17.1.12

तू चाहे मान ले भगवान किसी को भी हमने तो पत्थरों में भगवान पा लिया !!




उनको यक़ीन हो कि न हो हैं हम तो बेक़रार
चुभती हवा रुकेगी क्या कंबल है तारतार !!
मंहगा हुआ बाज़ार औ’जाड़ा है इस क़दर-
हमने किया है रात भर सूरज का इंतज़ार.!!
हाक़िम ने  फ़ुटपाथ पे आ बेदख़ल किया -
औरों की तरह हमने भी डेरा बदल दिया !
सुनतें हैं कि  सरकार कल शाम आएंगें-
जलते हुए सवालों से जाड़ा मिटाएंगें !
हाक़िम से कह दूं सोचा था कि सरकार से कहे
मुद्दे हैं बहुत उनको को ही वो तापते रहें....!
लकड़ी कहां है आपतो - मुद्दे जलाईये
जाड़ों से मरे जिस्मों की गिनती छिपाईये..!!
 जी आज़ ही सूरज ने मुझको बता दिया
कल धूप तेज़ होगी ये  वादा सुना दिया !
तू चाहे मान ले भगवान किसी को भी
हमने तो पत्थरों में भगवान पा लिया !!
 कहता हूं कि मेरे नाम पे आंसू गिराना मत
 फ़ुटपाथ के कुत्तों से मेरा नाता छुड़ाना मत
 उससे ही लिपट के सच कुछ देर सोया था-
ज़हर का बिस्किट उसको खिलाना मत !!

3 टिप्‍पणियां:

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

girish bhaai aapne chori or sinaa zori vaali khaavt suni hogi lekin dekhi nhin hogi me dikha rhaa hun aapki yeh rchna mere blog pr laga rhaa hun kyonki me ise pdh kr mere blog pr ise lgaane se lokne me akshn hun .. akhtar khan akela kota rajsthan

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

कहीं पत्थर में भगवान मिल जाते हैं तो कहीं इन्सान पत्थर बन जाता है.

Kautsa Shri ने कहा…

उससे ही लिपट के सच कुछ देर सोया था-
ज़हर का बिस्किट उसको खिलाना मत !!

तल्‍खबयानी का एक जुदा अंदाज आपकी इस नज्‍म में है। अपने एक दोस्‍त शायर श्री चन्‍द्रभूषण त्रिपाठी 'सहनशील' की पंक्तियां याद आ गयीं..

हमको नक्‍शे से अलग कर क्‍या बचेगा देश में

हम तो हिन्‍दुस्‍तान की पहचान हैं फुटपाथ पर।

Wow.....New

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