4.4.22

नवरात्रि का तीसरा दिन : माता चंद्रघंटा की आराधना

आज 4 अप्रैल 2022 को नवरात्र का तीसरा दिन है और इस दिन हम मां चंद्रघंटा की आराधना करेंगे। मां चंद्रघंटा की विग्रह की आराधना के लिए जिस श्लोक से आवाहन किया जाएगा वह निम्नानुसार
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता | 
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता 
यदि यह श्लोक आप याद ना कर पाए तो निम्नलिखित श्लोक को पढ़िए
*या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।*
    देवी के स्वरूप को समझने के लिए निम्न विवरण को अवश्य देखिए
माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है।
  मां चंद्रघंटा साधक को आत्मिक शांति एवं दुष्ट पर शक्तियों से मुक्त करती हैं।
सनातन पूजा प्रणाली में केवल मूर्ति पूजा का महत्व ही नहीं है बल्कि साकार आराधना को भी महत्वपूर्ण माना है। मां चंद्रघंटा के पूजन के लिए अगर आप अनुकूल वातावरण महसूस नहीं कर पा रहे हैं या आपको अनुकूल वातावरण नहीं मिलता है तो आप किसी भी श्यामवर्णी तेजस्विनी विवाहित महिला को बुलाकर उन्हें सम्मान देते हुए उनका पूजन करें तथा उन्हें आहार सम्मान सहित खिलाए आहार में दही और हलवा अवश्य दिया जाना चाहिए।
   सनातन को अपमानित करने वालों के लिए यह बता देता हूं कि-" सनातन में नारी का सम्मान करना सर्वोपरि धर्म है।"

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