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मंगलवार, अक्तूबर 09, 2012

सही प्रबंधक वो है जो अपने चम्मचों को लटका के रखे ...........!!







चमचों के बिना जीना-मरना तक दूभर है. खास कर रसूखदारों-संभ्रांतों के लिये सबसे ज़रूरी  सामान बन गया है चम्मच. उसके बिना कुछ भी संभव नहीं चम्मच उसकी पर्सनालिटी में इस तरहा चस्पा होता है जैसे कि सुहागन के साथ बिंदिया, पायल,कंगन आदि आदि. बिना उसके रसूखदार या संभ्रांत टस से मस नहीं होता.  एक दौर था जब चिलम पीते थे लोग तब हाथों से आहार-ग्रहण किया जाता था तब आला-हज़ूर लोग चिलमची पाला करते थे. और ज्यों ही खान-पान का तरीक़ा बदला तो साहब चिलमचियों को बेरोज़गार कर उनकी जगह चम्मचों ने ले ली . लोग-बाग अपनी   क्षमतानुसार चम्मच का प्रयोग करने लगे. प्लैटिनम,सोने,चांदी,तांबा,पीतल,स्टेनलेस, वगैरा-वगैरा... इन धातुओं से इतर प्लास्टिक महाराज भी चम्मच के रूप में कूद पड़े मैदाने-डायनिंग टेबुल पे. अपने अपने हज़ूरों के सेवार्थ. अगर आप कुछ हैं मसलन नेता, अफ़सर, बिज़नेसमेन वगैरा तो आप अपने इर्द गिर्द ऐसे ही विभिन्न धातुओं के चम्मच देख पाएंगे. इनमें आपको बहुतेरे चम्मच बहुत पसंद आएंगे. कुछ का प्रयोग आप कभी-कभार ही करते होंगे. 

  चम्मच का एक सबसे महत्वपूर्ण और काबिले तारीफ़ गुण भी होता है कि वो सट्ट से गहराई तक चला जाता है. यानी आपके कटोरे के बारे में और आपके मुंह  के बारे में, आपके हाथों के बारे में 
    अब आप डायनिंग टेबल पर सजे चम्मच देखिये और याद कीजिये उस दौर को जब हमारे खाने-खिलाने के तरीके़ में "छुरी-कांटे" का कोई वज़ूद न था.केवल चम्मच से ही काम चलाया जाता था... हज़ूर आप बे-खौफ़ थे अभी भी हैं बे-खौफ़ पर आज़ आपको खबरदार किये देता हूं... अब हर जगह एक से बढ़कर एक "चम्मच" मौज़ूद मिलेंगे... पर छुरी-कांटों के साथ अब तय आपको करना है कि "चम्मच-बिरादरी" का उपयोग आप कितना और कैसे करना है. जैसे भी करें पर "खाते-वक़्त" इस बात का ध्यान भी रखें कि आप सिर्फ़ चम्मच से नहीं खाएंगे. उसके साथ छुरी-कांटों का प्रयोग भी करेंगे. और आप तो जानते हैं कि छुरी-कांटा तो छुरी-कांटा है .......आज अल्ल-सुबह मेरी नज़र डायनिंग टेबल पर रखे स्पून-स्टैंड पर पड़ी. उधर श्रीमति जी बोलीं- सुनते हो ?
आप की तो सुनता हूं.! बोलिये..
अबकी बार जब छुट्टी में आओगे तो कटलरी और स्पून स्टैंड खरीदना है..
क्यों...?
अरे, पुराना हो गया है. 
हां, ठीक है.सोच रहा था कि मैं अपने सजीव चम्मचों को तो मैं हमेशा खड़ा ही रखता हूं. और श्रीमती जी काहे स्पून स्टैंड मंगा रहीं हैं..सो हम फ़िर बोले..
"ये डब्बा बुरा है क्या..?"
न बुरा तो नहीं है मैं चाहती हूं कि ऐसा स्टैंड खरीदूं कि सारी कटलरी को लटका सकूं..
                                   मुझे उनकी इस बात से आत्म-बोध हुआ कि सही प्रबंधक वो है जो अपने चम्मचों को लटका के रखे ........... आप क्या सोचते हैं.. ?

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