
मरने के बाद जी उठती है
आती है मेरे
ज़ेहन में अक्सर
जब किसी बेटी के हाथों में किताब देखता हूँ
डर जाता हूँ घबराता हूँ
अकेले रो भी लेता हूँ
अनजानी फर्खुन्दा के लिए
तब आती है हौले से सिहाने मेरे माथे पे
सव्यसाची की तरह हाथ फेरती है
यकीन दिलाती है
कि उसने किताब नहीं जलाई ............ सच वो बेगुनाह है ..........
किताबें जो सेल्फ में सजी होती हैं
किताबें जो पूजा घर में रखी होतीं हैं
किसी ज़लज़ले में
पुर्जा पुर्जा होती हैं
किताबें जो दीमकें खा जातीं हैं
किताबें जो रिसते हुए पानी में गल जातीं हैं
किताबें जो बच्चे फाड़ देतें हैं
उन का हिसाब रखते हो तुम ?
न कभी नहीं ......... तो फिर फर्खुन्दा की जान लेना किस किताब के हिसाब से जायज़ था ...
किताबें बनातीं हैं
इंसान को इंसान बनातीं हैं
फर्खुन्दा पर पत्थर पटक कर
उसे ज़लाकर तुमको क्या मिला ..........
क्यों जलाते हो ज़ेहनों में
कभी न बुझाने वाली आग ..........
मरी फर्खुन्दा पर बड़े बड़े पत्थर बरसा कर
फिर सरे आम जलाकर
उस किताब में ये तो लिक्खा ही न था
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Farkhunda was killed in Kabul on 19th of March 2015 in a really bad way, , |