स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं-----------------
कुछ बातें खुद से-----
"तुम खुद ही अपने को बंदी बनाए हुए हो,इसलिए तुम्हीं अपने को स्वतंत्र करा सकते हो ,दूसरा कोई नहीं। "
"देश की उपेक्षा "आत्म हनन" का दूसरा नाम है।"
"उस जीवन को नष्ट करने का हमें कोई अधिकार नहीं, जिसे बनाने की शक्ति हममें न हो ।"
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रविवार, अगस्त 15, 2010
बुधवार, अगस्त 11, 2010
मिस ----- कर रहे है न आप भी - रश्मि रविजा जी को ?
रश्मि रविजा जी -------------बता कर गई है -एक हफ़्ते के लिए मुम्बई से बाहर ,पर जाने से पहले हमें भी घुमा लाई -- नेशनल पार्क सुनते हुए देखियेगा भी उनके ब्लॉग पर क्यों कि फोटो वहाँ है --------------
(पोस्ट करने से पहले रविजा जी से अनुमति न ले पाने का अफ़सोस है, क्यों कि वे जा चुकी थी । अत: क्षमा मांगती हूं।)
(पोस्ट करने से पहले रविजा जी से अनुमति न ले पाने का अफ़सोस है, क्यों कि वे जा चुकी थी । अत: क्षमा मांगती हूं।)
रविवार, अगस्त 08, 2010
राकेश खण्डेलवाल जी का गीत : आ रहा है डाकिया संदेस इक लेकर तुम्हारा---
शुक्रवार, अगस्त 06, 2010
प्रेयसी की पुकार :अर्चना चावजी
बारिशों के मौसम में---------------------------------सुनिए समीर जी का लिख एक गीत-----------जो शायद कोई पहचान नही पाया-------------मेरी आवाज में------------------
गुरुवार, अगस्त 05, 2010
आओ-----------------जल्दी सुनो--------------------और बताओ-----------------------मालूम हो तो--------------
आज सिर्फ़ सुनिये -----------ये कविता --------------------और सुनकर बताइये--------------किसने लिखी है --------और अगर ये भी बता पाये कि किसने गाई है ---------------------तो मुझे खुशी होगी......................................
बुधवार, अगस्त 04, 2010
विभूति नारायण जी अपनी लेखिका पत्नि के बारे में विचार कर लेते तो शायद ऐसा अश्लील शब्द मुंह से न उगल पाते
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।”यदि विभूति नारायण जी स्वयम पानी दार इंसान हैं तो उनको स्वयम ही पद से मुक्ति ले लेनी चाहिये. साथ ही साहित्यिकारों के सूची से ऐसे व्यक्ति का नाम विलोपित करना अब हमारी ज़वाब देही है. आप सोच रहे होंगे कि इतने कठोर निर्णय कैसे लिये जा सकते हैं तो सच मानिये ठीक वैसे ही जैसे एक पागल को शाक ट्रीटमेंट देकर दुरुस्त किया जाता है. ऐसा उपचार ज़रूरी है वरना कल कोई और इतनी ज़ुर्रत कर सकेगा. वैसे एक बार विभूति नारायण जी अपनी लेखिका पत्नि (जो मेरे लिये पूज्य हैं) के बारे में विचार कर लेते तो शायद ऐसा अश्लील शब्द मुंह से न उगल पाते . उनके असभ्य बयान ने साबित कर दिया कि विभूति नारायण राय न तो साहित्यकार थे न हैं न ऐसे लोगों को साहित्यकार का दर्ज़ा दिया जाना चाहिये. आज़ मुझे इतनी पीड़ा हो रही जितनी कि द्रोपदी के चीरहरण के समय समकालीन समाज को हो रही होगी. वैसे विभूति नारायण राय के खिलाफ़ वर्धा थाने में एफ़ आई आर दर्ज़ होना एक ज़रूरी एवम उचित क़दम है . इस एफ़ आई आर के आधार पर उनको पद्च्युत किया जा सकता है.
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