हिंसा क्यों.....?
पोस्टर कविता : शशांक गर्ग हिंसा के बारे में सामान्य सोच ये है कि – हिंसा में किसी के खिलाफ शारीरिक मानसिक यंत्रणा के लिए शारीरिक बल प्रयोग निरायुध एवं सायुध अथवा शाब्दिक बल प्रयोग किया जाता है . सत्य ही है ऐसा होता ही इस बिंदु पर किसी की असहमति नहीं यहाँ चिंतन का विषय है - “हिंसा क्यों ?” हिंसा कायिक एवं मानसिक विकृति है . जो भय के कारण जन्म लेती है . भय से असुरक्षा ... असुरक्षा से सुरक्षित होने के उपायों की तलाश की जाती है . तब व्यक्ति के मानस में तीन बातें विकल्प के रूप में सामने आनी चाहिए – 1. परिस्थिति से परे हटना 2. सामने रहकर प्रतिरोध को जन्म देना 3. आसन्न भय के स्रोत को क्षतिग्रस्त करना प्रथम द्वितीय विकल्प समझदार एवं विचारक चिन्तक उठाते हैं किन्तु सहज आवेग में आने वाले लोग तीसरे विकल्प को अपनाते हैं . विश्व मिथकों में , इतिहास में ऐसे लोगों की संख्या का विवरण मौजूद है . इससे मनुष्य प्रजाति में पशुत्वगुण की मौजूदगी की भी पुष्टि होती है . पशु विशेष रूप से कुत्ता जिसे आप स्वामिभक्त मानते हैं महाभारत काल से तो उसके स्वामिभक्ति के गुण