अभिवादन
विगत चार दिनों से बवाल ने बहुत बवाल मचा रखा है, कल नानी जी की अंतिम संस्कार के बाद सोचा आपको ख़त लिखूगा किन्तु मनोदशा आप समझ ही सकतें हैं आज खुद पर काबू न रख सका , सोचा रहा था कि आपको ग़ालिब काका का वो शेर याद दिला दूं :-"हैं और भी दुनियाँ में ........! " सब अपनी अपनी जगह श्रेष्ठ हैं क्योंकि श्रेष्ठता सदैव अनंतिम और अनवरत होती है , यदि आप चाहें तो विरोध करने वालों के विरोध के विचारों को को एक सलाह मान कर अपेक्षित सुधारकर पुन: ब्लागवाणी शुरू कर सकते हैं , जहाँ तक एग्रीगेटर्स का सवाल है जो सबसे प्रभाव शाली होगा उसे तो मान्यता मिलेगी ही. प्रतिष्पर्द्धा के दौर में श्रेष्ठता को ही खामियाजा भुगतना होता है , किन्तु प्रयास कर्ता के संकल्प और दृड़ता के कारण कोई उसे हिला भी नहीं सकता, आपके प्रयासों को सबने स्वीकारा है किन्तु ब्लागवाणी का परिदृश्य से विलुप्त होना समझ से परे है.यदि आप चाहें तो खुलासा कर दीजिये कि वज़ह क्या थी ब्लागवाणी के बंद होने की. यदि लोक हित में यह ज़रूरी नहीं समझते तो कम से कम उन कमियों पर गंभीरता से विचार कर सुधार अवश्य कर ब्लागवाणी को वापस ले आइये. सतीश जी की पोस्ट वास्तव में स्नेहिल पाती है, मैं भी वही कर रहा हूँ आप ने अपना दे दिया निर्णय स्वीकार्य है किन्तु फिर भी एक बार पुन: विचारण की गुंजाइश हो तो लोक हित में ही होगा. मेरी और से यह आखरी ख़त है अनुग्रह का - आप चिन्तन करेंगें मुझे उम्मीद है शेष आपकी जैसी मर्जी क्योंकि :- यह भी परम सत्य है कि विकास का चक्र कभी न रूका था न रुकेगा अवश्य अ जावेंगें लोग कुछ नया लेकर आयेंगें क्या आ ही चुके हैं. पर ब्लागवाणी केवल विगत इतिहास न कहलाए बल्कि ऐतिहासिक एग्रीगेटर कहलाए जो सदा अपने नवीन तम बदलावों के साथ ब्लागर्स के साथ रहे भविष्य में भी .यह सच है कि सुधार के साथ जो आप जानते हैं .हम तो आर्थिक मानसिक संबल दे सकते है खुले तौर पर शुल्क नियत कर दीजिये, अधिकार संपन्न बनाइये अपने सम्बद्ध चिट्ठाकार को
सादर आपका
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
सतीश सक्सेनाजी ने जो कहा बाद में जो प्रतिक्रियाएं आईं उन सब पर गौर करना ही होगा आपको
14 टिप्पणियां:
क्या कोई व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से मिलकर समस्या का समाधान नहीं कर सकता?
नानी जी के देहावसान की खबर पाकर दुखी हूँ ... ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ... गिरीश जी एग्रीगेटर कभी खुलासा नहीं करेंगें की उन्होने फीड क्यों बंद की ... जब कोई विकिलीक्स की तरह इनके पन्ने खंगालेगा जब जाकर इनकी जानकारी मिलेगी ... अब नए एग्रीगेटरो को आगे आना होगा ... और बर्तमान में जो एग्रीगेटर हैं उन्हें हम सभी ब्लागरों को मिल जुलकर प्रोत्साहित करना होगा ..... ब्लागरों की रीढ़ की हड्डी एग्रीगेटर हैं ...यदि ये सामने नहीं आते हैं जो सभी ब्लागरों को मिलकर इस समस्या का निराकरण करने हेतु आगे आना पड़ेगा जो हिंदी ब्लागिंग जगत के हित में होगा .
नानी जी के देहावसान की खबर पाकर दुखी हूँ ... ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ... गिरीश जी एग्रीगेटर कभी खुलासा नहीं करेंगें की उन्होने फीड क्यों बंद की ... जब कोई विकिलीक्स की तरह इनके पन्ने खंगालेगा जब जाकर इनकी जानकारी मिलेगी ... अब नए एग्रीगेटरो को आगे आना होगा ... और बर्तमान में जो एग्रीगेटर हैं उन्हें हम सभी ब्लागरों को मिल जुलकर प्रोत्साहित करना होगा ..... ब्लागरों की रीढ़ की हड्डी एग्रीगेटर हैं ...यदि ये सामने नहीं आते हैं जो सभी ब्लागरों को मिलकर इस समस्या का निराकरण करने हेतु आगे आना पड़ेगा जो हिंदी ब्लागिंग जगत के हित में होगा .
सुना है ये सारे प्रयास हो चुकें हैं
मिश्र जी
नानी जी ८५ वर्ष की आयु में हमें छोड़ कर चलीं गईं आठ माह ही हुए थे नाना जी को हम विदा कर आए थे
शांति शांति
ओम शांति, शांति, शांति.
जैसे थे वैसे ठीक थे ब्लागवाणी और चिट्ठाजगत दोनों.
कमाल की मेहनत की है यार , काश वे लोग देख भर लें कि मुकुल का क्या अनुरोध है !
आप ऐसे लोगों से संपर्क करें जो लोग व्यक्तिगत तौर पर मैथिली जी को जानते हैं शायद इस तरह ही वे पुनर्विचार करें ! एक अच्छे इंसान को मनाने के लिए किसी भी स्टेज तक जाया जाए ...वन्दनीय ही होगा !
बालकवि बैरागी, अविनाश वाचस्पति तथा अनूप शुक्ल इन लोगों के नज़दीक हैं ....उनसे बात करें ! मेरी तरफ से जो आश्वासन आपको चाहिए वह सब आपको मिले हुए मानियेगा !
भावुक आप भी कम नहीं ...दिल ही दुखाओगे अपना ! ईश्वर करे आपके साथ ऐसा न हो !
मुझे दुःख है और ऐसे लोगों पर दया आती है जिन्होंने अपनी हरकतों से एक अच्छे कार्य को बंद करा दिया ! खैर ...
आपके प्रयासों के लिए हार्दिक शुभकामनायें !
ब्लोगवाणी संचालकों को एक पत्र , एक अनुरोध के साथ - सतीश सक्सेना
ब्लॉगवाणी को वापस लाने का जिगरा सिर्फ़ एक ही पंगेबाज ब्लॉगर के पास है ...नाम छुपा है ..जान सकें तो जान लें ..
ब्लॉगवाणी को वापस लाने का जिगरा सिर्फ़ एक ही पंगेबाज ब्लॉगर के पास है
अजय भाई
वो पंगे बाज़ कौन है दादा
उसी को नारीयल फ़ूल दे आते हैं..?
मैंने नाम बता दिया है गिरीश भाई अपनी पहली ही टिप्पणी में ...और जानने वाले जान भी जाएंगे ..मुझे लगता है ..शायद वे ही सिरिल जी को मना सकेंगे ..अब तो
वाह अजय जी नाम भी साफ़ लिख रहे हे, ओर गरीश जी जरा ध्यान से पढे अजय जी की टिपण्णी.....नां समझ मै आ जायेगा. धन्यवाद
आपकी नानी जी के निधन की जानकारी भी आपके इस ब्लॉग पर मिली. शोकांजलि के साथ मेरी संवेदनाएं कृपया स्वीकारें . पारिवारिक दुःख के इस माहौल में भी आप हिन्दी ब्लॉग-जगत के भविष्य को लेकर चिंतित है. यह आपके लेखन के सामाजिक सरोकारों का उदाहरण है. ब्लॉग वाणी को बंद नही होना चाहिए था. लेकिन हुआ. उन्हें क्या परेशानियां थीं, अगर वे कुछ खुलासा करें , तो शायद हम सब मिल कर उन्हें कुछ सहयोग कर सकें .
अपके नाना नानी के निधन पर हमारी संवेदनायें आपके और आपके परिवार के साथ हैं उन्हें विनम्र श्रद्धाँजली। अगर आप सब लोग सिरिल जी और मैथिली जी से मिल कर बात करें तो शायद बात बन जाये। उन्हें अपने बडप्पन को बनाये रखने का ये अवसर नही खोना चाहिये। कामना करते हैं ब्लागवाणी जरूर वापिस आयेगी। शुभकामनायें।
नानीजी और नानाजी के बारे में जानकर दुख हुआ. यकीनन वो इस धरती से बेहतर जहां में हैं.
ब्लागवाणी के बारे में हम सब लोग बात कर रहे हैं, लेकिन क्या हम भूल गये हैं कि मुद्दा है, चिट्ठाजगत चलना बंद हो गया है. मुझे लगता है कि हमें इस और भी ध्यानाकर्षित करना चाहिये. विपुल जी से पूछना चाहिये कि चिट्ठाजगत की समस्या कब तक ठीक हो पायेगी.
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