मैं अपराजित हूँ
वेदनाओं से
चेहरे पर चमक
लब पर मुस्कान
अश्रु सागर शुष्क
नयन मौन
पीढ़ा जो नित्याभ्यास है
पीढ़ा जो मेरा विश्वास है .
जागता हूँ
सोता हूँ
किन्तु
खुद में नहीं
खोता हूँ !
इस कारण
मैं अपराजित हूँ
जीता हूँ जिस्म की अधूरी
संरचना के साथ
जीतीं हैं कई
स्पर्धाएं और प्रतिघात
विस्मित हो मुझे क्यों देखते हो ?
तुम क्या जानो
जब ज्वालामुखी सुप्त है
लेलो मेरी परीक्षा ...!
याद रखो जब वो फटता है तो
.......... जला देता है जड़ चेतन सभी को
मत पालो किसी में ज़रा सा भी ज्वालामुखी
वेदनाओं से
चेहरे पर चमक
लब पर मुस्कान
अश्रु सागर शुष्क
नयन मौन
पीढ़ा जो नित्याभ्यास है
पीढ़ा जो मेरा विश्वास है .
जागता हूँ
सोता हूँ
किन्तु
खुद में नहीं
खोता हूँ !
इस कारण
मैं अपराजित हूँ
जीता हूँ जिस्म की अधूरी
संरचना के साथ
जीतीं हैं कई
स्पर्धाएं और प्रतिघात
विस्मित हो मुझे क्यों देखते हो ?
तुम क्या जानो
जब ज्वालामुखी सुप्त है
लेलो मेरी परीक्षा ...!
याद रखो जब वो फटता है तो
.......... जला देता है जड़ चेतन सभी को
मत पालो किसी में ज़रा सा भी ज्वालामुखी