मी, लाडो-अभियान , शौर्यादल जैसे कार्यक्रम
समाज के सामने आए हैं जो महिलाओं एवं बच्चों के समग्र कल्याण के लिए
सामाजिक पहल की दूरगामी आइडियोलोजी सूत्रपात करने में सक्षम हैं .
मध्य-प्रदेश का लाडो अभियान 2015 एक ऐसा बहुआयामी कांसेप्ट बन गया है जो भविष्य
के लिया एक दिशा सूचक का कार्य करेगा.
2009 में जारी यूनिसेफ की
रिपोर्ट से पता चलता है कि -भारत में दुनिया के सापेक्ष 40
प्रतिशत बाल विवाह होते है तथा 49 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम
आयु में ही हो जाता है।
लिंगभेद और
अशिक्षा का ये सबसे बड़ा कारण है . राजस्थान, बिहार, मध्य
प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम
बंगाल में सबसे ख़राब स्थिति है यूनिसेफ के अनुसार
राजस्थान में 82 प्रतिशत विवाह 18 साल से पहले ही हो जाते है .
ऐसा नहीं है कि
भारत सरकार इस सामाजिक कुरीति को रोकने प्रभावी उपाय एवं ऐतियाती कदम नहीं उठा सकी
. सरकार नें विवाह की आयु का निर्धारण कर कुरीती पर अंकुश लगाने के समुचित
प्रयत्न कर लिए हैं किन्तु सम्पूर्ण रूप से बाल-विवाह रोकने के लिए सामाजिक सोच
में सकारात्मक बदलाव लाने की सर्वाधिक ज़रुरत सदा ही है . भले ही 1978 में संसद द्बारा बाल विवाह निवारण कानून
पारित किया गया . इसमे विवाह की आयु लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल का निर्धारण किया गया साथ ही भारत सरकार ने नेशनल प्लान फॉर चिल्ड्रेन 2005 में 2010 तक बाल विवाह को 100
प्रतिशत ख़त्म करने का लक्ष्य रखा था .
कोई भी क़ानून तब प्रभावशाली हो जाता है जब उस देश के लोग उस क़ानून के
महत्व को जानें एवं समझें . इस हेतु वातावरण निर्माण भारतीय प्रजातांत्रिक संरचना
के लिए बेहद आवश्यक है
लाडो-अभियान इसी सोच का परिणाम है .
लाडो
अभियान क्या है ....?
समाज में प्रचलित बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति से बच्चों का मानसिक शारीरिक, बौद्धिक एवं
आर्थिक सशक्तिकरण पर गहरा एवं नकारात्मक प्रभाव पडता है । बालक एवं बालिकाओं को
उनके अधिकारों से वंचित होना पडता है । मिलेनियम डेवलपमेन्ट गोल जैसे गरीबी
उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण लैंगिक
समानता को बढावा देना, बच्चों के जीवन की सुरक्षा, महिला स्वास्थ्य में सुधार आदि को प्राप्त करने के लिए बाल विवाह को
ख़त्म करने की ज़रुरत महसूस की जाती रही है .
पर्याप्त ज्ञान और व्यापक
जागरूकता के अभाव में बाल विवाह की कुरीति बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास में बाधक बन रही है । बाल विवाह को केवल कानूनी प्रावधानों
के माध्यम से नहीं रोका जा सकता है,वरण इसे
जनजागरूकता और सकारात्मक वातावरण निर्माण कर ही बदला जा सकता है । इसी उददेष्य से
वर्ष 2013 से बाल विवाह को रोकने के
कार्य को एक अभियान का रूप दिया गया ''लाडो अभियान" .
अभियान के अंतर्गत ग्राम तथा वार्ड स्तर पर कोर ग्रुप के गठन का प्रावधान भी है . जो जिला/ विकासखंड / ग्राम / वार्ड स्तर पर दायित्व बोध कराने का अवसर देता है .
कोरग्रुप एक निगरानी यूनिट की तरह कार्य करता है . प्रदेश में बाल विवाह पर अंकुश के लिए वर्ष 2013 में ये अभियान शुरू किया गया।
-श्रीमती श्रीवास्तव ने इसमें जनता व सरकार की
समान भागीदारी सुनिश्चित करने मुहिम चलाई।
-जागरूकता के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006
के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार किया गया।
-बाल विवाह रोकने के लिए इससे बच्चों को मानसिक
व शारीरिक रूप से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी गई।
-बाल विवाह रोकथाम विशेष अवसरों पर चिन्हित
क्षेत्रों में ही होता था, लेकिन इस अभियान को पूरे प्रदेश में साल भर
चलाया गया।
-जिले से ले कर ग्राम स्तर तक कोर सदस्य बनाए गए,
जिन्होंने लोगों को जागरूक किया।
-मात्र 1 वर्ष (अप्रैल 2014 से फरवरी 15) में लगभग 52,000 तय बाल विवाह सम्पन्न् होने के पूर्व परामर्श
से रोके गए।
-1511 बाल विवाह
स्थल पर रोके गए व 41 प्रकरण पुलिस में दर्ज कराए गए।
- अभियान के तहत लगभग 1
लाख बच्चों का दाखिला स्कूल में कराया गया।
-22000 स्कूलों में
बाल विवाह कानून की जानकारी दी गई ।
अभियान
ने अपने पहले ही चरण में ऐसा वातावरण निर्माण किया कि समुदाय में बाल-विवाह के
प्रति सकारात्मकता की सोच रखने वाले समुदायों एवं व्यक्तियों में भी आमूल-चूल
परिवर्तन के लक्षण परिलक्षित होने लगे हैं .
सिविल
सर्विस डे पर मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने जे एन कांसोटिया प्रमुख सचिव, मबावि, संचालनालय महिला सशक्तिकरण की आयुक्त श्रीमती
कल्पना श्रीवास्तव व । श्रीमती टिनी पाण्डेय सहायक संचालक महिला सशक्तिकरण एवं
अरविन्द सिंह भाल प्रबंधक महिला वित्त विकास निगम को मेडल व प्रमाण पत्र प्रदान कर
सम्मानित किया
कैसे हुआ लाडो अभियान असरकारी....?
लाडो-अभियान एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए सतत निगरानी मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन में महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव कभी चूक नहीं करतीं . अपने मैदानी अधिकारियों एवं अमले से सीधे, अथवा वाट्सएप , फेसबुक, ट्विटर के ज़रिये जुड़े रहना उनको सलाह देना, सपोर्ट करना, श्रीमती श्रीवास्तव का मानो कार्यदायित्व सा हो गया है . वे हर कार्यकारी अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से जुड़ जातीं हैं .